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महासागरों का अध्ययन

महासागरों का अध्ययन  देवभूमि उत्तराखंड द्वारा कक्षा 6 एनसीईआरटी भूगोल की पुस्तक से नोट्स तैयार किए जा रहे हैं। इस लेख में एनसीईआरटी पुस्तक और प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों का समावेशन किया गया है। इस लेख में विश्व में कितने महासागर हैं और उनके सीमांत सागरों के साथ प्रमुख जलसंधियों का उल्लेख किया गया है। अतः लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। साथ ही विश्व का मानचित्र साथ रखें।  पृष्ठभूमि  अक्सर फिल्मों में, गानों में, कविताओं में और जिंदगी के उन तमाम पन्नों में "सात समुद्र" का जिक्र सुना होगा। और तो और इस शब्द प्रयोग मुहावरों भी करते हैं। तो क्या आप जानते हैं "सात समुद्र" ही क्यों? और यदि बात सात समुद्र की जाती है तो वे कौन-से सात समुद्र हैं? यूं तो अंक सात का अपना एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व हैं । क्योंकि दुनिया में इंद्रधनुष के रग सात हैं, सप्ताह के दिन सात हैं, सप्तर्षि हैं, सात चक्र हैं, इस्लामी परंपराओं में सात स्वर्ग हैं, यहां तक कि दुनिया के प्रसिद्ध 7 अजूबे हैं। संख्या सात इतिहास की किताबों में और कहानियों में बार-बार आती है और इस वजह से...

रानीखेत का इतिहास - (पर्यटकों की नगरी )

 रानीखेत का इतिहास 

पर्यटकों की नगरी - रानीखेत (अल्मोड़ा)

देवभूमि उत्तराखंड में अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्वविख्यात है - रानीखेत। रानीखेत उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले में समुद्र तल से 6000 फीट की ऊंचाई पर  झूला देवी पर्वत श्रंखला में स्थित है। रानीखेत को "पर्यटकों की नगरी" कहा जाता है क्योंकि रानीखेत उत्तराखंड का वह पर्यटक स्थल है जहां सर्वाधिक मात्रा में पर्यटक आते हैं। यहां से हिमालय की सुंदर विहंगम पर्वत श्रंखलाऔ के दर्शन किए जा सकते हैं। यह स्थान विभिन्न प्रसिद्ध मंदिरों से चारों ओर से घिरा हुआ है। यहां बिनसर महादेव मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर, हैंडासन मंदिर, कालिका मंदिर, राम मंदिर, झूला देवी मंदिर इसके अतिरिक्त विश्व प्रसिद्ध गोल्फ मैदान और चौबाटिया गार्डन जैसे दर्शनीय स्थल हैं।

रानीखेत का इतिहास

रानीखेत 'गगास नदी' के तट पर स्थित खूबसूरत शहर है। रानीखेत को पहले 'झूला देवी' और 'ऑकलैंड हिल्स' के नाम से जाना जाता था। इस स्थान का नाम रानीखेत पड़ने की दो किदवंती प्रसिद्ध हैं जिसका संबंध कत्यूरी राजवंश से है।

पहली किदवंती के अनुसार कहा जाता है कि कत्यूरी शासक राजा सुधारदेव की रानी पद्मिनी ग्रीष्म काल में आकर यहां रहती थी। जहां पर वह रुकती थी वहां पर खेत था। वह खेत रानीखेत के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

दूसरी किदवंती के अनुसार कुमाऊं की लक्ष्मी बाई कहीं जाने वाली जियारानी अपनी यात्रा पर निकली हुई थी। इस क्षेत्र से गुजरते समय वह यहां के प्राकृतिक सौंदर्य से मोहित होकर रात्रि विश्राम के लिए रुकी। उन्हें यह स्थान इतना अच्छा लगा कि उन्होंने बाद में यहीं पर अपना स्थायी निवास बना लिया। और तब इस स्थान को 'रानीखेत' के नाम से जाना गया। 

उपयुक्त कथाओं से ज्ञात होता है कि रानीखेत पर प्राचीन समय में कत्यूरी राजवंश का शासन था। उन्हीं के शासनकाल में 'रानीखेत' शब्द की उत्पत्ति हुई। उसके पश्चात रानीखेत में चंद राजवंश ने शासन स्थापित किया और कुछ समय के लिए गोरखाओ ने कुमाऊं की बागडोर संभाली। किंतु 3 मई 1815 में गोरखाओ को अंग्रेजों ने हराकर कुमाऊं पर अपना नियंत्रण स्थापित किया। अंग्रेजों का कुमाऊं पर नियंत्रण होने के बाद उनकी नजर रानीखेत की सुंदरता पर पड़ी। देवदार और बुरांश, काफल के वृक्षों से घिरा रानीखेत अत्यधिक रमणीक एवं आकर्षित लगा। जो प्रकृति की सुंदर गोद में बसा था। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण जैसे रानीखेत को सौन्दर्यता वरदान मिला हो। इस पूरे क्षेत्र की मनमोहक सुंदरता का अनुमान कभी नीदरलैंड के राजदूत रहे 'वान पैलेन्ट' के इस कथन से लगाया जा सकता है - ''रानीखेत को नहीं देखा उसने भारत को नहीं देखा''। 

अंग्रेजों ने रानीखेत को छुट्टियों में मौज मस्ती के लिए हिट स्टेशन के रूप में फिर विकसित किया और तब से रानीखेत अंग्रेजों और विदेशियों का पसंदीदा स्थान बन गया है। आधुनिक रानीखेत की स्थापना 1869 मे हेनरी रेम्जे ने की। अमेरिका न्यायधीश "विलियम दोग्लस" ने रानीखेत को विश्व का सर्वोत्तम हिल स्टेेशन कहा। अंग्रेजी वायसराय "लार्ड मेयो" को रानीखेत बहुत प्रिय लगता था। प्रशासनिक रूप सेेे रानीखेत अल्मोड़ा के पश्चिमी घाट में स्थित हैै। रानीखेत को 1913 में तहसील का दर्जा दिया गया।
 

रानीखेत छावनी

रानीखेत छावनी परिषद का गठन 1924 की छावनी बोर्ड अधिनियम के अंतर्गत हुआ था। रानीखेत एक प्रथम श्रेणी की छावनी है। रानीखेत छावनी दो पर्वत चोटियों पर फैली हुई है। पहली जिसे रानीखेत रिज कहा जाता है और दूसरी चौबटिया रिज कहा जाता है। रानीखेत छावनी में भारतीय सेना की कुमाऊं तथा नागा रेजीमेंट का रेजिमेंटल सेंटर स्थित है। कुमाऊं रेजिमेंट की स्थापना 27 अक्टूबर 1945 में हुई तथा कुमाऊं रेजिमेंट का मुख्यालय मई 1948 में आगरा से रानीखेत लाया गया।

रानीखेत - जिले को लेकर संघर्ष

भारत की स्वतंत्रता के बाद से ही अल्मोड़ा जिले को बांटकर रानीखेत जिला बनाने की मांग उठती रही है। 1960 के दशक से ही रानीखेत जिले के लिए आंदोलन शुरू हो गए थे हालांकि 2011 में उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ने अल्मोड़ा जिले को रानीखेत, सल्ट, भिकियासैंण, द्वाराहाट,  और चौखुटिया तहसीलों से रानीखेत जिले की घोषणा की थी। परंतु गजट नोटिफिकेशन जारी न होने के कारण जिला अस्तित्व में नहीं आया और 2012 के विधानसभा चुनावों के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

रानीखेत के प्रमुख स्थल

चौबटिया उद्यान

चौबटिया को 'ऑरचर्ड कंट्री' कहा जाता है। रानीखेत के चौबटिया में 'फल संरक्षण एवं शोध केंद्र' स्थापित किया गया है । दरअसल यूरोपीय उद्यमियों द्वारा उत्तराखंड में शीतोष्ण फलों की खेती प्रारंभ की गई। फलों की खेती की सफलता के कारण सरकार का ध्यान इस तरफ आकर्षित हुआ तथा चौबटिया में एक सरकारी उद्यान स्थापित होने का मार्ग प्रशस्त हुआ। चौबटिया उद्यान की स्थापना 1869-70 में हुई। इस उद्यान की स्थापना वन विभाग द्वारा 'डब्ल्यू क्रा' की देखरेख में की गई। इस उद्यान के प्रथम सुपरिटेंडेंट 'डब्ल्यू क्रा' थे। सन 1914 में राष्ट्रीय उद्यान चौबटिया वन विभाग द्वारा कुमाऊं कमिश्नर के अधीन कर दिया गया। ताकि इसका उचित विकास हो सके । वर्तमान समय में यह 600 एकड़ में फैला यह उद्यान कई प्रकार के फलों के पेड़ों पर सुंदर फूलों से भरा हुआ है। जिसकी सुंदरता को देखने के लिए प्रति वर्ष सैलानियों की भीड़ उमड़ी रहती है।

गोल्फ का मैदान

यह गोल्फ ग्राउंड गुलमर्ग के बाद एशिया का सबसे बड़ा गोल्फ ग्राउंड है। 'गगास नदी' के तट पर स्थित गोल्फ मैदान का निर्माण 1920 में हुआ था। यह रानीखेत से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इसकी सुंदरता की लालिमा विवाह फिल्म में देखी जा सकती है। यहां की हरे हरे घास के शान्त मैदान प्रकृति में अनूठी सुंदरता का रंग बिखेरते हैं।

बिनसर महादेव मंदिर

बिनसर महादेव भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है इसका निर्माण राजा पिथु ने करवाया था। भगवान शिव के साथ-साथ यहां भगवान गणेश, देवी गौरी अन्य देवी देवताओं की पूजा की जाती है। इसके अतिरिक्त नरसिंह मैदान के समीप मनकामेश्वर मंदिर स्थित है।

मझखली 

मझखली रानीखेत से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक खूबसूरत दर्शनीय स्थल है यह एक छोटी है जहां से आप बहुत  बागेश्वर में स्थित त्रिशूल पर्वत देख सकते हैं जो बहुत खूबसूरत दिखाई देता है।

ताड़ीखेत

ताड़ीखेत रानीखेत से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खूबसूरत गांव है। यह गांव भारत के इतिहास से जुड़ा हुआ है। महात्मा गांधी उत्तराखंड भ्रमण के दौरान यहां आकर रुके थे जिस स्थान पर गांधी जी रुके थे उसे 'गांधी कुटी' कहा जाता है। जिसे सारे सैलानी कुटिया देखने आते हैं। और यहीं पर गोलू देवता का मंदिर भी है। इसके अतिरिक्त यहां "इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद फॉर ड्रग्स रिसर्च" ताड़ीखेत (अल्मोड़ा) में स्थापित किया गया है।

भालू डैम या भालू धाम

भालू धाम या भालू डैम रानीखेत के समीप स्थित एक कृत्रिम झील है यहां से हिमालय पर्वत की बर्फ से ढकी सफेद चोटी का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है।

आशियाना पार्क

रानीखेत नगर के बीचों-बीच आशियाना पार्क बनाया गया है ।जहां बच्चों के लिए विशेष का जंगली थीम बनाई गई हैं और नरसिंह मैदान के समीप रानी झील है जहां नौकायन सुविधा उपलब्ध है। यह झील अल्मोड़ा में स्थित रानी पर्वत पर है।

भारत का पहला घास संरक्षण स्थल -‌ रानीखेत (अल्मोड़ा)

हाल ही में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के रानीखेत में 2 एकड़ में फैले भारत के "पहले घास संरक्षण क्षेत्र" का उद्घाटन किया गया हैै। उत्तराखंड वन विभाग की अनुसंधान इकाई ने केंद्र सरकार के क्षतिपूरक वनीकरण प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण कार्यक्रम के तहत वित्त पोषण से 3 साल में संरक्षित क्षेत्र विकसित किए हैं। संरक्षण क्षेत्र में महत्वपूर्ण वैज्ञानिक पारिस्थितिकी औषधीय और सांस्कृतिक महत्व की लगभग 90 प्रजातियां की घास उगाई गई है।

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