उत्तराखंड स्थापना दिवस पर स्लोगन उत्तराखंड, देवभूमि की यह पावन धरती, 9 नवंबर 2000 को अपने स्वतंत्र अस्तित्व में आई। इस अवसर पर, उत्तराखंड के समृद्ध विकास और जीवंत संस्कृति को समर्पित 30 स्लोगन और कविताएं प्रस्तुत हैं। ये रचनाएं राज्य की प्रगति, प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विरासत और भविष्य की आशाओं को प्रतिबिंबित करती हैं। 30 स्लोगन (उत्तराखंड के विकास और संस्कृति पर) “जहाँ हर पर्वत बोल उठे — पहाड़ हमारी पहचान, संस्कृति हमारा अभियान” 🌿 देवभूमि उत्तराखंड के ऐतिहासिक विरासत और संस्कृति से प्रेरित स्लोगन उत्तराखंड स्थापना दिवस (रजत जयंती – 25 वर्ष) विशेष स्लोगन “25 वर्षों की गौरवगाथा – देवभूमि की अद्भुत परिभाषा!” (राज्य की उपलब्धियों और पहचान का गौरव) “पर्वतों से ऊँचा हमारा मान – यही है उत्तराखंड की पहचान!” (गौरव और आत्मसम्मान का संदेश) “संघर्ष से सफलता तक का सफर – जय जय उत्तराखंड अमर!” (संघर्षशील भावना का सम्मान) “रजत जयंती का ये उत्सव महान – आओ मिलकर करें देवभूमि का सम्मान!” (सामूहिक उत्सव का आह्वान) “हर घाटी, हर गाँव में गूँजे स्वर – उत्तराखंड जिंदाबाद सदा अमर!” (लोकएकता और प्रद...
हर्षिल का इतिहास उत्तरकाशी हिमाच्छादित पर्वत, निर्झर झरने दूर तक फैले देवदार उत्तराखंड की भूमि में नजर आता हर्षिल का किरदार चिनार के घने जंगल , जोर-जोर से बहती, भागीरथी की अविरल धारा सांप-सी बलखाती टेढ़ी-मेढ़ी राहें, नैनों से बातें करती, हर्षिल की हवाऐं By - देवभूमिउत्तराखंड.com नमस्कार मित्रों इन्हीं पंक्तियों के साथ आज हम देवभूमि उत्तराखंड में हर्षिल के बारे में चर्चा करेंगे । मित्रों आप सभी देवभूमि उत्तराखंड के प्राकृतिक सौंदर्य से भलीभांति परिचित हैं। उन्हीं में से एक पर्यटक स्थल है हर्षिल। हर्षिल शहर की सुंदरता के बारे में जितना कहा जाए कम है। क्योंकि हर्षिल सुंदर बगानों, राहों और प्राकृतिक दृश्यों का वह स्थल है जिसकी तुलना यूरोप में स्थित स्विजरलैंड से की जाती है। इसलिए हर्षिल को "उत्तराखंड का स्विजरलैंड" कहा जाता है । (* हर्षिल को भारत का "मिनी स्विट्जरलैंड लैंड" व "उत्तराखंड का स्विट्जरलैंड" कहा जाता है। और चोपता को "उत्तराखंड का मिनी ...