उत्तराखंड के लोकगीत और लोक नृत्य पहाड़ की अपनी ही बोली और संस्कृति है यहाँ के लोक गीतों का विस्तृत स्वरूप मुक्तको के रूप में मिलता है। विभिन्न अवसरों तथा विविध प्रसंगी में मुक्तकों का व्यवहार होता है, पहाड़ी समाज में अपनी विशिष्ट संस्कृति पौराणिक काल से रही है. न्यौली इसे न्यौली, न्यौल्या या वनगीत के नामों से पुकारा जाता है, न्यौली का अर्थ किसी नवीन स्त्री को नवीन रुप में सम्बोधन करना और स्वर बदल बदलकर प्रेम परक अनुभूतियों को व्यक्त करना है। न्यौली प्रेम परक संगीत प्रधान गीत है जिसमें दो-दो पंक्ति होती है। पहली पंक्ति प्रायः तुक मिलाने के लिए होती है। न्यौली में जीवन चिन्तन की प्रधानता का भाव होता है। ब्योली ब्योली रैना, मेरो मन बस्यो परदेश, कब आलो मेरो सैंया, मेरो मन लियो हदेश। (अर्थ: रात बीत रही है, मेरा मन परदेश में बसा है। कब आएगा मेरा प्रिय, जिसने मेरा मन ले लिया।) "सबै फूल फुली यौछ मैथा फुलौ ज्ञान, भैर जूँला भितर भूला माया भूलै जन, न्यौली मया भूलै जन", बैरा (नृत्य गीत) बैरा का शाब्दिक अर्थ संघर्ष है जो गीत युद्ध के रूप में गायकों के बीच होता है। अर्थात् यह कुमाऊं क्षे...
उत्तराखंड समूह ग मॉडल पेपर 2025 (Uksssc Mock Test -155) (नये पैटर्न पर आधारित) यहां uksssc mock test - 155 के 40 प्रश्न दिए गए हैं जहां नये पैटर्न पर आधारित टेस्ट को तैयार किया गया है। यदि आप फुल मॉक टेस्ट प्राप्त करना चाहते हैं संपर्क करें -9568166280 । देवभूमि उत्तराखंड द्वारा उत्तराखंड कनिष्ठ सहायक, उत्तराखंड पुलिस, उत्तराखंड प्रवक्ता एवं फोरेस्ट गार्ड हेतु टेस्ट उपलब्ध कराए जाते हैं। Uksssc Mock Test -155 (1) सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए और सूचियां के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए। सूची-I। सूची-II A. जंगल 1. ब्वारि B. नदी 2. बण C. बहु 3. गाड़ D. झरना 4. रौल कूट : A B C D (a) 1 2 3 ...