श्यामलाताल : विवेकानंद आश्रम की मनमोहक शांति हिमालय की गोद में बसा विवेकानंद आश्रम, श्यामलाताल, उत्तराखंड के चम्पावत जिले का एक ऐसा रत्न है, जो प्रकृति और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है। समुद्र तल से लगभग 5,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह स्थल अपने आलौकिक सौंदर्य और शांति से हर किसी का मन मोह लेता है। यहाँ से टनकपुर-वनबसा और शारदा नदी घाटी के मनोरम दृश्यों के साथ-साथ नंदादेवी, पंचाचूली और नंदकोट जैसी बर्फीली चोटियों का लुभावना नजारा देखने को मिलता है, जो आत्मा को सुकून और आँखों को तृप्ति देता है। श्यामलाताल : एक झील का जादू आश्रम के ठीक निकट एक छोटी, परंतु अत्यंत आकर्षक झील है, जिसे श्यामलाताल के नाम से जाना जाता है। इस झील की लंबाई लगभग 500 मीटर और चौड़ाई 200 मीटर है। इसका गहरा श्याम वर्ण वाला जल इतना मनमोहक है कि स्वामी विवेकानंद ने स्वयं इसे 'श्यामलाताल' नाम दिया। झील के शांत जल में आसपास की हरी-भरी पहाड़ियों और नीले आकाश की छवि ऐसी दिखती है, मानो प्रकृति ने स्वयं एक कैनवास पर चित्र उकेरा हो। कैसे पहुँचें? विवेकानंद आश्रम, चम्पावत जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर ...
सर्वनाम और उसके भेद (भाग -05) देवभूमि उत्तराखंड द्वारा उत्तराखंड की सभी प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु हिन्दी के सम्पूर्ण नोट्स प्रश्नोत्तरी सहित तैयार किए जा रहे हैं। सभी नोट्स प्राप्त करने के लिए संपर्क करें -9568166280 सर्वनाम क्या है? सर्वनाम :- सर्वनाम दो शब्दों से मिलकर बना है। सर्व+नाम (सभी + नाम)। संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते है। अर्थात किसी वाक्य में एक ही शब्द की बार-बार पुनरावृति न हो, इसके लिए संज्ञा के स्थान पर सर्वनाम शब्दों का प्रयोग किया जाता है। जैसे - मैं, तुम, वह, यह, आप, कौन, कोई, इसका, उसका, तुम्हारा, हमारा और आपका आदि । उदाहरण :- अमित दिल्ली रहता है, वह नहाँ नौकरी करता है. पिताजी विदेश रहते हैं, वे वहाँ नौकरी करते है सर्वनाम के भेद 1. पुरुषवावक उत्तम पुरुष - मध्यम पुरुष अन्य पुरुष 2. निश्चयवाचक 3. अनिश्चयवाचक 4. सम्बधवाचक 5. प्रश्नवाचक 6. निजवाचक 1. पुरुषवाचक सर्वनाम :- वे सर्वनाम शब्द जिनका प्रयोग बोलने वाला व्यक्ति अपने लिए, सुनने वाले के लिए या किसी अन्य के लिए प्रयोग करता है। जैसे - मैं, हम, तू, आप, ये, वे,...