श्यामलाताल : विवेकानंद आश्रम की मनमोहक शांति हिमालय की गोद में बसा विवेकानंद आश्रम, श्यामलाताल, उत्तराखंड के चम्पावत जिले का एक ऐसा रत्न है, जो प्रकृति और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है। समुद्र तल से लगभग 5,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित यह स्थल अपने आलौकिक सौंदर्य और शांति से हर किसी का मन मोह लेता है। यहाँ से टनकपुर-वनबसा और शारदा नदी घाटी के मनोरम दृश्यों के साथ-साथ नंदादेवी, पंचाचूली और नंदकोट जैसी बर्फीली चोटियों का लुभावना नजारा देखने को मिलता है, जो आत्मा को सुकून और आँखों को तृप्ति देता है। श्यामलाताल : एक झील का जादू आश्रम के ठीक निकट एक छोटी, परंतु अत्यंत आकर्षक झील है, जिसे श्यामलाताल के नाम से जाना जाता है। इस झील की लंबाई लगभग 500 मीटर और चौड़ाई 200 मीटर है। इसका गहरा श्याम वर्ण वाला जल इतना मनमोहक है कि स्वामी विवेकानंद ने स्वयं इसे 'श्यामलाताल' नाम दिया। झील के शांत जल में आसपास की हरी-भरी पहाड़ियों और नीले आकाश की छवि ऐसी दिखती है, मानो प्रकृति ने स्वयं एक कैनवास पर चित्र उकेरा हो। कैसे पहुँचें? विवेकानंद आश्रम, चम्पावत जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर ...
उत्तराखंड में घटित आपदाएं एक राज्य के रूप में उत्तराखंड की अत्यंत समृद्ध प्राकृतिक संसाधन प्राप्त हैं। उत्तराखंड की सामान्य स्थलाकृति के कारण यहां भौतिक विशेषताएं तथा सक्रिय प्राकृतिक संसाधन प्राप्त है। यद्यपि सामान्य स्थालाकृति ने क्षेत्र को प्राकृतिक आपदाओं के लिए संवेदनशील बना दिया है। ऐसी परिस्थितियों में जीवन-यापन तथा विकास के लिए आपदा नियंत्रण तंत्र, योजनाओं व क्षमताओं का विकास अति आवश्यक है। आपदा किसे कहते हैं? "ऐसी घटना जिसमें सामाजिक पर्यावरण का ह्रास हो, और लोगों की प्रतिरोध करने की क्षमता से अधिक हो तथा बाहरी सहायता की मांग करती हो, वह आपदा कहलाती है। उत्तराखंड आपदा मंत्रालय का गठन - 2006 उत्तराखंड राज्य अपनी भौगोलिक व पारिस्थितिकीय संरचनाओं के कारण प्राकृतिक व मानवीय परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील है अतः कोई ऐसी प्रतिक्रिया जो यहां की दशाओं के प्रतिकूल होती है आपदाओं को जन्म देती है, यह आपदाएं प्राय एक दूसरे से संबद्ध होती है। उत्तराखंड में 1867 ईस्वी में आपदा प्रबंधन के लिए हल सेफ्टी कमेटी बनी थी। उत्तराखंड आपदा मंत...