सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

मार्च, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

उत्तराखंड का भू-कानून

उत्तराखंड का भू-कानून चर्चा में क्यों? हाल ही में प्रदेश में लगातार चल रही मांग के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एलान किया है कि उनकी सरकार वृहद भू-कानून लाने जा रही है। अगले साल बजट सत्र में कानून का प्रस्ताव लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि 250 वर्ग मीटर आवासीय और 12.50 एकड़ अन्य भूमि के नियम तोड़ने वालों की भूमि जांच के बाद सरकार में निहित की जाएगी। क्या है उत्तराखंड का वर्तमान भू-कानून ? वर्तमान में लागू भू-कानून के तहत एक व्यक्ति को 250 वर्गमीटर जमीन ही खरीद सकता है। लेकिन व्यक्ति के अपने नाम से 250 वर्गमीटर जमीन खरीदने के बाद पत्नी के नाम से भी जमीन खरीदी है तो ऐसे लोगों को मुश्किल आ सकती है। तय सीमा से ज्यादा खरीदी गई जमीन को सरकार में निहित करने की कार्रवाई करेगी। यह कानून केवल बाहरी राज्यों के लोगाें पर लागू है। उत्तराखंड के स्थायी निवासी कितनी भी जमीन खरीद सकते हैं। भू-कानून का इतिहास राज्य में बाहरी लोगों द्वारा भूमि खरीद सीमित करने के लिए वर्ष 2003 में तत्कालीन एनडी तिवारी सरकार ने उत्तर प्रदेश के कानून में संशोधन किया और राज्य का अपना भूमि कानून अस्तित्व में आया। इस संशोध

22-29th March weekly current affair in hindi

7 days challenge Weekly current affair in hindi 22-29th March नमस्कार मित्रों जिन अभ्यर्थियों को लगता है कि उनके करंट अफेयर की तैयारी नहीं हो पाती है । किसी कारणवश उन्हें करंट अफेयर की तैयारी करने का समय नहीं मिलता है। उन परीक्षार्थियों के लिए हर सप्ताह के विशेष top10 questions की तैयारी कराई जाएगी। जिनकी 90% संभावना प्रतियोगी परीक्षाओं में आने का होती है। कोई फालतू क्वेश्चन नहीं होंगे। केवल उन्हीं प्रश्नों पर बात की जाएगी। जो आते ही आते हैं। यदि आप सप्ताह में इन 10 most important question को अच्छे से तैयार कर लेते हैं तो इतना दावा कर सकता हूं कि परीक्षा में 30 नंबर की सामान्य ज्ञान के questions में से 20+ ला सकते हो । और जो प्रतिदिन करंट अफेयर पढ़ते हैं उनके लिए यह क्वेश्चन एक अच्छा रिवीजन साबित करेंगे।    (1) प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है इस वर्ष  विश्व जल दिवस की थीम है - (a) save water save life (b) valuing water (c) catch the rain , where it falls when it falls (d) the clock is tickling व्याख्या : विश्व जल दिवस मनाने का निर्णय पहली बार संयुक्त राष्ट्रीय

हरिद्वार का इतिहास : देवभूमि उत्तराखंड

 हरिद्वार का इतिहास देवभूमि उत्तराखंड प्राकृतिक सौंदर्य और संस्कृति का धरोहर जो उत्तराखंड में अपनी एक विशेष पहचान बनाए हुए हैं "हरिद्वार" - जिसे "गेटवे ऑफ़ गोड्स" भी कहा जाता है। हरिद्वार का कुल क्षेत्रफल 2360 किलोमीटर है।  जिसमें लगभग 2192890 (जनसंख्या 2021 की अनुमानित जनसंख्या) निवास करती है। जनसंख्या की दृष्टि से हरिद्वार उत्तराखंड का सबसे बड़ा जिला है । इसकी स्थापना 28 दिसंबर 1988 को हुई थी । हरिद्वार सदियों से देवताओं का प्रमुख स्थल रहा है। इसका उल्लेख पुराणों और ग्रंथों में मिलता है । इसका एक विस्तृत इतिहास है। हरिद्वार भारत के उत्तर में शिवालिक श्रेणी के विल्ब व नील पर्वतों के बीच गंगा नदी के तट पर बसा हुआ है । आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक दृष्टि से उत्तराखंड का महत्वपूर्ण जिला है।  हरिद्वार का इतिहास पौराणिक इतिहास हरिद्वार का इतिहास बरसों पुराना नहीं है बल्कि युगों-युगों पुराना है। यहां ऋषि-मुनियों ने हजारों वर्षो तपस्या की है। और इस धाम को पवित्र स्थल के रूप में निर्माण किया है। यहां गंगोत्री हिमनद से निकलकर पवित्र नदी गंगा बहती है जिसका उद्गम स्थल ग

उत्तराखंड का इतिहास : उत्तरवर्ती परमार वंश (भाग -3)

 उत्तराखंड का इतिहास गढ़वाल का परमार वंश (उत्तरवर्ती परमार वंश                        भाग - 3 श्री सुदर्शन शाह प्रद्युम्न शाह के उत्तराधिकारी थे । 14 मई 1804 में खुड़बुड़ा के मैदान में  प्रद्युम्नशाह राज्य की रक्षा करते हुए शहीद हो जाते है। कुमाऊं और गढ़वाल पर गोरखाओं का शासन हो जाता है। उसी बीच सुदर्शन शाह जान बचाते हुए बरेली में शरण लेते हैं और कुछ वर्ष फतेहगढ़ में व्यतीत करते हैं । गोरखाओं  का शासन काल क्रूरता व बर्बरता से भरा हुआ था। गोरखाओं का राज्य सैनिक शासन पर आधारित थाा। वे तेजी से गोरखा साम्राज्य का विस्तार कर रहे थे। कुमाऊं व गढ़वाल विजय के बाद महाराजा रणजीत सिंह के राज्य का एक भाग कांगड़ा पर भी अधिकार कर लिया। गोरखपुर में ईस्ट इंडिया कंपनी से 200 ग्राम छीन लिए जो ब्रिटिश-नेपाल युद्ध का मुख्य कारण बना। दूसरी तरफ सुदर्शन शाह अपनी खोई हुई सत्ता को गोरखा उसे प्राप्त करना चाहते थे उन्होंने अंग्रेजों से सहायता मांगी । फलतः लॉर्ड मायो ने नवंबर 1814 में नेपाल के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। अंग्रेजों ने अपने 22000 सैनिकों के साथ चार टुकड़ों में बांटकर गोरखाओ के ऊपर चारों तरफ से हम

14th - 21th March top10 weekly current affair in hindi

 7 days challenge Top10 weekly current affair in hindi 14th - 21th March   7 days challenge के अंतर्गत यहां देवभूमिउत्तराखंड.com के द्वारा सप्ताह के most important Top 10 weekly current affair हिंदी में तैयार किए जाते हैं। जिनकी 2021 में होने वाली आगामी परीक्षाओं ukpcs, uppcs , uksssc , upsssc , ssc chsl, CGL मेंशत-प्रतिशत आने की संभावना होती है। यहां से आप जनवरी 2021 से फरवरी तक के प्रत्येक सप्ताह के करंट अफेयर पढ़ सकते हैं। आज की प्रश्नोत्तरी में 7th -8th March के करंट अफेयर हैं। जिन का विस्तृत वर्णन भी किया गया है। (1) निम्नलिखित में से किसने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के महानिदेशक का पदभार संभाला ? (a) दिनेश कुमार खारा (b) अजय माथुर (c) यशवर्धन कुमार सिन्हा (d) अमिताभ चौधरी व्याख्या : हाल ही में अजय माथुर को अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के महानिदेशक के पद पर नियुक्त किया है । इससे पहले उपेंद्र त्रिपाठी ISO के महानिदेशक थे। (2) हाल ही में जारी विश्व खुशहाली रिपोर्ट-2021 के अनुसार दुनिया का सबसे खुशहाल देश में प्रथम स्थान किसे मिला है? (a) अमेरिका (b) फिनलैंड (c) न्यूजीलैंड (d) ऑस्ट्र

गढ़वाल का परमार वंश : उत्तराखंड का इतिहास (भाग-2)

 गढ़वाल का परमार वंश (पंवार वंश) उत्तराखंड का इतिहास परमार वंश (भाग - 2) महीपत शाह (46 वां शासक ) महीपत शाह श्याम शाह के उत्तराधिकारी थे। जो सन 1622 ईस्वी में गद्दी पर बैठे थे। महीपत के शासनकाल में सर्वाधिक बाहरी आक्रमण हुए। जिनका महिपत शाह ने कुशलतापूर्वक सामना ही नहीं किया । बल्कि शत्रुओं को पराजित भी किया। इसी कारण उन्हें " गर्वभंजन"  कहा गया। महिपत शाह एक कुशल और प्रतापी राजा थे। इन्होंने साम्राज्य के विस्तार के लिए व्यवस्थित सेना बनाई। इनके तीन प्रमुख सेनापति थे - (1) माधो सिंह भंडारी  (2) लोदी रिखोला  (3) बनवारी दास इनमें से माधों सिंह की वीरता का गुणगान समस्त गढ़वाल मंडल आज भी करता है । क्योंकि " तुमुल युद्ध - 1640 " में शत्रुओं के घिर जाने के बाद भी शौर्य और पराक्रम से लड़े और सेना के मनोबल को बनाए रखने के लिए प्राणों की आहुति दे दी। महिपत शाह ने सिरमौर के राजा को हराकर तिब्बत पर 3 बार आक्रमण किया फिर भी सफलता नहीं मिली । लेकिन महिपत शाह ने "दापा (दाबा)"  पर आक्रमण किया। वहीं उन्हे अद्वितीय सफलता मिली और समस्त कुमाऊं राज्य में महिपत शाह के पराक्रम

7th-14 March weekly current affair in hindi

7 days challenge Weekly current affair in hindi 7th - 8th March 7 days challenge के अंतर्गत यहां देवभूमिउत्तराखंड.com के द्वारा सप्ताह के most important Top 10 weekly current affair हिंदी में तैयार किए जाते हैं। जिनकी 2021 में होने वाली आगामी परीक्षाओं ukpcs, uppcs , uksssc , upsssc , ssc chsl,  CGL मेंशत-प्रतिशत आने की संभावना होती है। यहां से आप जनवरी 2021 से फरवरी तक के प्रत्येक सप्ताह के करंट अफेयर पढ़ सकते हैं। आज की प्रश्नोत्तरी में 7th -8th March के करंट अफेयर  हैं। जिन का विस्तृत वर्णन भी किया गया है। (1) निम्नलिखित में से किसे "इंटरनेशनल वूमेन ऑफ कॉरेज 2021" का अवार्ड दिया गया है? (a) मिताली राज (b) गौशल्या शंकर (c) विनेश फोगाट (d) ललिता जोशी व्याख्या : "इंटरनेशनल वूमेन ऑफ करेज 2021" का अवार्ड सुश्री कौशल्या को जाति आधारित हिंसा के खिलाफ लड़ने के लिए दिया गया है । उन्होंने मार्च 2017 में "शंकर सोशल जस्टिस ट्रस्ट" की शुरुआत की थी। कौशल्या शंकर जाति विरोधी कार्यकर्ता और मानव अधिकार डिफेंडर है । सामान्यतः यह अवार्ड उस महिला को दिया जाता है जो दूसरों

परमार वंश - उत्तराखंड का इतिहास (भाग -1)

उत्तराखंड का इतिहास History of Uttarakhand भाग -1 परमार वंश का इतिहास उत्तराखंड में सर्वाधिक विवादित और मतभेद पूर्ण रहा है। जो परमार वंश के इतिहास को कठिन बनाता है परंतु विभिन्न इतिहासकारों की पुस्तकों का गहन विश्लेषण करके तथा पुस्तक उत्तराखंड का राजनैतिक इतिहास (अजय रावत) को मुख्य आधार मानकर परमार वंश के संपूर्ण नोट्स प्रस्तुत लेख में तैयार किए गए हैं। उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में 688 ईसवी से 1947 ईसवी तक शासकों ने शासन किया है (बैकेट के अनुसार)।  गढ़वाल में परमार वंश का शासन सबसे अधिक रहा।   जिसमें लगभग 12 शासकों का अध्ययन विस्तारपूर्वक दो भागों में विभाजित करके करेंगे और अंत में लेख से संबंधित प्रश्नों का भी अध्ययन करेंगे। परमार वंश (गढ़वाल मंडल) (भाग -1) छठी सदी में हर्षवर्धन की मृत्यु के पश्चात संपूर्ण उत्तर भारत में भारी उथल-पुथल हुई । देश में कहीं भी कोई बड़ी महाशक्ति नहीं बची थी । जो सभी प्रांतों पर नियंत्रण स्थापित कर सके। बड़े-बड़े जनपदों के साथ छोटे-छोटे प्रांत भी स्वतंत्रता की घोषणा करने लगे। कन्नौज से सुदूर उत्तर में स्थित उत्तराखंड की पहाड़ियों में भी कुछ ऐसा ही हुआ। उत्

कुणिंद वंश का इतिहास (1500 ईसा पूर्व - 300 ईसवी)

कुणिंद वंश का इतिहास   History of Kunid dynasty   (1500 ईसा पूर्व - 300 ईसवी)  उत्तराखंड का इतिहास उत्तराखंड मूलतः एक घने जंगल और ऊंची ऊंची चोटी वाले पहाड़ों का क्षेत्र था। इसका अधिकांश भाग बिहड़, विरान, जंगलों से भरा हुआ था। इसीलिए यहां किसी स्थाई राज्य के स्थापित होने की स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती है। थोड़े बहुत सिक्कों, अभिलेखों व साहित्यक स्रोत के आधार पर इसके प्राचीन इतिहास के सूत्रों को जोड़ा गया है । अर्थात कुणिंद वंश के इतिहास में क्रमबद्धता का अभाव है।               सूत्रों के मुताबिक कुणिंद राजवंश उत्तराखंड में शासन करने वाला प्रथम प्राचीन राजवंश है । जिसका प्रारंभिक समय ॠग्वैदिक काल से माना जाता है। रामायण के किस्किंधा कांड में कुणिंदों की जानकारी मिलती है और विष्णु पुराण में कुणिंद को कुणिंद पल्यकस्य कहा गया है। कुणिंद राजवंश के साक्ष्य के रूप में अभी तक 5 अभिलेख प्राप्त हुए हैं। जिसमें से एक मथुरा और 4 भरहूत से प्राप्त हुए हैं। वर्तमान समय में मथुरा उत्तर प्रदेश में स्थित है। जबकि भरहूत मध्यप्रदेश में है। कुणिंद वंश का उल्लेख महाभारत के सभा पर्व,  आरण्यक पर्व एवं भीष्म पर्