उत्तराखंड के लोकगीत और लोक नृत्य पहाड़ की अपनी ही बोली और संस्कृति है यहाँ के लोक गीतों का विस्तृत स्वरूप मुक्तको के रूप में मिलता है। विभिन्न अवसरों तथा विविध प्रसंगी में मुक्तकों का व्यवहार होता है, पहाड़ी समाज में अपनी विशिष्ट संस्कृति पौराणिक काल से रही है. न्यौली इसे न्यौली, न्यौल्या या वनगीत के नामों से पुकारा जाता है, न्यौली का अर्थ किसी नवीन स्त्री को नवीन रुप में सम्बोधन करना और स्वर बदल बदलकर प्रेम परक अनुभूतियों को व्यक्त करना है। न्यौली प्रेम परक संगीत प्रधान गीत है जिसमें दो-दो पंक्ति होती है। पहली पंक्ति प्रायः तुक मिलाने के लिए होती है। न्यौली में जीवन चिन्तन की प्रधानता का भाव होता है। ब्योली ब्योली रैना, मेरो मन बस्यो परदेश, कब आलो मेरो सैंया, मेरो मन लियो हदेश। (अर्थ: रात बीत रही है, मेरा मन परदेश में बसा है। कब आएगा मेरा प्रिय, जिसने मेरा मन ले लिया।) "सबै फूल फुली यौछ मैथा फुलौ ज्ञान, भैर जूँला भितर भूला माया भूलै जन, न्यौली मया भूलै जन", बैरा (नृत्य गीत) बैरा का शाब्दिक अर्थ संघर्ष है जो गीत युद्ध के रूप में गायकों के बीच होता है। अर्थात् यह कुमाऊं क्षे...
आधुनिक उत्तराखंड से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तराखंड स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित 100 महत्वपूर्ण प्रश्न उपर्युक्त प्रश्नोत्तरी आधुनिक इतिहास के सभी नोट्स (भाग -01 से भाग -04 तक) को ध्यान में रखकर अभ्यास के लिए तैयार की गई है। सभी प्रश्न परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यदि आपने देवभूमि उत्तराखंड द्वारा तैयार किए गए सभी नोट्स का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया है तो pdf file download करके अभ्यास करें। और नीचे दिए गए उत्तर सहित प्रश्नों का मिलान करें। उम्मीद करते हैं यह प्रश्नोत्तरी आपकी तैयारी में सर्वोत्तम सहायक सिद्ध हो। उत्तराखंड के आधुनिक इतिहास से 100 महत्वपूर्ण प्रश्नों को तैयार किया गया है जिसको दो भागों (भाग -01 और भाग -02) में विभाजित किया गया है इस लेख में भाग 1 के 50 प्रश्नों को दिया गया है। भाग -01 (1) "उत्तराखंड के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी" पुस्तक के लेखक हैं? (a) यशवंत सिंह कठौच (b) धर्मपाल सिंह मनराल (c) अजय रावत (d) हरिकृष्ण रतूड़ी Answer - (b) (2) "उत्तराखंड राज्य आंदोलन का इतिहास" पुस्तक के लेखक हैं? (a) खेमराज कृष्णदास (b) मदन चंद्र भट्ट (c) शेख...