उत्तराखंड के लोकगीत और लोक नृत्य पहाड़ की अपनी ही बोली और संस्कृति है यहाँ के लोक गीतों का विस्तृत स्वरूप मुक्तको के रूप में मिलता है। विभिन्न अवसरों तथा विविध प्रसंगी में मुक्तकों का व्यवहार होता है, पहाड़ी समाज में अपनी विशिष्ट संस्कृति पौराणिक काल से रही है. न्यौली इसे न्यौली, न्यौल्या या वनगीत के नामों से पुकारा जाता है, न्यौली का अर्थ किसी नवीन स्त्री को नवीन रुप में सम्बोधन करना और स्वर बदल बदलकर प्रेम परक अनुभूतियों को व्यक्त करना है। न्यौली प्रेम परक संगीत प्रधान गीत है जिसमें दो-दो पंक्ति होती है। पहली पंक्ति प्रायः तुक मिलाने के लिए होती है। न्यौली में जीवन चिन्तन की प्रधानता का भाव होता है। ब्योली ब्योली रैना, मेरो मन बस्यो परदेश, कब आलो मेरो सैंया, मेरो मन लियो हदेश। (अर्थ: रात बीत रही है, मेरा मन परदेश में बसा है। कब आएगा मेरा प्रिय, जिसने मेरा मन ले लिया।) "सबै फूल फुली यौछ मैथा फुलौ ज्ञान, भैर जूँला भितर भूला माया भूलै जन, न्यौली मया भूलै जन", बैरा (नृत्य गीत) बैरा का शाब्दिक अर्थ संघर्ष है जो गीत युद्ध के रूप में गायकों के बीच होता है। अर्थात् यह कुमाऊं क्षे...
भाग -02 केन्द्रीय बजट 2023-24 केंद्रीय बजट 2023-24 की प्रमुख विशेषताएं बजट में प्रत्येक वर्ष नई योजनाओं की घोषणा की जाती है और टैक्स में संशोधन किया जाता है जिसका सीधा प्रभाव जनता पर पड़ता है। केंद्रीय बजट 2023-24 के वित्तीय वर्ष में सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुल जीडीपी का 2.1% खर्च करेगी तथा शिक्षा के क्षेत्र में कुल जीडीपी का 2.9% खर्च करेगी। बजट में सात प्राथमिकताओं को चिन्हित किया गया है जिन्हें सप्त ऋषि का नाम दिया गया है। समावेशी विकास अंतिम व्यक्ति तक पहुंच अवसंरचना विकास एवं निवेश सामर्थ्य को प्रकट करना हरित विकास युवा शक्ति वित्तीय श्रेत्र 1. समावेशी विकास (कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा) किसानों के लिए सुलभ समावेशी और शिक्षाप्रद समाधान के लिए " डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना " का निर्माण किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में नवाचार स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि गतिवर्धक कोष की स्थापना की जाएगी। उच्च मूल्य की बागवानी फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए "आत्मनिर्भर बागवानी स्वच्छ पौध कार्यक्रम" की शुरुआत की जाएगी जिसके लिए बजट में ₹2200 करोड़ रुपए का प्रावधा...