उत्तराखंड का भू-कानून चर्चा में क्यों? हाल ही में प्रदेश में लगातार चल रही मांग के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एलान किया है कि उनकी सरकार वृहद भू-कानून लाने जा रही है। अगले साल बजट सत्र में कानून का प्रस्ताव लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि 250 वर्ग मीटर आवासीय और 12.50 एकड़ अन्य भूमि के नियम तोड़ने वालों की भूमि जांच के बाद सरकार में निहित की जाएगी। क्या है उत्तराखंड का वर्तमान भू-कानून ? वर्तमान में लागू भू-कानून के तहत एक व्यक्ति को 250 वर्गमीटर जमीन ही खरीद सकता है। लेकिन व्यक्ति के अपने नाम से 250 वर्गमीटर जमीन खरीदने के बाद पत्नी के नाम से भी जमीन खरीदी है तो ऐसे लोगों को मुश्किल आ सकती है। तय सीमा से ज्यादा खरीदी गई जमीन को सरकार में निहित करने की कार्रवाई करेगी। यह कानून केवल बाहरी राज्यों के लोगाें पर लागू है। उत्तराखंड के स्थायी निवासी कितनी भी जमीन खरीद सकते हैं। भू-कानून का इतिहास राज्य में बाहरी लोगों द्वारा भूमि खरीद सीमित करने के लिए वर्ष 2003 में तत्कालीन एनडी तिवारी सरकार ने उत्तर प्रदेश के कानून में संशोधन किया और राज्य का अपना भूमि कानून अस्तित्व में आया। इस संशोध
भाग -02 केन्द्रीय बजट 2023-24 केंद्रीय बजट 2023-24 की प्रमुख विशेषताएं बजट में प्रत्येक वर्ष नई योजनाओं की घोषणा की जाती है और टैक्स में संशोधन किया जाता है जिसका सीधा प्रभाव जनता पर पड़ता है। केंद्रीय बजट 2023-24 के वित्तीय वर्ष में सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुल जीडीपी का 2.1% खर्च करेगी तथा शिक्षा के क्षेत्र में कुल जीडीपी का 2.9% खर्च करेगी। बजट में सात प्राथमिकताओं को चिन्हित किया गया है जिन्हें सप्त ऋषि का नाम दिया गया है। समावेशी विकास अंतिम व्यक्ति तक पहुंच अवसंरचना विकास एवं निवेश सामर्थ्य को प्रकट करना हरित विकास युवा शक्ति वित्तीय श्रेत्र 1. समावेशी विकास (कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा) किसानों के लिए सुलभ समावेशी और शिक्षाप्रद समाधान के लिए " डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना " का निर्माण किया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में नवाचार स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि गतिवर्धक कोष की स्थापना की जाएगी। उच्च मूल्य की बागवानी फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए "आत्मनिर्भर बागवानी स्वच्छ पौध कार्यक्रम" की शुरुआत की जाएगी जिसके लिए बजट में ₹2200 करोड़ रुपए का प्रावधा