उत्तराखंड का भू-कानून चर्चा में क्यों? हाल ही में प्रदेश में लगातार चल रही मांग के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एलान किया है कि उनकी सरकार वृहद भू-कानून लाने जा रही है। अगले साल बजट सत्र में कानून का प्रस्ताव लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि 250 वर्ग मीटर आवासीय और 12.50 एकड़ अन्य भूमि के नियम तोड़ने वालों की भूमि जांच के बाद सरकार में निहित की जाएगी। क्या है उत्तराखंड का वर्तमान भू-कानून ? वर्तमान में लागू भू-कानून के तहत एक व्यक्ति को 250 वर्गमीटर जमीन ही खरीद सकता है। लेकिन व्यक्ति के अपने नाम से 250 वर्गमीटर जमीन खरीदने के बाद पत्नी के नाम से भी जमीन खरीदी है तो ऐसे लोगों को मुश्किल आ सकती है। तय सीमा से ज्यादा खरीदी गई जमीन को सरकार में निहित करने की कार्रवाई करेगी। यह कानून केवल बाहरी राज्यों के लोगाें पर लागू है। उत्तराखंड के स्थायी निवासी कितनी भी जमीन खरीद सकते हैं। भू-कानून का इतिहास राज्य में बाहरी लोगों द्वारा भूमि खरीद सीमित करने के लिए वर्ष 2003 में तत्कालीन एनडी तिवारी सरकार ने उत्तर प्रदेश के कानून में संशोधन किया और राज्य का अपना भूमि कानून अस्तित्व में आया। इस संशोध
लिव इन रिलेशनशिप मानवता का पाठ : वास्तविक स्वतंत्रता आपके विचार से मानव का धर्म क्या होना चाहिए? मेरे विचार से मानव का धर्म किसी भी जीवित प्राणी को हानि पहुंचाए बिना पर्यावरण की रक्षा करते हुए एक स्वतंत्र जीवन ही मानव का धर्म होना चाहिए । जिसमें ना कोई अत्यधिक कठिन नियम हो, ना ही कठोर संविधान, ना काले-गोरे का भेद, ना ही कोई धर्म, ना ही किसी की कोई जात और ना ही ऐसे रीति रिवाज व परंपराएं जो इंसान को गुलाम बनाती हैं । मैंने अक्सर शादी हो जाने के बाद लोगों को गुलाम बनते देखा है चाहें वो स्त्रियां हो? या वो पुरुष हो? आपको मैं पहले ही अवगत करा दूं कि मेरे आर्टिकल का उद्देश्य बिल्कुल नहीं है कि आप सदियों से चली आ रही परंपराओं का पालन ना करें । लेकिन सभी महान विद्वानों ने कहा है कि जिस प्रकार किसी धर्म में कुछ गलत नियम या गलत प्रथाएं हैं उनमें बदलाव जरूरी है । उसी प्रकार यदि हमारे किसी भी प्रकार के रीति रिवाज और परंपराएं इंसान को कमजोर बनाती हैं और उसकी आजादी व उसकी सोच पर लगाम लगाती हैं । तो क्यों ना ऐसी परंपराओं में बदलाव किए जाए। प्रत्येक मनुष्य आजाद हो। मानो या ना