उत्तराखंड का भू-कानून चर्चा में क्यों? हाल ही में प्रदेश में लगातार चल रही मांग के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एलान किया है कि उनकी सरकार वृहद भू-कानून लाने जा रही है। अगले साल बजट सत्र में कानून का प्रस्ताव लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि 250 वर्ग मीटर आवासीय और 12.50 एकड़ अन्य भूमि के नियम तोड़ने वालों की भूमि जांच के बाद सरकार में निहित की जाएगी। क्या है उत्तराखंड का वर्तमान भू-कानून ? वर्तमान में लागू भू-कानून के तहत एक व्यक्ति को 250 वर्गमीटर जमीन ही खरीद सकता है। लेकिन व्यक्ति के अपने नाम से 250 वर्गमीटर जमीन खरीदने के बाद पत्नी के नाम से भी जमीन खरीदी है तो ऐसे लोगों को मुश्किल आ सकती है। तय सीमा से ज्यादा खरीदी गई जमीन को सरकार में निहित करने की कार्रवाई करेगी। यह कानून केवल बाहरी राज्यों के लोगाें पर लागू है। उत्तराखंड के स्थायी निवासी कितनी भी जमीन खरीद सकते हैं। भू-कानून का इतिहास राज्य में बाहरी लोगों द्वारा भूमि खरीद सीमित करने के लिए वर्ष 2003 में तत्कालीन एनडी तिवारी सरकार ने उत्तर प्रदेश के कानून में संशोधन किया और राज्य का अपना भूमि कानून अस्तित्व में आया। इस संशोध
उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी -14
उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियां
वर्ष 1965 में केंद्र सरकार ने जनजातियों की पहचान के लिए लोकर समिति का गठन किया। लोकर समिति की सिफारिश पर 1967 में उत्तराखंड की 5 जनजातियों थारू, जौनसारी, भोटिया, बोक्सा, और राजी को एसटी (ST) का दर्जा मिला । राज्य की मात्र 2 जनजातियों को आदिम जनजाति का दर्जा प्राप्त है । सर्वप्रथम राज्य की राजी जनजाति को आदिम जनजाति का दर्जा मिला। बोक्सा जनजाति को 1981 में आदिम जनजाति का दर्जा प्राप्त हुआ था । राज्य में सर्वाधिक आबादी थारू जनजाति तथा सबसे कम आबादी राज्यों की रहती है। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की कुल एसटी आबादी 2,91,903 है। जुलाई 2001 से राज्य सेवाओं में अनुसूचित जन जातियों को 4% आरक्षण प्राप्त है।
उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित प्रश्न
विशेष सूचना :- लेख में दिए गए अधिकांश प्रश्न समूह-ग की पुरानी परीक्षाओं में पूछे गए हैं। और कुछ प्रश्न वर्तमान परीक्षाओं को देखते हुए उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित 25+ प्रश्न तैयार किए गए हैं। जो आगामी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। बता दें की उत्तराखंड के 40 प्रश्नों में से 2 प्रश्न उत्तराखंड की जनजातियों से पूछे जाते हैं। अतः लेख को ध्यानपूर्वक पढ़े।
(1) राज्य में सबसे कम अनुसूचित जनजातियों की आबादी किस जनपद में रहती है ?
(a) उधम सिंह नगर
(b) चमोली
(c) उत्तरकाशी
(d) रुद्रप्रयाग
व्याख्या :- राज्य में सबसे कम अनुसूचित जनजातियों की आबादी रुद्रप्रयाग में रहती है। इसके बाद क्रमशः टिहरी व चमोली जिले में रहती है। जबकि सर्वाधिक अनुसूचित जनजातियों की आबादी उधम सिंह नगर में रहती है।
Answer - (d)
(2) थारू लोग अपने आप को वंशज मानते हैं- (2021)
(a) खस बंद
(b) पंवार वंश
(c) महाराणा प्रताप
(d) पांडवों को
व्याख्या :- थारू लोग अपने आपको महाराणा प्रताप का वंशज मानते हैं। इतिहासकारों के अनुसार थारू किरात वंशी है जिनका कद छोटा, नाक चपटी और आंखें छोटी होती हैं।
Answer - (c)
(3) निम्न में से बदला-विवाह प्रथा का संबंध किस जनजाति से है?
(a) थारू जनजाति
(b) बुक्सा जनजाति
(c) भोटिया जनजाति
(d) इनमें से कोई नहीं
व्याख्या :- थारू जनजाति में पहले बदला विवाह प्रथा का प्रचलन था । बदला-विवाह के तहत बहनों के आदान-प्रदान प्रथा का प्रचलन था।
Answer - (a)
(4) राज्य में सर्वाधिक आबादी किस जनजाति की है ?
(a) भोटिया जनजाति
(b) राजी जनजाति
(c) थारू जनजाति
(d) जौनसारी जनजाति
व्याख्या :- राज्य में सर्वाधिक आबादी थारू जनजाति की है जबकि सबसे कम आबादी राजी जनजाति की है। जुलाई 2001 में राज्य सेवाओं में अनुसूचित जनजातियों को 4% आरक्षण दिया गया है।
Answer - (c)
(5) उत्तराखंड की भोटिया जनजाति किस मानव प्रजाति से संबंधित है?
(a) नीग्रोटो
(b) मंगोलॉयड
(c) काकेशाँयड
(d) प्रोटोआस्टेलाँयड
व्याख्या :- उत्तराखंड की भोटिया जनजाति का 'मंगोलॉयड' मानव प्रजाति से संबंध है । भोटिया उत्तराखंड की एक प्रमुख प्रजाति है जो यथावर (खानाबदोश) जीवन व्यतीत करती है। ग्रीष्म ऋतु में भोटिया उत्तराखंड के बुग्याल में निवास करने चली जाती है। जबकि शीत ऋतु में यह मैदानों की ओर प्रवास करती है।
Answer - (b)
(6) भारत सरकार ने भोटिया जनजाति को अनुसूचित जनजाति एस.टी. (ST) में अधिसूचित किस वर्ष किया ?
(a) वर्ष 1967
(b) मार्च 1966
(c) वर्ष 1965
(d) वर्ष 1968
व्याख्या :- सरकार द्वारा भोटिया जनजाति को वर्ष 1967 में अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित किया गया था। भोटिया उत्तराखंड की हिमालय की घाटियों में निवास करने वाली प्रमुख यथावर जनजाति है। भूटिया जनजाति को ही 'बुग्याल' कहा जाता है। वर्ष 1967 में भूटिया के साथ उत्तराखंड की जौनसारी, बुक्सा, थारू तथा राजी जनजातियों को भी अनुसूचित जनजाति (ST)के रूप में अधिसूचित किया गया है।
Answer - (a)
(7) 'कंडाली या किर्जी' नामक उत्सव भोटिया जनजाति द्वारा मनाया जाता है ?
(a) प्रत्येक वर्ष
(b) तीनों वर्षों में एक बार
(c) 6 वर्षों में एक बार
(d) 12 वर्षों में एक बार
व्याख्या :- उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में चौदास घाटी में प्रत्येक 12 वर्ष में एक बार 'कंडाली या किर्जी' नामक उत्सव मनाया जाता है । यह त्यौहार अगस्त-सितंबर माह में भोटिया जनजाति द्वारा बनाया जाने वाला प्रमुख उत्सव है । यह त्यौहार 1 सप्ताह तक चलता है । इस दिन प्रत्येक परिवार प्रातः काल उठकर सर्वप्रथम "जौ और फाफर" के आटे से निर्मित 'ढूँगो देवता' की पूजा अर्चना अपने घर के आंगन में करता है। व्यक्तिगत पूजन के पश्चात सामूहिक भोजन होता है। इसके पश्चात सभी ग्रामीण एकत्रित होकर देवस्थान की ओर प्रस्थान करते हैं। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा पहनकर व हाथ में दराती लेकर कण्डाली कि पौधों को नष्ट करने के पश्चात युवा और पौढ महिलाओं द्वारा "कंण्डाली नृत्य' किया जाता है।
Answer - (d)
(8) निम्नलिखित में से कौन सी जनजाति लकड़ी की "शिल्पकला" के लिए जानी जाती है ?
(a) थारू जनजाति
(b) भोटिया जनजाति
(c) राजी जनजाति
(d) जौनसारी जनजाति
व्याख्या :- लकड़ी की शिल्पकला के लिए 'राजी जनजाति' लोकप्रिय मानी जाती है। यह जनजाति मूल रूप से उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में निवास करती है। इसके अतिरिक्त यह चंपावत एवं नैनीताल जिले में निवास करती है। राजी जनजाति को 'बरनौत' या 'जंगल का राजा' भी कहा जाता है। इस जनजाति के लोगों का कद छोटा तथा मुख्याकृति चपटी होती है। इस जनजाति की भाषा में तिब्बती एवं संस्कृत शब्दों का प्रयोग होता है किंतु यह लोग मुख्यतः "मुण्डा" बोलते हैं। राजी जनजाति के प्रमुख त्यौहार गौरा, अट्टा्ली व मकर सक्रांति है। यह लोग विशेष अवसरों पर गोला बनाकर नृत्य करते हैं जिसे "माड़िया नृत्य" कहते हैं। राज्य में सबसे कम जनसंख्या राजी जनजाति की है।
Answer - (c)
(9) झुमड़ा हैं ? (2018)
(a) युवा ग्रह
(b) सामाजिक प्रथा
(c) थारूओ का नृत्य गीत
(d) आभूषण
व्याख्या :- 'झुमड़ा' थारू जनजाति का प्रसिद्ध नृत्यगीत है। यह नृत्य, विवाह, त्योहार तथा जन्म के अवसर पर विशेष रूप से किया जाता है। झुमड़ा नृत्य में स्त्री तथा पुरुष दोनों हिस्सा लेते हैं। इसके अतिरिक्त 'लहचारी नृत्य' भी थारू जनजाति का लोकप्रिय नृत्य है।
Answer - (c)
(10) 'ज्वाड प्रथा' संबंधित है- (2019)
(a) कृषि से
(b) स्त्री धन से
(c) पशुधन से
(d) शिक्षा धन से
व्याख्या :- ज्वाड उत्तराखंड की एक प्रथा है जो कि स्त्री धन से संबंधित है। समाज में शादी के अवसर पर वधू पक्ष को दी जाने वाली धन संपत्ति को स्त्री धन माना गया है।
Answer - (b)
(11) 'ऋतु प्रवास' निम्न में से किस जनजाति द्वारा किया जाता है ?
(a) नागा
(b) थारू
(c) गद्दी
(d) बुक्सा
व्याख्या :- ऋतु प्रवास 'गद्दी' या 'गड़रिया' जनजाति द्वारा किया जाता है । यह जनजाति भारत की प्राचीन जनजातियों में से एक है तथा उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, लद्दाख व पाकिस्तान आदि में निवास करती है। इस जनजाति की आजीविका का प्रमुख साधन पशुपालन है। साथ ही यह उनसे बने शॉल , कंबल, जैकेट, टोपी आदि बेचकर भी अपनी जीविका चलाते हैं। 'गद्दी जनजाति' के लोग गर्मियों में अपने पशुधन के साथ ऊचें स्थानों पर निवास करते हैं तथा सर्दियों में निचले स्थानों पर रहते हैं। इन जनजातियों के लोगों का मुख्य भोजन दूध एवं दूध से बने भोज्य पदार्थ होते हैं। इस समाज के लोगों में बाल विवाह व बहुपत्नी विवाह परंपरा प्रचलित है।
Answer - (c)
(12) निम्न में से कौन बुक्सा जनजाति का त्यौहार है ? (2017)
(a) होंगण
(b) डैल्या
(c) गोटरे
(d) ये सभी
व्याख्या - बुक्सा जनजाति के निजी त्यौहारों में होंगण, डैल्या, गोटरे, चैती, नौबी तथा मौरे आदि शामिल है। उत्तराखंड के तराई भाबर क्षेत्र में बुक्सा जनजाति का संकेंद्रण है । नैनीताल व उधमसिंह नगर जिलों के बुक्सा बहुल क्षेत्र को "बुक्साड़" कहा जाता है। यह स्वयं को पंवार राजपूत मानते हैं। हालांकि इतिहासकारों में मतैक्य नहीं है। सामान्यतः यह पांच गोत्रों/ उपजातियों में विभाजित है। गोत्र समाज की व्यवहार की मूलक इकाई है। जिसमें आपस में विवाह नहीं होता है। हिंदू धर्म को मानने वाली बुक्सा जनजाति के आर्थिक जीवन का मुख्य आधार कृषि, पशुपालन एवं दस्तकारी है।
Answer - (d)
(13) भोटिया जनजाति के लोकगीत हैं ?(2018)
(a) तुवेरा
(b) बाज्यू
(c) तिमली
(d) ये सभी
व्याख्या :- भोटिया उत्तराखंड का प्रमुख जनजाति समूह है जो कि कुमाऊं और गढ़वाल मंडलों में मुख्य रूप से निवास करते हैं । राज्य में भोटिया जनजाति समूह तिब्बती बर्मन समूह की भाषाएं बोलते हैं। अधिकांश भोटिया तिब्बती, बोन और हिंदू धर्म का संयोजन करते हैं। वे हिंदू देवी देवताओं की पूजा करते हैं। तुवेरा, बाज्यू, तिमली भोटिया जनजातियों के मुख्य लोकगीत है। जो विभिन्न उत्सवों में गाए जाते हैं ।
Answer - (d)
(14) नुग्टंग देवी की पूजा की जाती है? (2017)
(a) रंग समुदाय
(b) थारू समुदाय
(c) बुक्सा समुदाय
(d) वन रावत समुदाय
व्याख्या :- नुग्टंग देवी की पूजा "रंग समुदाय" में प्रचलित है। राज्य के रंग जनजातीय समूह विशेष रूप से पिथौरागढ़ जिले में निवास करते हैं। रंग समुदाय मूल रूप से नेपाल के निवासी हैं। जो प्रवास के दौरान नेपाल से लगे पिथौरागढ़ जिले में प्रवेश कर गए। रंग समुदाय "नुग्टंग देवी" की पूजा हर्ष उल्लास से करते हैं।
Answer - (a)
(15) उत्तराखंड में 'अट्टा-बट्टा' क्या था? (2018)
(a) सामाजिक विश्वास
(b) विवाह व्यवस्था
(c) संस्कार
(d) धार्मिक उत्सव
व्याख्या :- उत्तराखंड में "अट्टा-बट्टा" एक प्राचीनकालीन विवाह प्रथा है। यह प्रथा उत्तराखंड की गद्दी जनजाति में पाई जाती है। अट्टा-बट्टा एक जटिल संबंध है। इस संस्कृति में दो परिवारों के बीच विवाह संबंध स्थापित होता है।
Answer - (b)
(16) थारू जनजाति की महिलाओं को तलाक देने के अधिकार को............... कहा जाता है?
(a) चाला
(b) बात कट्टी
(c) उरारी
(d) खाबर
व्याख्या :-
- उरारी - थारुओं की महिलाओं को तलाक देने का अधिकार 'उरारी' कहा जाता है
- चाला - विवाह के बाद जब लड़की स्थाई रूप से लड़के के घर आती है तो इस रस्म को चाला कहते हैं
- बात कट्टी - थारूओ की विवाह तिथि तय करने वाली रस्म को बात कट्टी कहते हैं
- खाबर - थारू जनजाति के लोग वनों में आखेट करने की खाबर कहते हैं।
Answer - (c)
(17) निम्न में से कौन-सी जनजाति पितृसत्तात्मक नहीं है?
(a) केवल थारू जनजाति
(b) केवल जौनसारी जनजाति
(c) केवल बुक्सा जनजाति
(d) a और b दोनों
Answer - (a)
(18) हारुल, मंगल केदारछाया व विरासू किस जनजाति का प्रमुख लोकगीत है ?
(a) थारू जनजाति
(b) भोटिया जनजाति
(c) जौनसारी जनजाति
(d) बुक्सा जनजाति
व्याख्या :- हारुल, मंगल केदारछाया व विरासू जौनसार जनजाति के प्रमुख लोकगीत है। इसके अलावा हारुल, जौनसारी जनजाति का लोकप्रिय नृत्य है। हारूल नृत्य में रमतुल्ला वाधयंत्र का प्रयोग होता है।
Answer - (c)
(19) निम्नलिखित में से भोटिया जनजाति में विवाह के लिए किस प्रकार की प्रथा पाई जाती है?
(a) तीन टिकड़ी प्रथा
(b) दामोल विवाह प्रथा
(c) वधू मूल्य प्रथा
(d) बदला विवाह प्रथा
व्याख्या :- भोटिया जनजाति में "दामोल विवाह प्रथा" पाई जाती है। वधू-मूल्य प्रथा का प्रचलन राजी जनजाति में होता है। तीन टिकड़ी प्रथा व बदला विवाह प्रथा थारू जनजाति में पाई जाती है।
Answer - (b)
(20) निम्नलिखित में से कौन सी जनजाति दीपावली को "शोक पर्व" के रूप में मनाते थे?
(a) जौनसारी जनजाति
(b) भोटिया जनजाति
(c) राजी जनजाति
(d) थारू जनजाति
व्याख्या :- थारू जनजाति के लोग दीपावली को शोक पर्व के रूप में मनाते थे जबकि थारू जनजाति के लोगों का त्योहार बजहर (चराई) है जो वैशाख के महीने में मनाते हैं।
Answer - (d)
(21) निम्न में शौका किस जनजाति की एक उप-जनजाति है ?
(a) जौनसारी जनजाति
(b) राजी जनजाति
(c) बुक्सा जनजाति
(d) भोटिया जनजाति
व्याख्या :- शोका जनजाति भोटिया जनजाति की एक उपजाति है । इसके अलावा जोहारी, चौंदासी, दरमियां भी भोटिया जनजाति की उपजाति हैं । अधिकांश भोटिया जनजाति पिथौरागढ़ जनपद में निवास करती है। भोटिया जनजाति के लोग पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी जिलों के 291 गांव में लगभग 10 जनजातियां निवास करती हैं।
Answer - (d)
(22) जाड़ भोटिया जनजाति मुख्यत: किस जनपद में निवास करती है?
(a) चमोली
(b) पिथौरागढ़
(c) उत्तरकाशी
(d) अल्मोड़ा
व्याख्या :- जाड़ भोटिया जनजाति की एक उप-जनजाति है। जाड़ भोटिया जनजाति मुख्यत: उत्तरकाशी जनपद में निवास करती है। जाड़ अपने आप को राजा जनक का वंशज मानते हैं। जाट लोग बौद्ध धर्म के अनुयाई हैं। जाडों की आम बोलचाल की भाषा 'रोम्बा' है जो तिब्बती भाषा में मिलती जुलती है।
Answer - (c)
(23) बिस्सू मेला कहां लगता है ?
(a) नानकमत्ता (उधम सिंह नगर)
(b) काशीपुर (उधम सिंह नगर)
(c) जौनसार (देहरादून)
(d) लोहाघाट (चंपावत)
व्याख्या :- बिस्सू मेला जौनसार क्षेत्र (देहरादून) का सबसे बड़ा मेला है जो वैशाखी के बाद 4 दिन तक चलता है । जौनसार क्षेत्र में दो तरह का मौण मेला भी लगता है।
- मछमौण - मछली पकड़ने का प्रचलन है
- जतरिया मौण - खसों के शक्ति प्रदर्शन का मेला
जौनसार के अलावा बिस्सू मेला प्रतिवर्ष उत्तरकाशी के भुटाणु, टिकोची, किलोली, मैंजणी, आदि गांव में सामूहिक रूप से लगता है। विषुवत सक्रांति के दिन लगने के कारण इस मेले को बिस्सू मेला भी कहा जाता है । यह मेला धनुष-बाणों रोमांचकारी युद्ध के लिए प्रसिद्ध है। बिस्सू मेले के अवसर में 'ठुलो-ठुस्को' (कुश्ती) का आयोजन किया जाता है।
Answer - (c)
(24) "महासू देवता" किस जनजाति के मुख्य देवता हैं ?
(a) जौनसारी जनजाति
(b) थारू जनजाति
(c) भोटिया जनजाति
(d) गाजी जनजाति
व्याख्या :- 5 जनजातियों के प्रमुख देवता/इष्ट देवता इस प्रकार हैं -
- थारू जनजाति के इष्ट देवता - खड्गाभूत व पछावन
- जौनसारी जनजाति के देवता - महासू देवता
- भोटिया जनजाति के देवता - भूम्याल देवता
- बुक्सा जनजाति के देवता - साकरिया देवता
- राजी जनजाति के देवता - बाघनाथ देवता
Answer - (a)
(25) "वारदा नाटी" का संबंध है ?
(a) थारू जनजाति
(b) बुक्सा जनजाति
(c) a और b दोनों
(d) जौनसारी जनजाति
व्याख्या - "वारदा नाटी" जौनसारी लोगों प्रमुख नृत्य हैं। इसके अतिरिक्त अंडे-काडे डांस, पौण नृत्य, झेला नृत्य, जंगबाजी और मरोज नृत्य आदि प्रमुख उत्सवों पर करते हैं।
Answer - (d)
(26) वर्ष 1965 में केंद्र सरकार ने जनजातियों की पहचान के लिए किस समिति का गठन किया?
(a) कोल्टा जांच समिति
(b) लोकर समिति
(c) पर्वतीय विकास जन समिति
(d) रमाशंकर कौशिक समिति
Answer - (b)
(27) लोकर समिति की सिफारिश पर किस वर्ष उत्तराखंड की 5 जातियों को एसटी का दर्जा मिला ?
(a) 1965
(b) 1967
(c) 1968
(d) 1985
Answer - (b)
Bahut bahut shukriya
जवाब देंहटाएंSmart work 100/100
जवाब देंहटाएंDhanyawad
जवाब देंहटाएंTeen tikti partha ke bare mai muje kux jankari 'ahi mile or ye teen tikti parta kya thi or ye teen tkti ke antargat kon kon vivah aatey they
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