लिंग वचन और कारक (हिन्दी नोट्स भाग - 04) देवभूमि उत्तराखंड द्वारा आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखकर हिन्दी के महत्वपूर्ण नोट्स तैयार किए गए हैं। साथ ही टॉपिक से सम्बन्धित टेस्ट सीरीज उपलब्ध है। सभी नोट्स पीडीएफ में प्राप्त करने के लिए संपर्क करें। 9568166280 संज्ञा के विकार संज्ञा शब्द विकारी होते हैं यह विकार तीन कारणों से होता है लिंग वचन कारक लिंग लिंग का अर्थ है - 'चिन्ह'। संज्ञा के जिस रूप से किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में यह बोध हो कि वह पुरुष जाति का है या स्त्री जाति का, उसे लिंग कहते हैं। जैसे - पिता, पुत्र, घोड़ा, बैल, अध्यापक आदि में पुरुष जाति का बोध है। और माता, पुत्री, घोड़ी, गाय आदि में स्त्री जाति का बोध है। संस्कृत के नपुंसक लिंग का समाहार पुलिंग में हो जाने से हिंदी में दो ही लिंग हैं। पुल्लिंग स्त्रीलिंग पुल्लिंग : वह संज्ञा या सर्वनाम जो नर (पुरुष) का बोध कराता है, उसे पुल्लिंग कहा जाता है। जैसे - लड़का, आदमी, घोड़ा, राजा, आदि। नियम देशों, प्रदेशों, नगरों, वृक्षों, पर्वतों, धातुओं, द्रव पदार्थों के नाम पुलिंग होते हैं। जैसे - भारत, जापान
समावेशी शिक्षा समावेशी शिक्षा क्या है ? समावेशी शिक्षा एक ऐसी शिक्षा प्रणाली है जिसमें सभी बच्चों समान शिक्षा का अवसर प्राप्त होता है, चाहे उनकी क्षमताएं, योग्यताएं या पृष्ठभूमि कुछ भी हो, जैसे - विकलांग, प्रतिभाशाली, गरीब, अमीर, पिछड़े और सामाजिक रूप से वंचित सभी बच्चे नियमित स्कूलों में साथ-साथ पढ़ते हैं। भारतीय संविधान अनुच्छेद 21(A) 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान करता है। कुछ प्रमुख परिभाषाएँ इस प्रकार हैं: यूनेस्को के अनुसार : "समावेशी शिक्षा यह सुनिश्चित करती है कि सभी शिक्षार्थी, चाहे उनकी क्षमताएं, पृष्ठभूमि या परिस्थितियां कुछ भी हों, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकें और उनका समर्थन किया जा सके।" विश्व बैंक के अनुसार : "समावेशी शिक्षा एक ऐसी शिक्षा प्रणाली है जो सभी शिक्षार्थियों की विविधता को स्वीकार करती है और उनका समर्थन करती है, और यह सुनिश्चित करती है कि सभी को अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने का अवसर मिले।" राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : " समावेशी शिक्षा का अर्थ है सभी बच्चों को उनकी क्षमता, पृष