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एसडीजी रिपोर्ट 2023-24 (उत्तराखंड को मिला पहला स्थान)

सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) रिपोर्ट 2023-24 रिपोर्ट जारी करने की तिथि - 12 जुलाई 2024 रिपोर्ट जारी कर्त्ता - नीति आयोग  वैश्विक जारी कर्त्ता - संयुक्त राष्ट्र  भारत में उत्तराखंड को सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) रिपोर्ट 2023-24 में पहला स्थान प्राप्त हुआ है।  12 जुलाई 2024 को नीति आयोग द्वारा सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) रिपोर्ट 2023-24 जारी की गई है। यह रिपोर्ट भारत के 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करती है। उत्तराखंड और केरल राज्य ने 79 अंकों के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया, जबकि दूसरे स्थान पर तमिलनाडु (78 अंक) और तीसरे स्थान पर गोवा (77 अंक) रहा। प्रथम स्थान - उत्तराखंड व केरल दूसरा स्थान - तमिलनाडु  तीसरा स्थान - गोवा  उत्तराखंड ने शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, ऊर्जा, और बुनियादी ढांचे जैसे कई लक्ष्यों में उल्लेखनीय प्रगति की है। सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) क्या है? एसडीजी का आशय सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals) से है। यह 17 वैश्विक लक्ष्य हैं जिन्हें 2030 तक प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। इन लक्ष्यों को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2015 में अप

मेरे सपनों का भारत

       मेरे सपनों का भारत सकारात्मक सोच का नजरिया "भारत की खोज पुस्तक" सबने पड़ी होगी। उस पुस्तक के लेखक भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी हैं। उन्होंने आजादी के बाद मेरे सपनों का भारत की कल्पना की थी और अपनी इच्छा अनुसार रखने की कोशिश भी की थी , इसलिए तो  और पाकिस्तान दो भागों में बंट गए । उस समय की परिस्थितियों के अनुसार उनको जैसा ठीक लगा  ।  उन्होंने किए जिनके कुछ परिणाम काफी महत्वपूर्ण साबित हुए। वहीं कुछ कदमों के चलते जम्मू-कश्मीर हाथों से आधा निकल गया। लेकिन फिर भी सब कुछ ठीक रहा उसके बाद मिसाइल मैन के नाम से कुख्यात डॉ एपीजे अब्दुल कलाम । उन्होंने भी अपनी खुली आंखों से भारत को सजाया । अब्दुल कलाम जी 2002 से 2007 के बीच भारत के राष्ट्रपति रहे और उन्होंने 2020 तक एक सक्षम भारत होने की कल्पना की थी। यूं तो सभी आज़ादी के परवानोंं- क्या महात्मा गांधी, क्या वल्लभभई पटेल और क्या विवेकानंद जी सभी ने एक महान भारत की कल्पना की और अनेकों कदम उठाएं। भारत की विकास प्रक्रिया भारत को विदेशी शक्तियों ने इतना अधिक कमजोर कर दिया था। कि 70 साल लग गए भारत को बनाते - बनाते। मै

RCEP : मेगा मुक्त व्यापार समझौता

  क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी(RCEP)  क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी से भारत के बाहर रहने के कारण और निहितार्थ का विश्लेषण कीजिए.  क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी वैश्विक स्तर पर मेगा मुक्त व्यापार समझौता है। जिसका प्रारंभ 21 वें आसियान शिखर सम्मेलन में कंबोडिया की राजधानी नोमपेन्ह   में 2012 में हुआ था। वैश्विक स्तर में कुल जीडीपी का 30 % का योगदान करता है। एक प्रकार से यह कहा जा सकता है कि दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार समझौता है। अगर इसके सदस्य देशों की बात करें तो 10 आसियान देशों तथा 5 देशों का समूह है। आस्ट्रेलिया, चीन, जापान,दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड इन सभी देशों का मानना था कि वस्तुओं एवं सेवाओं बौद्धिक संपदा ई-कॉमर्स और कम्युनिकेशन के साथ-साथ छोटे और मध्य व्यापार को बढ़ावा मिले। जिससे सभी देश आपस में एक दूसरे के बाजार में सरलता से प्रवेश कर सकें। इसीलिए प्रत्येक वर्ष सभी सदस्य दे  देश और आरसीएपी में हस्ताक्षर करते हैं।  वर्तमान समय में 15 नवंबर को 15 देशों ने वियतनाम के हनोई शहर में RCEP में हस्ताक्षर किए हैं । लेकिन भारत ने इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया