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जनवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पंडित नैन सिंह रावत का जीवन परिचय

 पंडित नैन सिंह रावत  पंडित नैन सिंह रावत (1830-1895) एक महान खोजकर्ता थे। वे हिमालय और मध्य एशिया के क्षेत्र में अंग्रेज़ों के लिए सर्वे करने वाले पहले भारतीयों में से एक थे।  आज जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पिथौरागढ़ (डीडीहाट) में उनकी 194वीं जयंती के उपलक्ष्य में राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। जिसमें उत्तराखंड के महान इतिहासकार व लेखक श्री शेखर पाठक जी के साथ राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की निदेशक श्रीमती वन्दना गर्ब्याल जी और पिथौरागढ़ जिले के जिलाधिकारी श्री विनोद गिरी गोस्वामी जी उपस्थित रहेंगे। जीवन परिचय  पंडित नैन सिंह रावत का जन्म 1830 में उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में मिलन गांव में हुआ था । उन्होंने अपने अनुभवों और अवलोकनों को डायरी में रिकॉर्ड किया और साथ ही उन्होंने अपनी पहली देसी अंदाज में सर्वेक्षण ज्ञान की पुस्तिका लिखी, जिसका नाम अक्षांश दर्पण (1871) था । अपने चचेरे भाई किशन सिंह और अन्य अनुवेषकों के साथ अनेक अभियान किए। उनके अभियानों से प्राप्त रिकॉर्ड के आधार पर उन्होंने बताया कि सांगपो नदी ही ब्रह्मपुत्र है।  पंडित नैन सिंह जी के

उत्तराखंड : एक परिचय (भाग -1)

            उत्तराखंड                        ( देवभूमि) उत्तराखंड हमारे देश का 27 वां नवोदित राज्य है। 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर इस राज्य का गठन किया गया था। इसे 27वें राज्य के रूप में 28 अगस्त 2000 को राष्ट्रपति के.आर. नारायण के हस्ताक्षर के बाद कानूनी मान्यता  मिली। उत्तराखंड को राज्य बनाने के लिए सबसे पहले लोकसभा में 01 अगस्त 2000 को विधेयक लाया गया । लोकसभा की सहमति के बाद 10 अगस्त 2000 में राज्य सभा में पारित किया गया था। राज्य का गठन होने के बाद देहरादून को उत्तराखंड राज्य की अस्थाई राजधानी बनाया गया । वर्तमान समय में उत्तराखंड की दो राजधानी हैं- देहरादून - (शीतकालीन अस्थाई राजधानी) गैरसैंण - (ग्रीष्मकालीन राजधानी - 20 जून 2020) हिमालय की गोद में स्थित इस नवगठित प्रदेश की प्राकृतिक सुंदरता अनूठी है। ऊंची बर्फ से ढकी हिमालय पर्वत चोटियां, घने जंगल, नदी घाटियां, कल-कल करती नदियां, झरने, फूलों से सजी घाटियां,  मनमोहक दृश्य राज्य की सुन्दरता प्रस्तुत करते है । ऐसा लगता है कि मानो प्रकृति ने इस राज्य को प्यार से सजाया-संवारा है। उत्तराखंड हिमालय राज्यों के क्रम में

उत्तराखंड के जनपद (भाग - 3)

    उत्तराखंड के जनपद                        भाग -03                    संक्षिप्त परिचय यदि आप उत्तराखंड पुलिस की प्रथम बार तैयारी कर रहे हैं तो लेख को पूरा पढ़ें। आपको नीचे दिए गए नोट्स बेहद पसन्द आयेंगे। नोट्स विशेष तौर पर उत्तराखंड की तैयारी करने वाले नये परीक्षार्थियों को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं। उपलब्ध सम्पूर्ण नोट्स की विडियो क्लास भी उपलब्ध हैं । जिसमें उत्तराखंड के सभी जनपदों का संक्षिप्त विवरण दिया गया है। यदि आप उत्तराखंड के सभी परीक्षाओं की तैयारी देवभूमि उत्तराखंड के साथ करना चाहते हैं तो हमारे you tube channel को subscribe करें । जहां आपको उत्तराखंड के सम्पूर्ण नोट्स और mock test series बिना किसी फीस के दी जाएंगी।  Join you tube channel - click here गढ़वाल मंडल (07 जनपद) मुख्यालय - पौड़ी (1969) उत्तरकाशी जनपद  उत्तरकाशी का प्राचीन नाम बाडाहाट है। पुराणों में उत्तरकाशी को सौम्य काशी कहा गया। उत्तरकाशी जनपद की स्थापना 24 फरवरी 1960 को हुई थी।  उत्तरकाशी जिले का क्षेत्रफल 8016 वर्ग किलोमीटर है क्षेत्रफल की दृष्टि से राज्य का सबसे बड़ा जनपद उत्तरकाशी है। उत्तरकाशी की प्रमु

उत्तराखंड सामान्य ज्ञान का अध्ययन कैसे करें ?

उत्तराखंड सामान्य ज्ञान का अध्ययन कैसे करें ? यह जानने के लिए लेख को पूरा पढ़ें। दोस्तो वर्ष 2021-2022 में उत्तराखंड में 10,000 से अधिक भर्तियां की सौगात मिली है। जिसमें विशेषकर उत्तराखंड पुलिस कांस्टेबल, उत्तराखंड सब-इंस्पेक्टर और फोरेस्ट गार्ड सर्वाधिक चर्चा में है। उत्तराखंड पुलिस की भर्ती लगभग 6 साल के बाद आती है जिस कारण बहुत सारे छात्र छात्राएं पढ़ाई छोड़ चुके हैं। और वे सभी कंफ्यूज है कि अब उत्तराखंड की परीक्षाओं की तैयारी कैसे करें ? या फिर कुछ नए छात्र हैं जिन्होंने हाल ही में इंटर पास किया है या ग्रेजुएशन कर रहे हैं तो उनका सोचना भी लाजिमी है कि वह उत्तराखंड सामान्य ज्ञान की तैयारी कैसे करें ?  तो उन लोगों के लिए एक विशेष राय है या तो आप अपने नजदीकी शहर में एक बढ़िया-सी कोचिंग सेंटर ज्वाइन कर लीजिए। (जैसे - नानकमत्ता और सितारगंज क्षेत्र के लिए हमारा साईं कोचिंग सेंटर सर्वोत्तम उपयुक्त स्थान है) । और यदि आपके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब है, पैसे नहीं है, पार्ट टाइम जोब के चलते समय नहीं मिलता है या अन्य कारणवश कोचिंग नहीं जा सकते हैं। तो ऐसे मे देवभूमि उत्तराखंड आपके लिए सौगात

उत्तराखंड : एक परिचय ( उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी-01)

 उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी -01             उत्तराखंड पुलिस स्पेशल उत्तराखंड पुलिस की तैयारी करने वालों के लिए विशेष प्रश्नोत्तरी का आयोजन प्रत्येक you tube class के बाद किया जा रहा है। साथ ही प्रत्येक सप्ताह एक 100 प्रश्न का टेस्ट लिया जाएगा। जो उत्तराखंड पुलिस भर्ती परीक्षा -2022  के सिलेबस के आधार पर होगा। अभी तक उत्तराखंड सामान्य ज्ञान के you tube channel imi2021 में 4 पार्ट उपलब्ध हैं। बहुत जल्द उत्तराखंड का इतिहास प्रारंभ होने वाला है। अतः तैयारी करने वाले सभी अभ्यर्थी channel subscribe कर लें। उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी (उत्तराखंड पुलिस) (1) उत्तरांचल का नाम 'उत्तराखंड' कब परिवर्तित किया गया ? (a) 1 जनवरी 2006 (b) 1 जनवरी 2007 (c) 1 जुलाई 2006 (d) 1 जुलाई 2007 (2) 18 सितम्बर 1997 में बागेश्वर जनपद किस जनपद से अलग होकर नया जनपद बनाया गया? (a) पिथौरागढ़ (b) चम्पावत (c) अल्मोड़ा (d) नैनीताल (3) चमोली जनपद का मुख्यालय स्थित है - (a) चमोली (b) जोशीमठ (c) गोपेश्वर (d) औली (4) राज्य का सर्वाधिक वन क्षेत्रफल वाला जिला है? (a) पौड़ी गढ़वाल (b) उत्तराकाशी (c) रूद्रप्रयाग (d) नैनीताल (5) उ

उत्तराखंड में नगर निगम परिषद - (कुल संख्या-09)

उत्तराखंड में नगर निगम परिषद - (कुल संख्या 09) उत्तराखंड में नगर निगम से अभिप्राय शहरी स्थानीय प्रशासन से है अर्थात शहरी क्षेत्र के लोगों द्वारा प्रतिनिधियों से बनी सरकार से है। नगरों के विकास के लिए 1992 में 74 वें संविधान संशोधन के द्वारा संविधान में नया 'अनुसूची -12'  को जोड़ा गया। जिनका उल्लेख संविधान के 'अनुच्छेद 243' में किया गया है । नगरपालिकाओं को अनुच्छेद 243Q के तहत् गठित करने का संविधानिक दर्जा दिया गया। उत्तराखंड में 'शहरी स्थानीय स्वशासन' को तीन स्तरों पर विभाजित किया गया है- 1. नगर पंचायत  नगर पंचायत में उस क्षेत्र को सम्मिलित किया जाता है जो ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में परिवर्तित होता है। इसके लिए 5000 से 50,000 तक जनसंख्या होना अनिवार्य माना जाता है। नगर पंचायत के सभी सदस्यों को सीधे नगर पंचायत क्षेत्र के लोगों ' प्रत्यक्ष निर्वाचन ' द्वारा निर्वाचित (चुनाव) किया जाता है। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र (वार्ड) से लोगों द्वारा 'सभासदों' का चुनाव किया जाता है। जिसमें एक सभासद को नगर पंचायत का अध्यक्ष कहा जाता है। स्थानीय लोग नग