जनसंख्या और निर्धनता में संबंध-
प्रश्न बहुत मुश्किल नहीं है । बस समझने की जरूरत है। जी हां ऐसे ही प्रश्न UPSC और PCS की परीक्षा में पूछे जाते हैं। मेरे विचार से निर्धनता और जनसंख्या एक दूसरे के पूरक हैं। अर्थात जनसंख्या बढ़ेगी तो निर्धनता भी बढ़ेगी। और निर्धनता बढ़ेगी तो जनसंख्या भी बढ़ेगी और इसके विपरीत भी। अतः प्रश्न का उत्तर हम दो कथनों में विभाजित करके अध्ययन करेंगे
पहले कथन के अनुसार बढ़ती हुई जनसंख्या निर्धनता का मुख्य कारण है, अर्थात हम कह सकते हैं कि जनसंख्या बढ़ती है तो निर्धनता भी बढ़ेगी, और जनसंख्या घटती है तो निर्धनता भी घटेगी।
कृषि भूमि में कमी -
आजादी के बाद भारत की कुल जनसंख्या 36 करोड़ थी। और वर्तमान समय में भारत की जनसंख्या 131 करोड़ हो गई है। केवल 70 वर्षों में जनसंख्या 3 गुनी वृद्धि हुई है 1951 से 2001 के बीच प्रति व्यक्ति कृषि क्षेत्र 0.77 से घटकर 0.20 रह गया है। आने वाले कुछ वर्षों में कृषि भूमि काफी कम रह जाएगी। हालांकि खाद्य सुरक्षा में भारत आत्मनिर्भर बन चुका है । वह भी पंजाब और हरियाणा के बड़े किसानों के योगदान से, जिनका योगदान खाद्य आपूर्ति में 75% है। लेकिन भारत में अधिकांश आबादी छोटे और सीमांत किसानों की हैैैैैै। जिनके पास एक हेक्टेयर से भी कम भूूमि है। और परिवार नियोजन के अभाव के कारण परिवार में सदस्यों की संख्या अधिक है। जिससेेेे खेती की भूमि कम होने के कारण प्रछन्नन बेरोजगारी पायी जाती है। और कृषि के लिए कम भूमि निर्धनता का कारण बनती है।
रोजगार के सीमित अवसर
अर्थशास्त्री जनसंख्या की अधिकता को जनसांख्यिकी लाभांश के रूप में देखते हैं। लेकिन जिस देश में उद्योगों और फैक्ट्रियों की कमी है और रोजगार को उपलब्ध कराने के क्षमता नहीं है । साथ ही तकनीकी और प्रौद्योगिकी में कमी जनसंख्या वृद्धि एक समस्या बन जाती है। और इससे निर्धनता के रूप में असर दिखाई देती है। इससे ही निर्धनता का कुचक्र चक्कर बन जाता है।
शिक्षा की गुणवत्ता में कमी
जनसंख्या वृद्धि का प्रमुख कारण निरक्षरता है। यदि प्रत्येक राष्ट्र मानव विकास पर कार्य करें। तो स्वयं ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कर सकते हैं । उसके लिए उचित शिक्षा का प्रावधान करना होगा। और खास तौर पर महिलाओं की शिक्षा पर अत्यधिक ध्यान देना होगा।
मानव संसाधन का अनुकूलतम उपयोग
वास्तव में जनसंख्या वृद्धि निर्धनता का कारण तब बनती है जब मानव संसाधनों का उपयोग अनुकूल नहीं होता है। क्योंकि विश्व की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश चीन की बात करें तो उसने अपनी जनसंख्या का अनुकूलतम उपयोग किया है । तकनीकी व प्रौद्योगिकी प्रयोग करके देश का आर्थिक विकास किया।
दूसरे कथन के अनुसार निर्धनता जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है।अर्थात हम कह सकते हैं कि निर्धनता बढ़ेगी तो जनसंख्या भी बढ़ेगी और निर्धनता घटेगी तो जनसंख्या भी घटेगी । इसका आशय यह हुआ
जीवन की गुणवत्ता
यदि देश में जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाया जाए अर्थात स्वास्थ्य शिक्षा एवं रोजगार पर ध्यान दिया जाए तो आय बढ़ेगी और आय बढ़ने से प्रत्येक व्यक्ति की शिक्षा तक पहुंच बनेगी और यदि देश शिक्षित होता है तो समझदारी आएगी देश के नागरिक जागरूक होंगे परिवार नियोजन के अभाव की की समस्या खत्म होगी प्रजनन दर में कमी आएगी ।इसके विपरीत यदि यह सभी सुविधाएं नहीं देते हैं तो जाहिर है निर्धनता बढ़ेगी और निर्धनता के अभाव में उचित शिक्षा अच्छा स्वास्थ्य और आय नहीं बढ़ेगी जिसके चलते देश की जनसंख्या बढ़ेगी।
लैंगिक भेदभाव
भारत में लड़कियों की शिक्षा पर लड़कों की अपेक्षा कम ध्यान दिया जाता है। अर्थात लैंगिक भेदभाव किया जाता है। जिससे अच्छी शिक्षा ना मिलने के कारण परिवार के सदस्यों की सेवा करती है। साथ ही परिवार नियोजन का अभाव पाया जाता है। जिससे जनसंख्या में वृद्धि हो जाती है। और निर्धनता को बढ़ावा मिलता है।
शहरीकरण की कमी
यह महसूस किया गया है कि शहरीकरण होने की वजह से गरीबी में कमी आती है। लोग शिक्षित होते हैं। और जागरूक भी होते हैं । अधिकांश गरीबी ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाती है जो कृषि पर निर्भर होते हैं। इसलिए वर्तमान सरकार की कोशिश है अधिक से अधिक शहरों की निर्माण करना।
प्रजनन दर में वृद्धि
निर्धनता के अभाव के कारण अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाती है। जिस कारण बच्चे अधिक पैदा किए जाते हैं ताकि आर्थिक गतिविधियों मैं सहयोग कर सकें। जिससे उनकी आय में वृद्धि हो । जिस कारण उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश की प्रजनन दर 4% से भी अधिक है, जबकि वही दक्षिण भारत की बात करें तो दक्षिण भारत की प्रजनन दर 2.1% है । अब जैसा कि आपको भी ज्ञात है कि दक्षिण भारत के राज्य अधिक साक्षर है वहीं बिहार और उत्तर प्रदेश में अधिकतर निरक्षर हैं।
निष्कर्ष
उपयुक्त दोनों कथनों को देखें तो यह जरूरी नहीं कि जनसंख्या बढ़ेगी तो निर्धनता भी बढ़ेगी क्योंकि यदि जनसंख्या का ठीक से प्रयोग करें तो देश के विकास में सहायक होगी और निर्धनता में स्वतः ही कमी आ जाएगी । जैसे- चीन ने मानव विकास पर अत्यधिक ध्यान दिया और सर्वाधिक जनसंख्या होने के बावजूद भी तेजी से विकास कर रहा है। वहीं अगर हम कहें निर्धनता जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा देती है तो यह भी जरूरी नहीं है। यदि लोगों को उचित शिक्षा दी जाए और परिवार नियोजन के लिए जागरूक किया जाए तो निर्धन होने के बावजूद जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रण किया जा सकता है। जैसे - जापान। जापान एक आपदाओं से घिरा देश है। जापान के हीरोशिमा नगर में परमाणु विस्फोट होने के बावजूद बहुत तेजी से विकास किया और देश में एक अलग पहचान बनाई।
उपयुक्त प्रश्न यूपीएससी के मैंस 2016 प्रश्नपत्र - 3 से लिया गया है । जिसका उत्तर अपने शब्दों में देने की कोशिश की गई है। यदि आप मेरे उत्तर द्वारा सहमत है तो कमेंट करें । और इससे संबंधित कोई सुझाव देना चाहते तो जरूर दें।
Sources : dhirsti Ias and Indian economy (datt sundaram)
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शब्दों को अच्छा परिभाषित किया ह
जवाब देंहटाएंNice answer for upsc
जवाब देंहटाएंSuperrr
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