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Uksssc Mock Test - 132

Uksssc Mock Test -132 देवभूमि उत्तराखंड द्वारा आगामी परीक्षाओं हेतु फ्री टेस्ट सीरीज उपलब्ध हैं। पीडीएफ फाइल में प्राप्त करने के लिए संपर्क करें। और टेलीग्राम चैनल से अवश्य जुड़े। Join telegram channel - click here उत्तराखंड समूह ग मॉडल पेपर  (1) सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए और सूचियां के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।              सूची-I.                  सूची-II  A. पूर्वी कुमाऊनी वर्ग          1. फल्दाकोटी B. पश्चिमी कुमाऊनी वर्ग       2. असकोटी  C. दक्षिणी कुमाऊनी वर्ग       3. जोहार D. उत्तरी कुमाऊनी वर्ग.        4.  रचभैसी कूट :        A.   B.  C.   D  (a)  1.    2.  3.   4 (b)  2.    1.  4.   3 (c)  3.    1.   2.  4 (d) 4.    2.   3.   1 (2) बांग्ला भाषा उत्तराखंड के किस भाग में बोली जाती है (a) दक्षिणी गढ़वाल (b) कुमाऊं (c) दक्षिणी कुमाऊं (d) इनमें से कोई नहीं (3) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 1. हिंदी में उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण है 2. हिंदी में लेखन के आधार पर 46 वर्ण है उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/ कौन से सही है? (a) केवल 1 (b) केवल 2  (c) 1 और 2 द

Tipu sultan : upsc mains answer writing

 टीपू सुल्तान : शेर-ए-मैसूर

2019 प्रश्न पत्र -2 प्रश्न संख्या -1 (a)

टीपू सुल्तान मैसूर में महत्वाकांक्षी विभागीय इरादे वाला एक शक्तिशाली केंद्रीकृत एवं सैन्यकृत राज्य के निर्माण का प्रयास प्राप्त कर रहा था । समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए।


टीपू सुल्तान जटिल चरित्र और नए विचारों वाला व्यक्ति था । समय के साथ बदलने की इच्छा रखता था । उसने एक शक्तिशाली केंद्रीकृत एवं संयुक्त राज्य के निर्माण के लिए नए निम्न कार्य किए :-
  • टीपू सुल्तान के राज्य काल में मैसूर आर्थिक रूप से फला फूला क्योंकि टीपू ने पारंपरिक खेती में बदलाव किए। नए कैलेंडर को लागू किया । सिक्के ढलाई की नई प्रणाली  और माप तोल की नई प्रणाली को अपनाया।
  • टीपू सुल्तान ने मैसूर में नई शैली की बंदूकों और तोपों का निर्माण किया । 1000 गज मारक क्षमता वाली मिसाइल का निर्माण 18वीं सदी में ही कर लिया था
  • एक राजनीतिक रूप से 18 वीं सदी के किसी भी शासक की तुलना में वह दक्षिण भारत के लिए या दूसरे भारतीय शासकों के लिए अंग्रेजी राज्य के खतरे को अधिक ठीक तरह से समझता था । टीपू सुल्तान बारे में एक ब्रिटिश पर्यवेक्षक ने लिखा था कि "यह  खेती बाड़ी में विकसित, परिश्रमी  लोगों की घनी आबादी वाला,  नए नगरों वाला और वाणिज्य व्यापार में बढ़ोतरी वाला राज्य  था"। 
  • टीपू ने आधुनिक व्यापार और उद्योग को बढ़ावा दिया । वह आर्थिक शक्ति के महत्व को  सैनिक शक्ति की नींव मानता था । उसने प्रांत के विकास के लिए विदेशी सहायता ली। विदेशी व्यापार के विकास के लिए उसने फ्रांस, तुर्की, ईरान और पेगू में राजदूत भेजें । चीन के साथ व्यापार किया और यूरोपीय कंपनियों की गतिविधियों पर नकल कसी।
  • बंदरगाह वाले नगरों व्यापारिक  सस्थाएं स्थापित करके उसने रूस तथा अरब के साथ व्यापार बढ़ाने का प्रयत्न किया।

निष्कर्ष

टीपू के उपयुक्त प्रयासों से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है ।कि टीपू सुल्तान मैसूर का महत्वाकांक्षी भूभागी इरादों वाला शासक था। जो एक शक्तिशाली केंद्रीकृत एवं सैन्यकृत  राज्य के निर्माण का प्रयास कर रहा था । लेकिन भारतीय शासक   निज़ामो और मराठों ने टीपू सुल्तान का साथ नहीं दिया  । बल्कि अंग्रेजों का साथ दिया । इसी बीच 4 बार आंग्ल मैसूर युद्ध हुए । 1999 के अंतिम आंग्ल मराठा युद्ध में शेर-ए-मैसूर को वीरगति प्राप्त हो गई।

दरअसल प्रश्न का उत्तर केवल 200 शब्दों का है अतः उत्तर  पूरा हो चुका है। अब आगे प्रश्न से संबंधित अतिरिक्त जानकारी दी जा रही है। जो आगामी परीक्षाओं में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

मैसूर की पृष्ठभूमि

तालीकोट युद्ध 1565 के बाद विजयनगर साम्राज्य बिखर गया। जिसके परिणाम स्वरुप मैसूर में वाडियार वंश की स्थापना हुई। 18वीं सदी के शुरू में नंजराज और देवराज नाम के दो मंत्रियों ने राज्य की शक्ति अपने हाथों में ले रखी थी। हैदरअली ने 1761 में नंजराज को सत्ता से हटा दिया ।  हैदरअली मैसूर की सेना का एक साधारण अधिकारी था। वह अत्यधिक कुशल परिश्रमी और लगनशील व्यक्ति था। उस समय कर्नाटक और हैदराबाद में गृहयुद्ध चल रहा था। वही मराठे 1761 में पानीपत की तृतीय युद्ध में अहमदशाली से बुरी तरह से हारे थे । इसी का फायदा उठाया हैलरअली ने और मैसूर राज्य का विस्तार किया। शुरुआत में ही बिदनूर, सुंदा, सेंदा, कन्नड़ और मालाबार के इलाके जीत लिए । इस तरह मैसूर एक विशाल साम्राज्य बन कर उभर कर आया। भारत में मैसूर का डंका बजने लगा। अंग्रेज हैदर की बढ़ती शक्ति को देखकर रोकने का प्रयास करने लगे। इसी बीच प्रथम आंग्ल मैसूर युद्ध 1767-1768 में हुआ। जिसमें अंग्रेज बुरी तरह हारे । लेकिन दोबारा 1780-1784 में  निजामो और मराठों से मिलकर अंग्रेजों ने संयुक्त सेना बनाई और मैसूर के नबाव से युद्ध करने लगे। इसी बीच हैदर की मृत्यु हो गई और टीपू सुल्तान ने जारी रखा । अंत में मंगलौर की संधि से युद्ध समाप्त हुआ । इसी तरह टीपू सुल्तान ने 1992 में श्रीरंगपट्टनम में तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध लड़ा। और अंतिम युद्ध 1999 में लड़ते हुए मारा गया।

उपयुक्त प्रश्न 2019 के यूपीएससी प्रश्नपत्र-2 (इतिहास) प्रश्न 1 (a) परीक्षा में पूछा गया था । जिसका मैंने अपने शब्दों में उत्तर लिखने का प्रयास किया है। यदि आप मेरे द्वारा दिए गए उत्तर का मूल्यांकन करते हैं या कोई सुझाव देते हैं तो हमें खुशी प्राप्त होगी।

धन्यवाद।
Sources : Ncert book 12th history

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