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मानव विकास सूचकांक क्या है?
मानव विकास सूचकांक प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण टॉपिक है। यह एक ऐसा टॉपिक है जिससे प्रतिवर्ष कोई ना कोई प्रश्न आता ही है । अर्थात evergreen टॉपिक है। अतः इसे जितनी जल्दी समझ ले उतना बेहतर है। मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट 2020 के अनुसार भारत को 189 देशों में से 131 रैंक प्राप्त हुई है । जबकि पिछले वर्ष भारत को 129 वी रैंक प्राप्त हुई थी। मानव विकास सूचकांक की रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम(UNDP) द्वारा जारी की जाती है। इस रिपोर्ट के अनुसार नॉर्वे को पहले स्थान पर रखा गया है। आयरलैंड को दूसरे। वहीं नाइजर अंतिम रैंक प्राप्त हुई है।
मानव विकास सूचकांक क्या है
HDI मानव के विकास को मापने की एक प्रक्रिया है। जिसका मुख्य आधार जीवन प्रत्याशा, शिक्षा और आय का स्तर है। सबसे पहले 1990 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा मानव विकास सूचकांक की रिपोर्ट जारी की गई थी । मानव विकास सूचकांक को विकसित करने का श्रेय पाकिस्तान के महबूब उल हक को जाता है। जिन्होंने विकास के स्तर को मापने और परिभाषित करने का पहला प्रयास किया।
एचडीआई को मापने के मुख्य तीन आयाम है :-
- जीवन प्रत्याशा (लम्बा जीवन स्तर)
- शिक्षा तक पहुंच
- और आय का स्तर
जीवन प्रत्याशा
जीवन प्रत्याशा का अर्थ है - "लोगों में जीने की आशा" अर्थात लोगों के लंबे एवं स्वास्थ्य जीवन को आंकड़ों में दिखाया जाता है । जितनी अधिक जीवन प्रत्याशा होगी उतनी ही अधिक एचडीआई में रैंकिंग अच्छी होगी। (69.7 वर्ष जन्म से)
शिक्षा
शिक्षा का अभिप्राय बालिग साक्षरता दर और प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च शिक्षा के समग्र नामांकन के अनुपात से है। अर्थात सभी स्तरों में बच्चों के नाम के दाखिले से हैं और शिक्षा की पहुंच से है।
आय का स्तर
आय का स्तर अर्थात लोगों की संसाधनों तक पहुंच। ज्यादातर लोग उन दो आयामों को छोड़कर विकास को आय से मापते हैं। जिसकी जितनी आए उतना विकसित माना जाता है । यहां आय का अर्थ किसी एक व्यक्ति द्वारा खरीदने की क्षमता से मापा जाता है। जिसे पीपीपी (purchasing power parity) कहते हैं । जबकि एचडीआई केवल आय का मानदंड ना मानकर आर्थिक विकास पर जोर देता है।
यूएनडीपी ऊपर बताए गए तीन आयामों के आधार पर अर्थव्यवस्था को एक श्रेणी प्रदान करता है। यह श्रेणी 0 से 1 के बीच के स्कोर पर आधारित होती है। जो इस प्रकार है-
- उच्च मानव विकास वाले देश ( विकसित देश) - सूचकांक में 0.800 से 1.00 तक
- मध्यम मानव विकास वाले देश सूचकांक ( विकासशील देश)- सूचकांक में 0.500 से 0.799 तक। भारत की HDI वैल्यू 0.645 हो गयी है । इसलिए भारत को मध्य मानव विकास सूचनाओं की श्रेणी में रखा जाता है।
- निम्न मानव विकास वाले देश (अल्प विकसित देश) - सूचकांक में 0.000 से 0.499 तक ।
भारत की स्थिति
- वर्ष 2020 के मानव विकास सूचकांक की रिपोर्ट के अनुसार 189 देशों में भारत का 131 वां स्थान प्राप्त हुआ है। जबकि भारत पिछले साल 2019 में 129 स्थान पर था।
- भारत की रैंकिंग की गिरावट का प्रमुख कारण क्रय शक्ति समता बताई जा रही है जो 2018 में 6,829 प्रति व्यक्ति अमेरिकन डॉलर थी । वहीं 2019 में गिरकर $6681 रह गई है।
- कहीं ना कहीं मानव विकास सूचकांक में कोविड-19 का असर भारत देश में देखने को मिल रहा है। और कहीं ना कहीं गिरावट का मुख्य कारण राजनीति भी रही है।
- भारत में गरीबी का स्तर अभी भी वही बना हुआ है हालांकि लोगों की आय बढ़ी है। लेकिन आय में ऐसा असमानता भी बढ़ी है। 2015-16 के अनुसार भारत में कुल आबादी के 27.9% लोग गरीब हैं।
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लैंगिक समानता में कोई सुधार के न चलते भारत में लड़कियों के स्वास्थ्य और शिक्षा पर भी कम खर्च किया जाता है । जिसके कारण लड़कियां लड़कों से अधिक कुपोषित हैं।
- हालांकि भारत की रैंकिंग की गिरावट का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि भारत में सुधार नहीं हुआ है भारत की वित्तीय सुरक्षा में सराहनीय सुधार हुआ है । और लैंगिक आधार पर भी होने वाली हिंसा में कमी आई है।
एचडीआई के अन्य सूचकांकों की बात करें इस रिपोर्ट के ही कुछ अन्य भाग हैं-
- आसमानता समायोजित मानव विकास सूचकांक(IHDI) - (0.537 भारत)
- लैंगिक विकास सूचकांक(GDI) - (0.820 भारत)
- लैंगिक असमानता सूचकांक(GII)
- बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) (27.9% गरीबी)
महत्वपूर्ण तथ्य
यूएनडीपी द्वारा पहली बार प्रत्येक देश की प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन और इसके मैटेरियल फुटप्रिंट के कारण पड़ने वाले प्रभाव को दर्शाने के लिए नई मैट्रिक की शुरुआत की गई है ।जिसका विवरण HDI रिपोर्ट 2020 में किया गया है। जिसको ग्रहीय दबाव - समायोजित सूचकांक (PHDI -प्लेनेटरी प्रेशर एडजेस्टेड HDI ) भी कहा गया है। एचडी डीआई सूचकांक के अनुसार भारत 8वें पायदान ऊपर आ जाएगा है। क्योंकि भारत ने 2005 से ही पेरिस समझौते के बाद जलवायु परिवर्तन पर विशेष ध्यान दिया है। और सौर ऊर्जा जैसे मिशन पर कार्य किया है। जिससे कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम किया है । इस इंडेक्स के अनुसार आयरलैंड को प्रथम स्थान दिया गया है । वही नॉर्वे को 15वें स्थान पर रखा गया है।
उपयुक्त लेख का विश्लेषण द हिंदू और भारतीय अर्थव्यवस्था (रमेश सिंह ) की पुस्तक से क्या गया है । साथ ही विशेष बिंदुओं और परिभाषााओं पर को अपने शब्दों में प्रस्तुत किया गया है । यदि आपको दी गई जानकारी अच्छी लगती है तो ऐसे ही अन्य जानकारियां पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
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