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UKSSSC MOCK TEST - 166

  UKSSSC MOCK TEST - 166 उत्तराखंड समूह ग मॉडल पेपर  देवभूमि उत्तराखंड द्वारा उत्तराखंड समूह ग परीक्षा हेतु टेस्ट सीरीज का संचालन किया जा रहा है। सभी टेस्ट पाने के लिए संपर्क करें -9568166280 Uksssc mock test -166 ( 1) निम्नलिखित में से कौन-सा वर्ण ह्रस्व स्वर नहीं है? (A) अ (B) इ (C) ऊ (D) उ (2) निम्नलिखित में से कौन-सा संयुक्त वाक्य है? (A) वह खेल रहा था क्योंकि बारिश हो रही थी। (B) वह बाजार गया और फल खरीद लाया। (C) वह इतना थका हुआ था कि तुरंत सो गया। (D) उसने कहा कि परीक्षा कठिन थी। (3) नीचे दिए गए समास और उनके प्रकार का सुमेलित करें।     कॉलम A 1. गुरुकुल 2. जलपान 3. देवालय 4. यथाशक्ति     कॉलम B A. तत्पुरुष B. कर्मधारय C. अव्ययीभाव D. द्वंद्व विकल्प: (A) 1-A, 2-B, 3-C, 4-D (B) 1-A, 2-C, 3-D, 4-B (C) 1-A, 2-B, 3-D, 4-C (D) 1-A, 2-B, 3-A, 4-C (4) वाक्य "राम ने सीता को फूल दिया।" में 'सीता को' किस कारक का उदाहरण है? (a) करण (b) अपादान (c) संप्रदान (d) अधिकरण (05) निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए है?       ...

Upsc answer writing in hindi by sunil

 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

प्रश्न संख्या - 11 (dhirsti Ias answer writing )

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 धारणीय विकास लक्ष्य -4 (2030) के साथ अनुरूपता में है । इसका ध्यान भारत में शिक्षा प्रणाली की पुनः संरचना और पुनः स्थापना है । इस कथन का नाम आलोचनात्मक निरीक्षण कीजिए।

उत्तर:-

संयुक्त राष्ट्रीय संघ ने 2015 से 2030 तक विश्व का परिदृश्य बदलने के उद्देश्य से धारणीय विकास के 17 लक्ष्य और 169 विशिष्ट लक्ष्यो को अपनाया है । धारणीय विकास का अर्थ है - विकास के नाम पर आने वाली योजनाओं और उसके परिणामों का लाभ सभी देशों को समान रूप से मिल सके। उन्हीं लक्ष्यों में शामिल है "अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा" जिसकी प्राप्ति के लिए भारत देश ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू की है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

नई शिक्षा नीति का उद्देश्य देश के सभी विद्यालयों और उच्च शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तनकारी कार्य सुधार लाना है। भारत में आजादी के बाद 3 नई शिक्षा नीति  बनाई जा चुकी हैं। प्रथम- शिक्षा नीति आजादी के बाद 1968 में आई थी। उसके बाद अनेकों बदलावों के साथ 1986 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व में नई शिक्षा नीति लागू की गई थी। जिसमें नवोदय विद्यालयों की स्थापना की गई । जो एक सफल नीतियों में गिनी जाती है। और 1986 की नीति के स्थान पर लगभग 34 साल तक सफर करने के बाद नई शिक्षा नीति को लागू किया गया। समय बदलने के साथ जरूरी है। शिक्षा में परिवर्तन हो इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दी। यह शिक्षा के सुधार में एक बड़ा सुधार हो सकता है । यदि नीतियों में दिए गए प्रावधान सभी राज्य लागू करते हैं। क्योंकि शिक्षा एक समवर्ती विषय है। तो नई शिक्षा नीति को लेकर जरूरी है कि केंद्र व राज्यों में शिक्षा के प्रति समन्वय हो । पूर्व इसरो प्रमुख के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति ने नई शिक्षा नीति के तहत शैक्षणिक सुधार का सुझाव दिया था।

नई शिक्षा नीति की विशेषताएं और लाभ

शिक्षा के फॉर्मेट में बदलाव

नई शिक्षा नीति में 5+3+3+4 के फॉर्मेट का प्रावधान किया गया है । इसमें 12 तक के बच्चों की पढ़ाई को चार भागों में बांटा है।

1 - फाउंडेशनल एजुकेशन - इसमें 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को शामिल किया गया है जिसमें आंगनवाड़ी स्तर पर ( lkg , lkg , 1) और  प्रारंभिक शिक्षा स्कूल में १-२ कि दी जाएगी जिसमें 6 से 8 वर्ष तक के बच्चे शामिल होंगे।

2 - प्रिपेरटरी एजुकेशन - इसमें 3rd, 4th और 5th के विद्यार्थियों को पढ़ाया जाएगाा । जिनकी उम्र लगभग 8 से 11 वर्ष के बीच होगी।

3 - माध्यमिक शिक्षा - इसमें 6th, 7th और 8th के विद्यार्थियों को कौशल और प्रोफेशनल शिक्षा का अध्ययन कराया जाएगा जिनकी उम्र 11 से 14 वर्ष होगी।

4 - सेकेंडरी शिक्षा- इसमें 9th, 10th , 11th  और 12 में सेमेस्टर सिस्टम प्रणाली के द्वारा पढ़ाया जाएगा । इसमें 14 से 18 वर्ष तक के बच्चों को शामिल किया जाएगा। 9th   क्लास से विज्ञान वर्ग , कॉमर्स और कला वर्ग का चुनाव कर सकतेे हैं। इसके अलावा किसी भी वर्ग के व विषय की पढ़ाई कर सकते हैं। 

कौशल और प्रोफेशनल पर ध्यान

रटंती विद्या के स्थान पर समझदारी से अर्जित की गई विद्या पर ध्यान केंद्रित किया गया है । तथा रूचि के अनुसार विषय का चुनाव करने को बढ़ावा दिया गया है।

बोर्ड की परीक्षा

10वीं और 12वीं की बोर्ड की परीक्षाएं विधिवत बनी रहेंगी ।इसके अलावा 9 से 12 तक को सेमेस्टर सिस्टम में तब्दील किया जा सकता है। जिसके अनुसार प्रत्येक सेमेस्टर के नंबर से रिजल्ट तैयार किया जाएग।

शिक्षा की भाषा

संभवतः  कोशिश की गई है कि आठवीं की कक्षा तक विद्यार्थियों को उनकी मातृभाषा, स्थानीय भाषा और क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा दी  जाएगी। कोई भी भाषा किसी पर थोपी नहीं जा सकती है। पहले की तरह ही त्रिभाषा फार्मूला पद्धति लागू रहेगी। पहले की तरह त्रिभाषा फार्मूला पद्धति लागू रहेगी लेकिन दो भाषाएं भारतीय रखना अनिवार्य हैं।

उच्च शिक्षा में परिवर्तन

वर्तमान शिक्षा पद्धति बनी रहे रहेगी । इसी पद्धति को लोचशील बनाया गया है । इसी में ग्रेजुएशन में 1 साल बढ़ाकर 4 वर्ष का कर दिया है । वहीं m.a. का 1 वर्ष कर दिया गया है। m.a. और phd के बीच m.phill की डिग्री को पूर्ण रूप से समाप्त कर दिया गया है। इसके साथ ही बैचलर डिग्री के अलावा अन्य कोर्स करना चाहते हैं । तो बैचलर डिग्री रोककर कर सकते हैं। यदि  डिग्री का एक वर्ष पूरा करते हैं तो सर्टिफिकेट, और 2 वर्ष पूरा करते हैं तो डिप्लोमा दिया जाएगा।  यदि  जीवन में जहां से  बैचलर डिग्री छूट गई है। तो वहां से पूरी कर सकते हैं।

शिक्षा का डिजिटलीकरण

कोरोना काल जैसी परिस्थितियों से निपटने के लिए नई शिक्षा नीति में शिक्षा का डिजिटलीकरण  पर भी विशेष ध्यान दिया गया  है।

शिक्षा के साधन 

प्रत्येक विद्यार्थियों तक शिक्षा के साधनों तक पहुंच बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की संस्थान बनाई जाएंगी । परीक्षण और प्रयोग के लिए लेब तैयार की जाएंगी। इलेक्ट्रॉनिक पाठ्यक्रम की पुस्तकों का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा जिसके लिए अनुवाद संस्थाएं बनाई जाएंगी।


नई शिक्षा नीति की चुनौतियां

नई शिक्षा नीति में बदलाव के लिए बजट एक बड़ी समस्या है ।भारत सरकार द्वारा अभी तक शिक्षा के लिए कुल बजट 3 से 4% तक की रखा जाता है। कम बजट होने के बावजूद विश्वविद्यालय पूरा बजट भी खर्च नहीं कर पाते हैं ।  2017- 2018 में शिक्षा पर जीडीपी का कुल 2.7% खर्च किया गया था । जबकि नई शिक्षा नीति के तहत 6% का तक प्रावधान किया गया है । तभी नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों की पूर्ति हो पाएगी ।दूसरी समस्या यह है कि UGC, AICTI, NCTE की जगह एक ही नियामक के होने से शिक्षा में केंद्रीयकरण की आशंका जताई जा रही है। तीसरी समस्या भाषा की है जो प्रत्येक राज्य की अलग-अलग है। और शायद यह नई शिक्षा नीति की मुख्य समस्या भी है। क्योंकि कहीं ना कहीं तकनीकी व प्रौद्योगिकी स्तर पर अंग्रेजी भाषा सहायक सिद्ध होती है। देश में बड़े स्तर पर अंग्रेजी मीडियम के प्राइवेट स्कूल खुल चुके हैं। वह कभी भी बच्चों को स्थानीय और क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा देना नहीं चाहेंगे। और यदि ऐसा हो भी जाता है तो जिनके माता पिता स्थानांतरण प्रकार की जॉब करते हैं तो दक्षिण से उत्तर भारत और उत्तर से दक्षिण भारत में स्थानांतरण होने से उनके बच्चों की शिक्षा पर असर पड़ेगा।

निष्कर्ष

उपयुक्त सभी विशेषताओं और चुनौतियां को देखते हुए हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि नई शिक्षा नीति भारत के विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। लेकिन ऐसी भारत सरकार के द्वारा अनेकों नीतियां बनाई जाती हैं । वास्तविकता पर जाए तो नीतियों को अमल में लाना जिसके लिए प्रबल राजनीतिक इबक्सर का युद्ध 1764च्छाशक्ति की जरूरत होती है वह राजनेताओं में नहीं झलकती है । बड़े स्तर पर विश्वविद्यालय का निर्माण और शिक्षा देने वाले शिक्षार्थियों को तैयार करना जो एक बड़ी चुनौती है। हालांकि यह एक सतत धारणीय विकास का लक्ष्य है तो संभावना है कि सरकार के इस कदम से 2030 तक अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।

नमस्कार मित्रों मैं यूपीएससी की तैयारी पिछले 2 वर्षों से कर रहा हूं मैंने जितने भी साक्षात्कार देखें और कोचिंग सेंटर के शिक्षकों से यूपीएससी की तैयारी के बारे में जानकारी प्राप्त की तो सभी जगहों से एक ही उत्तर आया। 1 वर्ष तक एनसीआरटी पुस्तकों के गहन अध्ययन के बाद सीधे mains answer writing की तैयारी कीजिए। उन्हीं के अनुसार मैंने कुछ 2016, 2017, 2018, 2019 के कुछ प्रश्नों के उत्तर लिखे हैं। इसके अलावा 2021 के दृष्टि आईएएस mains answer writing का पहला उत्तर नई शिक्षा नीति से संबंधित लिखा है । अतः समीक्षा करें । 

यदि मेरा उत्तर आपको उपयुक्त लगता है तो अधिक से अधिक भाई बंधुओं तक पहुंचाएं और कोई कमी है या कोई सुधार की जरूरत है तो सुझाव अवश्य दें। 

धन्यवाद

इन्हें भी देखें।

प्लासी का युद्ध 1757

बक्सर का युद्ध 1764

कर्नाटक युद्ध

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