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प्लासी का युद्ध - 1757
2018 प्रश्नपत्र-2 (इतिहास)
प्रश्न 1 (a):- "प्लासी का युद्ध (1757) ने इस तरह से भारत में इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी की राजनीतिक सर्वोच्चता की शुरुआत को चिन्हित किया था" समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
भारत में ब्रिटिश राजनीतिक सत्ता का आरंभ 1757 की प्लासी के युद्ध से माना जा सकता है। क्योंकि प्लासी की जंग के बाद ही ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल तथा पूरे भारत पर अधिकार करने का रास्ता मिला था । व्यापार करने की स्वतंत्रता मिली थी। लेकिन 1757 से पहले भारत में ऐसी कुछ ऐसी घटनाएं घटी । जिससे ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना का साहस सिराजुद्दौला से युद्ध करने का हुआ। अतः प्लासी के युद्ध से पहले और बाद की चर्चा के बाद ही निष्कर्ष निकलाना उचित रहेगा। कि प्लासी के युद्ध (1757) ने इस तरह से भारत में इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी की राजनीतिक सर्वोच्चता की शुरुआत को चिन्हित किया था।
1757 से पहले की स्थिति
- ईस्ट इंडिया कंपनी ने आरंभ से ही व्यापार और कूटनीति के साथ-साथ युद्धों का सहारा लेकर फैक्ट्रियां स्थापित की । और उन क्षेत्रों पर कब्जा भी किया । अंग्रेजों ने दक्षिण में अपनी पहली फैक्ट्री मसूलीपट्टनम में 1611 में स्थापित की।
- दिल्ली में नादिरशाह के आक्रमण (1739) से दिल्ली के सुल्तान की शक्ति का परिचय मिल गया। कि मोहम्मद शाह एक कमजोर शासक है ।
- 1748 में निजाम उल मुल्क आसफजाह की मौत के बाद दक्षिण भारत कमजोर पड़ गया। जिस कारण कर्नाटक की राजधानी आर्कट में (1750 ) नासिर जंग और मोहम्मद अली की अंग्रेजों ने सहायता की और चांदा साहब और फ्रांसीसी को हराया । 1754 में फ्रांसीसियों को संधि करने पर भी विवश किया । कहीं ना कहीं कर्नाटक में मिली विजय ने उनकी महत्वाकांक्षा और आत्मविश्वास दोनों को बढ़ा दिया।
- वास्तव में अंग्रेजों को भारत की कमजोरी का पता चल गया था। उन्हें आभास हो गया था कि देश में राष्ट्रीय भावना का अभाव है, तो उन्होंने भारतीय शासकों के आपसी झगड़ों का फायदा उठाकर राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरी करने की कोशिश की । और वह इसमें सफल भी हुए।
- ईस्ट इंडिया कंपनी के पास कुशल सैनिक आधुनिक हथियार से परिपूर्ण एक सेना थी । बस उन्हें कमजोर बिंदु की तलाश थी जो मीर जाफर और वहां के अमीरों ने पूरी कर दी।
प्लासी के युद्ध के बाद की स्थिति
- प्लासी का युद्ध (1757 ) में सिराजुद्दौला और रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना से हुआ था। अंग्रेजों की षड्यंत्रकारी नीति के चलते इसमें सिराजुद्दौला की हार हुई। मीर जाफर के पुत्र मीरान ने सिराजुद्दौला की हत्या कर दी।
- अब बंगाल पर ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन स्थापित हो चुका था। लेकिन अंग्रेजों ने खुद शासन करने के स्थान मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया। जो ईस्ट इंडिया कंपनी के इशारे पर काम करता था।
- प्लासी की जंग के बाद कंपनी को बंगाल , बिहार और उड़ीसा में मुक्त व्यापार का निर्विरोध अधिकार मिल गया ।
- कंपनी सेना का खर्च उठाने के लिए 24 परगना की जमींदरी ली ।
- प्लासी की जंग ने बंगाल के साथ पूरे भारत पर अंग्रेजों को अधिकार का रास्ता खोल दिया। इससे अंग्रेजों की प्रतिष्ठा बढ़ी और मराठा, जाट, मैसूर के साथ अंग्रेज भी साम्राज्य के प्रमुख दावेदारों में शामिल हो गए।
- बंगाल से प्राप्त राजस्व का प्रयोग ईस्ट इंडिया कंपनी ने सबसे पहले कुशल और शक्तिशाली सेना बनाने में किया।
- विदेशी और स्थानीय आक्रमणों की सुरक्षा के लिए तेजी से किलेबंदी प्रारंभ कर दी।
- एक प्रकार से यह कह सकते हैं। कि प्लासी की जंग ने बंगाल को लूटने की राह बनाई।
निष्कर्ष
उपयुक्त कथनों से निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि भले ही भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी को राजनीतिक सर्वोच्चता प्लासी की जंग के बाद मिली हो । लेकिन अंग्रेज लालची थे । वह प्रारंभ से ही औरंगजेब के समय देश को लूटने की तैयारी कर रहे थे। 1686 में ही अंग्रेजों ने हुगली को तहस-नहस कर दिया था। तब से ही मुगल और अंग्रेजों के बीच लड़ाई उत्पन्न हो गई थी। लेकिन मुगल सम्राट ने उस समय उनको माफ कर दिया। लेकिन जब तक देश में कुशल और कूटनीतिक नवाबों का शासन रहा जैसे - मुर्शीद कुली खान और अली वर्दी खान । उन्होंने अंग्रेजों के व्यापार पर नियंत्रण रखा, पाबंदियां लगाई , किले की घेराबंदी को रोका। और चाहे अंग्रेज व्यापारी हो , चाहे समान नागरिक सभी से एक प्रकार कर लिया करते थे। सिराजुद्दौला भी यही चाह रहा था। कि अंग्रेज अपना साम्राज्य विस्तार ना करें । लेकिन राष्ट्रवादी भावना के अभाव के कारण एक षड्यंत्र के कारण सिराजुद्दौला की हार हुई। शासन अंग्रेजों ने बंगाल में शासन स्थापित कर लिया। यहीं से अंग्रेजों के व्यापार के सारे रास्ते खुल गए और साम्राज्यवादी नीति का विस्तार शुरू किया। 1764 में बक्सर के युद्ध के बाद भारत पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित हो गया।
विशेष तथ्य
समालोचनात्मक परीक्षण का अर्थ
समालोचनात्मक एक प्रकार का पुछल्ला शब्द है अर्थात किसी प्रश्न के अंत में आने वाला शब्द है । जिसका अर्थ है । गुण और दोष बताते हुए आलोचना या विश्लेषण करना।
उपयुक्त प्रश्न 2018 के यूपीएससी प्रश्नपत्र-2 (इतिहास) प्रश्न 1 (a) परीक्षा में पूछा गया था जिसका मैंने अपने शब्दों में उत्तर लिखने का प्रयास किया है। यदि आप मेरे द्वारा दिए गए उत्तर का मूल्यांकन करते हैं या कोई सुझाव देते हैं तो हमें खुशी प्राप्त होगी।
धन्यवाद।
Sources : Ncert book 12th history
Nice....
जवाब देंहटाएंBahut badiya
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