Uksssc Mock Test -132 देवभूमि उत्तराखंड द्वारा आगामी परीक्षाओं हेतु फ्री टेस्ट सीरीज उपलब्ध हैं। पीडीएफ फाइल में प्राप्त करने के लिए संपर्क करें। और टेलीग्राम चैनल से अवश्य जुड़े। Join telegram channel - click here उत्तराखंड समूह ग मॉडल पेपर (1) सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए और सूचियां के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए। सूची-I. सूची-II A. पूर्वी कुमाऊनी वर्ग 1. फल्दाकोटी B. पश्चिमी कुमाऊनी वर्ग 2. असकोटी C. दक्षिणी कुमाऊनी वर्ग 3. जोहार D. उत्तरी कुमाऊनी वर्ग. 4. रचभैसी कूट : A. B. C. D (a) 1. 2. 3. 4 (b) 2. 1. 4. 3 (c) 3. 1. 2. 4 (d) 4. 2. 3. 1 (2) बांग्ला भाषा उत्तराखंड के किस भाग में बोली जाती है (a) दक्षिणी गढ़वाल (b) कुमाऊं (c) दक्षिणी कुमाऊं (d) इनमें से कोई नहीं (3) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 1. हिंदी में उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण है 2. हिंदी में लेखन के आधार पर 46 वर्ण है उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/ कौन से सही है? (a) केवल 1 (b) केवल 2 (c) 1 और 2 द
कर्नाटक युद्ध (1748-1754)
वर्ष - 2018 प्रश्नपत्र - 2 प्रश्न संख्या 2(c) (इतिहास)
क्या आप इस बात से सहमत हैं कि कर्नाटक में आंग्ल-फ्रांसीसी संघर्ष ने दक्षिण भारत के प्रांतीय छत्रपों की आंतरिक अवनति को प्रदर्शित किया ? समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए ।
Do you subscribe to the view that the Anglo French tussle is Carnatic demonstrated the internal decay of the provincivle chieftains of South India.
यह कहा जा सकता है कि कर्नाटक में आंग्ल-फ्रांसीसी संघर्ष ने दक्षिण भारत के प्रांतीय क्षत्रपों की आंतरिक अवनति को प्रदर्शित किया । क्योंकि भारतीय शासकों में राष्ट्रवादी भावना का अभाव था। लाभ कि संकुचित भावना से प्रेरित थे। सत्ता की लालच के लिए विदेशियों की सहायता मांगने में उन्हें कोई हिचक नहीं होती थी। इसी का फायदा अंग्रेजों और फ्रांसीसीयों ने कर्नाटक और हैदराबाद के प्रांतीय शासकों से उठाया । वह भी तब जब अंग्रेजों और फ्रांसीसीयों का युद्ध चल रहा था।
कर्नाटक की पृष्ठभूमि
कर्नाटक कोरोमंडल तट से जुड़ा ऐसा क्षेत्र था जिस पर हैदराबाद के निजाम उल मुल्क आसफजाह और मराठों की नजर नियंत्रण करने पर थी। जबकि मुगल शासक कर्नाटक को पहले ही जीत चुके थे। जिसका सूबेदार सहादत खां को नियुक्त किया था। सहादत खां ने दोस्त अली को जब उत्तराधिकारी घोषित किया परिस्थिति बिगड़ गई । मराठों ने कर्नाटक पर आक्रमण कर दिया और दोस्त अली को मार दिया। सहादत खां ने खुद को सरेंडर कर दिया । वहीं उसके दामाद चंदा साहब को बंदी बना लिया। इस स्थिति का फायदा ने आसफजाह उठाया और खाली गद्दी देखकर वहां का शासक अनावरुद्दीन को बना दिया। इसी बीच फ्रांसीसी और अंग्रेजों की लड़ाई चल रही थी। अंग्रेजों ने कूटनीति चाल चली । अनावरुद्दीन और फ्रांसीसी के बीच युद्ध करा दिया।
आंग्ल-फ्रांसीसी युद्ध
इस युद्ध के मुख्य कारण 1740 में ऑस्ट्रिया उत्तराधिकार युद्ध तथा अमेरिकी उपनिवेश था जिसके कारण 1740 से 1748 तक प्रथम युद्ध यूरोप में शुरू हुआ। यूरोप से हाईकमान मिलने पर भारत में भी होने लगा । पहला युद्ध लो-सिपला संधि (1748) से समाप्त हो गया । डूप्ले मद्रास पर कब्जा कर लिया था वह अंग्रेजों को वापस कर दिया। 1 साल बाद 1749 से 1754 तक दूसरा युद्ध शुरू हुआ । 1748 में हैदराबाद के निजामउल मुल्क आसफजाह की मृत्यु के बाद उसके पुत्र और मुजफ्फर जंग में गृहयुद्ध छिड़ गया । वहीं दूसरी तरफ चंदा साहब मराठों की कैद से छूट गया। और कर्नाटक के नवाब को हटाने का षड्यंत्र रचने लगा यहीं से फ्रांसीसी अफसर डुप्ले ने कूटनीति अपनाई और दोनों विरोधियों की मदद से एक सेना बनाई और अनवरूद्दीन पर धावा बोल दिया । इस युद्ध में अनवरूद्दीन मारा गया और चंदा साहब को कर्नाटक का नवाब बनाया गया । चंदा साहब ने कर्नाटक में आर्कट को नयी राजधानी बनााई । नवाब बनने की खुशी में डूप्ले को पांडिचेरी में 80 गांव दान में दे दिए। वहीं दूसरी तरफ नासिर जंग मारा गया। और मुजफ्फर जंग हैदराबाद का शासक बनाा। नए निजाम ने भी फ्रंसीसियों को पांडिचेरी के निकट जमीन दी और पुरस्कार दिए साथ ही पांच लाख कंपनी को 1 लाख सेना को दिए । डूप्ले को 20 लाख रूपयों के साथ जागीर दी। लेकिन एक दुर्घटना में मुजफ्फर जंग मारा गया । तब बुस्सी ने तुरंत सलावत जंग को गद्दी पर बैठा दिया। बदले में नए निजाम ने फ्रंसीसियों को आंध्र के 4 जिले मुस्ताफनगर, एलोर , राजमुंद्री और चिकाकोल दे दिया। इससे फ्रांसीसी अत्यधिक शक्तिशाली हो गए। वहीं दूसरी तरफ अंग्रेजों ने मोहम्मद अली और नासिर जंग से मिलकर षड्यंत्र रचा। 1757 की प्लासी की जंग के बाद अंग्रेज बड़ी शक्ति बन चुके थे। वांडीवाश की लड़ाई ( 1760) में फ्रांसीसियों की एक बड़ी हार हुई । इस लड़ाई के बाद फ्रांसीसीयों के हाथों से सब कुछ चला गया। और युद्ध का अंत 1763 में पेरिस समझौते से हुआ।
निष्कर्ष
उपयुक्त विवेचना से स्पष्ट हो रहा है कि अंग्रेजों और फ्रांसीसियों ने आपसी लड़ाई के कारण अपनी शक्तियों का विस्तार किया। सबसे पहले प्रांतीय शासकों की कमजोरियों का पता लगाया। और प्रांतीय शासकों का प्रयोग करके अपने व्यापार और राज्य का विस्तार किया । जहां कर्नाटक और हैदराबाद के शासकों ने फ्रांसीसी और अंग्रेजों पर लाखों रुपए लुटाए । जमीनी दी, जागीरे दी । एक तरह से प्रांतीय शासकों ने ही विदेशियों के साम्राज्य का विस्तार किया है। यदि सारा धन प्रांतों के निर्माण में लगाते तो विदेशी शक्तियां व्यापार तक सीमित रहती। लेकिन सत्ता के लालच में प्रांतीय शासकों ने दक्षिण भारत को कमजोर कर दिया । यहीं से ईस्ट इंडिया कंपनी को आत्मबल और आत्मविश्वास मिला ।जिससे वह इतने लंबे काल तक भारत पर शासन कर पाया।
उपयुक्त प्रश्न -2018 में प्रश्नपत्र - 2 प्रश्न संख्या 2(c) के इतिहास विषय से पूछा गया है। यह एक जटिल प्रश्न है जो आसानी से समझ नहीं आ सकता है । लेकिन मैंने फिर भी अपने शब्दों में उत्तर लिखने की कोशिश की है । अतः शिक्षाविदों से अनुरोध है कि मेरे उत्तर का मूल्यांकन करें और सुझाव दें।
धन्यवाद।
स्रोत : इतिहास की एनसीईआरटी बुक
इन्हें भी जाने।
Nice information
जवाब देंहटाएंVery good
जवाब देंहटाएं