क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी(RCEP)
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी से भारत के बाहर रहने के कारण और निहितार्थ का विश्लेषण कीजिए.
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी वैश्विक स्तर पर मेगा मुक्त व्यापार समझौता है। जिसका प्रारंभ 21 वें आसियान शिखर सम्मेलन में कंबोडिया की राजधानी नोमपेन्ह में 2012 में हुआ था। वैश्विक स्तर में कुल जीडीपी का 30 % का योगदान करता है। एक प्रकार से यह कहा जा सकता है कि दुनिया का सबसे बड़ा व्यापार समझौता है। अगर इसके सदस्य देशों की बात करें तो 10 आसियान देशों तथा 5 देशों का समूह है। आस्ट्रेलिया, चीन, जापान,दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड इन सभी देशों का मानना था कि वस्तुओं एवं सेवाओं बौद्धिक संपदा ई-कॉमर्स और कम्युनिकेशन के साथ-साथ छोटे और मध्य व्यापार को बढ़ावा मिले। जिससे सभी देश आपस में एक दूसरे के बाजार में सरलता से प्रवेश कर सकें। इसीलिए प्रत्येक वर्ष सभी सदस्य दे देश और आरसीएपी में हस्ताक्षर करते हैं।
वर्तमान समय में 15 नवंबर को 15 देशों ने वियतनाम के हनोई शहर में RCEP में हस्ताक्षर किए हैं । लेकिन भारत ने इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है। भारत नवंबर 2019 से ही इस व्यापार समझौते को मना कर चुका है जिसके मुख्य कारण हैं।
- भारत का आरसीईपी समझौते में मना करने का सबसे बड़ा कारण चीन की विस्तारवादी नीति को रोकना है। क्योंकि चीन अब पहले से और बड़ी अर्थव्यवस्था बन कर उभर रहा है। जहां भारत में चीन का निर्यात 70 बिलियन डॉलर है वहीं चीन को भारत का निर्यात मात्र 16 बिलियन डॉलर है ।
- आर सी ई पी समझौते के तहत चीन एवं भारत के बीच बहुत सी वस्तुओं पर टैरिफ समाप्त हो जाएगा ।और इस तरह वह अपनी वस्तुओं की डंपिंग भारत में कर देगा.
- चीन जैसे देश को बैकफुट पर लाने के लिए भारत की आर्थिक कूटनीति सही है भारत के आरसीईटी में शामिल ना होने से चीन को भारत जैसा बड़ा उपभोक्ता बाजार नहीं मिलेगा।
- भारत को अपनी जननांकिय शक्ति का आभास है ।जिसके चलते चीन को सबक सिखाने के लिए प्रयोग कर रहा है साथ ही साथ घरेलू व्यापार को बढ़ावा देने का प्रयास भी किया जा रहा है।
आगे की राह
भारत को यह ज्ञात है- कि भारत एक सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है इसलिए आरसीईपी के सभी सदस्य देशों ने आरसीईपी में कभी भी शामिल होने की बात को मंजूरी दी है। ऐसा भी कहा जा सकता है कि भारत के बिना RCEP का लक्ष्य पूरा नहीं हो सकता। चीन से आने वाले समय में अच्छे संबंध होने का इंतजार भारत कर रहा है । समय देखकर आरसीईपी में शामिल हो भी सकता है। फिलहाल भारत के पास सही सौदेबाजी का मौका है।
आसियान देश(ASEAN) व उनकी राजधानियां
इंडोनेशिया - जकार्ता
लाओस - वियंतियान
मलेशिया - कुआलालंपुर
ब्रुनेई। - बंदरसेरी बेगावान
फिलिपींस - मनिला
सिंगापुर. - सिंगापुर सिटी
थाईलैंड - बैंकॉक
म्यांमार। - नाऐ-प्यी-ताव
वियतनाम - हनोई
nice
जवाब देंहटाएं