भारत रत्न : गोविंद बल्लभ पंत कल्पना कीजिए, 1887 की एक ठंडी सुबह। अल्मोड़ा के खूंट गांव में, जहां हिमालय की चोटियां बादलों से गपशप कर रही हैं, एक बच्चे का जन्म होता है—जिसके कंधों पर न सिर्फ उत्तराखंड का, बल्कि पूरे भारत का भविष्य चढ़ा होगा। कुछ लोग कहते हैं, जन्म तो पौड़ी में हुआ था, लेकिन सच्चाई जो भी हो, यह बच्चा गोविंद बल्लभ पंत था—एक ऐसा नाम, जो बाद में स्वतंत्रता की लपटों को हवा देगा। उनके पिता मनोरथ पंत, साधारण सिपाही थे, लेकिन किस्मत ने उनके बेटे को असाधारण बनाया। क्या आप जानते हैं, यह वही पंत जी थे, जिन्होंने गांधी जी को भी हैरान कर दिया था? चलिए, उनकी जिंदगी की इस यात्रा पर चलें—एक ऐसी कहानी जो आपको अंत तक बांधे रखेगी। गोविंद बल्लभ पंत : जीवन परिचय गोविंद बल्लभ पंत - यह नाम सुनते ही मन में स्वतंत्रता की लपटें, सामाजिक न्याय की जंग और लोकतंत्र की मजबूत नींव की याद आती है। वे न केवल उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री थे, बल्कि भारत के चौथे गृह मंत्री के रूप में देश की आंतरिक सुरक्षा और एकता को नई दिशा देने वाले दूरदर्शी नेता थे। 10 सितंबर 1887 को जन्मे पंत जी का जीवन एक ऐसी गाथा ...
देश की पुकार : काव्य संग्रह
नमस्कार मित्रों 72 वें गणतंत्र दिवस पर देवभूमि उत्तराखंड की तरफ से सभी देशवासियों को हार्दिक बधाईयां। आज की कविता देश के उन वीरों के लिए है । जो सरहद पर खड़े हैं जो हमारी देश की दीवार है । जो वीर है, जो शेर हैं । और उन वीरों की सभी मां को हमारा सलाम जिसने ऐसे वीरों को जन्म दिया है । जिसने देश की रक्षा के लिए इतना बड़ा त्याग किया है। और देश की उन माताओं को भी सलाम जो अपने बेटे को आर्मी में भेजने को तैयार है। अपने बेटे-बेटियों की तैयारी में उत्साह बढ़ाते हैं। कदम कदम पर साथ निभाती है सहयोग के लिए हमेशा तैयार रहती है। मां के त्याग और स्नेह से प्रेरित मेरी कविता देश के वीरों के लिए "तू देश की पुकार बन जा"
तू देश की पुकार बन जा
तू पर्वत तू पहाड़ बन जा ।
तू शेर की दहाड़ बन जा ।।
ना पैर रखे कोई फिरंगी, सरजमी पर ।
तू सरहद की दीवार बन जा।।
अम्बर बरसे, धरती तरसे ।।
अडिग सा तू खड़ा रहा।।
गर उठे कोई सर सीमा पर।।
लहू से लथपथ तलवार बन जा।
तू फरिश्ता, तू शहंशाह।
सरहद का सरताज बन जा।
मुकम्मल है कई जिंदगी तेरी वजह से,
तू देश की पुकार बन जा।।
क्यों मनाया जाता है "गणतंत्र दिवस"
वैसे तो गणतंत्र दिवस के बारे में सब जानते होगे, लेकिन जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। उन्हें एक नजर अवश्य डाल लेनी चाहिए। क्या मालूम कौन सा तथ्य काम आ जाए। यहां पर परीक्षाओं से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों की चर्चा की गई है। 26 जनवरी के दिन हमारे देश का संविधान लागू हुआ था। भारत में सबसे पहला गणतंत्र दिवस 1950 को मनाया गया था। क्योंकि 26 जनवरी 1929 के दिन ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने स्वतंत्र भारत की घोषणा की थी । आजादी तो हमें बहुत पहले ही मिल गई थी लेकिन अंग्रेजों ने सवाल खड़ा कर दिया कि "भारत को आजाद कर तो देंगे चलाओगे कैसे ? कोई एजेंडा है तुम्हारे पास ? जिससे इतने बड़े राष्ट्रीय को संभालोगे " तब 1930-1931 में गोलमेज में सम्मेलन हुआ ।उनमें भारतीय राजनेताओं ने भाग लिया। इस तरह नेहरू प्रस्ताव और जिन्ना के प्रस्ताव द्वारा एजेंडा तैयार किया गया। और अप्रैल 1935 में एक एक्ट बनाया गया । जिसे भारत के संचालन के लिए दिशा निर्देश दिए गए थे । 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने से भारत की आजादी में विलंब हो गया और अंग्रेज भी आनाकानी दिखाने लगे। तब अगस्त 1942 में महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन चलाया दूसरी तरफ सुभाष चंद्र बोस वह अन्य राजनेताओं के प्रयासों से 15 अगस्त 1947 को आजादी मिल गई। और देश के संविधान को तैयार करने का कार्य प्रारंभ हुआ भारत के संविधान को बनाने में 2 साल 11 माह 18 दिन का समय लगा । इसमें प्रारंभिक समय में कुल 395 अनुच्छेद थे। तथा 8 अनुसूचियां थी और पूरे संविधान को 22 भागों में बांटा गया था। संविधान के निर्माण समिति में कुल 284 सदस्य शामिल थे ।
दोस्तों यदि आपको मेरी कविता पसंद आती है। यदि आप देश के प्रति श्रद्धा भाव रखते हैं , और हमारे फौजी भाइयों और बहनों का सम्मान करते हैं तो उनका उत्साह बढ़ाने के लिए, उनमें जज्बा बढ़ाने के लिए और उनके कार्यों को धन्यवाद करने के लिए कविता "तू देश की पुकार है" को अधिक से अधिक शेयर करें शेयर करें।
जय हिंद जय भारत
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Very nice
जवाब देंहटाएंJei hind
जवाब देंहटाएंJai hind
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