भारत के 15वें उपराष्ट्रपति भारत के 15वें उपराष्ट्रपति C. P. (Chandrapuram Ponnusamy) Radhakrishnan बने हैं । राष्ट्रपति के बाद यह देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। निर्वाचन की जानकारी उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 का मतदान 9 सितम्बर, 2025 को हुआ। चुनाव भारत के दोनों सदनों (लोकसभा + राज्यसभा) के सांसदों द्वारा गुप्त मताधिकार से हुआ। कुल निर्वाचक (electors) 781 थे, जिनमें से 767 ने मतदान किया। 15 मतपत्र अमान्य घोषित हुए। परिणाम C. P. Radhakrishnan (NDA उम्मीदवार) ने 452 मत प्राप्त किये। उनके मुकाबले B. Sudershan Reddy, जिन्हें विपक्ष (INDIA गठबंधन) ने समर्थन दिया था, ने 300 मत प्राप्त किये। मतों का अंतर 152 रहा। सी. पी. राधाकृष्णन — व्यक्तिगत एवं राजनीतिक पृष्ठभूमि जन्म : 20 अक्टूबर, 1957, तिरुप्पुर, तमिलनाडु। शिक्षा : उन्होंने BBA (बैचलर ऑफ बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन) की डिग्री प्राप्त की है। आरएसएस और जनसंघ से जुड़ाव: युवावस्था से ही RSS/भाजपा के संगठनों से सक्रियता रही है। पहले के पद : महाराष्ट्र राज्यपाल (Governor of Maharashtra) झारखंड राज्यपाल का...
आर्थिक व्यवस्था (उत्तराखंड)
उत्तराखंड राज्य का सकल घरेलू उत्पाद -(GSDP)
आज हम उत्तराखंड के सकल घरेलू उत्पाद के बारे में जानेंगे कि राज्य सकल घरेलू उत्पाद क्या है। वित्तीय वर्ष 2019-20 राज्य के विभिन्न क्षेत्र प्राथमिक क्षेत्र , द्वितीयक क्षेत्र एवं तृतीय क्षेत्र में योगदान कितना है। साथ ही जानेंगे जीईपी (GEP) क्या है? उत्तराखंड जीईपी लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है। वर्ष 2017-2018 में उत्तराखंड राज्य को खाद्यान्न उत्पादन में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए केंद्रीय कृषि विभाग द्वारा 'कृषि कर्मण पुरस्कार' दिया गया था।
राज्य सकल घरेलू उत्पाद क्या है ?
राज्य सकल घरेलू उत्पाद को अंग्रेजी में Gross State Domestic Product (GSDP) कहते हैं। जिस प्रकार किसी देश में एक वित्तीय वर्ष में देश की भौगोलिक सीमा के भीतर उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य का योग सकल घरेलू उत्पाद कहलाता है। ठीक उसी प्रकार किसी राज्य में एक वित्तीय वर्ष में देश की भौगोलिक सीमा के भीतर उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का कुल मौद्रिक मूल्य का योग 'राज्य सकल घरेलू उत्पाद' कहलाता लाता है।
बता दें कि राज्य सकल घरेलू उत्पाद कहां हो रहा है? यह महत्वपूर्ण होता है ना कि कौन उत्पादन कर रहा है। राज्य की भौगोलिक सीमा की बात करें तो उत्तराखंड के समस्त पहाड़, नदियां, घाटियां, आकाश, खनन, और तराई भाबर क्षेत्र आदि सभी भौगौलिक सीमा के अंतर्गत आते हैं।
उत्तराखंड का आर्थिक विकास
गठन से पूर्व राज्य अर्थव्यवस्था में प्राथमिक क्षेत्र का योगदान सर्वाधिक था। सरकारी प्रयासों तथा किसानों के अथक परिश्रम से 2006-2007 में खाधान्न के मामले में राज्य आत्मनिर्भर हो गया था। 11 वें वित्त आयोग तथा योजना आयोग की पहल पर 2 मई 2021 को एक निर्णय में केंद्र सरकार द्वारा उत्तराखंड 1 अप्रैल 2001 से विशेष राज्य का दर्जा दिया गया। उत्तराखंड विशेष राज्य का दर्जा पाने वाला 11वां पर्वतीय राज्य है। विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को केंद्रीय सहायता में 90% हिस्सा अनुदान के रूप में और 10 % हिस्सा ऋणों के रूप में प्राप्त होता है जबकि अन्य राज्यों के संदर्भ में यह अनुपात 70% एवं 30% का होता है। उत्तराखंड राज्य 1 अप्रैल 2005 को मूल्य संवर्धित कर (वैट) लागू करने वाला 22 वा राज्य बना था। 2 मई 2017 में राज्य एक देश एक कर व एक बाजार की अवधारणा वाला जीएसटी बिल को लागू करने के लिए विधेयक लाया गया। वाला और 1 जुलाई 2017 को पूरे भारत में जीएसटी बिल लागू किया गया। उत्तराखंड जीएसटी लागू करने वाला पांचवा राज्य बना था।
वित्तीय वर्ष 2020-21 के आरंभ में कोविड-19 महामारी के कारण विश्व के सभी देशों की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ा। भारत के साथ-साथ उत्तराखंड राज्य में जनजीवन प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुआ। मानवीय जीवन की सुरक्षा के लिए एक बड़े स्तर पर सरकार द्वारा सभी राज्यों में लॉकडाउन लगाया गया। जिसका प्रभाव राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ा। वित्तीय वर्ष 2019-2020 में उत्तराखंड राज्य की आर्थिक विकास की दर 4.2% रही।
प्रचलित कीमत पर राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 2011-12 में 1,15,327.59 करोड रुपए था जो कि 2019-20 में बढ़कर 2,53,666.25 करोड़ रुपए हो गया है। राज्य में नई कृषि नीति 2011 में जारी हुई थी। लगभग 69% जनसंख्या उत्तराखंड राज्य की ग्रामीण और 70% जनसंख्या कृषि क्षेत्र से जुड़ी है। इसके बावजूद कृषि, मत्स्य एवं खनिज आदि मिलाकर राज्य अर्थव्यवस्था में प्राथमिक क्षेत्र का योगदान निरंतर घट रहा है जबकि द्वितीयक व तृतीयक क्षेत्र में तेजी से योगदान बढ़ रहा है। राज्य सकल घरेलू उत्पाद की गणना करने के लिए 2011-2012 को आधार पर लिया जाता है। वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट के अनुसार द्वितीयक क्षेत्र में सर्वाधिक योगदान रहा है।
वित्तीय वर्ष 2019-20 ने अनंतिम अनुमानों के अनुसार उत्तराखंड का तीनों क्षेत्रों में योगदान निम्नलिखित हैै।
- प्राथमिक क्षेत्र. - 10.20%
- द्वितीयक क्षेत्र. - 48.64%
- तृतीयक क्षेत्र. - 41.16%
प्राथमिक क्षेत्र
यह कृषि एवं समस्त गतिविधियों से संबंधित क्षेत्र है इसके अंतर्गत अर्थव्यवस्था की प्राकृतिक क्षेत्रों का लेखांकन किया जाता है । जैसे- कृषि, पशुपालन, खनन, वानिकी, और मत्स्य आदि।
द्वितीयक क्षेत्र
इसमें मुख्यतः अर्थव्यवस्था की विनिर्मित वस्तुओं के उत्पादन का लेखांकन किया जाता है। इसमें मुख्यतः निर्माण और विनिर्माण सम्मिलित है।
निर्माण - जहां किसी स्थाई परिसंपत्ति का निर्माण किया जाए जैसे - भवन
विनिर्माण - जहां किसी वस्तु का उत्पादन हो। जैसे - कपड़ा , ब्रेड , मशीनरी, विद्युत
तृतीयक क्षेत्र
तृतीयक क्षेत्र सेवा का क्षेत्र होता है। यह अर्थव्यवस्था के प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र को अपनी उपयोगी सेवाएं प्रदान करता है। जैसे- बीमा , बैंकिंग , व्यापार, भंडार और सामुदायिक सेवाएं।
महत्वपूर्ण तथ्य
- बजट 2019-20 में राज्य सरकार की आय की सबसे बड़ी केंद्र सरकार से सहायता अनुदान के रूप में प्राप्त होता है ?
- राज्य द्वारा सर्वाधिक व्यय वेतन भत्ते मजदूरी आदि अधिष्ठान व्यय पर किया जाता है ?
जीईपी (GEP) क्या है ?
जीईपी लागू करने की घोषणा करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बन गया है।
जीईपी की फुल फॉर्म है - GROSS ECOSYSTEM PRODUCT । 'ग्रोस इको सिस्टम प्रोडक्ट अर्थात सकल पर्यावरण उत्पाद उन सभी उत्पादों और सेवाओं का कुल जोड़ है जो किसी क्रियाशील जीवित पारिस्थितिकी तंत्र के अंदर उत्पादित होती हैं और जो इंसानी समृद्धि और सतत विकास के लिए जरूरी है।' यह सभी उत्पाद प्राकृतिक रूप से विकसित होते हैं और हम इनमें बदलाव और वृद्धि कर सकते हैं। वैश्विक स्तर पर जीईपी की शुरुआत 1995 में की गई थी।
पर्यावरणविदों का मानना है कि ग्रॉस इन्वायरमेंट प्रोडक्ट एक ऐसा उपाय है जिससे आर्थिक विकास के समान स्तरों पर्यावरणीय विकास पर नजर रखी जाएगी । सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की मदद् से इसकी गणना की जाएगी। 5 जून 2021 को पर्यावरण दिवस पर जीईपी लागू करने की घोषणा करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बन गया है। उत्तराखंड राज्य ने जीईपी के मानकों की पहचान कर फॉर्मूला तैयार करने की शुरुआत की है। क्योंकि उत्तराखंड के पर्यावरणविद अनिल प्रकाश जोशी का मानना है कि जीडीपी (GDP) को पर्यावरण के खर्चों के बराबर समायोजित नहीं किया जाता है। अगर 2 देशों की जीडीपी बराबर है लेकिन एक देश में हवा और पानी प्रदूषित है तो इसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ेगा फिर भी जीडीपी में यह प्रदर्शित नहीं होगा। जीईपी के चार मुख्य स्तंभ है - जल, वायु, हवा और मिट्टी।
उत्तराखंड राज्य की प्रमुख योजनाएं
मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना: 30 अक्टूबर 2021
हाल ही में 30 अक्टूबर 2021 को गृह मंत्री अमित शाह ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए ‘मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना’ की शुरुआत की है। जिसको लागू करने का मुख्य श्रेय श्री धन सिंह रावत को दिया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य "पशुओं के लिए पौष्टिक और गुणवत्तायुक्त चारा उपलब्ध करवाना है"। जिससे कि दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी आ सके। इस योजना के माध्यम से पर्वतीय कृषक पशुपालन की तरफ आकर्षित हो सकेंगे। मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना" हेतु इस आय-व्ययक में 25 करोड़ रूपये का प्रावधान प्रस्तावित हऐ
सहकारी सहभागिता योजना - 1 मई 2005
लघु व सीमांत कृषकों तथा गरीबी रेखा से नीचे यापन करने वाले किसानों को आसान ब्याज पर ऋण देने के लिए प्रदेश द्वारा 1 मई 2005 से सहकारी सहभागिता योजना शुरू की गयी थी। इसके बाद कृषि के विकास के लिए "दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना" 9 नवंबर 2017 को लांच की गई। इस योजना के तहत किसानों को 2% ब्याज दर पर ₹1 लाख तक लोन दिया जायेगा। वित्तीय वर्ष 2020-21 में दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना इस योजना हेतु.आय-व्ययक में 47 करोड़ रुपये का प्रावधान है.। हाल ही में उत्तराखंड सहकारी समिति का मुख्यालय अल्मोड़ा से देहरादून स्थानांतरित किया गया।
जननी सुरक्षा योजना - अप्रैल 2005
यह योजना अप्रैल 2005 में शुरू की गई थी इस योजना का मुख्य उद्देश्य सरकारी अस्पताल में सुरक्षित प्रसव कराने पर गर्भवती को ₹1400 की धनराशि दी जाती थी । 2017 से धनराशि बढ़ाकर ₹6000 कर दी गई है। इस योजना में खुशियों की सवारी को 2015 में शामिल किया गया जिसकी जिम्मेदारी बच्चा बच्चा को सुरक्षित घर पहुंचाने की है।
नंदा गौरा योजना - 2 जून 2017
यह योजना 2 जून 2017 को राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई। यह योजना गौरा देवी कन्या धन योजना पर नंदा देवी योजना को मिलाकर बनाई गई है । इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के बीपीएल परिवारों की बालिकाओं को दो चरणों में ₹62000 दिए जाएंगे। बालिका के जन्म पर ₹11000 तथा 12वीं पास के बाद ₹51000 दिया जाएगा। योजना का संचालन महिला बाल विकास मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना - 7 मार्च 2019
यह योजना मार्च 2019 से शुरू की गई थी इसके तहत 20 हजार आंगनवाड़ी केंद्र में पढ़ने वाले बच्चों को सप्ताह में 2 दिन 100-100 मिलीलीटर दूध मिलेगा। इस योजना का मुख्य उद्देश्य 2.5 लाख बच्चों को उचित पोषण देना है।
मुख्यमंत्री महिला उद्यमिता प्रोत्साहन योजना - 15 अगस्त 2019
यह योजना 15 अगस्त 2019 को शुरू की गई। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सरकार द्वारा 1 साल के भीतर 5100 छोटी-छोटी दुकान तैयार करना है। सरकार इन कियोस्कों को प्रमुख स्थान में पहाड़ी शैली में तैयार करेगी।
उत्तराखंड किसान पेंशन योजना - 15 अगस्त 2014
इस योजना का मुख्य उद्देश्य 60 वर्ष से अधिक उम्र के किसानों को जिनके पास 2 हेक्टेयर तक की भूमि हो उन्हें सरकार ₹1000 प्रति माह पेंशन देगी। यह सुविधा स्वयं की भूमि पर खेती करने वाले किसानों को मिलेगी। 5 जून 2014 को किसान पेंशन योजना को कैबिनेट मंजूरी मिली और 15 अगस्त 2014 को इस योजना की घोषणा
अटल खाद्यान्न योजना - 11 फरवरी 2011
इस योजना का मुख्य उद्देश्य बीपीएल परिवारों को इसके तहत ₹2 प्रति किग्रा की दर से गेहूं ₹3 प्रति किग्रा की दर से चावल उपलब्ध कराया जाएगा। यह योजना 11 फरवरी 2011 से राज्य में शुरू की गई।
देश को जानो योजना - 15 अगस्त 2019
इस योजना की शुरुआत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 15 अगस्त 2019 को शुरू की थी। इसका मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड बोर्ड 10वीं परीक्षा में टॉप 25 बच्चों को भारत भ्रमण के लिए भेजा जाएगा। इसके साथ ही 15 अगस्त 2019 को मुख्यमंत्री प्रतिभा योजना शुरू की गई थी। जिसका मुख्य उद्देश्य सरकार प्रोफेशनल कोर्सेज को 25 टॉपर्स को 50% स्कॉलरशिप सहायता के रूप में देगी इस योजना की।
नमामि गंगे अभियान - 7 जुलाई 2016
7 जुलाई 2016 को हरिद्वार से नमामि गंगे अभियान शुरू हुआ था । नमामि योजना के तहत भागीरथी, अलकनंदा, गंगा मंदाकिनी नदियों को शामिल किया गया नमामि गंगे योजना के तहत बनाया जाएगा।
- इसके अतिरिक्त उत्तराखंड में प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना का शुभारंभ 24 जनवरी 2018 को हुआ।
- कोविड-19 महामारी से उभारने के लिए प्रवासी मजदूरों को लोन उपलब्ध कराने के लिए त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा 28 मई 2020 को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना प्रारंभ हुई थी।
- उत्तराखंड वर्चुअल क्लासेस शुरू करने वाला पहला राज्य बना था।
उत्तराखंड राज्य की आर्थिक व्यवस्था से संबंधित प्रश्न-
(1) बजट 2019-20 में उत्तराखंड राज्य सरकार की आय की सबसे बड़ी मद कौन सी है ?
(a) स्वयं का कर राजस्व
(b) लोक ऋण
(c) केंद्र सरकार से सहायता अनुदान के रूप में
(d) करेत्तर राजस्व
(2) राज्य अर्थव्यवस्था में द्वितीयक क्षेत्र का योगदान धीरे-धीरे -
(a) बढ़ रहा है
(b) घट रहा है
(c) स्थिर है
(d) इनमें से कोई नहीं
(3) राज्य गठन के बाद अर्थव्यवस्था में प्राथमिक क्षेत्र का योगदान धीरे-धीरे -
(a) बढ़ रहा है
(b) घट रहा है
(c) स्थिर है
(d) इनमें से कोई नहीं
(4) जीईपी क्या है?
(a) good environment product
(b) growth energy product
(c) good energy product
(d) gross environment product
(5) उत्तराखंड जीईपी लागू करने वाला कौन सा राज्य बना ?
(a) पहला
(b) दूसरा
(c) तीसरा
(d) चौथा
(6) राज्य द्वारा सर्वाधिक व्यय किस मद पर किया जाता है ?
(a) निवेश ऋण
(b) वृहत निर्माण कार्य / लघु निर्माण कार्य
(c) वेतन भत्ते मजदूरी आदि अधिष्ठान व्यय
(d) पेंशन/अनुतोषित
(7) उत्तराखंड में 'मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना’ 2021 का संबंध है ?
(a) कृषि से
(b) शिक्षा से
(c) स्वास्थ्य से
(d) पशुपालन से
(8) उत्तराखंड में 'मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना' की शुरुआत कब की गयी ?
(a) 7 मार्च 2019
(b) 15 अगस्त 2019
(c) 2 जून 2017
(d) 7 जुलाई 2016
Answer -
(01)c. (02)a. (03)b. (04)d. (05)a. (06)c. (07)d.
(08)a
Sources - उत्तराखंड बजट 2021
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