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उत्तराखंड का भू-कानून

उत्तराखंड का भू-कानून चर्चा में क्यों? हाल ही में प्रदेश में लगातार चल रही मांग के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एलान किया है कि उनकी सरकार वृहद भू-कानून लाने जा रही है। अगले साल बजट सत्र में कानून का प्रस्ताव लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि 250 वर्ग मीटर आवासीय और 12.50 एकड़ अन्य भूमि के नियम तोड़ने वालों की भूमि जांच के बाद सरकार में निहित की जाएगी। क्या है उत्तराखंड का वर्तमान भू-कानून ? वर्तमान में लागू भू-कानून के तहत एक व्यक्ति को 250 वर्गमीटर जमीन ही खरीद सकता है। लेकिन व्यक्ति के अपने नाम से 250 वर्गमीटर जमीन खरीदने के बाद पत्नी के नाम से भी जमीन खरीदी है तो ऐसे लोगों को मुश्किल आ सकती है। तय सीमा से ज्यादा खरीदी गई जमीन को सरकार में निहित करने की कार्रवाई करेगी। यह कानून केवल बाहरी राज्यों के लोगाें पर लागू है। उत्तराखंड के स्थायी निवासी कितनी भी जमीन खरीद सकते हैं। भू-कानून का इतिहास राज्य में बाहरी लोगों द्वारा भूमि खरीद सीमित करने के लिए वर्ष 2003 में तत्कालीन एनडी तिवारी सरकार ने उत्तर प्रदेश के कानून में संशोधन किया और राज्य का अपना भूमि कानून अस्तित्व में आया। इस संशोध

उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी -15 (हिंदी साहित्य के लेखक और प्रमुख रचनाएं )

 उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी -15

लेख में दिए गए अधिकांश प्रश्न समूह-ग की पुरानी परीक्षाओं में पूछे गए हैं। और कुछ प्रश्न वर्तमान परीक्षाओं को देखते हुए उत्तराखंड के हिन्दी साहित्य से संबंधित 25+ प्रश्न तैयार किए गए हैं। जो आगामी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। बता दें की उत्तराखंड के 20 प्रश्नों में से 3-4 प्रश्न उत्तराखंड की समूह-ग परीक्षण में हिन्दी साहित्य से पूछे जाते हैं। प्रत्येक वर्ष सिलेबस में कुछ बदलाव किए जाते हैं और यह लेख समूह-ग 2021 सिलेबस के अनुसार बनाया गया है। अतः लेख को ध्यानपूर्वक पढ़े। 

हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक व उनकी रचनाएं  (According to syllabus)

उत्तराखंड के हिन्दी साहित्य से संबंधित 25+ 

(1) उत्तराखंड का आंचलिक कथाकार किसे माना जाता है ?
(a) शैलेश मटियानी
(b) मंगलेश डबराल
(c) सुमित्रानंदन पंत
(d) राहुल सांकृत्यायन

व्याख्या :- उत्तराखंड का कथाकार शैलेश मटियानी को माना जाता है। शैलेश मटियानी का जन्म 14 अक्टूबर 1931 को बाढछीना (अल्मोड़ा) में हुआ था। ये प्रसिद्ध हिंदी रचनाकार, कवि तथा निबंधकार थे। इनकी प्रमुख रचनाएं हैं - सर्पगंधा (1975), आकाश कितना अनंत (1979), बावन नदियों का संगम उपन्यास (1981), मुठभेड़ (उपन्यास), माया सरोवर (उपन्यास), चंद औरतों का शहर (उपन्यास), गोपुली गफूरन आदि। भटियानी जी ने विकल्प पत्रिका का प्रकाशन किया था।

Answer - (a)

(2) निम्नलिखित में से कौन-सी एक रचना 'हजारी प्रसाद द्विवेदी' की है ?
(a) हिम तरंगिनि
(b) नेताजी कहिन
(c) आकाशदीप
(d) शिरीष के फूल

व्याख्या :- "शिरीष के फूल" हजारी प्रसाद द्विवेदी की एक निबंध रचना है। इसके अतिरिक्त कुटज, भारतीय संस्कृति की देन, काव्य कला, कविता का भविष्य, नई समस्याएं, अशोक के फूल, कल्पलता, बसंत आ गया आदि इनके प्रसिद्ध निबंध है। जबकि हिम तरंगिणी - माखनलाल चतुर्वेदी , नेताजी कहिन - मनोहर श्याम जोशी और आकाश दीप - जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचना है।

Answer - (d)

(3) निम्नलिखित में से किसका मूल नाम केदारनाथ पांडेय है ?
(a) पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल
(b) मनोहर श्याम जोशी
(c) राहुल सांकृत्यायन
(d) काका साहेब कालेकर

व्याख्या :-  राहुल सांकृत्यायन का मूल नाम केदारनाथ पांडेय था। इन्हें हिंदी यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है। राहुल सांकृत्यायन को महापंडित की उपाधि से विभूषित किया गया है।  "हिमालय परिचय" व "किन्नौर देश की ओर" इनकी प्रमुख रचना है ।

Answer - (c)

(4) निम्नलिखित में से महादेवी वर्मा की रचनाओं के प्रकाशन का सही क्रम है
(a) नीहार, नीरजा, रश्मि, सांध्यगीत
(b) नीहार, रश्मि, नीरजा,  सांध्यगीत
(c) रश्मि, सांध्यगीत, नीहार, नीरजा, 
(d) नीरजा, रश्मि,  नीहार, सांध्यगीत

व्याख्या :- महादेवी वर्मा की रचना क्रम में निम्नानुसार है:
नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत
महादेवी वर्मा हिंदी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवित्रियों में से एक हैं। हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं । आधुनिक हिंदी की सबसे सशक्त कवियों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है। महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। इनकी प्रमुख रचना है - मेरा परिवार, नीलकंठ, यामा, दीपशिखा, सन्धिनी, सप्तपर्णी, अतीत के चलचित्र, पथ के साथी आदि.

Answer - (b)

(5) 'हम लोग' भारतीय दूरदर्शन का धारावाहिक की पटकथा का लेखन किया है ?
(a) मनोहर श्याम जोशी
(b) शेखर जोशी
(c) गजानन मुक्तिबोध
(d) हरिशंकर परसाई

व्याख्या :- "हम लोग" (1982) धारावाहिक की पटकथा मनोहर श्याम जोशी ने लिखी है। यह में दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाला धारावाहिक था। इसका प्रसारण 7 जुलाई 1984 से आरंभ हुआ था। मनोहर श्याम जोशी की प्रमुख रचनाएं हैं। सिल्वर वेडिंग, नेताजी कहीन,  हम लोग,  बुनियाद, मुंगेरी लाल के हसीन सपने कुरु कुरु स्वाहा आदि। मनोहर श्याम जोशी का जन्म 1935 को अजमेर में हुआ। मूल रूप से अल्मोड़ा के थे

Answer - (a)

(6) निम्नलिखित में से 'कृषक संस्कृति का महाकाव्य' किसे कहा जाता है ?
(a) गोदान
(b) गबन
(c) निर्मला
(d) सेवासदन

व्याख्या :- उपरोक्त सभी रचनाएं प्रेमचंद जी की है। गोदान ग्रामीण जीवन और कृषक संस्कृति का महाकाव्य कहा जाता है क्योंकि इसमें ग्रामीण जीवन का वास्तविक और व्यापक वर्णन किया गया है। प्रेमचंद को कहानियों का सम्राट कहा जाता है। इनकी प्रमुख रचनाएं हैं - गोदान, सेवासदन, गबन, निर्मला, कर्मभूमि, रंगभूमि, कायाकल्प, मंगलसूत्र, अलंकार, प्रेमाश्रय, प्रतिज्ञा, वरदान आदि प्रसिद्ध उपन्यास है। और इनके द्वारा लिखी गई लोकप्रिय कहानियां हैं - पंच परमेश्वर,  नमक का दरोगा, कफन, दो बैलों की कथा और  ईदगाह आदि।

Answer - (a)

(7) सुमित्रानंदन पंत को सम्मानित किया गया था ?
(a) साहित्य अकादमी पुरस्कार
(b) भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार
(c) a और b दोनों
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं

व्याख्या :- सुमित्रानंदन पंत को हिंदी साहित्य की सेवा के लिए उन्हें पद्म भूषण (1961) और  साहित्य अकादमी से सम्मानित किया गया था। उन्हें लोकप्रिय रचना चिदम्बरा के लिए ज्ञानपीठ (1968) और लोकायन स्वर्ण किरण के लिए सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार जैसे उच्च श्रेणी के सामानों से अलंकृत किया गया है। सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई 1900 को कौसानी (अल्मोड़ा) में हुआ था। इनके बचपन का नाम गोसाई दत्त था। सुमित्रानंदन पंत के नाम पर कौसानी में, उनके पुराने घर को पथ विथिका के नाम से एक संग्रह के रूप में परिवर्तित  कर दिया गया है। इनकी प्रमुख रचनाएं हैं - हार,  वीणा, पल्लव, चिदंबरा, युगवाणी युगपत, लोकायन स्वर्ण किरण, कला और बूढ़ा चांद है।

Answer - (c)

(8) मनोहर श्याम जोशी की 'सिल्वर वेडिंग' कहानी का मुख्य पात्र है ?
(a) वंशीधर
(b) भूषण
(c) दत्ता जी राव
(d) यशोधर बाबू

व्याख्या :- मनोहर श्याम जोशी द्वारा रचित 'सिल्वर वेडिंग' कहानी का मुख्य पात्र यशोधर बाबू है। यह परंपरावादी तथा संस्कारी व्यक्ति है जो अपनी पुरानी आदतों एवं संस्कारों में बंधे हुए हैं। सिल्वर वेडिंग कहानी की मूल संवेदना दो पीढ़ियों के बीच अंतराल को स्पष्ट करना है।

Answer - (d)

(9) निम्नलिखित में से 'मंगलेश डबराल' की रचना है ?
(a) आवाज भी एक जगह है
(b) भूखंड तप रहा है।
(c) बोधिवृक्ष
(d) जलते हुए वन का बसंत

व्याख्या - "आवाज भी एक जगह है" यह मंगलेश डबराल द्वारा रचित काव्य संग्रह है। मंगलेश डबराल का जन्म 16 मई 1948 में टिहरी गढ़वाल के काफलपानी गांव में हुआ था। और इनकी मृत्यु 9 दिसंबर 2020 को हुई थी। इन्हें "हम जो देखते हैं" कहानी संग्रह के लिए वर्ष 2000 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मंगलेश डबराल की प्रमुख रचनाएं हैं - 
  1. पहाड़ का लालटेन
  2. घर का रास्ता 
  3. हम जो देखते हैं।
  4. आवाज भी एक जगह है
  5. नए युग में शत्रु
Answer - (a)

(10) "दो पंक्तियों के बीच" नामक (कविता संग्रह) के रचयिता कौन हैं?
(a) शैलेश मटियानी
(b) हिमांशु जोशी
(c) शिवानी
(d) राजेश जोशी

व्याख्या :- "दो पंक्तियों के बीच" हिन्दी के विख्यात साहित्यकार राजेश जोशी द्वारा रचित एक कविता–संग्रह है जिसके लिये उन्हें सन् 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनका जन्म 1946 ईसवी में मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ जिले में हुआ। उनके द्वारा भतृहरि की कविताओं की अनुरचना भूमिका "कल्पतरू यह भी" एवं मायकोवस्की की कविता का अनुवाद "पतलून पहिना बादल" नाम से किए गए है। कई भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अँग्रेजी, रूसी और जर्मन में भी उनकी कविताओं के अनुवाद प्रकाशित हुए हैं। राजेश जोशी के चार कविता-संग्रह-
  1. एक दिन बोलेंगे पेड़, 
  2. मिट्टी का चेहरा, 
  3. नेपथ्य में हँसी और 
  4. दो पंक्तियों के बीच, 

Answer - (d)


(11) "पुष्प की अभिलाषा" किसकी रचना है ?
(a) शैलेश मटियानी
(b) मंगलेश डबराल
(c) माखनलाल चतुर्वेदी
(d) राहुल सांकृत्यायन

व्याख्या :- माखनलाल चतुर्वेदी हिन्दी साहित्य के नव छायाकार रचनाकार है। इनका जन्म 4 अप्रैल 1989 को मध्यप्रदेश में हुआ था। इन्हें  साहित्य अकादमी अवार्ड (1955) व पदम भूषण (1963) से सम्मानित किया गया था। इनकी प्रमुख रचना है। "पुष्प की अभिलाषा" और "हिम तरंगिनि" है।

Answer - (c)

(12) "प्रेमचंद के फटे जूते" किसकी रचना है?
(a) मनोहर श्याम जोशी
(b) शेखर जोशी
(c) गजानन मुक्तिबोध
(d) हरिशंकर परसाई

Answer - (d)

(14) निम्नलिखित में से कौन-सी रचना कबीरदास की नहीं है ?
(a) बीजक
(b) प्रेमवाटिका
(c) रमैनी
(d) साखी

व्याख्या :- कबीरदास भक्ति काल के लोकप्रिय कवि हैं। इनकी प्रमुख रचना बीजक, साखी, सबद, रमैनी है। जबकि प्रेमवाटिका के रचनाकार रसखान हैं। 

Answer - (b)

(15) निम्नलिखित में से "विनय पत्रिका" किसकी रचना है?
(a) मीराबाई
(b) सूरदास
(c) तुलसीदास
(d) इनमें से कोई नहीं

व्याख्या :- सूरदास की प्रमुख रचना है - साहित्य लहरी, सूरसागर , सूर सरावली,  नल और दमयंती 
मीराबाई की प्रमुख रचना है - राग-गोविंद, नरसी जी का मायरा और गीत गोविंद का टीका।
तुलसीदास की प्रमुख रचनाएं हैं - गीतावली, दोहावली, विनय पत्रिका और रामचरितमानस।

'विनय पत्रिका' तुलसीदास की रचना है। तुलसीदास भक्ति कल के अवधी भाषा के लोकप्रिय कवि थे। तुलसीदास ने अपनी रचनाओं में अवधी बोली का प्रयोग किया है। 
इनकी कुछ प्रमुख पंक्तियां निम्नलिखित हैं
  • पर उपदेश कुशल बहुतेरे।
  • रघुकुल रीति सदा चली आई।
  • मंगल भवन अमंगल हारी।
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई। पर पीड़ा सम नहिं अधमाई 
  • भय बिनु होइ न प्रीति 
Answer - (c)

(16) लाल हवेली (कविता संग्रह) किसकी रचना है ?
(a) महादेवी वर्मा
(b) मन्नू भंडारी
(c) शिवानी
(d) राजेश जोशी

व्याख्या :- लाल हवेली कविता संग्रह 'शिवानी' की रचना है।  शिवानी का जन्म 27 अक्टूबर 1923 को राजकोट में हुआ था। लेकिन शिवानी मूल रूप से अल्मोड़ा की थी। शिवानी मूल नाम गौरा पंत है। यह अपनी सभी रचनाएं शिवानी के नाम से लिखते हैं। हिन्दी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान के लिए पदमश्री (1982)के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इनकी प्रमुख रचना है - सती (कहानी संग्रह), लाल हवेली (कविता संग्रह), झरोखा, विषकन्या, मायापुरी, कृष्ण कली और वातायन आदि

Answer - (c)

(18) निम्नलिखित में से कौन सी रचना मन्नू भंडारी की नहीं है ?
(a) आपका बंटी
(b) यही सच है। 
(c) दीपशिखा
(d) महाभोज

व्याख्या - 'दीपशिखा' महादेवी वर्मा की रचना है। अन्य सभी रचनाएं मनु भंडारी की है। हिन्दी की सुप्रसिद्ध कहानीकार मन्नू भंडारी का जन्म 03 अप्रैल, 1931 ई० मध्यप्रदेश में मंदसौर जिले के भानपुरा गाँव में हुआ। उनके बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था परंतु लेखन के लिए उन्होंने 'मन्नू' नाम का चुनाव किया। इन्हें धर्मयुग में धारावाहिक रूप से प्रकाशित उपन्यास 'आपका बंटी' से लोकप्रियता मिली। इन्हें हिंदी साहित्य में योगदान के लिए व्यास सम्मान और उत्तर-प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत किया गया। हाल ही में इनका निधन 15 नवंबर, 2021 को हआ था। इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं - एक प्लेट सैलाब (1962), मैं हार गई (1957), यही सच है (1966), नायक, खलनायक, विदूषक आदि श्रेष्ठ कहानियां हैं।
 इनके प्रमुख उपन्यास हैं :-
1. 'बिना दीवारों का घर' (1966)
2. आपका बंटी (1971) - 
3. एक इंच मुस्कान (1962) - 
4. महाभोज (1979)
5. 'यही सच है' - इस पर आधारित 'रजनीगंधा' फिल्म अत्यंत लोकप्रिय हुई थी और उसको 1974 की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था।

Answer - (c)

(19) 'गोरखवाणी' किसकी रचना है ?
(a) मंगलश डबराल
(b) शैलेश मटियानी
(c) सुमित्रानंदन पंत
(d) पिताम्बर दत्त बड़थ्वाल

व्याख्या :- 'गोरखवाणी' पीतांबर दत्त बार्थवाल की प्रमुख रचना है । पीतांबर दत्त बार्थवाल का जन्म 2 दिसंबर 1901 में गढ़वाल (उत्तराखंड ) में हुआ था। उनकी प्रमुख रचनाएं हैं- गोरखवाणी,  मकरकंद , ध्यान से आत्म चिकित्सा आदि। इन्होंने हिलमैन पत्रिका का संपादन किया था।

Answer - (d)

(20) निम्न से मन्नू भंडारी की किस रचना पर  'रजनीगंधा' नामक फिल्म बनी थी जिसे 1974 की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था।
(a) खलनायक
(b) मैं हार गई
(c) यही सच है।
(d) एक इंच मुस्कान

Answer - (c)

(21) निम्नलिखित में से कौन-सी रचना शेखर जोशी की नहीं है ?
(a) नौरंगी बीमार है
(b) पहाड़ पर लालटेन
(c) मेरा पहाड
(d) एक पेड़ की याद

व्याख्या :- शेखर जोशी का संबंध अल्मोड़ा से है शेखर जोशी की प्रमुख रचनाएं हैं - मेरा पहाड़, दाज्यू , कोसी का घटवार , एक पेड़ की याद, हलवाह, डांगरी वाले, और नौरंगी बीमार आदि । शेखर जोशी को 'दाज्यू' कहानी पर चिल्ड्रंस फिल्म सोसाइटी द्वारा एक फिल्म का निर्माण हुआ। और 'एक पेड़ की याद' रचना के लिए 1987 में इन्हें महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार मिला था। 

Answer - (b)

(22) निम्नलिखित में से कौन-सी पुस्तक 'यशवंत सिंह कठौच' की नहीं है।
(a) उत्तराखंड का नवीन इतिहास
(b) उत्तराखंड यात्रा दर्शन
(c) मध्य हिमालय का पुरातत्व
(d) मध्य हिमालय की कला पुस्तक

व्याख्या :- उत्तराखंड का नवीन इतिहास , मध्य हिमालय का पुरातत्व और मध्य हिमालय की कला पुस्तक के लेखक यशवंत सिंह कठौच हैं। जबकि उत्तराखंड यात्रा दर्शन के लेखक शिव प्रसाद डबराल है। शिवप्रसाद डबराल को "उत्तराखंड का इनसाइक्लोपीडिया" कहा जाता है। शिव प्रसाद डबराल का जन्म दुगड्डा (पौड़ी गढ़वाल) में हुआ था। डबराल जी को घुमक्कड़ शौक के चलते "चारण" उपनाम से जाना जाता था। प्रमुख पुस्तकें हैं -
  1.  12 खंडों में उत्तराखंड का इतिहास
  2.  उत्तराखंड के अभिलेख व मुद्रा
  3.  उत्तराखंड यात्रा दर्शन 
  4.  उत्तराखंड के भौटांतिक
Answer - (b)

(23) 'ए लैंग्विस्टिक स्टडी ऑफ जौनसारी" प्रसिद्ध रचना है
(a) उमाशंकर शर्मा सतीश
(b) डी.डी शर्मा
(c) सेरमन औकले
(d) आर. एस. टोलियां

व्याख्या -  'ए लैंग्विस्टिक स्टडी ऑफ जौनसारी' पुस्तक के लेखक उमाशंकर शर्मा सतीश है। इस पुस्तक का प्रकाशन वर्ष 1990 में हुआ था इस पुस्तक में जौनसारी भाषा तथा सामाजिक तथा सामाजिक संस्कृति प्रवृत्तियों को स्वरूप प्रदान किया गया है। जौनसारी भाषा उत्तराखंड में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है। उमाशंकर सतीश का संबंध रुद्रप्रयाग जिले से है। उमाशंकर सतीश ने सूरीनाम में रहकर निबंध लिखें । भारत के बाहर एक और भारत सूरीनाम में हिंदी और भारतीय संस्कृति सतीश जी की अन्य रचनाएं - नया जमाना पत्थर बोलते हैं, पर्वतीय जन्म कर्मभूमि और देवभूमि आदि हैं। इसके अतिरिक्त
  • डी.डी शर्मा - हिमालय के खस
  • आर. एस. टोलिया - ब्रिटिश-कुमाऊं गढ़वाल
  • सेरमन औकले - "होली हिमालय" । इसके अतिरिक्त सेरमन औकले ने तारा दत्त गैरोला के साथ मिलकर "हिमालयन फोकलर" नामक पुस्तक लिखी
Answer - (a)

(24) निम्नलिखित को सही सुमेलित कीजिए
               पुस्तकें               -       लेखक
A. कुमाऊं की चित्रकला।     -  1. हरिकृष्ण रतूड़ी। 
B. जीवन ज्योति पुस्तक।     -  2.  बद्रीदत्त पांडे
C. गढ़वाल का इतिहास       -  3.  कमलेन्दुमति शाह
D. कुमाऊं का इतिहास।      -  4.  यशोधरा मठपाल

        A.   B.   C.   D
(a)  1.    2.    3.   4
(b) 4.    3.    1.    2
(c) 3.    2.     1.   4
(d) 4.    3.    2.    1

Answer - (b)

(25) "आकाश कितना अनंत" के रचनाकार हैं ?
(a) शैलेश मटियानी
(b) हिमांशु जोशी
(c) शिवानी
(d) सुमित्रानंदन पंत

Answer - (a)

(26) निम्नलिखित में से कौन सी रचना गजानन "मुक्तिबोध" की है ?
(a) चाँद का मुँह टेढ़ा है,
(b) भूखंड तप रहा है।
(c) मिट्टी का चेहरा
(d) जलते हुए वन का बसंत

व्याख्या :-  "चाँद का मुँह टेढ़ा है" के रचनाकार गजानन मुक्तिबोध है।  गजानन मुक्तिबोध का जन्म 13 नवंबर, 1917 को हुआ था। हिन्दी साहित्य में सर्वाधिक चर्चा के केन्द्र में रहने वाले मुक्तिबोध कहानीकार और समीक्षक थे। उन्हें प्रगतिशील कविता और नयी कविता के बीच का एक सेतु भी माना जाता है।
कविता संग्रह- चाँद का मुँह टेढ़ा है, भूरी भूरी खाक धूल 
कहानी संग्रह- काठ का सपना, विपात्र, सतह से उठता आदमी

Answer - (a)

 (27) निम्नलिखित में से किस रचनाकार को महापंडित की उपाधि से विभूषित किया गया है ?
(a) सुमित्रानंदन पंत
(b) जयशंकर प्रसाद
(c) माखनलाल चतुर्वेदी
(d) राहुल सांकृत्यायन

Answer - (d)

(28) निम्नलिखित में से कौन-सी रचना जयशंकर प्रसाद की नहीं है ?
(a) चित्रधारा
(b) कला और बूढ़ा चांद 
(c) तितली
(d) अजातशत्रु

व्याख्या :- कला और बूढ़ा चांद सुमित्रानंदन पंत जी की प्रमुख रचना है और अन्य रचनाएं जयशंकर प्रसाद की हैं। जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी 1889 वाराणसी उत्तर प्रदेश में हुआ था। हिन्दी कवि, नाटककार, कहानीकार, उपन्यासकार तथा निबन्ध-लेखक थे। वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। इनका देहान्त 15 नवम्बर 1937 (उम्र 48) में हुआ। इनकी प्रमुख रचनाएं हैं -
चित्रधारा , कामायनी , आंसू , लहर , झरना , एक घूंट , विशाख , अजातशत्रु , आकाशदीप , आंधी , ध्रुव स्वामिनी , तितली ,और कंकाल।

Answer - (b)

(29) "पर उपदेश कुशल बहुतेरे" निम्न पंक्त के रचनाकार हैं-
(a) मीराबाई
(b) सूरदास
(c) तुलसीदास
(d) कबीरदास

Answer - (c)

(30) "कुमाऊं केसरी" के नाम से किन्हे जाना जाता है ?
(a) उमाशंकर शर्मा सतीश
(b) राहुल सांकृत्यायन
(c) बद्रीदत्त पांडे
(d) यशोधरा मठ

Answer - (c)

(31) "द हिमालयन डिस्ट्रिक्ट ऑफ द नॉर्थ-वेस्टर्न प्रोविजंस ऑफ इंडिया' पुस्तक के लेखक हैं?
(a) सेरमन औकले
(b) तारादत्त गैरौला
(c) एच. जी. वाल्टन
(d) एडविन. टी एटकिंसन

Answer - (d)

(32) प्रसिद्ध "संदेई" रचना किस लेखक की कृति है ?
(a) श्री चंद्र मोहन रतूड़ी
(b) तारा दत्त गैरोला
(c) भवानी दत्त थपलियाल
(d) विद्यासागर नौटियाल

व्याख्या :- प्रसिद्ध "सदेई" रचना तारादत्त गैरोला की कृति है। एक प्रसिद्ध भारतीय वकील लेखक तथा संपादक थे। उन्हें आधुनिक "गढ़वाली कविता का अग्रदूत" कहा जाता है। उन्हें भारतीय लोक कथाएं विशेषता गढ़वाली पत्रिका के संपादन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले के रहने वाले थे। भक्तदर्शन ने उनकी तुलना पर "सर रविंद्रनाथ टैगोर" से की है उन्हें गढ़वाल का महर्षि भी कहा जाता है।

Answer - (b)

(33) निम्नलिखित में से "गढ़वाल दर्शन" नामक पुस्तक के लेखक हैं?
(a) डॉ शिवानंद नौटियाल
(b) डॉ यशवंत सिंह कठौच
(c) हरिकृष्ण रतूड़ी 
(d)‌ इनमें से कोई नहीं

व्याख्या :- "गढ़वाल दर्शन" पुस्तक के लेखक डॉ शिवानंद नौटियाल है। जिनका जन्म 26 जून 1936 को पौड़ी गढ़वाल के श्रीनगर में हुआ था । प्रसिद्ध रचनाकार डॉ शिवानंद नौटियाल की इस पुस्तक का प्रकाशन 1986 में किया गया। 1977 से 1980 तक उत्तर प्रदेश सरकार में उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री थे। वर्ष 2004 में इन्हें 'उत्तराखंड रत्न' से विभूषित किया गया था।

Answer - (a)

(34) "मैक्वायर ऑफ देहरादून" पुस्तक के लेखक हैं ?
(a) एटकिंसन
(b) सेरमन ओकले
(c) जी.आर.सी. विलियम्स
(d) एच. जी वाल्टन

व्याख्या :- "मैक्वायर ऑफ देहरादून" पुस्तक की रचना जी.आर.सी. विलियम्स ने 1873 ईस्वी में की थी। इस पुस्तक में लेखक ने देहरादून की प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन किया है। लेखक ने दून घाटी को स्वर्गीय आनंद का स्थान बताया है।

Answer - (c)

(35) "गढ़वाल-एन्शियंट एंड मॉडर्न" पुस्तक किसने लिखी?
(a) हरिकृष्ण रतूड़ी
(b) वॉल्टन
(c) बी. डी. पाण्डे
(d) पातीराम

व्याख्या :- "गढ़वाल-एन्शियंट एंड मॉडर्न" पुस्तक के लेखक पातीराम है । इस पुस्तक का प्रथम प्रकाशन वर्ष 1916 में हुआ था। यह पुस्तक गढ़वाल का प्राचीन एवं आधुनिक इतिहास जानने का महत्वपूर्ण स्रोत है।

Answer - (d)




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ब्रिटिश कुमाऊं कमिश्नर उत्तराखंड 1815 में गोरखों को पराजित करने के पश्चात उत्तराखंड में ईस्ट इंडिया कंपनी के माध्यम से ब्रिटिश शासन प्रारंभ हुआ। उत्तराखंड में अंग्रेजों की विजय के बाद कुमाऊं पर ब्रिटिश सरकार का शासन स्थापित हो गया और गढ़वाल मंडल को दो भागों में विभाजित किया गया। ब्रिटिश गढ़वाल और टिहरी गढ़वाल। अंग्रेजों ने अलकनंदा नदी का पश्चिमी भू-भाग पर परमार वंश के 55वें शासक सुदर्शन शाह को दे दिया। जहां सुदर्शन शाह ने टिहरी को नई राजधानी बनाकर टिहरी वंश की स्थापना की । वहीं दूसरी तरफ अलकनंदा नदी के पूर्वी भू-भाग पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। जिसे अंग्रेजों ने ब्रिटिश गढ़वाल नाम दिया। उत्तराखंड में ब्रिटिश शासन - 1815 ब्रिटिश सरकार कुमाऊं के भू-राजनीतिक महत्व को देखते हुए 1815 में कुमाऊं पर गैर-विनियमित क्षेत्र के रूप में शासन स्थापित किया अर्थात इस क्षेत्र में बंगाल प्रेसिडेंसी के अधिनियम पूर्ण रुप से लागू नहीं किए गए। कुछ को आंशिक रूप से प्रभावी किया गया तथा लेकिन अधिकांश नियम स्थानीय अधिकारियों को अपनी सुविधानुसार प्रभावी करने की अनुमति दी गई। गैर-विनियमित प्रांतों के जिला प्रमु

परमार वंश - उत्तराखंड का इतिहास (भाग -1)

उत्तराखंड का इतिहास History of Uttarakhand भाग -1 परमार वंश का इतिहास उत्तराखंड में सर्वाधिक विवादित और मतभेद पूर्ण रहा है। जो परमार वंश के इतिहास को कठिन बनाता है परंतु विभिन्न इतिहासकारों की पुस्तकों का गहन विश्लेषण करके तथा पुस्तक उत्तराखंड का राजनैतिक इतिहास (अजय रावत) को मुख्य आधार मानकर परमार वंश के संपूर्ण नोट्स प्रस्तुत लेख में तैयार किए गए हैं। उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में 688 ईसवी से 1947 ईसवी तक शासकों ने शासन किया है (बैकेट के अनुसार)।  गढ़वाल में परमार वंश का शासन सबसे अधिक रहा।   जिसमें लगभग 12 शासकों का अध्ययन विस्तारपूर्वक दो भागों में विभाजित करके करेंगे और अंत में लेख से संबंधित प्रश्नों का भी अध्ययन करेंगे। परमार वंश (गढ़वाल मंडल) (भाग -1) छठी सदी में हर्षवर्धन की मृत्यु के पश्चात संपूर्ण उत्तर भारत में भारी उथल-पुथल हुई । देश में कहीं भी कोई बड़ी महाशक्ति नहीं बची थी । जो सभी प्रांतों पर नियंत्रण स्थापित कर सके। बड़े-बड़े जनपदों के साथ छोटे-छोटे प्रांत भी स्वतंत्रता की घोषणा करने लगे। कन्नौज से सुदूर उत्तर में स्थित उत्तराखंड की पहाड़ियों में भी कुछ ऐसा ही हुआ। उत्

उत्तराखंड में भूमि बंदोबस्त का इतिहास

  भूमि बंदोबस्त व्यवस्था         उत्तराखंड का इतिहास भूमि बंदोबस्त आवश्यकता क्यों ? जब देश में उद्योगों का विकास नहीं हुआ था तो समस्त अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर थी। उस समय राजा को सर्वाधिक कर की प्राप्ति कृषि से होती थी। अतः भू राजस्व आय प्राप्त करने के लिए भूमि बंदोबस्त व्यवस्था लागू की जाती थी । दरअसल जब भी कोई राजवंश का अंत होता है तब एक नया राजवंश नयी बंदोबस्ती लाता है।  हालांकि ब्रिटिश शासन से पहले सभी शासकों ने मनुस्मृति में उल्लेखित भूमि बंदोबस्त व्यवस्था का प्रयोग किया था । ब्रिटिश काल के प्रारंभिक समय में पहला भूमि बंदोबस्त 1815 में लाया गया। तब से लेकर अब तक कुल 12 भूमि बंदोबस्त उत्तराखंड में हो चुके हैं। हालांकि गोरखाओ द्वारा सन 1812 में भी भूमि बंदोबस्त का कार्य किया गया था। लेकिन गोरखाओं द्वारा लागू बन्दोबस्त को अंग्रेजों ने स्वीकार नहीं किया। ब्रिटिश काल में भूमि को कुमाऊं में थात कहा जाता था। और कृषक को थातवान कहा जाता था। जहां पूरे भारत में स्थायी बंदोबस्त, रैयतवाड़ी बंदोबस्त और महालवाड़ी बंदोबस्त व्यवस्था लागू थी। वही ब्रिटिश अधिकारियों ने कुमाऊं के भू-राजनैतिक महत्

चंद राजवंश : उत्तराखंड का इतिहास

चंद राजवंश का इतिहास पृष्ठभूमि उत्तराखंड में कुणिंद और परमार वंश के बाद सबसे लंबे समय तक शासन करने वाला राजवंश है।  चंद वंश की स्थापना सोमचंद ने 1025 ईसवी के आसपास की थी। वैसे तो तिथियां अभी तक विवादित हैं। लेकिन कत्यूरी वंश के समय आदि गुरु शंकराचार्य  का उत्तराखंड में आगमन हुआ और उसके बाद कन्नौज में महमूद गजनवी के आक्रमण से ज्ञात होता है कि तो लगभग 1025 ईसवी में सोमचंद ने चंपावत में चंद वंश की स्थापना की है। विभिन्न इतिहासकारों ने विभिन्न मत दिए हैं। सवाल यह है कि किसे सच माना जाए ? उत्तराखंड के इतिहास में अजय रावत जी के द्वारा उत्तराखंड की सभी पुस्तकों का विश्लेषण किया गया है। उनके द्वारा दिए गए निष्कर्ष के आधार पर यह कहा जा सकता है । उपयुक्त दिए गए सभी नोट्स प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से सर्वोत्तम उचित है। चंद राजवंश का इतिहास चंद्रवंशी सोमचंद ने उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में लगभग 900 वर्षों तक शासन किया है । जिसमें 60 से अधिक राजाओं का वर्णन है । अब यदि आप सभी राजाओं का अध्ययन करते हैं तो मुमकिन नहीं है कि सभी को याद कर सकें । और अधिकांश राजा ऐसे हैं । जिनका केवल नाम पता है । उनक

भारत की जनगणना 2011 से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न (भाग -01)

भारत की जनगणना 2011 मित्रों वर्तमान परीक्षाओं को पास करने के लिए रखने से बात नहीं बनेगी अब चाहे वह इतिहास भूगोल हो या हमारे भारत की जनगणना हो अगर हम रटते हैं तो बहुत सारे तथ्यों को रटना पड़ेगा जिनको याद रखना संभव नहीं है कोशिश कीजिए समझ लीजिए और एक दूसरे से रिलेट कीजिए। आज हम 2011 की जनगणना के सभी तथ्यों को समझाने की कोशिश करेंगे। यहां प्रत्येक बिन्दु का भौगोलिक कारण उल्लेख करना संभव नहीं है। इसलिए जब आप भारत की जनगणना के नोट्स तैयार करें तो भौगोलिक कारणों पर विचार अवश्य करें जैसे अगर किसी की जनसंख्या अधिक है तो क्यों है ?, अगर किसी की साक्षरता दर अधिक है तो क्यों है? अगर आप इस तरह करेंगे तो शत-प्रतिशत है कि आप लंबे समय तक इन चीजों को याद रख पाएंगे साथ ही उनसे संबंधित अन्य तथ्य को भी आपको याद रख सकेंगे ।  भारत की जनगणना (भाग -01) वर्ष 2011 में भारत की 15वीं जनगणना की गई थी। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत का कुल क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किलोमीटर था तथा भारत की कुल आबादी 121,08,54,922 (121 करोड़) थी। जिसमें पुरुषों की जनसंख्या 62.32 करोड़ एवं महिलाओं की 51.47 करोड़ थी। जनसंख्या की दृष्टि

उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित प्रश्न (उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी -14)

उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी -14 उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियां वर्ष 1965 में केंद्र सरकार ने जनजातियों की पहचान के लिए लोकर समिति का गठन किया। लोकर समिति की सिफारिश पर 1967 में उत्तराखंड की 5 जनजातियों थारू, जौनसारी, भोटिया, बोक्सा, और राजी को एसटी (ST) का दर्जा मिला । राज्य की मात्र 2 जनजातियों को आदिम जनजाति का दर्जा प्राप्त है । सर्वप्रथम राज्य की राजी जनजाति को आदिम जनजाति का दर्जा मिला। बोक्सा जनजाति को 1981 में आदिम जनजाति का दर्जा प्राप्त हुआ था । राज्य में सर्वाधिक आबादी थारू जनजाति तथा सबसे कम आबादी राज्यों की रहती है। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की कुल एसटी आबादी 2,91,903 है। जुलाई 2001 से राज्य सेवाओं में अनुसूचित जन जातियों को 4% आरक्षण प्राप्त है। उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित प्रश्न विशेष सूचना :- लेख में दिए गए अधिकांश प्रश्न समूह-ग की पुरानी परीक्षाओं में पूछे गए हैं। और कुछ प्रश्न वर्तमान परीक्षाओं को देखते हुए उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित 25+ प्रश्न तैयार किए गए हैं। जो आगामी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। बता दें की उत्तराखंड के 40 प्रश्नों में से 2

उत्तराखंड की प्रमुख योजनाएं

उत्तराखंड की प्रमुख योजनाऐं उत्तराखंड की टॉप 10 सबसे महत्वपूर्ण योजना उपयुक्त लेख में उत्तराखंड की प्रमुख योजनाओं की व्याख्या की गई है। जो उत्तराखंड की आगामी परीक्षाओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं। अतः लेख को अन्त तक जरूर पढ़ें व उनसे संबंधित प्रश्नों के उत्तर दें ।  (1) मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित ‘मुख्यमंत्री आँचल अमृत योजना’ का शुभारंभ 7 मार्च 2019 को किया गया। हाल ही में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देहरादून में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए ‘मुख्यमंत्री आँचल अमृत योजना’ का पुन: शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने 11 बच्चों को दूध वितरित कर योजना का शुभारंभ किया। जिस कारण यह योजना प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टि से अत्यधिक हो जाती है। उद्देश्य मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना का पुन: शुभारंभ होने से बच्चों के विकास एवं उन्हें पर्याप्त पोषण मिलने में बड़ी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार माँ का आँचल बच्चे का धूपछाँव से बचाव करता है, उसी प्रकार ‘आँचल अमृत योजना’ बच्चों में कुपोषण को द