मुद्रा स्फीति (Inflation)
मुद्रा स्फीति या मंहगाई क्या है? सरकार कैसे महंगाई को नियंत्रण करती है ?
मंहगाई अर्थात मुद्रा स्फीति का आशय कीमतों में वृद्धि होने के कारण मुद्रा के मूल्य में होने वाली गिरावट से है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि वस्तुओं व सेवाओं के स्टॉक या उत्पादन में कमी के कारण महंगी हो जाना । मुद्रा स्फीति या महंगाई कहलाता है।
जैसे - वर्तमान समय में पेट्रोल व डीजल के दाम निरंतर बढ़ते जा रहे हैं, पेट्रोल ने भारत में ₹100 का आंकड़ा छू लिया है। इससे आशा की जा रही है कि समस्त क्षेत्रों में महंगाई बढ़ने की आशंका है। यदि जल्दी से पेट्रोल के दाम को नियंत्रण करने के लिए उपाय नहीं किये जाते है। तो देश में दौड़ती हुई मुद्रा स्थिति आ जाएगी। जिसमें गरीबी और महंगाई को ठीक करने में एक लंबा समय लग सकता है। तो आइए जानते हैं । सरकार बढ़ते पेट्रोल के दाम को कम करने के लिए किस प्रकार कदम उठा सकती है। लेकिन उससे पहले हमें यह जानना अति आवश्यक है कि महंगाई या मुद्रास्फीति क्या है? और उसके प्रकार क्या है।
प्रोफेसर हिक्स के अनुसार,
"कीमतों में निरंतर वृद्धि को मुद्रास्फीति कहा जाता है"
प्रोफेसर से शेपीरों के अनुसार,
"कीमतों के सामान्य स्तर में होने वाली निरंतर एवं अत्यधिक वृद्धि को मुद्रास्फीति कहा जाता है"।
गति के आधार पर मुद्रास्फीति को निम्न नामों से जाना जाता है।
रेंगती मुद्रा स्फीति (creeping inflation)
रंग की मुद्रास्फीति किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है इसमें कीमतों में धीरे-धीरे वृद्धि की जाती है तथा 3% से कम ही रहती है।
भारत की स्थिति : भारत 2013-2014 के बाद से लगातार मुद्रास्फीति की दर घटाता आ रहा है। जहां 2013 में मुद्रास्फीति की दर 9.4 % थी। वहीं 2014 में 5.8% हो गई। वर्तमान बजट में मुद्रास्फीति की दर 2-4 के बीच प्रतिशत रखने का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2021 के आंकड़ों के अनुसार भारत में मुद्रास्फीति की दर 3.75% बनी हुई है।
चलती हुई मुद्रास्फीति (walking inflation)
चलती हुई मुद्रास्फीति की दर 3% से 6% तक वार्षिक रहती है। सरकार के लिए एक चेतावनी का कार्य करती है। भारत में अधिकतर इसी तरह की मुद्रा स्थिति देखी जाती है। वर्तमान समय में भारत चलती हुई मुद्रा स्थिति का सामना कर रहा है।
दौड़ती मुद्रास्फीति (Running inflation)
कीमतों में 10 से 20% प्रतिवर्ष की वृद्धि का आकलन किया जाता है इसमें मध्यम और निर्धन वर्ग पर बुरा प्रभाव पड़ता है इस को नियंत्रण करने के लिए मौद्रिक एवं राजकोषीय नीति का प्रयोग किया जाता है
अति मुद्रास्फीति (Hyper inflation)
कीमतों में अत्यधिक वृद्धि जिसमें कोई भी वस्तु खरीदने में वस्तु से भी अधिक पैसा देना पड़े। 20% प्रति वर्ष से अधिक महंगाई की दर जिसे मापना भी कठिन हो जाता है उसे अति मुद्रा स्पीति कहते हैं । 2018 में वेनेजुएला में 13000 प्रतिशत मुद्रास्फीति की दर आंकी गई थी।
विकासशील देशों में मुद्रा स्थिति रोकने के उपाय-
[A] मौद्रिक उपाय (Monetary policy)
बैंक दर में वृद्धि (bank rate)
मुद्रास्फीति के दौरान बैंक दर में वृद्धि करके पूंजी की लागत को बढ़ा दिया जाता है। जिससे उधार या लोन लेना कम हो जाता है। जैसे केंद्रीय बैंक द्वारा बैंक दर या ब्याज दर बढ़ाई जाती है तो बाणिज्य बैंक भी बैंक दर बढ़ा देते हैं जिससे जनता लोन लेना कम कर देती है।
नकद आरक्षित अनुपात में वृद्धि(CRR)
वाणिज्य बैंकों को कुल जमाव का कुछ भाग केंद्रीय बैंक के पास रखना पड़ता है। जिसको बढ़ाने से बैंकों को उधार देने की क्षमता में कमी आती है इसलिए मुद्रास्फीति नियंत्रण करने के लिए केंद्रीय बैंक नकद आरक्षित अनुपात बढ़ा देता है।
वैधानिक तरलता अनुपात में वृद्धि(SLR)
वाणिज्य बैंकों को केंद्रीय बैंक के नियम अनुसार एक निश्चित राशि स्वयं अपने पास संरक्षण के रूप में रखना अनिवार्य होता है । जब कभी मुद्रास्फीति का दौर आता है तो इस राशि को अधिक प्रतिशत में रखने के लिए नैतिक दबाव डाल सकता है।
खुले बाजार की क्रियाएं (open market)
खुले बाजार की क्रियाओं से आशय है केंद्रीय बैंक द्वारा प्रतिभूतियों को खुले बाजार में बेचना और खरीदना । मुद्रास्फीति के दौरान केंद्रीय बैंक द्वारा प्रतिभूतियों को बेचा जाता है जिससे अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त मुद्रा का नियंत्रण होता है । प्रतिभूतियों से आशय हैं कोई भी प्रमाणित लिखित पत्र, जैसे - राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र(NSC) आदि हो सकते हैं।
चयनात्मक साख नियंत्रण (optional credit)
मुद्रास्फीति के दौरान चयनात्मक साख का ऋणात्मक प्रयोग किया जाता है। चयनात्मक साख का अर्थ है- केंद्रीय बैंक द्वारा किसी विशेष क्षेत्र में उधार लेने के लिए प्रोत्साहित करना ताकि उनमें आर्थिक गतिविधियां के स्तर को बढ़ाया जा सके।
[B] राजकोषीय उपाय (Fiscal policy)
सरकारी व्यय में कमी(gov. expenditure)
राजकोषीय नीति का प्रमुख घटक सरकारी व्यय है। एक देश की सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार के काम किए जाते हैं। जैसे- सार्वजनिक निर्माण (सड़के, बांध, पुल), सार्वजनिक कल्याण (शिक्षा , स्वास्थ्य) तथा देश की सुरक्षा के लिए किए जाने वाले व्यय और समय-समय पर आर्थिक सहायता भी दी जाती है। मुद्रा स्थिति के दौरान सरकारी व्यय में कमी कर दी जाती है।
करों में वृद्धि (increasing taxes)
मुद्रास्फीति के दौरान कर को अधिक कर दिया जाता है जिससे जनता के पास जो अतिरिक्त मुद्रा होती है वह सरकार के पास चली जाती है।
सार्वजनिक ऋण में वृद्धि (public debt)
सम्मानित है जब सरकार को धन की आवश्यकता होती है तो वह जनता से ऋण या उधार ले सकती है। जिसे सार्वजनिक ऋण कहते हैं जब मुद्रास्फीति का दौर आता है तो आकर्षक दर प्रदान करके जनता से सार्वजनिक ऋण लेती है। और सार्वजनिक ऋण में वृद्धि करती है।
बचतों को प्रोत्साहन (Saving)
मुद्रास्फीति के दौरान सरकार बच्चों को प्रोत्साहन देती है तथा लोग अधिक से अधिक बचत करें । इसके लिए नई नई योजनाएं व वित्त व्यवस्था प्रणाली लागू करती है।
[C] भौतिक उपाय
कीमतों पर नियंत्रण (price control)
मुद्रा स्फीति को नियंत्रण करने के लिए सरकार जमीनी स्तर पर भी भौतिक उपाय करती है । बाजार में उपलब्ध वस्तुओं की कीमतें ना बढ़े। उसके लिए MRP तथा एक निश्चित मूल्य तय करती है और सुरक्षा की दृष्टि से कानून भी बनाती है._।
कृषि वस्तुओं की कीमती निश्चित करना
कृषि वस्तुओं की कीमतों से आशय उत्पादन के साधनों से है। मुद्रास्फीति के दौरान यदि उत्पादन के साधन महंगे हो जाए तो लागत हमेशा के लिए अधिक हो सकती हैं । इसका असर आगे भी बना रहेगा। जिसके लिए साधनों की कीमत निश्चित होना आवश्यक है जो सरकार के द्वारा नियंत्रण किया जाता है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (pds)
सरकार के द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली योजना चलाई जा रही है। जिसके अंतर्गत कम कीमत पर अनाज और दालों का वितरण किया जाता है । मुद्रा स्थिति के दौरान सार्वजनिक वितरण प्रणाली में कमी करके नियंत्रण किया जाता है।
[D] पूर्ति में वृद्धि
वस्तु की पूर्ति बढ़ाना (increasing supply)
मुद्रा स्थिति का मुख्य कारण उत्पादन में कमी होना होता है। यदि उत्पादन संभव हो तो उत्पादन करके वस्तु की पूर्ति को बढ़ाना चाहिए। जिससे महंगाई को नियंत्रण करने में मदद मिलती है।
निवेश में प्रोत्साहन (investment)
मुद्रा स्थिति के दौरान अर्थव्यवस्था में मुद्रा का प्रसार अधिक होता है । अतः अतिरिक्त मुद्रा के द्वारा निवेश को बढ़ाया जाना चाहिए ना कि उसे या खर्च करना चाहिए। जिससे उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और महंगाई पर लगाम लगेगी।
आवश्यक वस्तुओं का आयात
यदि संभव हो तो मुद्रास्फीति नियंत्रण करने के लिए आवश्यक वस्तुओं को आयात करके भी मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सकता है।
What is inflation in hindi ?
महंगाई और गरीबी में संबंध
हाल ही में पेट्रोल के दाम ने ₹100 का आंकड़ा पार कर लिया है पेट्रोल के दाम बढ़ने से सभी वस्तुओं व सेवाओं की कीमतों में वृद्धि होगी। जिससे गरीबी की दर बढ़ेगी क्योंकि पेट्रोल के दाम बढ़ने से परिवहन की लागत बढ़ जाती है। अब चाहे सब्जीवाला हो या दूध वाला दोनों ही ऑटो और बाइक का का उपयोग करते हैं। इसी प्रकार सभी क्षेत्र किसी ना किसी रूप में परिवहन की उपयोग करते हैं जैसे- किसान अनाज को मंडी तक पहुंचाने में ट्रैक्टर, ट्राली या ट्रक का उपयोग करता है, दुकानदार थोक विक्रेता से सामान खरीदने में परिवहन का प्रयोग करता है, बड़ी-बड़ी कंपनियां कच्चा माल प्राप्त करने के लिए परिवहन का प्रयोग करती हैं, इससे सभी क्षेत्रों की कहीं ना कहीं अदृश्य रूप से लागत बढ़ेगी तो जाहिर है। पेट्रोल के दाम बढ़ने से महंगाई बढ़ेगी महंगाई बढ़ने से गरीबी बढ़ेगी। हालांकि महंगाई को रोकने के लिए सरकार हर संभव प्रयास करती हैं। उपरोक्त लेख में दी गई जानकारियों के द्वारा महंगाई नियंत्रण किया जा सकता है।
विशेष तथ्य :
भारत में महंगाई दर (inflation rate in india )
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