Uksssc Vdo/Vpdo Mock Test 2025 देवभूमि उत्तराखंड द्वारा आगामी परीक्षा उत्तराखंड पटवारी, ग्राम विकास अधिकारी, फोरेस्ट गार्ड और RO/ARO हेतु टेस्ट सीरीज प्रारंभ की गई है। सभी टेस्ट अनुभवी टीम द्वारा तैयार किए जा रहे हैं। टेस्ट सीरीज का लाभ उठाने के लिए संपर्क करें। 9568166280 Uksssc Mock Test - 212 (1) “अन्याला चोट कन्याला” इस लोकोक्ति का अर्थ क्या है ? (A) सर पर भारी चोट लगा (B) अंधे के हाथ बटेर लगना (C) अंधे पर चोट लगा (D) आने से जाने तक (2) “बाप पेट चय्ल बाजार” कुमाऊनी पहेली का क्या अर्थ है – (A) कददू (B) सेब (C) जीभ (D) पिनालू (3) मकर संक्रांति को स्थानीय भाषा में क्या कहा जाता है (A) घुघुती त्यौहार (B) उत्तरायण (C) चुनिया (D) उपरोक्त सभी (4) उत्तराखंड में ग्रामीण आवासो के निकट की भूमि क्या कहलाती है (A) घरया (B) बण्या (C) बिचौलि (D) जवाणा (5) निम्नलिखित स्वरों में कौन सा युग्म गलत है (A) मध्य स्वर - अ (B) विवृत स्वर - आ (C) अर्धविवृत्त स्वर - ई (D) पश्च स्वर - ऊ (6) सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए और सूचियां के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए...
काव्य संग्रह
Poetry book
मासूमियत
Part -1
कैसी ये हवाएं हैं ?
कैसा ये मौसम है?
पुरवाई चल रही है।
पुरवाई चल रही है।
वैशाख की गर्मी बढ़ रही है।
हाथ पैर है रुखे - रूखे से ,
दिल के रिश्ते हैं उलझे - उलझे सेे,
लाख मनाया तुम नहीं माने,
दिल की बातें दिल ही जानें।
चाहे कोई कितना भी सच बोल दे।
चाहे कोई दिल के सारे भेद खोल दे ।
फर्क नहीं पड़ता, पत्थर हृदय वालों को,
आसान नहीं है समझना, मासूमियत के दीवानों को,
Part -2
भोलेपन का चोला पहने,
वो नजर अंदाज कर रहे हैं।
छोड़कर मोहब्बत का समंदर
जाने - अनजाने में गुनाह कर रहे हैं।
मुमकिन है हम याद आएंगे ।
एक बार चले गए तो वापस न आएंगे।
वजूद इतना भी छोटा नहीं हमारा।
आपके नहीं तो किसी और के काम आएंगे।
आसमां के ख्वाब लेकर चल रहे हैं।
धीरे-धीरे ही सही पर बढ़ रहे हैं।
तकदीर में जो भी लिखा हो अब,
मंजिल-ए-सफर हर हाल पाएंगे।
Part - 3
चलते चलते या तो काबिल
या एक अच्छे मुसाफिर बन जाएंगे।
कोशिशें कभी कम न होंगी।
वादा खुद से कर रहे हैं।
मोहब्बत का सफर लम्बा है मगर
याद शहर से गुजर रहे हैं।
मंजिल का भी पता नहीं
जानें कहां का ठिकाना है
अनजानी इन गलियों में
इस मुसाफिर का आना-जाना है।
काव्य संग्रह - poetry book
अंदाज अपना अपना
मैं बात बात पर एक और बात कहता हूं।
मैं अपनी बातों से बहुत कुछ सीखता रहता हूं।
जो बीत गया है उस पर विचार करता हूं
आने वाले कल का सुधार करता हूं।
तुम ध्यान से सुन न मेरी बातों को,
मैं बातों ही बातों में इज़हार करता हूं।
आहिस्ता आहिस्ता बढ़ रहे हैं मेरे कदम।
हर मंदिर हर मस्जिद मिलने की फरियाद करता हूं।
कभी तकदीर से , कभी जिंदगी से,
मैं सवाल पर सवाल करता हूं।
कभी अपनों के, कभी सपनों के,
मैं बातों में भी तेरा जिक्र करता हूं।
ख्याबों की दुनिया में, मैं हमेशा डूबा रहता हूं।
मैं बात बात पर अपनी ही बात करता हूं।
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