वनबसा : शारदा नदी के तट पर बसा एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नगर उत्तराखंड के चम्पावत जिले में वनबसा, एक ऐसा कस्बा है जो भारत-नेपाल सीमा पर बसा है और अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत व प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। टनकपुर से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह ग्राम पंचायत, जनपद की सबसे बड़ी पंचायतों में से एक है, जहाँ लगभग 10,000+ लोग निवास करते हैं। यहाँ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अन्य समुदायों का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण देखने को मिलता है, जो इस क्षेत्र को एक जीवंत सामाजिक ताने-बाने से जोड़ता है। प्रकृति और इतिहास का संगम शारदा नदी के तट पर बसा वनबसा, मैदानी और पर्वतीय संस्कृतियों का एक अनूठा मेल है। यह स्थान सदियों से पर्वतीय लोगों का प्रिय ठिकाना रहा है। पुराने समय में, जब लोग माल भावर की यात्रा करते थे, वनबसा उनका प्रमुख विश्राम स्थल था। सर्दियों में पहाड़ी लोग यहाँ अपनी गाय-भैंस चराने आते और दिनभर धूप में समय बिताकर लौट जाते। घने जंगलों के बीच बसे होने के कारण, संभवतः इस क्षेत्र का नाम "वनबसा" पड़ा। यहाँ की मूल निवासी थारू और बोक्सा जनजातियाँ इस क्ष...
काव्य संग्रह
Poetry book
मासूमियत
Part -1
कैसी ये हवाएं हैं ?
कैसा ये मौसम है?
पुरवाई चल रही है।
पुरवाई चल रही है।
वैशाख की गर्मी बढ़ रही है।
हाथ पैर है रुखे - रूखे से ,
दिल के रिश्ते हैं उलझे - उलझे सेे,
लाख मनाया तुम नहीं माने,
दिल की बातें दिल ही जानें।
चाहे कोई कितना भी सच बोल दे।
चाहे कोई दिल के सारे भेद खोल दे ।
फर्क नहीं पड़ता, पत्थर हृदय वालों को,
आसान नहीं है समझना, मासूमियत के दीवानों को,
Part -2
भोलेपन का चोला पहने,
वो नजर अंदाज कर रहे हैं।
छोड़कर मोहब्बत का समंदर
जाने - अनजाने में गुनाह कर रहे हैं।
मुमकिन है हम याद आएंगे ।
एक बार चले गए तो वापस न आएंगे।
वजूद इतना भी छोटा नहीं हमारा।
आपके नहीं तो किसी और के काम आएंगे।
आसमां के ख्वाब लेकर चल रहे हैं।
धीरे-धीरे ही सही पर बढ़ रहे हैं।
तकदीर में जो भी लिखा हो अब,
मंजिल-ए-सफर हर हाल पाएंगे।
Part - 3
चलते चलते या तो काबिल
या एक अच्छे मुसाफिर बन जाएंगे।
कोशिशें कभी कम न होंगी।
वादा खुद से कर रहे हैं।
मोहब्बत का सफर लम्बा है मगर
याद शहर से गुजर रहे हैं।
मंजिल का भी पता नहीं
जानें कहां का ठिकाना है
अनजानी इन गलियों में
इस मुसाफिर का आना-जाना है।
काव्य संग्रह - poetry book
अंदाज अपना अपना
मैं बात बात पर एक और बात कहता हूं।
मैं अपनी बातों से बहुत कुछ सीखता रहता हूं।
जो बीत गया है उस पर विचार करता हूं
आने वाले कल का सुधार करता हूं।
तुम ध्यान से सुन न मेरी बातों को,
मैं बातों ही बातों में इज़हार करता हूं।
आहिस्ता आहिस्ता बढ़ रहे हैं मेरे कदम।
हर मंदिर हर मस्जिद मिलने की फरियाद करता हूं।
कभी तकदीर से , कभी जिंदगी से,
मैं सवाल पर सवाल करता हूं।
कभी अपनों के, कभी सपनों के,
मैं बातों में भी तेरा जिक्र करता हूं।
ख्याबों की दुनिया में, मैं हमेशा डूबा रहता हूं।
मैं बात बात पर अपनी ही बात करता हूं।
Love status
उम्मीद है दोस्तों मेरी कवितााएं आपको पसंद आई होगी यदि आपको मेरे द्वारा लिखी गई कविताएं अच्छी लगती हैं तो उन्हें अधिक से अधिक शेयर कीजिए और मेरे यूट्यूब चैनल IMI 2021 को सब्सक्राइब कीजिए. और इसी तरह की कविताएं पढ़ने के लिए क्लिक कीजिए।
Related posts :-
नसीब
शायद पर चलती है दुनिया ,
जिसे नसीब कहते हैं,
जो चाहा रहे हो वो मिल जाए..........read full poem
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts.
Please let me now.