प्राचीन भारत का इतिहास
मगध साम्राज्य
साम्राज्य का विस्तार
600 ईसा पूर्व 16 महाजनपदों के उदय के पश्चात मगध महाजनपद ने एक ताकतवर साम्राज्य की स्थापना की। मगध साम्राज्य के विस्तार के अनेक कारण थे लेकिन इसका प्रमुख कारण भौगोलिक स्थिति था। मगध राज्य का विस्तार वर्तमान बिहार के दक्षिणी भाग में स्थित पटना और गया किलो में था। इसके उत्तर और पश्चिम में क्रमशः गंगा और सोन नदियां थी।दक्षिण में विद्यांचल पर्वत की श्रेणियां और पूर्व में चंपा नदी थी। तीनों ओर नदियों से घिरे होने के कारण यहां की आर्थिक स्थिति में असीम वृद्धि हुई। साथ ही दक्षिण में विंध्याचल पर्वत बाहरी राज्यों से सुरक्षा प्रदान करता था। इस प्रकार यह मगध धनाड्य हो गया। इसकी सर्वप्रथम राजधानी राजगीर के निकट गिरीव्रज राजग्रह में थी। महाकाव्य और ग्रंथों में मगध साम्राज्य को मगधपुर, बृहद्रथपुर, वस्तुमति,कुसाधपुर, बिंबिसारपुर आदि नामों से जाना जाता है।
बृहद्रथ राजवंश
महाभारत और पुराणों में लिखा है कि मगध में प्रथम राजवंश की स्थापना बृहद्रथ ने की थी। महाभारत के आदिपर्व के अनुसार बृहद्रथ के पिता वसु थे। जिसने मगध में राजगृह (वसुमति) नगर की स्थापना की थी। बृहद्रथ का पुत्र जरासंध था। जरासंध का नाम आप सभी ने महाभारत में सुना होगा। जरासंध पराक्रमी राजा था जिसने अनेक राजाओं को पराजित किया था और अंत में श्री कृष्ण के निर्देश पर भीम के हाथों पराजित होकर मरना पड़ा। और जरासंध की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र सहदेव मगध की राजगद्दी पर बैठा जिसने महाभारत की लड़ाई में पांडवों का साथ दिया था।
बृहद्रथ वंश का अंतिम राजा : रिपुंजय
बृहद्रथ वंश का अंतिम राजा रिपुंजय था । यह एक कमजोर अयोग्य शासक था। अतः उसकी मित्र पुलिक ने उसकी हत्या करवाकर अपने पुत्र को गद्दी पर बिठाया।
हर्यंक वंश
संस्थापक : बिंबिसार
हर्यक वंश को इतिहास में पितृहंता वंश के नाम से जाना जाता है । हर्यक वंश का संस्थापक बिंबिसार को कहा जाता है। हालांकि हर्यक वंश की उत्पत्ति के विषय में निश्चित जानकारी किसी को प्राप्त नहीं है।
बिंबिसार (544 ईसा पूर्व - 492 ईसा पूर्व)
बिंबिसार महत्वाकांक्षी राजा था। उसने साम्राज्य विस्तार करने के लिए युद्ध की अपेक्षा शांतिप्रिय नीति अपनाई। उसने वैवाहिक संधियों और विजय की अपनी नीति से मगध के महान और वंश को बढ़ाया। बिंबिसार को मत्स्य पुराण में क्षेत्रोजल व जैन साहित्य में श्रोणिक कहा गया है। बिंबिसार ने ब्रह्मदत्त को हराकर अंग राज्य को मगध में मिला लिया था और अपनी राजधानी राजगृह को बनाया। बिंबिसार महात्मा गौतम बुद्ध के समकालीन मगध का शासक था । उसने महात्मा बुद्ध को ध्यान के लिए वेलुवन नामक उद्यान प्रदान किया था। बिंबिसार के दरबार में जीवक नामक राजवैद्य था जिसको बिंबिसार ने अवंति के राजा चण्ड प्रद्योत के उपचार के लिए अवंती भेजा था।
राजवंशों में वैवाहिक संबंध
- बिंबिसार ने लिच्छवी गणराज्य के शासक चेटक की सबसे छोटी पुत्री चेलना(चलना) के साथ प्रथम विवाह किया। राजा चेटक की 7 पुत्रियां व एक बहन त्रिशला थी। त्रिशला के पुत्र जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी थे।
- बिंबिसार ने दूसरा विवाह कौशल नरेश प्रसनजीत की बहन महाकौशल देवी से किया। इसी विवाह में बिंबिसार को काशी दहेज के रूप में मिला। साथ ही 1 लाख राजस्व मिलता है।
- बिंबिसार ने तीसरा विवाह मद्र देश की राजकुमारी सेमा से विवाह किया। मद्र कुरु के समीप एक छोटा सा राज्य था।
- बिंबिसार ने चौथा विवाह लिच्छवी गणराज्य की गणिका का आम्रपाली से किया था।
बिंबिसार की मृत्यु
जैन ग्रंथ के अनुसार बिंबिसार ने अपने पुत्र अजातशत्रु को युवराज नियुक्त करने का निश्चय किया। अजातशत्रुु रानी चेलना का पुत्र था । लेकिन अजातशत्रु प्रजा के द्वारा भ्रमित हो जाता है कि उसकेेे पिता किसी दूसरे पुत्र को राजा बनाने वाले हैं। जिससे वह बहुत ही उतावला हो उठता है। फलस्वरूप उसने अपने पिता को बंदी बना लिया। उनकी प्रिय रानी चेलना कारागार में उनकी देखरेख करती थी। बाद में रानी ने अजातशत्रु को बताया कि वह तो अपने पुत्र से बहुत प्रेम करता था उसके बाद वह लोहे का हथौड़ा लेकर बेड़ियों को तोड़ने के लिए जाता है लेकिन बिंबिसार ने भय से जहर खाकर आत्महत्या कर ली।
अजातशत्रु (492 ईसा पूर्व - 460 ईसा पूर्व)
अजातशत्रु बिंबिसार का प्रिय पुत्र था। इसकी माता का नाम चेलना था। यह हर्यक वंश का सर्वाधिक प्रतापी शासक था। इस के राज्य काल में हर्यक वंश अपने गौरव के सर्वोच्च शिखर पर पहुंच था। कहीं कहीं इसे कुणिक के नाम से जाता है।
साम्राज्य विस्तार - बिंबिसार की मृत्यु के पश्चात कौशल नरेश प्रसेनजीत जो काशी को दान में दिया था व एक लाख राजस्व दिया था वह दोनों उससे वापस ले लिए। जिसके उपरांत दोनों के बीच एक युद्ध लड़ा गया और उस युद्ध में अजातशत्रु की पराजय होती है। लेकिन अजातशत्रु प्रसनजीत की पुत्री बजीरा से एक लंबे समय से प्रेम करता है और बजीरा भी उससे अत्यधिक प्रेम करती हैं। अंततः प्रसेनजीत अपनी पुत्री का विवाह अजातशत्रु से कर देता है। वृद्धावस्था में प्रसेनजीत शाक्य देश में बुद्ध की शरण में गया था तो उसकी अनुपस्थिति में कौशल में क्रांति हो गई । प्रसेनजीत सहायता मांगने के लिए अजातशत्रु के पास जा ही रहा था कि रास्ते में सर्दी लगने के कारण उसकी मृत्यु हो जाती है। उसके बाद कौशल को मगध राज्य में अजातशत्रु द्वारा विलीन कर लिया जाता है। अंग, कौशल और काशी मिलने के बाद वह वैशाली पर आक्रमण करता है। वैशाली को जीतने में उसे 16 वर्ष लगते हैं। अजातशत्रु युद्ध कला में महारथ हासिल था वह युद्ध में महाशिलाकटक और रथमूसल जैसे यंत्रों का इस्तेमाल करता था। महाशिलाकटक एक प्रकार अपक्षेपी अस्त्र था जिससे बड़े-बड़े पत्थर शत्रु पर फेंके जाते थे। और रथमूसल एक प्रकार का स्वचालित यंत्र था।
इसके शासनकाल के आठवें वर्ष में बुद्ध को निर्माण (483 ईसा पूर्व मृत्यु) प्राप्त हुआ । बौद्ध के अवशेषों पर उसने राजगृह में स्तूप का निर्माण करवाया। और उसके बाद ही राजगृह में ॠषि महाकश्यप की अध्यक्षता में प्रथम बौद्ध महासभा का आयोजन कराया। इस महासभा में सूत्र पिटक व विनय पिटक में बौद्ध की शिक्षाओं का संकलन कराया।
अंत में इसका पुत्र उदायिन अपने पिता अजातशत्रु की हत्या कर मगध का सम्राट बनता है।
उदायिन या उदयभद्र (461 ईसा पूर्व - 445 ईसा पूर्व)
महाभारत के अनुसार उदायिन ने 16 वर्ष राज्य किया। इसकी माता पद्मावती थी। उदायिन को पितृधातक कहा जाता है। पुराणों व जैन ग्रंथों के अनुसार उदायिन ने गंगा और सोन नदियों के संगम पर पाटलिपुत्र नामक नगर की स्थापना की थी । और पाटलिपुत्र को अपनी नई राजधानी बनाई। राजधानी के मध्य में ही एक चैत्य गृह (जैन मंदिर) का निर्माण कराया।
परिशिष्टपर्वन ग्रंथ के अनुसार उदायिन का कोई उत्तराधिकारी नहीं था हालांकि अन्य तथ्यों से यह ज्ञात हुआ है कि इसके 3 पुत्र थे। अनिरूद्घ , मुंडका और नागदाशक ।
नागदाशक (445 ईसा पूर्व - 412 ईसा पूर्व )
हर्यक वंश का अंतिम शासक नागदाशक को माना जाता है। यह उदायिन का सबसे छोटा पुत्र था। और उसने अपने पिता की हत्या कर राजगद्दी पर बैठा यह का अयोग्य शासक था। उदायिन के पश्चात नागदाशक ने कुछ समय तक राज किया। किंतु बाद में जनता ने इस पितृहंता को शासन से उतारकर शिशुनाग नामक एक योग्य अमात्य को राजा बनाया।
विशेष तथ्य : पुराणों के अनुसार यह कहा जाता है। उदायिन के बाद नंदीवर्धन और महानंदिन इन राजा बने।
शिशुनाग वंश (412 ईसा पूर्व - 394 ईसा पूर्व )
शिशुनाग वंश का संस्थापक शिशुनाग था। इसने सर्वप्रथम अवंती राज्यों को जीतकर उसे मगध साम्राज्य में मिला लिया। और अपनी राजधानी वैशाली में स्थान पर स्थानांतरित की। इस तरह मगध साम्राज्य का विस्तार जारी रहा।
कालाशोक (काकवर्ण ) (394 ईसा पूर्व - 366 ईसा पूर्व)
कालाशोक ने अपनी राजधानी पुनः पाटलिपुत्र में स्थानांतरित कर ली। इसके शासनकाल में सबसे प्रमुख कार्य द्वितीय बौद्ध महासभा का आयोजन था । द्वितीय बौद्ध महासभा का आयोजन वैशाली में 383 ईसा पूर्व हुआ था इसकी अध्यक्षता सर्वकामी ने की थी इसमें मुख्यता स्त्रियों को बौद्ध भिक्षुओं के रूप में बौद्ध संघ में प्रवेश करने की अनुमति मिली थी जिसमें पहली महिला महा प्रजापति गौतमी थी। कालाशोक हत्या एक षड्यंत्र के तहत इसके राज्य के ही एक सैनिक ने छुरा घोंप कर कर दी थी।
नंदीवर्धन ( 366 ईसा पूर्व - 344 ईसा पूर्व )
शिशुनाग वंश का अंतिम शासक नंदीवर्धन था। इसी को महानंदिन के नाम से भी जाना जाता है।
नंद वंश (344 ईसा पूर्व - 322 ईसा पूर्व )
नंद वंश का संस्थापक महापद्मनंद को कहा जाता है। इसने नंदीवर्धन की निर्दयता पूर्वक हत्या करके करके नंद वंश की स्थापना की। महापद्मनंद एक शूद्र दासी का पुत्र था।।
नंद वंश में कुल 9 राजा हुए और इसी कारण उन्हें नवनंद भी कहा जाता है । महाबोधि वंश में उनके नाम का उल्लेख मिलता है। नवां राजा अर्थात अंतिम राजा धनानंद था।
महापद्मनंद
महापद्मनंद पूरे मगध साम्राज्य का सबसे शक्तिशाली शासक था । इसने प्रथम बार कलिंग पर विजय प्राप्त की तथा वहां एक नहर की खुदावाई भी करवाई । जिसका उल्लेख बाद में कलिंग के शासक राजा खारवेल ने अपनी हाथीगुंफा अभिलेख में किया और इसी हाथीगुंफा अभिलेख में भारतवर्ष के नाम का पहली बार उल्लेख मिलता है। पुराणों में महापदम नंद को सर्वक्षत्रान्तक अर्थात क्षत्रियों नाश करने वाला कहा है। इनके पराक्रम को देखकर इन्हें परशुराम का अवतार (भार्गव) भी कहा जाता है। एक विशाल साम्राज्य स्थापित कर लेने के बाद इन्हें एकराट और एकच्छव की उपाधि धारण की। महापदम नंद के समकालीन महर्षि पाणिनि जिन्हें व्याकरणचार्य भी कहा जाता है। महर्षि पाणिनि के अनुसार महापदमनंद के पास 20 हजार आश्वरोही , 2 लाख पैदल सेना 2 हजार चार चार घोड़े वाले रथ और 3000 से अधिक हाथी थे।
घनानंद
घनानंद नंद वंश का अंतिम सम्राट था। जनता पर अतिरिक्त कर लगाने के कारण जनता इससे असंतुष्ट हो गई थी। नंद वंश के सभी शासक जैन मत के अनुयाई थे । घनानंद के जैन अमात्य शकटकाल तथा स्थूलभद्र थे । वर्ष, उपवर्ष, वरूचि, कात्यायन जैसे विद्वान नंद काल में ही थे । 325 ईसा पूर्व सिकंदर ने घनानंद के शासनकाल में भारत पर आक्रमण किया था। 322 ईसा पूर्व चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरु चाणक्य की सहायता से घनानंद की हत्या कर मगध में मौर्य वंश की नींव डाली।
मगध साम्राज्य - वेदों से जानकारी और प्रमाण
मगध साम्राज्य का उल्लेख विभिन्न वेदों और पुराणों में किया गया है जिससे यह ज्ञात होता है की मगध साम्राज्य अस्तित्व में था।
- ऋग्वेद में कीकट (विराट) नामक क्षेत्र का उल्लेख मिलता है। किकट को ही ऋग्वेद में मगध कहा गया है।
- अथर्ववेद में एक प्रार्थना है की बीमारी मगध को लाए।
- यजुर्वेद में भी मगध के भाटो जनजाति का उल्लेख मिलता है।
यदि आपने पूरा लेख पढ़ ही लिया है तो एक बार यह 12 प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास जरूर करें ।यह ऐसे प्रश्न है जो किसी ना किसी एग्जाम में आए हुए हैं यदि आप एक परीक्षार्थी हैं अपनी क्षमता को प्रर्दशित जरूर करें।
मगध साम्राज्य से संबंधित प्रश्न -:
(1) निम्नलिखित में से किस वंश को पितृहंता कहा जाता है
(a) नंद वंश (b) मौर्य वंश
(c) हर्यक (d) शिशुनाग वंश
(2) मगध के किस शासक को हर्यक वंश का संस्थापक कहा जाता है
(a) बिंबिसार (b) अजातशत्रु
(c) उदायिन (d) कालाशोक
(3) निम्न में से किसके दरबार में जीवक राजवैद्य थे
(a) बिंबिसार (b) अजातशत्रु
(c) प्रसेनजीत (d) कालाशोक
(4) हर्यक वंश के बाद मगध पर किसने शासन किया था
(a) नंद वंश (b) मौर्य वंश
(c) सातवाहन वंश (d) शिशुनाग वंश
(5) अष्टाध्यायी के रचयिता पाणिन किसके समकालीन थे ?
(a) बिंबिसार (b) अजातशत्रु
(c) प्रसेनजीत (d) कालाशोक
(6) सर्वप्रथम भारत वर्ष के नाम का उल्लेख किस अभिलेख में मिलता है ?
(a) रूमनदेई (b) भरहूत स्तम्भ
(c) कालसी अभिलेख (d) हाथी गुम्फा
(7) प्रथम बौद्ध महासभा की अध्यक्षता किसने की थी ?
(a) अश्वघोष। (b) महाकश्यप
(c) गौतमी (d) वसुमित्र
(8) मगध के किस शासक ने पाटलिपुत्र की स्थापना कर अपनी नई राजधानी स्थापित की ?
(a) बिंबिसार (b) अजातशत्रु
(c) कालाशोक (d) उदायिन
(9) नंद वंश का अंतिम सम्राट कौन था
(a) धनानंद (b) नन्दिवर्धन
(c) महापद्मनंद (d) नागदाशक
(10) निम्न में से किसके शासनकाल में द्वितीय बौद्ध महासभा का आयोजन हुआ था
(a) बिंबिसार। (b) अजातशत्रु
(c) काला अशोक (d) चंद्रगुप्त मौर्य
(11) वर्धमान महावीर की माता त्रिशला देवी किस वंश की थी
(a) कोलिय वंश (b) लिच्छवी वंश
(c) शाक्य वंश (d) नाग वंश
(12) शिशुनाग ने अपनी नई राजधानी कहां स्थापित की ?
(a) राजगृह (b) वैशाली
(c) तक्षशिला (d) मथुरा
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