परोपकार : काव्य संग्रह (कोरोना वारियर्स )
मानवता अभी जिंदा है।
भावार्थ
दोस्तों अक्सर आपने लोगों से यह कहते सुना होगा कि सभी लोग मतलबी हैं । कोई किसी का नहीं होता है। कठिन समय में कोई किसी की मदद नहीं करता है। दुनिया अब पैसों के पीछे दौड़ रही है। लेकिन विश्व में एक अलग पहचान बनाए हुए एक ऐसा देश है। जो इन सभी विचारों को चकनाचूर कर देता है वह है - भारत। सोने की चिड़िया कहलाने वाले भारत की छवि कोई आज की नहीं है। युगों युगों पुरानी है जहां राजा शिवि, राजा बलि, ऋषि दधीचि, दानवीर कर्ण जैसे महान राजाओं ने अपनी दानवीरता से इस धरती को पावन किया है । जिन्होंने खुशी-खुशी राज्य की संपूर्ण संपत्ति यहां तक कि खुद को भी समर्पित कर दिया। ऐसे ही आज के कलयुग में भी दानवीर जिंदा है। जिससे लगता है। कहीं ना कहीं मानवता आज भी जिंदा है भले जमाना बदल गया हो। भले ही उनका देश बदल गया हो। ऐसे ही भारतीय मूल के व्यक्ति हैं । आर्सेलर मित्तल कंपनी के मालिक लक्ष्मी मित्तल । जिन्होंने ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए अपने कुछ प्लांटों में प्रतिदिन 200 टन ऑक्सीजन का उत्पादन कर आर्थिक सहायता के रूप में उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। इनके अलावा मजदूरों को सम्मान और रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्थापित टाटा ग्रुप ने भी मदद के लिए आगे आयी। रिलायंस कंपनी के मालिक मुकेश अंबानी , विप्रो के मालिक अजीज प्रेमजी । जिन्होंने कोरोना के संकट से निपटने के लिए हर संभव मदद देने के लिए कोशिश कर रहे हैं। यह तो रही देश के करोड़पति लोगों की बात। लेकिन कुछ व्यक्तिगत स्तर पर भी हैं। जिनका अहोदा भले छोटा है लेकिन उन्होंने अपने कार्यों से दिल जीत लिया है। शाहनवाज खान, सोनू सूद, मायापुरी के अभिषेक, डॉ प्रज्ञा , कबीर । आज हम सभी देश के दान वीरों की व्याख्या करेंगे। राजनीति से परे हटकर जो देश की वास्तविक सेवा कर रहे हैं । यहां अमीर और गरीब को ना देखते हुए उनके केवल दानवीरता का वर्णन करेंगे।
दोस्तों हमारा भारत यूं ही महान नहीं कहलाता है । जब जब देश पर संकट आता है । तब हिंदू हो या मुस्लिम एक साथ मिलकर संघर्ष करते हैं । केवल कुछ लोगों की निराशाजनक बातों से निराश होना दुनिया नहीं है। यकीन मानो मानवता अभी भी जिंदा है । दिल वही है, जज्बात वही है । लोगों का बस जीने का अंदाज बदल गया है। कोरोना कि दौर में नकारात्मक और सकारात्मक दोनों सोच अपना वजूद बनाए हुए हैं। सकारात्मक सोच के व्यक्ति पूरे दिल से देशवासियों की मदद कर रहे हैं। और नकारात्मक सोच के राजनीति कर रहे हैं। पक्ष हो या विपक्ष या हो उनके समर्थक सभी के सभी एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं। इनसे अलग हटकर महान लोग तो वह है जो रणभूमि में संघर्ष कर रहे हैं । जी हां दोस्तों जैसा कि आप सब को पता है कि अप्रैल महीने की शुरुआत से ही कोरोना की दूसरी लहर चालू हो चुकी है । और इस बार कोरोना की लहर भयानक है । देश के अस्पताल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं। अधिकांश हॉस्पिटल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं। अस्पतालों के पास ऑक्सीजन खत्म होने की बात सामने आई है । ऐसे में हमारे देश के बहुत सारे करोड़पति मदद के लिए आगे आए हैं। देश के लोगों की सारी आलोचनाओं को नजरअंदाज करते हुए कि कॉर्पोरेट कंपनियां केवल लाभ कमाने के लिए होती है। इस धारणा को गलत साबित करते हुए ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए सभी कंपनियों ने अपने दरवाजे खोल दिए हैं। और उनके लिए कबीर जी का यह दोहा उनके सामर्थ को प्रदर्शित करता है।
कोरोना वारियर्स
लक्ष्मी मित्तल
भारतीय मूल के लक्ष्मी मित्तल "आर्सेलर मित्तल कंपनी" के मालिक हैं । आर्सेलर मित्तल विश्व में स्टील उत्पादन की सबसे बड़ी कंपनी है । इसकी स्थापना 2006 में आर्सेलर कंपनी और मित्तल इस्पात के विलियन से हुआ है। इसका मुख्यालय लक्जमबर्ग में है । आर्सेलर मित्तल कंपनी मुख्य रूप से मोटर वाहन निर्मााण, घरेलू उपकरणों और पैकेजिंग में उपयोग के लिए इस्पात आदि का उत्पादन करती है। वर्तमान समय में लक्ष्मी मित्तल के द्वारा भारत में कोरोनावायरस की दूसरी लहर को देखते हुए ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए अपने कुछ प्लांटों में प्रतिदिन 200 टन ऑक्सीजन का उत्पादन कर आर्थिक सहायता के रूप में उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है।
मुकेश अंबानी ( Owner of Reliance company)
वर्तमान समय में रिलायंस कंपनी के मालिक मुकेश अंबानी ने प्रधानमंत्री मोदी की बात को ध्यान में रखते हुए ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए प्रतिदिन 700 टन ऑक्सीजन मुफ्त में उपलब्ध कराने की बात कही है। जिससे लगभग 70,000 मरीजों को महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के लोगों को मदद मिलेगी जरूरत पड़ने पर यह भी कहा जा रहा है कि रिलायंस के द्वारा 1000 टन का भी उत्पादन किया जा सकता है। इससे पहले यह कंपनी मात्र 100 टन की पूर्ति मेडिकल के लिए उपलब्ध कराती थी । मुख्य रूप से इसका उत्पादन जामनगर की रिफाइनरी फैक्ट्री में उत्पादन किया जाता है। बता दें कि रिलायंस कंपनी भारत की सबसे अधिक लाभदायक और राजस्व कमाने वाली कंपनी है इसकी स्थापना 1966 में धीरूभाई अंबानी ने की थी । इसका मुख्यालय मुंबई में है मुख्य रूप से रिलायंस कंपनी में ऊर्जा , पेट्रोकेमिकल, कपड़ा , प्राकृतिक संसाधन, खुदरा और दूरसंचार के क्षेत्रों में कारोबार करती है।
टाटा ग्रुप (TATA Group)
कोरोना की दूसरी लहर में टाटा ग्रुप ने ऑक्सीजन की बढ़ती समस्या को देखते हुए प्रतिदिन 300 टन ऑक्सीजन उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है । जो अस्पतालों को मुफ्त में उपलब्ध कराएगी। साथ ही परिवहन के लिए विशेष प्रकार के 24 क्रोजेनिक कंटेनर को प्रयोग में लाएगी। इससे पहले भी कोविड-19 की पहली लहर में 1500 करोड़ रुपए देकर भारत सरकार की आर्थिक मदद की थी । बता दें कि वर्तमान समय में टाटा ग्रुप के चेयरमैन नटराजन चंद्रशेखरन है। टाटा समूह एक निजी व्यावसायिक समूह जिसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है। इसकी स्थापना 1868 में जमशेदजी टाटा द्वारा की गई थी। इनका मुख्य कार्य अभियांत्रिकी, सूचना प्रौद्योगिकी , संचार वाहन, रासायनिक उद्योग , उर्जा, सॉफ्टवेयर , होटल, इस्पात एवं उपभोक्ता सामग्री उपलब्ध कराना है । यह भी कहा जा सकता है कि टाटा की सुई से लेकर बड़ी से बड़ी मशीन उत्पादन करने में सक्षम है।
अजीज प्रेम (chairman of wipro)
अजीज प्रेमजी विप्रो के अध्यक्ष है । विप्रो कंपनी भारत में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सेवा प्रदान करती है। विप्रो कंपनी की स्थापना 1945 में अजीज प्रेम जी के द्वारा की गई थी इसका मुख्यालय बेंगलुरु में स्थित है। विप्रो द्वारा भारत का पहला कोविड-19 हॉस्पिटल बनाया गया था जो वर्तमान समय में वायरस की दूसरी लहर में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
MI - इंडिया
वर्तमान समय में एमआई इंडिया ने भारत को कोरोनावायरस की दूसरी लहर से लड़ने के लिए तीन करोड़ रुपए की आर्थिक मदद की है। जिससे अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति में मदद मिलेगी।
जिंदल स्टील कंपनी ( Jindal Steel company )
जिंदल स्टील कंपनी जो कि पहले से ही ऑक्सीजन का उत्पादन कर रही है उसने भी अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने का आश्वासन दिया है और सरकार को आर्थिक सहायता देने की प्रक्रिया कर रही है।
वेदांता ग्रुप (vedanta group )
वेदांता ग्रुप की तमिलनाडु में एक फैक्ट्री वर्षो से बंद पड़ी। उसने उस फैक्ट्री को चलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अपील की और कहा है कि यदि सरकार हमें यह फैक्ट्री चालू करने का आदेश देती है तो इस कंपनी में ऑक्सीजन का उत्पादन करके अस्पतालों में मुफ्त ऑक्सीजन उपलब्ध कराएंगे हालांकि अभी सुप्रीम कोर्ट के द्वारा यह निर्णय लेना बाकी है।
यूं तो यह सभी करोड़पति व्यवसाय जिनका कर्तव्य बनता है कि देश के संकट काल की स्थिति में आर्थिक रूप से मदद करें और भली-भति कॉर्पोरेट क्षेत्र की अधिकांश कंपनियां के मालिकों ने किसी ना किसी रूप में आर्थिक सहायता प्रदान की है । इन्हीं से हटकर कुछ अन्य लोग हैं जिन्होंने एक व्यक्तिगत स्तर पर सराहनीय कदम उठाया है । जिनका जिक्र करना जरूरी है वरना लोग कहेंगे पृथ्वी में मानवता कहीं नहीं बची। ऐसे ही एक शख्स डॉ प्रज्ञा।
डॉ. प्रज्ञा
वर्तमान समय में डॉ प्रज्ञा महाराष्ट्र के नागपुर जिले के एक अस्पताल में आरएमओ के पद पर कार्यरत हैं। इसके अलावा शाम की पाली में एक दूसरे अस्पताल में भी काम करती है। प्रतिदिन लगभग कोविड-19 के बाद प्रतिदिन 12 घंटे तक पीपीई किट पहन कर काम करती है। दरअसल प्रज्ञा मध्य प्रदेश की रहने वाली है। कोविड-19 की पहली लहर का असर कम होने के बाद प्रज्ञा अपनी छुट्टियां व्यतीत करने अपने घर आई थी। लेकिन कुछ दिनों बाद ही कोरोनावायरस के मामले में तेजी से वृद्धि होने लगी अर्थात कोरोनावायरस की दूसरी लहर प्रारंभ हो गई। देखते ही देखते रोजाना लाखों में मरीजों की संख्या में वृद्धि होने लगी ऐसे में प्रज्ञा को छुट्टियों के बीच में ही कैंसिल कर के अस्पताल में रिपोर्ट करने का ऑर्डर मिला । लेकिन एक समस्या यह थी कि लॉकडाउन के चलते नागपुर जाने के साधन सभी बंद हो गए थे। हालात की गंभीरता को समझते हुए डॉ प्रज्ञा ने ज्यादा समय बर्बाद नहीं किया और अपनी स्कूटी से खुद ही सफर तय करने का निर्णय लिया बालाघाट से नागपुर का सफर लगभग 180 किलोमीटर है। लकिन अपनी इच्छा शक्ति के आगे और देश की सेवा के लिए निकल पड़ी ऑल लगभग 7 घंटे का सफर तय करने के बाद मैं अपने काम पर पहुंची और अस्पताल में रिपोर्टिंग की। (Lalaantop news )
शाहनवाज खान
शाहनबाज वह शख्स हैं जिन्होंने कोरोनावायरस की दूसरी लहर का सामना करने के लिए मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए अपनी 22 लाख की कार बेच दी। शाहनवाज खान मुंबई के मलाड इलाके में रहते हैं। । भास्कर न्यूज़ के अनुसार अभी तक शाहनवाज के द्वारा लगभग 4000 मरीजों की मदद की जा चुकी है।
अमन- कबीर
यह खबर तो आप सभी ने सुनी होगी कि एक व्यक्ति ने अपनी बाइक को एंबुलेंस बना लिया। जी हां वह शक्स से वाराणसी के अमन कबीर जिन्होंने गंभीर और सड़क हादसों के दौरान घायल मरीजों की सहायता के लिए अपनी बाइक को ही एंबुलेंस बना लिया। इन दिनों वह अपना कार्य भली-भांति कर रहे हैं और प्रतिदिन सैकड़ों मरीजों को अस्पताल पहुंचा रहे हैं।
सोनू सूद
सोनू सूद जो कोरोनावायरस की प्रथम लहर के सबसे अधिक सहायता पहुंचाने वाले व्यक्ति थे या कहो हीरो थे। इनको तो सभी जानते हो । वे बॉलीवुड और दक्षिण भारतीय फिल्मों के प्रसिद्ध एक्टर है। जिन्होंने गरीब मजदूरों को घर पहुंचाने का कार्य किया था इनका कार्य सराहनीय है। हाल ही में सोनू सूद अभिनेता सोनू सूद (Sonu Sood) को पंजाब ने कोरोना टीकाकरण अभियान का ब्रांड एंबेसडर (Brand Ambassador) बनाया है। सोनू सूद का जन्म 30 जुलाई 1973 को मोगा पंजाब में हुआ था।
विनायक अभिषेक
विनायक दिल्ली में मायापुरी के इलाके में रहते हैं जो एक कमर्शियल विनायक ऑक्सीजन प्लांट चलाते हैं लेकिन वर्तमान समय में वह अस्पतालों के लिए ऑक्सीजन की पूर्ति कर रहे हैं इसके अतिरिक्त यदि उनके पास कोई भी किसी भी समय खाली सिलेंडर लेकर ऑक्सीजन चाहता है तो वह उनसे प्राप्त कर सकता है।
बड़ोदरा में स्थित मंदिर और मस्जिद
इसके अतिरिक्त लल्लन टॉप न्यूज़ के द्वारा यह बताया जा रहा है। गुजरात के वडोदरा शहर में श्री स्वामीनारायण मंदिर जो कि कुंडल धाम में करेली बाग में स्थित है। वहां कोरोना मरीजों की देखभाल का उपचार के लिए 50 बैंडों बाला सेंटर चलाया जा रहा है तो वहीं पास नहीं मस्जिद में भी कुछ ऐसी व्यवस्था करने का निर्णय लिया गया है।
ऐसे ही अनेक लोग देश के कोने कोने में रहते हैं जो देश की मदद कर रहे हैं। अतः अंतिम शब्दों में मैं यही कहना चाहूंगा कि दोस्तों हमें अंतिम समय तक उम्मीद रखनी चाहिए। बहुत सारे लोग करोड़पतियों की आलोचना करते हैं। और सरकार पर आरोप लगाते हैं। वह कुछ नहीं करते हैं। उनकी आधी जिंदगी तो दूसरों की आलोचना करने में निकल जाती है। अतः जो साथ नहीं दे सकते उनका चुप रहना ज्यादा बेहतर है क्योंकि इस मुकाम तक पहुंचने के पीछे वजह जानने की कोशिश कोई नहीं करता है। आरोप लगाने वाला शायद ही कोई उनकी मेहनत की बात करता है । दुनिया में जो भी करोड़पति बनते हैं यूंही नहीं बनते हैं । कई वर्षों का परिश्रम और कठोर तपस्या का फल होता है। फर्क इस बात से नहीं पड़ता है कि वह करोड़पति है क्योंकि किसी को शौक होता है करोड़पति बनने का । वह मेहनत करता है । फर्क तब पड़ता है जब इतना पैसा होने के बाद भी कभी मदद नहीं करता। पैसा कितना भी कमा लीजिए। यदि देश संकट में है तो सारी अमीरी गरीबी की दूरी मिटा कर देश की मदद कीजिए।
( दोस्तों कविता हो या कोई भी लेख प्रत्येक लेख में एक महत्वपूर्ण जानकारी छुपी होती है जैसे विप्रो कंपनी के मालिक अजीम प्रेम जी हैं इसी तरह की अन्य जानकारी भी आपको प्रस्तुत लेख में मिल जाएगी अतः लेख को ध्यान पूर्वक ही पढ़े)
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नसीब शायद पर चलती है दुनिया जिसे उम्मीद कहते हैं , जो चाह रहे हो वो मिल जाए उसे नसीब कहते हैं ।
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