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लिंग, वचन और कारक (हिन्दी भाग - 04)

लिंग वचन और कारक (हिन्दी नोट्स भाग - 04) देवभूमि उत्तराखंड द्वारा आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखकर हिन्दी के महत्वपूर्ण नोट्स तैयार किए गए हैं। साथ ही टॉपिक से सम्बन्धित टेस्ट सीरीज उपलब्ध है। सभी नोट्स पीडीएफ में प्राप्त करने के लिए संपर्क करें। 9568166280 संज्ञा के विकार संज्ञा शब्द विकारी होते हैं यह विकार तीन कारणों से होता है  लिंग  वचन कारक लिंग  लिंग का अर्थ है - 'चिन्ह'। संज्ञा के जिस रूप से किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में यह बोध हो कि वह पुरुष जाति का है या स्त्री जाति का, उसे लिंग कहते हैं। जैसे - पिता, पुत्र, घोड़ा, बैल, अध्यापक आदि में पुरुष जाति का बोध है। और माता, पुत्री, घोड़ी, गाय आदि में स्त्री जाति का बोध है। संस्कृत के नपुंसक लिंग का समाहार पुलिंग में हो जाने से हिंदी में दो ही लिंग हैं।  पुल्लिंग  स्त्रीलिंग  पुल्लिंग : वह संज्ञा या सर्वनाम जो नर (पुरुष) का बोध कराता है, उसे पुल्लिंग कहा जाता है। जैसे - लड़का, आदमी, घोड़ा, राजा, आदि। नियम   देशों, प्रदेशों, नगरों, वृक्षों, पर्वतों, धातुओं, द्रव पदार्थों के नाम पुलिंग होते हैं। जैसे - भारत, जापान

उत्तराखडं राज्य के प्रतीक (राज्य पुष्प, राज्य पशु, राज्य पक्षी)

उत्तराखडं राज्य के प्रतीक 

9 नवम्बर 2000 को उत्तर प्रदेश (UP) के 13 पहाड़ी जिलों को काटकर भारतीय गणतन्त्र के 27वेंराज्य के रूप उत्तराखंड का गठन किया गया। उत्तराखंड को हिमालयी राज्यों के गठन के क्रम में 11वें राज्य के रूप में शामिल किया गया 

उत्तराखडं का राज्य पुष्प – ब्रह्मकमल 

उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद सन् 2000 में सरकार द्वारा ब्रह्मकमल को उत्तराखंड का राज्य पुष्प घोषित किया गया, जिसे "हिमालयी पुष्पों का सम्राट" कहा जाता है। 

  • उत्तराखडं का राज्य पुष्प ब्रह्मकमल "मध्य हिमालयी क्षेत्र" में 4800 से 6000 मीटर की ऊँचाई पर पाया जाता है, जिसकी औसत ऊँचाई 70 से 80 सेमी. के मध्य तक होती है। 
  • यह ऐसटेरसी कुल का पौधा है, ब्रह्मकमल का वैज्ञानिक नाम सोसूरिया अबवेलेटा है जिसकी उत्तराखंड में 24 और सपंर्णू विश्व में 210 प्रजातियाँ पाई जाती है। 
  • ब्रह्मकमल को स्थानीय भाषा में "कौल पद्म" के नाम से जाना जाता है, तथा महाभारत के वन पर्व में इसे सौगंधिक पुष्प कहा गया है। 
  • हिमाचल प्रदेश में ब्रह्मकमल को दूधफला कहा जाता है तथा कश्मीर में गलगल कहा जाता है। और पड़ोसी देश नेपाल में ब्रह्मकमल को टोपगोला कहते जाता हैं।
  • यह पुष्प उत्तराखडं के केदारनाथ, फूलों की घाटी, पिडांरी ग्लेशियर आदि क्षेत्रों में बहुतायत मात्रा में पाया जाता है, जिसे केदारनाथ स्थित भगवान शिव और महानंदा (पार्वती) को अर्पित किया जाता है। उत्तराखंड में ब्रह्मकमल नंदा अष्टमी को तोड़े जाने का महत्व है। यह मुख्यतः जुलाई से सितम्बर के मध्य तक खिलता है। 
  • सोसूरिया गार्मिफोलिया (फेनकमल), सोसूरिया अबवेलेटा (ब्रह्मकमल), सोसूरिया लम्पा, सोसूरिया सिमेसोनिया तथा सोसूरिया ग्रासोफिफेरा (कस्तुराकमल) उत्तराखंड में पाई जानेवाली प्रमुख प्रजातियाँ है। इनमें से सोसूरिया गार्मिफोलिया, (फेनकमल), सोसरिुरिया अबवेलेटा (ब्रह्मकमल), तथा सोसूरिया ग्रासोफिफेरा (कस्तुराकमल) के पुष्प बैंगनी रंग के होते है। 

उत्तराखंड का राज्य पक्षी – मोनाल 

उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद सन् 2000 में सरकार द्वारा मोनाल को उत्तराखंड का राज्य पक्षी घोषित किया गया, जिसे "हिमालय के मयूर" के नाम से भी जाना जाता है। 

  • यह पक्षी हिमालयी क्षेत्र में 2500 से 5000 मीटर की ऊँचाई पर पाया जाता है। 
  • इसका वैज्ञानिक क नाम 'लोफोफोस इंपीजेंस' है तथा स्थानीय भाषा में इस पक्षी को मन्याल या मुनाल के नाम से जाना जाता है। 
  • मोनाल पक्षी अपना घोंसला नहीं बनाती जबकि अपने अंडे किसी पेड़ या चट्टान के छिद्र में देती है। 
  • आलू मोनाल पक्षी का प्रिय भोजन है। 
  • यह पक्षी नीले, काले, हरे आदि रंगों के मिश्रण का होता है । इस पक्षी की पूंछ हरे रंग की तथा डफिया (नर पक्षी) के सिर पर रंगीन कलगी होती है।
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत मोनाल को संरक्षित किया गया। राज्य के वन जीव संरक्षण बोर्ड ने पहली बार 2008 में मोनाल की गणना की । जिसके अनुसार कुल मोनालों की संख्या 919 बताई गई।

NOTE - मोनाल तथा डफिया एक ही प्रजाति के पक्षी है, किंतु मोनाल मादा पक्षी है जबकि डफिया नर पक्षी है। मोनाल उत्तराखडं के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश का राज्य पक्षी तथा नेपाल का राष्ट्रीय पक्षी है। 

उत्तराखंड का राज्य पशु – कस्तूरी मृग 

उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद सन् 2001 में सरकार द्वारा मोनाल को उत्तराखंड का राज्य पशु घोषित किया गया, यह हिमालय क्षेत्र में 3600 से 4400 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम मास्कस काइसोगास्टर है तथा इसे "हिमालयन मास्क डियर" के नाम से जाना जाता है।

कस्तूरी मृग की ऊंचाई 20 इंच तथा इसका वजन 10 से 20 की किग्रा होता है। कस्तूरी मृग की सूंघने की क्षमता व सुनने की क्षमता अधिक होती है। इसका रंग भूरा तथा औसत आयु 20 वर्ष होती है कस्तूरी मृग में आत्मरक्षा के लिए दो बड़े बड़े दांत होते हैं जो बाहर की ओर निकले होते हैं।

कस्तूरी केवल नर मृग में पाया जाता है। इसका निर्माण 1 वर्ष से अधिक आयु के नर मृग के जननांग के समीप स्थित ग्रंथि से स्रावित द्रव के नाभि के पास गांठनुमा थैली में एकत्र होने से होता है। एक बार में एक नर मृग से 30 से 45 ग्राम तक कस्तूरी प्राप्त की जा सकती है।

कस्तूरी मृग से प्रत्येक 3 वर्ष के अंतराल में कस्तूरी प्राप्त की जा सकती है। जिसका उपयोग सुगंधित सामग्रियों के निर्माण में तथा हृदय रोग, टाइफाइड, दमा आदि रोगों की औषधियों के निर्माण में किया जाता है।

  • कस्तूरी मृग के संरक्षण के लिए वर्ष 1972 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा केदारनाथ वन्यजीव विभाग (चमोली) के अंतर्गत 967.2 वर्ग किलोमीटर में कस्तूरी मृग विहार की स्थापना की गई। 
  • वर्ष 1977 में उत्तराखंड में महरूड़ी कस्तूरी मृग अनुसंधान केंद्र (बागेश्वर व पिथौरागढ़) की स्थापना की गई।
  •  वर्ष 1986 में अस्कोट अभ्यारण की स्थापना पिथौरागढ़ में की गई।
  • वर्ष 1982 में चमोली जिले की कांचुला खर्क में एक कस्तूरी मृग प्रजनन एवं संरक्षण केंद्र की स्थापना की गई

उत्तराखंड का राज्य वृक्ष : बुरांश

उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद सन् 2001 में सरकार द्वारा बुरांश‌ को उत्तराखंड का राज्य वृक्ष घोषित किया गया, उत्तराखंड के राज्य वृक्ष बुरांश का वानस्पतिक नाम रोड़ोडेन्ड्रोन अरबोरियम है। जिसकी ऊंचाई लगभग 20 से 25 फिट होती है।

  • भारत में बुरांश की 87 प्रजाति पाई जाती हैं। भारत में सर्वप्रथम बुरांश के रोड़ोडेन्ड्रोन अरबोरियम प्रजाति की खोज श्रीनगर जम्मू में हुई थी। बुरांश एरिकेसई कुल का वृक्ष है। 
  • बुरांश को हिमाचल प्रदेश में "बुरांशो, मेघालय में तिन-शां और कन्नड़ में "बिल्ली" कहा जाता है। इसके अलावा यह बुरुंशी, आर्डवाल, बुरांशी के नाम से भी जाना जाता है।
  • बुरांश उत्तराखंड के अलावा हिमाचल प्रदेश और नागालैंड का राज्य पुष्प है।
  • बुरांश के फूलों का रंग चटक लाल होता है । यह लगभग 1500 से 4000 मीटर की ऊंचाई के मध्य पाया जाता है और ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ बुरांश के फूलों का रंग गहरा लाल हल्का लाल मिलता है तथा 11000 फुट (3300 मीटर) से अधिक की ऊंचाई पर बुरांश के फूलों का रंग सफेद होता है। 
  • बुरांश के फूलों का खेलने का समय मुख्यतः फरवरी से अप्रैल (बसंत ऋतु) के बीच होता है। बुरांश के फूलों से जूस बनाया जाता है। इसके फूल में मिथेनॉल की प्रचुरता होती है जिस कारण हृदय रोग अर्थात डायबिटीज जैसी बीमारियों पर के लिए फायदेमंद होता है।

बुरांश वृक्ष को वन अधिनियम 1974 के तहत संरक्षित वृक्ष घोषित किया गया है।

उत्तराखंड की राज्य तितली : कॉमन पीकॉक

उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद 15 वर्षों के बाद 7 नवंबर 2016 में सरकार द्वारा कॉमन पीकॉक को उत्तराखंड की राज्य तितली घोषित किया गया। 

  • कॉमन पीकॉक हिमालय क्षेत्रों में 2100 मीटर (7000 फीट) की ऊंचाई पर मिलती हैं।
  • कॉमन पीकॉक का वैज्ञानिक नाम पैपिलियों बायनर है। 1996 में इसे भारत की सबसे सुंदर तितली का खिताब मिला और लिम्का बुक में नाम दर्ज किया गया।
  • यह तितली टिमरू के पेड़ पर अंडे देती है और उसी की पत्तियों को खाती हैं। 
  • 2016 में देहरादून के लच्छीवाला में बटरफ्लाई पार्क खोला गया। 
  • कॉमन पीकॉक का जीवनकाल 30 से 35 दिन का होता है ।
विशेष नोट्स :- भारत की सबसे बड़ी तितली ट्रोईडेस डीडीहाट (उत्तरकाशी) में मिली । जिसे गोल्डन बर्ड बिंग भी कहा जाता है

उत्तराखंड का राज्य वाद्य यंत्र - ढोलक 

ढोल एक प्राचीन वाद्य यंत्र है जिसको लकड़ी, तांबे, पीतल व चांदी धातु पर बकरी की खाल लगाकर बनाया जाता है। भंडारी कमेटी की सिफारिश पर तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने वर्ष 2015 में ढोल को उत्तराखंड का राज्य वाद्य यंत्र घोषित किया।

  • ढोल से 22 तरह के ताल बजाए जाते हैं। जिसमें नौबात, रहमानी, बढैं आदि ताल प्रमुख हैं।
  • उत्तराखंड में मांगलिक कार्यक्रम शुरू करने से पहले बढैं ताल बजाया जाता है।
  • उत्तराखंड राज्य में एकमात्र ढोल सागर के ज्ञाता उत्तम दास है।

महत्वपूर्ण तथ्य :-

  • उत्तराखंड का राज्य चिन्ह समचतुर्भुज के आकार का है जिसका प्रयोग शासकीय कार्यों के लिए किया जाता है। इसमें तीन पर्वत चोटी व अशोक की लाट अंकित है। लाट के नीचे संस्कृत भाषा में "सत्यमेव जयते" लिखा गया है। (सत्यमेव जयते - मुण्डकोपनिषद)
  • राज्य चिन्ह के बीच वाले भाग में श्वेत पृष्ठ पर चार जलधाराएं को नीले रंग में दिखाया जाए गया है। जो उत्तराखंड की 4 नदियों गंगा, यमुना, रामगंगा एवं काली नदी को दर्शाती हैं। 
  • राज्य चिन्ह के सबसे नीचे नीले रंग में "उत्तराखंड" नाम अंकित है।
  • उत्तराखंड का राज्य खेल फुटबॉल है जिसे 2011 में राज्य खेल घोषित किया गया था।
  • उत्तराखंड राज्य भाषा हिंदी है तथा द्वितीय राजभाषा संस्कृत है। 
  • उत्तराखंड सरकार ने 2010 में संस्कृत को राज्य की दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया।
  • उत्तराखंड का राज्य गीत "उत्तराखंड देवभूमि मातृभूमि शत-शत वंदन अभिनंदन है" जिसके रचनाकार हेमंत बिष्ट है। 
  • उत्तराखंड राज्य गीत गाने की अवधि 9 मिनट है। जिसे श्री नरेंद्र सिंह नेगी और अनुराधा निराला द्वारा संगीत दिया गया है।

उत्तराखंड के राज्य प्रतीकों से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न 

(1) ब्रह्मकमल को उत्तराखंड का राज्य पुष्प कब घोषित किया गया ?
(a) सन् 1995
(b) सन् 2000
(c) सन् 2001
(d) सन् 2005

Answer - (b)

(2) ब्रह्मकमल उत्तराखंड में मुख्यतः किस क्षेत्र में पाए जाते हैं ? 
(a) मैदानी क्षेत्र में
(b) शिवालिक श्रेणी में
(c) मध्य हिमालय क्षेत्र में
(d) वृहत हिमालय क्षेत्र में

Answer - (c)

(3) महाभारत के वन पर्व में ब्रह्मकमल को क्या कहा गया है ?
(a) फेनकमल
(b) ब्रह्मकमल
(c) कौल पद्म 
(d) सौगंधिक पुष्प 

Answer - (d)

(4) उत्तराखंड राज्य में ब्रह्मकमल की कितनी प्रजातियां पाई जाती है
(a) 2
(b) 12
(c) 24
(d) 210

Answer - (c)

(5) उत्तराखंड में ब्रह्मकमल कहां नहीं पाए जाते हैं
(a) केदारनाथ
(b) फूलों की घाटी
(c) पिंडारी ग्लेशियर 
(d) रानीखेत 

Answer - (d)

(6) ब्रह्मकमल मुकेश किस देवी/देवता के प्रिय पुष्प हैं
(a) भगवान विष्णु और लक्ष्मी 
(b) भगवान सूर्यदेव 
(c) शिव पार्वती 
(d) भगवान राम 

Answer - (c)

(7) ब्रह्मकमल के खिलने का समय है?
(a) जुलाई से सितम्बर 
(b) जनवरी से मार्च 
(c) मार्च से मई 
(d) नवंबर से फरवरी 

Answer - (a)

(8) निम्नलिखित में से कौन सी उत्तराखंड में ब्रह्मकमल की कौन सी प्रजाति पाई जाती है?
(a) सोसूरिया गार्मिफोलिया 
(b) सोसूरिया अबवेलेटा
(c) सोसूरिया लम्पा
(d) उपर्युक्त सभी 

Answer - (d)

(9) उत्तराखंड के राज्य पक्षी का प्रिय भोजन है ?
(a) पपीता
(b) मटर
(c) आलू
(d) आम

Answer - (c)

(10) उत्तराखंड वन जीव संरक्षण बोर्ड द्वारा उत्तराखंड के राज्य पक्षी मोनाल की प्रथम गणना कब की गई थी ?
(a) 2001
(b) 2004
(c) 2008
(d) 1012

Answer - (c)

(11) उत्तराखंड के अलावा मोनाल अन्य किस राज्य का राज्य पक्षी है ?
(a) उत्तर प्रदेश 
(b) जम्मू कश्मीर 
(c) असम
(d) हिमाचल प्रदेश 

Answer - (d)

(12) कस्तूरी मृग को उत्तराखंड का राज्य पशु कब घोषित किया गया ?
(a) 2000
(b) 2001
(c) 2005
(d) 2006

Answer - (b)

(13) सुगंधित पदार्थ "कस्तूरी" किससे प्राप्त होता है ?
(a) चीड़ के पेड़ से 
(b) चन्दन के पेड़ से 
(c) देवदार के पेड़ से 
(d) इनमें से कोई नहीं 

Answer - (d)

(14) कस्तूरी मृग हिमालय क्षेत्र में औसतन पाए जाते हैं -
(a) 1500 से 2300 मीटर
(b) 2500 से 3500 मीटर
(c) 3600 से 4400 मीटर
(d) 4200 से 5200 मीटर

Answer - (c)

(15) एक बार में नर कस्तूरी मृग से कितना कस्तूरी प्राप्त किया जा सकता है ?
(a) 15 ग्राम 
(b) 25 ग्राम 
(c) 30 से 45 ग्राम 
(d) 60 से 70 ग्राम 

Answer - (c)

(16) कस्तूरी मृग संरक्षण के लिए किस वर्ष उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा केदारनाथ वन्य जीव विभाग  द्वारा चमोली में कस्तूरी मृग विहार की स्थापना की गई ?
(a) 1936
(b) 1956
(c) 1972
(d) 1977

Answer - (c)

(17) निम्नलिखित में से सही सुमेलित नहीं है -
(a) कस्तूरी मृग विहार - 1972
(b) महरूड़ी कस्तूरी मृग अनुसंधान केंद्र - 1977
(c) कस्तूरी मृग प्रजनन एवं संरक्षण केंद्र (चमोली) - 1982
(d) अस्कोट अभ्यारण -  1988

Answer - (d)

(18) भारत में सर्वप्रथम बुरांश के रोड़ोडेन्ड्रोन अरबोरियम की प्रजाति की खोज कहां हुई ?
(a) उत्तराखंड 
(b) जम्मू कश्मीर 
(c) हिमाचल प्रदेश 
(d) सिक्किम 

Answer - (b)

(19) निम्नलिखित में से बुरांश किस राज्य का राज्य वृक्ष नहीं है ?
(a) हिमाचल प्रदेश 
(b) नागालैंड
(c) उत्तराखंड 
(d) सिक्किम

Answer - (d)

(20) बुरांश के फूल खिलने का समय है - 
(a) बसंत ऋतु 
(b) वर्षों ऋतु 
(c) शीत ऋतु 
(d) हेमंत ऋतु 

Answer - (a)

(21) कॉमन पीकॉक को कब सरकार द्वारा उत्तराखंड की राज्य तितली का दर्जा दिया गया?
(a) 7 नवंबर 2016
(b) 5 जनवरी 201
(c) 5 जनवरी 2017
(d) 7 नवंबर 2017

Answer - (a)

(22) उत्तराखंड के राज्य वाद्ययंत्र ढोलक से कितने प्रकार के ताल बजाए जाते हैं?
(a) 12
(b) 16
(c) 22
(d) 42

Answer - (c)

(23) भंडारी कमेटी की सिफारिश पर किस वर्ष ढोलक को राज्य वाद्य यंत्र घोषित किया गया?
(a) 2011
(b) 2015
(c) 2017
(d) 2019

Answer - (b)

(24) वर्ष 2010 में उत्तराखंड राज्य ने किस भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया गया?
(a) हिन्दी 
(b) संस्कृत
(c) गढ़वाली 
(d) कुमाऊंनी

Answer - (b)

(25) उत्तराखंड का राज्य गीत "उत्तराखंड देवभूमि मातृभूमि शत-शत वंदन अभिनंदन" के रचनाकार कौन हैं?
(a) नरेंद्र सिंह नेगी 
(b) हेमंत बिष्ट 
(c) मंगलेश डबराल 
(d) राजेश जोशी 

Answer - (b)

(21) 'सोसूरिया अबवेलेटा' किसका वैज्ञानिक नाम है?
(a) मोनाल
(b)  तितली
(c) कस्तूरी मृग 
(d)  ब्रह्मकमल

Answer - (b)

(21) कस्तूरी मृग का वैज्ञानिक नाम क्या है?
(a) लोफोफोस इंपीजेंस
(b) मास्कस काइसोगास्टर 
(c) सोसूरिया अबवेलेटा
(d) ट्रोईडेस

Answer - (b)

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उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी -14 उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियां वर्ष 1965 में केंद्र सरकार ने जनजातियों की पहचान के लिए लोकर समिति का गठन किया। लोकर समिति की सिफारिश पर 1967 में उत्तराखंड की 5 जनजातियों थारू, जौनसारी, भोटिया, बोक्सा, और राजी को एसटी (ST) का दर्जा मिला । राज्य की मात्र 2 जनजातियों को आदिम जनजाति का दर्जा प्राप्त है । सर्वप्रथम राज्य की राजी जनजाति को आदिम जनजाति का दर्जा मिला। बोक्सा जनजाति को 1981 में आदिम जनजाति का दर्जा प्राप्त हुआ था । राज्य में सर्वाधिक आबादी थारू जनजाति तथा सबसे कम आबादी राज्यों की रहती है। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की कुल एसटी आबादी 2,91,903 है। जुलाई 2001 से राज्य सेवाओं में अनुसूचित जन जातियों को 4% आरक्षण प्राप्त है। उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित प्रश्न विशेष सूचना :- लेख में दिए गए अधिकांश प्रश्न समूह-ग की पुरानी परीक्षाओं में पूछे गए हैं। और कुछ प्रश्न वर्तमान परीक्षाओं को देखते हुए उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित 25+ प्रश्न तैयार किए गए हैं। जो आगामी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। बता दें की उत्तराखंड के 40 प्रश्नों में से 2

भारत की जनगणना 2011 से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न (भाग -01)

भारत की जनगणना 2011 मित्रों वर्तमान परीक्षाओं को पास करने के लिए रखने से बात नहीं बनेगी अब चाहे वह इतिहास भूगोल हो या हमारे भारत की जनगणना हो अगर हम रटते हैं तो बहुत सारे तथ्यों को रटना पड़ेगा जिनको याद रखना संभव नहीं है कोशिश कीजिए समझ लीजिए और एक दूसरे से रिलेट कीजिए। आज हम 2011 की जनगणना के सभी तथ्यों को समझाने की कोशिश करेंगे। यहां प्रत्येक बिन्दु का भौगोलिक कारण उल्लेख करना संभव नहीं है। इसलिए जब आप भारत की जनगणना के नोट्स तैयार करें तो भौगोलिक कारणों पर विचार अवश्य करें जैसे अगर किसी की जनसंख्या अधिक है तो क्यों है ?, अगर किसी की साक्षरता दर अधिक है तो क्यों है? अगर आप इस तरह करेंगे तो शत-प्रतिशत है कि आप लंबे समय तक इन चीजों को याद रख पाएंगे साथ ही उनसे संबंधित अन्य तथ्य को भी आपको याद रख सकेंगे ।  भारत की जनगणना (भाग -01) वर्ष 2011 में भारत की 15वीं जनगणना की गई थी। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत का कुल क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किलोमीटर था तथा भारत की कुल आबादी 121,08,54,922 (121 करोड़) थी। जिसमें पुरुषों की जनसंख्या 62.32 करोड़ एवं महिलाओं की 51.47 करोड़ थी। जनसंख्या की दृष्टि

गोरखा शासन : उत्तराखंड का इतिहास

    उत्तराखंड का इतिहास           गोरखा शासन (भाग -1) पृष्ठभूमि मल्ल महाजनपद का इतिहास (आधुनिक नेपाल) 600 ईसा पूर्व जब 16 महाजनपदों का उदय हुआ। उन्हीं में से एक महाजनपद था - मल्ल (आधुनिक नेपाल का क्षेत्र)। प्राचीन समय में नेपाल भारत का ही हिस्सा था। मल्ल महाजनपद का उल्लेख बौद्ध ग्रंथ के " अगुंत्तर निकाय " में किया गया है। और जैन ग्रंथ के भगवती सूत्र में इसका नाम " मौलि या मालि " नाम से जनपद का उल्लेख है। मल्ल महाजनपद की प्रथम राजधानी कुशीनगर थी । कुशीनगर में गौतम बुद्ध के निर्वाण (मृत्यु) प्राप्त करने के बाद उनकी अस्थि-अवशेषों का एक भाग मल्लो को मिला था । जिसके संस्मारणार्थ उन्होंने कुशीनगर में एक स्तूप या चैत्य का निर्माण किया था। मल्ल की वित्तीय राजधानी पावा थी । पावा में ही महावीर स्वामी को निर्वाण प्राप्त हुआ था ।                 322 ईसा पूर्व समस्त उत्तर भारत में मौर्य साम्राज्य ने अपना शासन स्थापित कर लिया था। मल्ल महाजनपद भी मौर्यों के अधीन आ गया था। गुप्त वंश के बाद उत्तर भारत की केंद्र शक्ति कमजोर हो गई । जिसके बाद  लगभग 5वीं सदीं में वैशाली से आए 'लिच्