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लिंग, वचन और कारक (हिन्दी भाग - 04)

लिंग वचन और कारक (हिन्दी नोट्स भाग - 04) देवभूमि उत्तराखंड द्वारा आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखकर हिन्दी के महत्वपूर्ण नोट्स तैयार किए गए हैं। साथ ही टॉपिक से सम्बन्धित टेस्ट सीरीज उपलब्ध है। सभी नोट्स पीडीएफ में प्राप्त करने के लिए संपर्क करें। 9568166280 संज्ञा के विकार संज्ञा शब्द विकारी होते हैं यह विकार तीन कारणों से होता है  लिंग  वचन कारक लिंग  लिंग का अर्थ है - 'चिन्ह'। संज्ञा के जिस रूप से किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में यह बोध हो कि वह पुरुष जाति का है या स्त्री जाति का, उसे लिंग कहते हैं। जैसे - पिता, पुत्र, घोड़ा, बैल, अध्यापक आदि में पुरुष जाति का बोध है। और माता, पुत्री, घोड़ी, गाय आदि में स्त्री जाति का बोध है। संस्कृत के नपुंसक लिंग का समाहार पुलिंग में हो जाने से हिंदी में दो ही लिंग हैं।  पुल्लिंग  स्त्रीलिंग  पुल्लिंग : वह संज्ञा या सर्वनाम जो नर (पुरुष) का बोध कराता है, उसे पुल्लिंग कहा जाता है। जैसे - लड़का, आदमी, घोड़ा, राजा, आदि। नियम   देशों, प्रदेशों, नगरों, वृक्षों, पर्वतों, धातुओं, द्रव पदार्थों के नाम पुलिंग होते हैं। जैसे - भारत, जापान

उत्तराखंड बजट 2023-24

उत्तराखंड का बजट 

बजट शब्द का प्रयोग हम आम तौर पर तब करते हैं जब घर में विशेष कार्यक्रम का आयोजन करते हैं कोई घूमने की योजना बनाते हैं या फिर किसी यात्रा पर जाते हैं इस दौरान हम आने वाले खर्चों का हिसाब लगाते हैं और जेब में रखे धन को सोचकर अनुमान लगाते हैं कि कहां कितना खर्चा होगा। ठीक उसी प्रकार सरकार भी आने वाले वर्ष के आय और व्यय का ब्यौरा तैयार करती है। जिसे बजट कहा जाता है। 

सरल शब्दों में कहें तो बजट एक प्रकार से धन से संबंधित योजना है जिसके तहत सरकार द्वारा यह अनुमान लगाया जाता है कि आने वाले एक वर्ष में विभिन्न स्रोतों से कुल कितनी कमाई होगी और कुल कितना खर्च होगा भारतीय संविधान में बजट शब्द के स्थान पर "वार्षिक वित्तीय विवरण" का उल्लेख मिलता है। केंद्र सरकार के लिए भारतीय संविधान में अनुच्छेद 112 में वार्षिक वित्तीय विवरण का उल्लेख किया गया है।  जबकि राज्यों के लिए वार्षिक वित्तीय विवरण की व्यवस्था अनुच्छेद 202 में की गई है। जिसको विधानमंडल में राज्यपाल की पूर्व सहमति के बाद ही प्रस्तुत किया जाता है। केंद्र और राज्य के लिए वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक का होता है।

बजट (वार्षिक वित्तीय विवरण) को तीन भागों में विभक्त किया जाता है।

  1. समेकित निधि - इस निधि के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा प्राप्त समस्त राजस्व, समस्त ऋण तथा ऋणों के प्रतिदान के रूप में राज्य सरकार द्वारा समस्त धनराशियां जमा होती हैं। इस विधि का प्रयोग संविधान में वर्णित विधियों के अनुसार निवेश किया जा सकता है।
  2. आकस्मिकता निधि - किसी वित्तीय वर्ष के दौरान कभी-कभी ऐसी स्थिति बन जाती है कि बजट में व्यय के लिए व्यवस्थित धनराशि का उल्लेख नहीं किया गया हो। या आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बजट की राशि का अपर्याप्त हो तो ऐसी स्थिति में राज्यपाल की अनुमति से आकस्मिकता निधि का प्रयोग किया जाता है। जिसका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 267 में किया गया है। राज्य के विधानमंडल द्वारा पारित अधिनियम द्वारा 500 करोड़ रुपए की आकस्मिकता निधि स्थापित की गई है।
  3. लोक खाता - ऐसी धनराशि या जिनका संबंध समेकित निधि से नहीं होता है जैसे - किसी ठेकेदार द्वारा प्रतिभूति के रूप में जमा की गई धनराशियां या किसी स्थानीय निकाय द्वारा सरकारी अभिकरण के माध्यम से किसी योजना का निष्पादन करने के लिए जमा की गई धनराशियां और प्रोविडेंट फंड आदि लोक खाता में जमा किए जाते हैं।

समेकित निधि के दो भाग हैं।

राजस्व लेखा 

राजस्व लेखा के अंतर्गत राजस्व आय और राजस्व व्यय को शामिल किया जाता है। 

  • राजस्व आय - इसमें मुख्यतः विभिन्न करों व शुल्कों, सेवाओं के लिए फीस, और जब्तियों से प्राप्त सरकार की आय आदि शामिल हैं। जैसे कर आय और गैर कर आय
  • राजस्व व्यय - इसमें सैलरी, पेंशन, ब्याज अदायगी, रक्षा व्यय, स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकार का व्यय आदि शामिल है। 

पूंजीगत लेखा

पूंजीगत लेखा के अंतर्गत पूंजीगत आय और पूंजीगत व्यय को शामिल किया जाता है। 

  • पूंजीगत आय - इसके अंतर्गत ऋणों की वसूली, अन्य प्राप्तियां और अन्य देयताऐं शामिल हैं ।
  • पूंजीगत व्यय - मोटे तौर पर पूंजीगत वह व्यय होता है जो भौतिक और स्थाई प्रकार की ठोस परिसंपत्तियों जैसे - भवन निर्माण, रोड निर्माण, रेल निर्माण अथवा लिए गए ऋण की अदायगी सरकार द्वारा निवेश किया जाता है। 

उत्तराखंड का बजट 2023-24

हाल ही में उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल ने ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा में सत्र के तीसरे दिन 15 मार्च 2023 को वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश किया। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए कुल ₹77407.08 करोड़ रुपए का बजट अनुमानित किया गया है। पिछले वर्ष की तुलना में यह बजट 18.5% अधिक है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 65571.49 करोड का बजट पेश किया गया था

उत्तराखंड राज्य ने इस बार राजस्व अधिशेष बजट पेश किया गया है जो उत्तराखंड बजट 2023-24 के अनुसार राजस्व अधिशेष सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 1.3% (4310 करोड़ रुपए) अनुमानित किया गया है। जबकि वित्त वर्ष 2022-23 के संशोधित आंकड़ों में सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 0.8% रहा ।

(वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए चालू मूल्य पर उत्तराखंड का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 3.02  लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है जिसमें 2022 देश की तुलना में 10% की वृद्धि है।)

राजस्व अधिशेष क्या है 

आय और व्यय के आधार पर बजट तीन प्रकार के होते हैं। राजस्व अधिशेष, संतुलित बजट और राजस्व घाटा। जब  राजस्व व्यय की तुलना में राजस्व प्राप्तियां अधिक हो तो उसे राजस्व अधिशेष कहा जाता है।
राजस्व अधिशेष = राजस्व प्राप्तियां - राजस्व व्यय

सकल राजकोषीय घाटा

राजकोषीय घाटा सरकार के कुल व्यय और उसके कुल  प्राप्तियां (उधार को छोड़कर) के बीच का अंतर होता है। 
सकल राजकोषीय घाटा = कुल व्यय - कुल प्राप्तियां 

उत्तराखंड बजट 2023-24 में राजकोषीय घाटे में सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 2.7% (9047 करोड़ रुपए) रहने का अनुमान है जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में 2.7% (संशोधित) रहा था।

प्राथमिक घाटा (प्रारंभिक घाटा)

सकल राजकोषीय घाटे की जो राशि आंकलित होती है उसमें से ब्याज अदायगी का कुल व्यय भार घटाने से जो राशि निकलती  है उसे प्राथमिक घाटा कहा जाता है।
प्राथमिक घाटा = सकल राजकोषीय घाटा - ब्याज भुगतान

बजटीय आय (कुल प्राप्तियां)

वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए कुल प्राप्तियां 57133 करोड़ रुपए (उधार को छोड़कर) होने का अनुमान है जिसमें 2022-23 के संशोधित अनुमान की तुलना में 9.7% (568 करोड़ रुपए) की वृद्धि है। 
बजटीय आय = राजस्व प्राप्तियां + पूंजीगत प्राप्तियां 

राजस्व प्राप्तियां - उत्तराखंड के बजट में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए कुल राजस्व प्राप्तियां 57057 करोड रुपए होने का अनुमान है जो 2022-23 के संशोधित अनुमान से 10% अधिक है। 

कुल प्राप्तियों में से 43% राज्य द्वारा अपने संसाधनों के माध्यम से जुटाए जाएंगे और 57% केंद्र से आएंगे।  केंद्र से संसाधन केंद्रीय करों (राजस्व प्राप्तियां का 20%) और अनुदान (राजस्व प्राप्तियों का 37%) में राज्य के हिस्से के रूप में होंगे।
(24744 - 32313 = 57057 करोड रुपए)

पूंजीगत प्राप्तियां - उत्तराखंड के बजट में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए कुल पूंजीगत प्राप्तियां 75 करोड रुपए होने का अनुमान है यदि इसमें उधार एवं अन्य प्राप्तियां को शामिल किया जाए तो 75+19460 = 19535 करोड़ रुपए होगा।

(*उधार व अन्य देयताऐं = 16460 करोड़ रुपए)

बजटीय व्यय (कुल व्यय)

वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल व्यय 77407.08 करोड़ रुपए अनुमानित है। जिसमें राजस्व व्यय 52748 करोड रुपए व पूंजीगत व्यय 24,659 करोड़ रुपए अनुमानित है। यदि ब्याज अदायगी छोड़ दिया जाए तो कुल व्यय 66,179 करोड रुपए होने का अनुमान है जो 2022-23 के संशोधित अनुमानों से 10% अधिक है इसके अलावा 11,228 करोड रुपए का कर्ज राज्य द्वारा चुकाया जाएगा।
बजटीय व्यय = राजस्व व्यय + पूंजीगत व्यय 

राजस्व व्यय - उत्तराखंड के बजट में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए राजस्व व्यय 52748 अनुमानित है। यदि ब्याज अदायगी छोड़ दिया जाए तो राजस्व व्यय 43,586 करोड रुपए होने का अनुमान है । 

पूंजीगत व्यय - उत्तराखंड के बजट में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए पूंजीगत व्यय 24,659 करोड़ रुपए अनुमानित ऋण अदायगी को छोड़ दें तो उत्तराखंड के बजट 2023-24 के लिए पूंजीगत व्यय 13,134 करोड रुपए अनुमानित है जो 2022-23 के संशोधित अनुमान से 25% अधिक है। 

राज्य सरकार की प्राप्तियों में विभिन्न मदों की हिस्सेदारी (प्रतिशत में) - रूपया कहां से आता है।

  • स्वयं का कर राजस्व - 25.89%
  • करेत्तर राजस्व - 6.17%
  • केंद्रीय करों में राज्य का अंश - 14.79%
  • केंद्रीय सरकार से सहायता अनुदान - 27.07%
  • लोक लेखा शूद्र - 0.78%
  • ऋण एवं अग्रिम की वसूली - 25.21%
  • लोक ऋण

उत्तराखंड बजट 2023-24 के अनुसार आय (प्राप्तियों) का सबसे बड़ा स्रोत केंद्र सरकार द्वारा अनुदान के रूप में सहायता है। केंद्र सरकार से सहायता अनुदान कुल 27.07% है। केन्द्र करों से राज्य को 2022-23 में 9130.16 करोड़ अनुमानित है।

राज्य सरकार के व्यय (प्रतिशत में) - रुपया कहां जाता है?

  • वेतन, भत्ते, मजदूरी आदि अधिष्ठान - 24.98%
  • निवेश ऋण‌ - 15.23%
  • सहायक अनुदान/अंशदान/राज सहायता - 6.24%
  • ब्याज और लाभांश - 7.96%
  • बृहत निर्माण कार्य /लघु निर्माण कार्य  - 10.55
  • अन्य व्यय - 25.23%
  • पेंशन - 9.81%
उत्तराखंड बजट 2023-24 के अनुसार सर्वाधिक व्यय वेतन, भत्ते, मजदूरी आदि में करती है जो कुल व्यय का 24.98% है ।

प्रमुख विभागों का बजट

  • शिक्षा, खेल और युवा कल्याण - 10 हजार 459 करोड़ (उत्तराखंड में 2023-24 में शिक्षा पर अपने व्यय का 16.6% आवंटित किया है यह 2022-23 में अन्य राज्यों द्वारा शिक्षा के लिए औसत आवंटन 14.8% से अधिक है।)
  • स्वास्थ्य - 4 हजार 217 करोड़ (उत्तराखंड ने अपने कुल व्यय का 6.7% स्वास्थ्य के लिए आवंटित किया है जो अन्य राज्यों द्वारा स्वास्थ्य के लिए औसत आवंटन 6.3% से अधिक है)
  • ग्रामीण विकास - 3 हजार 272 करोड़ 
  • पेयजल आवास नगर विकास - 2 हजार 525 करोड़
  • कृषि - 1 हजार 294 करोड़ (उत्तराखंड ने अपने कुल व्यय का 7.6% कृषि पर आवंटित किया है या अन्य राज्यों के द्वारा कृषि के लिए औसतन आवंटन 5.8% से अधिक है।)
  • सिंचाई - 1 हजार 443 करोड़ 
  • ऊर्जा - 1 हजार 251 करोड़ 
  • पर्यटन - 302 करोड़ 

बजट की विशेषताएं 

बजट का ध्यय वाक्य है - अग्रणी उत्तराखंड । बजट द्वारा राज्य सरकार के सभी कार्य निर्धारित किए जाते हैं राज्य सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाओं के लिए धन की व्यवस्था बजट के माध्यम से ही की जाती है। इस वर्ष बजट में रोजगार निवेश और पर्यटन पर फोकस किया गया है

केंद्र सरकार के बजट से प्रेरित होकर सप्तऋषि प्राथमिकताओं की भांति राज्य को 2025 तक एक सशक्त उत्तराखंड बनाने का लक्ष्य रखा गया है जिसके तहत 7 क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। 

1. मानव‌ पूंजी में निवेश

मानव पूंजी में निवेश का अर्थ है - राज्य के हर व्यक्ति को सशक्त संसाधन के रूप में विकसित किया जाएगा। 
पोषण, शिक्षण, प्रशिक्षण एवं सर्वांगीण विकास के लिए वातावरण तैयार किया जाएगा।

2. क्षमताओं का विकास - (अन्तिम छोर तक पहुंच)

उत्तराखंड के विकास के लिए अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति की क्षमताओं का विकास किया जाएगा । उनकी क्षमताओं के अनुसार उन्हें मौके दिए जाएंगे।

3. स्वास्थ्य सुविधाओं की सुलभता 

राज्य के हर क्षेत्र, व्यक्ति तक प्रभावी चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने को मजबूत नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। इसके तहत 

4. पूंजीगत व्यय में वृद्धि (बुनियादी ढांचे का विकास)

भविष्य की जरूरतों के अनुसार पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी की जाएगी साथी परिसंपत्तियों के रखरखाव के लिए सिस्टम तैयार किया जाएगा। जोशीमठ का पुनर्निर्माण के लिए ₹1000 रुपए आवंटित किए गए हैं। और लखवाड़ परियोजना के अंतर्गत 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

5. निर्बाध कनेक्टिविटी

राज्य बजट 2023-24 के अन्तर्गत रोड सेफ्टी, सड़क मरम्मत, रखरखाव और नये मार्ग के निर्माण को विशेष प्रावधान किए जाएंगे । खासकर एयर कनेक्टिविटी रोपवे, मेट्रो रेल के लिए भी व्यवस्था बजट में की जा रही है।

6. प्रौद्योगिकी आधारित विकास

राज्य के विकास को गति देने के लिए आधुनिक तकनीक के उपयोग पर फोकस रहेगा। हर सेक्टर से आधुनिक तकनीक से ज्यादा से ज्यादा उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। साइंस सिटी व विज्ञान केंद्र की स्थापना के लिए 26 करोड 21 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है।

7. इकोलॉजी और इकोनामी संतुलन (हरित विकास)

  • पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के बीच संतुलन स्थापित किया जाएगा ।
  • जलवायु परिवर्तन संबंध के लिए कुल पूंजीगत परिव्यय का 0.5 प्रतिशत का प्रावधान कर दिया गया है
  • इकोलॉजी और इकोनॉमी संतुलन के लिए सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाएगा । 
  • सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प तैयार किए जाएंगे। सितारगंज क्षेत्र में प्लास्टिक पार्क स्थापित किया जाएगा।
  • ईकोटूरिज्म और होमस्टे को प्रोत्साहित किया जाएगा ।

उत्तराखंड की प्रमुख योजनाओं के लिए प्रस्तावित धनराशि

मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना 

मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना हेतु ₹30 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इस योजना की शुरुआत 2 अगस्त 2021 को कोविड-19 के दौरान अनाथ हुए उत्तराखंड के बच्चों की अच्छी शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य के लिए की गयी है।

मुख्यमंत्री प्रतिभा प्रोत्साहन योजना

मुख्यमंत्री प्रतिभा प्रोत्साहन योजना में छात्रवृत्ति हेतु ₹11 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। इस योजना की शुरुआत 15 अगस्त 2019 को की गई थी इसके तहत सरकार प्रोफेशनल कोर्सेज के 25 टॉपर्स को 50% स्कॉलरशिप देती है।

पीएम श्री 

पीएम श्री योजना हेतु 92.78 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। पीएम श्री भारत सरकार द्वारा एक केंद्र प्रयोजित योजना है। पीएम श्री योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा 5 सितंबर 2022 को प्रारंभ किया गया है। इस योजना मुख्य उद्देश्य भारत के सभी पुराने सरकारी स्कूलों को जिनकी संख्या कुल 14,500 हैं, इन सभी स्कूलों को अपग्रेड किया जाएगा।

नंदा गौरा योजना

नंदा गौरा योजना हेतु 282.50 करोड रुपए का प्रावधान किया गया है। इस योजना का प्रारंभ 2 जून 2017 को राज्य के बीपीएल परिवारों की बालिकाओं को वित्तीय सहायता देने के लिए शुरू किया। जिसके अंतर्गत बालिकाओं के जन्म के समय ₹11 हजार कक्षा बारहवीं उत्तीर्ण करने के बाद ₹ 51 हजार की धनराशि दी जाती है.

मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना

मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना हेतु 40 करोड रुपए का प्रावधान किया गया है। उत्तराखंड मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की शुरुआत त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 2015 में की थी। कोरोना महामारी के दौरान प्रवासियों को रोजगार दिलाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 2020-21 में पुनः शुरुआत की इस योजना तहत कुशल और अकुशल, दस्तकारों शिल्पकारों और बेरोजगार युवाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना

अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना हेतु 400 करोड रुपए का प्रावधान किया गया है। इस योजना का आरंभ 25 दिसंबर 2018 को निशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए हुआ था।

मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना 

मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना हेतु 19.95 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इस योजना की शुरुआत 30 जून 2021 को हुई थी। इस योजना के तहत। उत्तराखण्ड। राज्य की गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशु की स्वच्छता और पोषण के लिए किट और कपड़े राज्य सरकार द्वारा। उपलब्ध कराए जाते हैं

मिशन एप्पल योजना

मिशन एप्पल योजना के तहत ₹35 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इस योजना की शुरुआत 2015 में सेबों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए गई थी।

राज्य मिलेट मिशन

बजट में राज्य के पारंपरिक अनाज (मोटे अनाज) को बढ़ावा देने के लिए राज्य मिलेट मिशन हेतु 15 करोड़ का प्रावधान किया गया है। इस मिशन की शुरुआत 16 फरवरी 2023 उधम सिंह नगर, देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल से की गई।

बागवानी फसल को बढ़ावा देने के लिए अगले 3 वर्षों में 50 हजार पॉलीहाउस स्थापित किए जाएंगे। और 6 सुगंध घाटियों को भी विकसित किया जाएगा 
  1. लेमन ग्रास और मिंट वैली - हरिद्वार 
  2. सिनामन वैली - नैनीताल व चंपावत 
  3. डेमस्क गुलाब वैली - चमोली बा अल्मोड़ा
  4. मिंट वैली - ऊधम सिंह नगर
  5. तिमूर वैली - पिथौरागढ़
  6. लेमनग्रास वैली - पौड़ी गढ़वाल 

उत्तराखंड बजट 2023-24 के महत्वपूर्ण तथ्य

  • किसी भी राज्य का वार्षिक वित्तीय विवरण या बजट राज्य के वित्त मंत्री द्वारा पेश किया जाता है।
  • उत्तराखंड के पहले वित्त मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक थे और उन्हीं के द्वारा राज्य गठन के बाद पहला आम बजट पेश किया गया था।
  • वर्ष 2002 में उत्तराखंड के दूसरे वित्त मंत्री नारायण दत्त तिवारी बने थे।
  • उत्तराखंड सरकार ने अपना पहला जेंडर बजट 2007-2008 वित्तीय वर्ष में पेश किया था।
  • उत्तराखंड जीआईपी अर्थात सकल पर्यावरण उत्पाद आधारित व्यवस्था लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।
  • वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल बजट प्रस्तुत कर रहे हैं उन्होंने पहाड़ी बोली में बजट भाषण की शुरुआत की।
  • राज्य सरकार द्वारा जी20 के आयोजन के लिए 100 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23      

राज्य सकल घरेलू उत्पाद की गणना करने के लिए 2011-2012 को आधार पर लिया जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार उत्तराखंड का सकल घरेलू उत्पाद (GSDP) 3.02 लाख करोड़ है। इससे पूर्व 2021-22 में 2.65 लाख करोड़ था। आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में उत्तराखंड राज्य की आर्थिक विकास दर 7.09 अनुमानित है जबकि 2021-22 में 7.05 थी 

            वित्तीय वर्ष 2021-22 ने अनंतिम अनुमानों के अनुसार उत्तराखंड का तीनों क्षेत्रों में योगदान निम्नलिखित हैै।इसमें द्वितीयक क्षेत्र में सर्वाधिक योगदान रहा है। जबकि समग्र देश की अर्थव्यवस्था में सर्वाधिक योगदान तृतीयक क्षेत्र का है।

  • प्राथमिक क्षेत्र. - 12.36%
  • द्वितीयक क्षेत्र. - 46.21%
  • तृतीयक क्षेत्र. - 41.43%
प्राथमिक क्षेत्र - इसमें कृषि, पशुपालन, वानिकी, मत्स्य पालन, खनन तथा उत्खनन शामिल है।
द्वितीयक क्षेत्र - इसमें विनिर्माण, विद्युत, गैस जलापूर्ति निर्माण कार्य शामिल है।
तृतीयक क्षेत्र - इसमें परिवहन, व्यापार, होटल, जलपान गृह, वित्तीय सेवाएं, आवास, लोक प्रशासन अन्य सेवाएं शामिल है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में राज्य की प्रति व्यक्ति आय रू2,33,000 अनुमानित है वहीं 2021-22 में ₹1,85,761 आंकी गई थी। पिछले वर्ष की तुलना में 10.05% की वृद्धि हुई है।

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  भूमि बंदोबस्त व्यवस्था         उत्तराखंड का इतिहास भूमि बंदोबस्त आवश्यकता क्यों ? जब देश में उद्योगों का विकास नहीं हुआ था तो समस्त अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर थी। उस समय राजा को सर्वाधिक कर की प्राप्ति कृषि से होती थी। अतः भू राजस्व आय प्राप्त करने के लिए भूमि बंदोबस्त व्यवस्था लागू की जाती थी । दरअसल जब भी कोई राजवंश का अंत होता है तब एक नया राजवंश नयी बंदोबस्ती लाता है।  हालांकि ब्रिटिश शासन से पहले सभी शासकों ने मनुस्मृति में उल्लेखित भूमि बंदोबस्त व्यवस्था का प्रयोग किया था । ब्रिटिश काल के प्रारंभिक समय में पहला भूमि बंदोबस्त 1815 में लाया गया। तब से लेकर अब तक कुल 12 भूमि बंदोबस्त उत्तराखंड में हो चुके हैं। हालांकि गोरखाओ द्वारा सन 1812 में भी भूमि बंदोबस्त का कार्य किया गया था। लेकिन गोरखाओं द्वारा लागू बन्दोबस्त को अंग्रेजों ने स्वीकार नहीं किया। ब्रिटिश काल में भूमि को कुमाऊं में थात कहा जाता था। और कृषक को थातवान कहा जाता था। जहां पूरे भारत में स्थायी बंदोबस्त, रैयतवाड़ी बंदोबस्त और महालवाड़ी बंदोबस्त व्यवस्था लागू थी। वही ब्रिटिश अधिकारियों ने कुमाऊं के भू-राजनैतिक महत्

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चंद राजवंश का इतिहास पृष्ठभूमि उत्तराखंड में कुणिंद और परमार वंश के बाद सबसे लंबे समय तक शासन करने वाला राजवंश है।  चंद वंश की स्थापना सोमचंद ने 1025 ईसवी के आसपास की थी। वैसे तो तिथियां अभी तक विवादित हैं। लेकिन कत्यूरी वंश के समय आदि गुरु शंकराचार्य  का उत्तराखंड में आगमन हुआ और उसके बाद कन्नौज में महमूद गजनवी के आक्रमण से ज्ञात होता है कि तो लगभग 1025 ईसवी में सोमचंद ने चंपावत में चंद वंश की स्थापना की है। विभिन्न इतिहासकारों ने विभिन्न मत दिए हैं। सवाल यह है कि किसे सच माना जाए ? उत्तराखंड के इतिहास में अजय रावत जी के द्वारा उत्तराखंड की सभी पुस्तकों का विश्लेषण किया गया है। उनके द्वारा दिए गए निष्कर्ष के आधार पर यह कहा जा सकता है । उपयुक्त दिए गए सभी नोट्स प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से सर्वोत्तम उचित है। चंद राजवंश का इतिहास चंद्रवंशी सोमचंद ने उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में लगभग 900 वर्षों तक शासन किया है । जिसमें 60 से अधिक राजाओं का वर्णन है । अब यदि आप सभी राजाओं का अध्ययन करते हैं तो मुमकिन नहीं है कि सभी को याद कर सकें । और अधिकांश राजा ऐसे हैं । जिनका केवल नाम पता है । उनक

उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित प्रश्न (उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी -14)

उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी -14 उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियां वर्ष 1965 में केंद्र सरकार ने जनजातियों की पहचान के लिए लोकर समिति का गठन किया। लोकर समिति की सिफारिश पर 1967 में उत्तराखंड की 5 जनजातियों थारू, जौनसारी, भोटिया, बोक्सा, और राजी को एसटी (ST) का दर्जा मिला । राज्य की मात्र 2 जनजातियों को आदिम जनजाति का दर्जा प्राप्त है । सर्वप्रथम राज्य की राजी जनजाति को आदिम जनजाति का दर्जा मिला। बोक्सा जनजाति को 1981 में आदिम जनजाति का दर्जा प्राप्त हुआ था । राज्य में सर्वाधिक आबादी थारू जनजाति तथा सबसे कम आबादी राज्यों की रहती है। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की कुल एसटी आबादी 2,91,903 है। जुलाई 2001 से राज्य सेवाओं में अनुसूचित जन जातियों को 4% आरक्षण प्राप्त है। उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित प्रश्न विशेष सूचना :- लेख में दिए गए अधिकांश प्रश्न समूह-ग की पुरानी परीक्षाओं में पूछे गए हैं। और कुछ प्रश्न वर्तमान परीक्षाओं को देखते हुए उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित 25+ प्रश्न तैयार किए गए हैं। जो आगामी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। बता दें की उत्तराखंड के 40 प्रश्नों में से 2

भारत की जनगणना 2011 से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न (भाग -01)

भारत की जनगणना 2011 मित्रों वर्तमान परीक्षाओं को पास करने के लिए रखने से बात नहीं बनेगी अब चाहे वह इतिहास भूगोल हो या हमारे भारत की जनगणना हो अगर हम रटते हैं तो बहुत सारे तथ्यों को रटना पड़ेगा जिनको याद रखना संभव नहीं है कोशिश कीजिए समझ लीजिए और एक दूसरे से रिलेट कीजिए। आज हम 2011 की जनगणना के सभी तथ्यों को समझाने की कोशिश करेंगे। यहां प्रत्येक बिन्दु का भौगोलिक कारण उल्लेख करना संभव नहीं है। इसलिए जब आप भारत की जनगणना के नोट्स तैयार करें तो भौगोलिक कारणों पर विचार अवश्य करें जैसे अगर किसी की जनसंख्या अधिक है तो क्यों है ?, अगर किसी की साक्षरता दर अधिक है तो क्यों है? अगर आप इस तरह करेंगे तो शत-प्रतिशत है कि आप लंबे समय तक इन चीजों को याद रख पाएंगे साथ ही उनसे संबंधित अन्य तथ्य को भी आपको याद रख सकेंगे ।  भारत की जनगणना (भाग -01) वर्ष 2011 में भारत की 15वीं जनगणना की गई थी। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत का कुल क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किलोमीटर था तथा भारत की कुल आबादी 121,08,54,922 (121 करोड़) थी। जिसमें पुरुषों की जनसंख्या 62.32 करोड़ एवं महिलाओं की 51.47 करोड़ थी। जनसंख्या की दृष्टि

गोरखा शासन : उत्तराखंड का इतिहास

    उत्तराखंड का इतिहास           गोरखा शासन (भाग -1) पृष्ठभूमि मल्ल महाजनपद का इतिहास (आधुनिक नेपाल) 600 ईसा पूर्व जब 16 महाजनपदों का उदय हुआ। उन्हीं में से एक महाजनपद था - मल्ल (आधुनिक नेपाल का क्षेत्र)। प्राचीन समय में नेपाल भारत का ही हिस्सा था। मल्ल महाजनपद का उल्लेख बौद्ध ग्रंथ के " अगुंत्तर निकाय " में किया गया है। और जैन ग्रंथ के भगवती सूत्र में इसका नाम " मौलि या मालि " नाम से जनपद का उल्लेख है। मल्ल महाजनपद की प्रथम राजधानी कुशीनगर थी । कुशीनगर में गौतम बुद्ध के निर्वाण (मृत्यु) प्राप्त करने के बाद उनकी अस्थि-अवशेषों का एक भाग मल्लो को मिला था । जिसके संस्मारणार्थ उन्होंने कुशीनगर में एक स्तूप या चैत्य का निर्माण किया था। मल्ल की वित्तीय राजधानी पावा थी । पावा में ही महावीर स्वामी को निर्वाण प्राप्त हुआ था ।                 322 ईसा पूर्व समस्त उत्तर भारत में मौर्य साम्राज्य ने अपना शासन स्थापित कर लिया था। मल्ल महाजनपद भी मौर्यों के अधीन आ गया था। गुप्त वंश के बाद उत्तर भारत की केंद्र शक्ति कमजोर हो गई । जिसके बाद  लगभग 5वीं सदीं में वैशाली से आए 'लिच्