उत्तराखंड
( देवभूमि)
उत्तराखंड हमारे देश का 27 वां नवोदित राज्य है। 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर इस राज्य का गठन किया गया था। इसे 27वें राज्य के रूप में 28 अगस्त 2000 को राष्ट्रपति के.आर. नारायण के हस्ताक्षर के बाद कानूनी मान्यता मिली। उत्तराखंड को राज्य बनाने के लिए सबसे पहले लोकसभा में 01 अगस्त 2000 को विधेयक लाया गया । लोकसभा की सहमति के बाद 10 अगस्त 2000 में राज्य सभा में पारित किया गया था। राज्य का गठन होने के बाद देहरादून को उत्तराखंड राज्य की अस्थाई राजधानी बनाया गया । वर्तमान समय में उत्तराखंड की दो राजधानी हैं-
- देहरादून - (शीतकालीन अस्थाई राजधानी)
- गैरसैंण - (ग्रीष्मकालीन राजधानी - 20 जून 2020)
हिमालय की गोद में स्थित इस नवगठित प्रदेश की प्राकृतिक सुंदरता अनूठी है। ऊंची बर्फ से ढकी हिमालय पर्वत चोटियां, घने जंगल, नदी घाटियां, कल-कल करती नदियां, झरने, फूलों से सजी घाटियां, मनमोहक दृश्य राज्य की सुन्दरता प्रस्तुत करते है । ऐसा लगता है कि मानो प्रकृति ने इस राज्य को प्यार से सजाया-संवारा है। उत्तराखंड हिमालय राज्यों के क्रम में 11वें स्थान पर है। उत्तराखंड को पहले उत्तर का आंचल - "उत्तरांचल" कहा जाता था। लेकिन इतिहास की किताबों और पुराणों (स्कंदपुराण) में उत्तराखंड के लिए सर्वाधिक केदारखंड (गढ़वाल मंडल) और मानसखंड (कुमाऊं मंडल) का उल्लेख मिला है। इसलिए 01 जनवरी 2007 को उत्तरांचल का नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया।
देवभूमि उत्तराखंड
उत्तराखंड को देवभूमि के रूप में भी जाना जाता है तथा हिंदुओं के लिए यह प्रदेश पवित्रम धरा है। प्रत्येक हिंदू अपने जीवन काल में चार पवित्र स्थलों के दर्शन की अभिलाषा रखता है वे चारों धाम हैं-
- बद्रीनाथ (चमोली)
- केदारनाथ (रूद्रप्रयाग)
- गंगोत्री (उत्तरकाशी)
- यमुनोत्री (उत्तरकाशी)
इसी प्रदेश में स्थित है इसके अलावा हरिद्वार एवं ऋषिकेश जैसे पवित्र तीर्थ स्थल भी इसी प्रदेश में स्थित है । इस चार धाम यात्रा मार्ग पर अन्य कई दर्शनीय स्थल पंच प्रयाग के नाम से प्रसिद्ध पांच अत्यंत पवित्र संगम स्थल यही है। वह हैं -
- विष्णुप्रयाग (अलकनंदा-धौलीगंगा संगम स्थल)
- नंदप्रयाग (अलकनंदा-नंदाकिनी संगम स्थल)
- कर्णप्रयाग (अलकनंदा-पिंडरगंगा संगम स्थल)
- रुद्रप्रयाग (अलकनंदा-मंदाकिनी संगम स्थल)
- देवप्रयाग (अलकनंदा-भागीरथी संगम स्थल)
इसके अलावा पंचबद्री - बद्री विशाल, योग बद्री, ध्यान बद्री, वृहद बद्री तथा आदि बद्री और पंच केदार - केदारनाथ, मदमहेश्वर, तुंगनाथ, रूद्रनाथ, कल्पेश्वर के दर्शन भी इसी मार्ग पर किए जा सकते हैं।
हिंदुओं की पवित्रतम नदियां भागीरथी (गोमुख) एवं यमुना (यमुनोत्री कांठा) का उद्गम स्थल भी इसी प्रदेश में स्थित है। इन तीर्थस्थलों की यात्रा की यात्रा करने संपूर्ण भारत से ही नहीं अपितु विश्व के कोने-कोने से लाखों की संख्या में श्रद्धालु प्रतिवर्ष यहां आते हैं इसके अलावा सिक्खों का पवित्र स्थान हेमकुंड साहिब (चमोली) भी इसी राज्य में स्थित है ।
इन धार्मिक महत्व के स्थानों के अलावा प्रदेश के कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान, राजाजी राष्ट्रीय उद्यान, तथा प्रसिद्ध फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। नैनीताल, मसूरी, अल्मोड़ा एवं रानीखेत जैसे हिल स्टेशन भी इसी राज्य में है।
उत्तराखंड की स्थापना के बाद उत्तराखंड को 2 मंडलों में विभाजित किया गया :-
- कुमाऊं मंडल
- गढ़वाल मंडल।
कुमाऊं मंडल -:
- ऊधम सिंह नगर
- नैनीताल
- अल्मोड़ा
- बागेश्वर
- पिथौरागढ़
- चम्पावत
गढ़वाल मंडल -:
- उत्तरकाशी
- चमोली
- देहरादून
- पौड़ी गढ़वाल
- टिहरी गढ़वाल
- हरिद्वार
- रूद्रप्रयाग
- हिन्दी
- संस्कृत
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