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महासागरों का अध्ययन

महासागरों का अध्ययन  देवभूमि उत्तराखंड द्वारा कक्षा 6 एनसीईआरटी भूगोल की पुस्तक से नोट्स तैयार किए जा रहे हैं। इस लेख में एनसीईआरटी पुस्तक और प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों का समावेशन किया गया है। इस लेख में विश्व में कितने महासागर हैं और उनके सीमांत सागरों के साथ प्रमुख जलसंधियों का उल्लेख किया गया है। अतः लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। साथ ही विश्व का मानचित्र साथ रखें।  पृष्ठभूमि  अक्सर फिल्मों में, गानों में, कविताओं में और जिंदगी के उन तमाम पन्नों में "सात समुद्र" का जिक्र सुना होगा। और तो और इस शब्द प्रयोग मुहावरों भी करते हैं। तो क्या आप जानते हैं "सात समुद्र" ही क्यों? और यदि बात सात समुद्र की जाती है तो वे कौन-से सात समुद्र हैं? यूं तो अंक सात का अपना एक ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व हैं । क्योंकि दुनिया में इंद्रधनुष के रग सात हैं, सप्ताह के दिन सात हैं, सप्तर्षि हैं, सात चक्र हैं, इस्लामी परंपराओं में सात स्वर्ग हैं, यहां तक कि दुनिया के प्रसिद्ध 7 अजूबे हैं। संख्या सात इतिहास की किताबों में और कहानियों में बार-बार आती है और इस वजह से...

उत्तराखंड : एक परिचय (भाग -1)

            उत्तराखंड

                       ( देवभूमि)

उत्तराखंड हमारे देश का 27 वां नवोदित राज्य है। 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर इस राज्य का गठन किया गया था। इसे 27वें राज्य के रूप में 28 अगस्त 2000 को राष्ट्रपति के.आर. नारायण के हस्ताक्षर के बाद कानूनी मान्यता  मिली। उत्तराखंड को राज्य बनाने के लिए सबसे पहले लोकसभा में 01 अगस्त 2000 को विधेयक लाया गया । लोकसभा की सहमति के बाद 10 अगस्त 2000 में राज्य सभा में पारित किया गया था। राज्य का गठन होने के बाद देहरादून को उत्तराखंड राज्य की अस्थाई राजधानी बनाया गया । वर्तमान समय में उत्तराखंड की दो राजधानी हैं-

  1. देहरादून - (शीतकालीन अस्थाई राजधानी)
  2. गैरसैंण - (ग्रीष्मकालीन राजधानी - 20 जून 2020)

हिमालय की गोद में स्थित इस नवगठित प्रदेश की प्राकृतिक सुंदरता अनूठी है। ऊंची बर्फ से ढकी हिमालय पर्वत चोटियां, घने जंगल, नदी घाटियां, कल-कल करती नदियां, झरने, फूलों से सजी घाटियां,  मनमोहक दृश्य राज्य की सुन्दरता प्रस्तुत करते है । ऐसा लगता है कि मानो प्रकृति ने इस राज्य को प्यार से सजाया-संवारा है। उत्तराखंड हिमालय राज्यों के क्रम में 11वें स्थान पर है। उत्तराखंड को पहले उत्तर का आंचल - "उत्तरांचल" कहा जाता था। लेकिन इतिहास की किताबों और पुराणों (स्कंदपुराण) में उत्तराखंड के लिए सर्वाधिक केदारखंड (गढ़वाल मंडल) और मानसखंड (कुमाऊं मंडल) का उल्लेख मिला है। इसलिए 01 जनवरी 2007 को उत्तरांचल का नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया।

देवभूमि उत्तराखंड

उत्तराखंड को देवभूमि के रूप में भी जाना जाता है तथा हिंदुओं के लिए यह प्रदेश पवित्रम धरा है। प्रत्येक हिंदू अपने जीवन काल में चार पवित्र स्थलों के दर्शन की अभिलाषा रखता है वे चारों धाम हैं-

  • बद्रीनाथ (चमोली) 
  • केदारनाथ (रूद्रप्रयाग)
  • गंगोत्री (उत्तरकाशी)
  • यमुनोत्री (उत्तरकाशी)

इसी प्रदेश में स्थित है इसके अलावा हरिद्वार एवं ऋषिकेश जैसे पवित्र तीर्थ स्थल भी इसी प्रदेश में स्थित है । इस चार धाम यात्रा मार्ग पर अन्य कई दर्शनीय स्थल पंच प्रयाग के नाम से प्रसिद्ध पांच अत्यंत पवित्र संगम स्थल यही है। वह हैं -

  1. विष्णुप्रयाग (अलकनंदा-धौलीगंगा संगम स्थल)
  2. नंदप्रयाग (अलकनंदा-नंदाकिनी संगम स्थल)
  3. कर्णप्रयाग (अलकनंदा-पिंडरगंगा संगम स्थल)
  4. रुद्रप्रयाग (अलकनंदा-मंदाकिनी संगम स्थल)
  5. देवप्रयाग (अलकनंदा-भागीरथी संगम स्थल)

इसके अलावा पंचबद्री - बद्री विशाल, योग बद्री, ध्यान बद्री, वृहद बद्री तथा आदि बद्री और पंच केदार - केदारनाथ, मदमहेश्वर, तुंगनाथ, रूद्रनाथ, कल्पेश्वर के दर्शन भी इसी मार्ग पर किए जा सकते हैं।

हिंदुओं की पवित्रतम नदियां भागीरथी (गोमुख) एवं यमुना (यमुनोत्री कांठा) का उद्गम स्थल भी इसी प्रदेश में स्थित है। इन तीर्थस्थलों की यात्रा की यात्रा करने संपूर्ण भारत से ही नहीं अपितु विश्व के कोने-कोने से लाखों की संख्या में श्रद्धालु प्रतिवर्ष यहां आते हैं इसके अलावा सिक्खों का पवित्र स्थान हेमकुंड साहिब (चमोली) भी इसी राज्य में स्थित है । 

इन धार्मिक महत्व के स्थानों के अलावा प्रदेश के कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान, राजाजी राष्ट्रीय उद्यान, तथा प्रसिद्ध फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। नैनीताल, मसूरी, अल्मोड़ा एवं रानीखेत जैसे हिल स्टेशन भी इसी राज्य में है।

उत्तराखंड की स्थापना के बाद उत्तराखंड को 2 मंडलों में विभाजित किया गया :- 

  1. कुमाऊं मंडल
  2. गढ़वाल मंडल। 

कुमाऊं मंडल -:

कुमाऊं मंडल की स्थापना 1854 में की गई थी। और इसका मुख्यालय नैनीताल में स्थापित किया गया। कुमाऊं मंडल में 06 जिलों को शामिल किया गया।
  1. ऊधम सिंह नगर
  2. नैनीताल
  3. अल्मोड़ा
  4. बागेश्वर
  5. पिथौरागढ़
  6. चम्पावत
क्षेत्रफल की दृष्टि से कुमाऊ का सबसे बड़ा जनपद पिथौरागढ़ है। जबकि राज्य का तीसरा बड़ा जनपद है। 2011 की जनगणना के अनुसार कुमाऊं का सर्वाधिक आबादी वाला जनपद ऊधम सिंह नगर है जबकि राज्य में तीसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला जनपद है।

गढ़वाल मंडल -:

गढ़वाल मंडल की स्थापना 1969 में की गईं थी। और इसका मुख्यालय पौड़ी में स्थापित किया गया। गढ़वाल मंडल में 07 जिलों को शामिल किया गया। 
  1. उत्तरकाशी
  2. चमोली
  3. देहरादून
  4. पौड़ी गढ़वाल
  5. टिहरी गढ़वाल
  6. हरिद्वार
  7. रूद्रप्रयाग
क्षेत्रफल की दृष्टि से उत्तरकाशी गढ़वाल और राज्य का सबसे बड़ा जनपद है। जबकि राज्य का दूसरा बड़ा जनपद चमोली है (आयोग के अनुसार)। 2011 की जनगणना के अनुसार गढ़वाल और राज्य का सर्वाधिक जनसंख्या वाला जनपद हरिद्वार है।

उत्तराखंड में दोनों मंडलों को मिलाकर कुल 13 जनपदों में विभाजित है। उत्तराखंड का कुल क्षेत्रफल 53,483 वर्ग किलोमीटर है।  उत्तराखंड में अभी तक 09 नगर निगम और 110 नगरपालिका कार्यरत हैं। उत्तराखंड में कुल ब्लाकों की संख्या 95 है।

उत्तराखंड की दो राजकीय भाषा हैं।
  1. हिन्दी
  2. संस्कृत
संस्कृत उत्तराखंड की दूसरी राजकीय भाषा है। राज्य ने 01 जनवरी 2010 को संस्कृत को दूसरी राजभाषा भाषा का दर्जा दिया था। उत्तराखंड एक मात्र ऐसा राज्य है जहां संस्कृत को राजकीय भाषा का दर्जा प्राप्त है।

उत्तराखंड के राज्य प्रतीक हैं-

उत्तराखंड का राजकीय पशु - कस्तूरी मृग
उत्तराखंड का राजकीय पक्षी - मोनाल
उत्तराखंड का राजकीय वृक्ष - बुरांश
उत्तराखंड का राजकीय पुष्प - ब्रह्मकमल
उत्तराखंड का राजकीय खेल - फुटबॉल (2011)
उत्तराखंड का राजकीय वाद्ययंत्र - ढोलक (2015)
उत्तराखंड का राजकीय तितली - कॉमन पिकॉक (2016)
उत्तराखंड का राजकीय गीत - 
              "उत्तराखंड देवभूमि मातृभूमि शत् शत् वंदना"

उत्तराखंड के राज्यगीत को 6 फरवरी 2016 को घोषित किया गया था। उत्तराखंड का राज्य गीत के रचनाकार हेमन्त बिष्ट जी हैं व संगीतकार नरेन्द्र सिंह नेगी हैं। 

उत्तराखंड शासन द्वारा प्रतीक चिन्हों निर्धारण 2001 में किया गया। जबकि ढोलक को भंडारी समिति की सिफारिश पर तत्तकालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 2015 में ढोलक को राज्य वाद्य यंत्र घोषित किया। और फुटबॉल को 2011 में उत्तराखंड का राज्य खेल बनाया गया था । और अन्तिम राजकीय चिन्ह 7 नवंबर 2016 को कॉमन पिकॉक को राजकीय तितली घोषित किया था।

शार्ट नोट्स - उत्तराखंड एक परिचय





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