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भारत के 15वें उपराष्ट्रपति C. P. (Chandrapuram Ponnusamy) Radhakrishnan

 भारत के 15वें उपराष्ट्रपति भारत के 15वें उपराष्ट्रपति C. P. (Chandrapuram Ponnusamy) Radhakrishnan बने हैं । राष्ट्रपति के बाद यह देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। निर्वाचन की जानकारी उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 का मतदान 9 सितम्बर, 2025 को हुआ।  चुनाव भारत के दोनों सदनों (लोकसभा + राज्यसभा) के सांसदों द्वारा गुप्त मताधिकार से हुआ। कुल निर्वाचक (electors) 781 थे, जिनमें से 767 ने मतदान किया। 15 मतपत्र अमान्य घोषित हुए।  परिणाम C. P. Radhakrishnan (NDA उम्मीदवार) ने 452 मत प्राप्त किये।  उनके मुकाबले B. Sudershan Reddy, जिन्हें विपक्ष (INDIA गठबंधन) ने समर्थन दिया था, ने 300 मत प्राप्त किये।  मतों का अंतर 152 रहा।  सी. पी. राधाकृष्णन — व्यक्तिगत एवं राजनीतिक पृष्ठभूमि जन्म : 20 अक्टूबर, 1957, तिरुप्पुर, तमिलनाडु। शिक्षा : उन्होंने BBA (बैचलर ऑफ बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन) की डिग्री प्राप्त की है। आरएसएस और जनसंघ से जुड़ाव: युवावस्था से ही RSS/भाजपा के संगठनों से सक्रियता रही है।  पहले के पद : महाराष्ट्र राज्यपाल (Governor of Maharashtra) झारखंड राज्यपाल का...

भाषा विकास का सिद्धांत (मैक्समूलर और डार्विन)

भाषा विकास का सिद्धांत  भाषा का अर्थ एवं परिभाषाएँ. भाषा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के 'भाष' धातु से हुयी है जिसका अर्थ है "व्यक्या वाचि" धातु के अर्थ की दृष्टि से यदि भाषा को परिभाषित किया जाय तो कहा जा सकता है- "विचारों, भावों तथा इच्छाओं को अभिव्यक्त करने की क्षमता रखने वाले वर्णात्मक प्रतीकों की समष्टि को भाषा कहते हैं" भाषा संचार का वह माध्यम है जिसके द्वारा व्यक्ति अपनी भावनाओं को किसी दूसरे व्यक्ति तक तथा दूसरे व्यक्ति की भावनाओं विचारों को समझ सके। भाषा सामान्यतः संकुचित तथा व्यापक दो अर्थों में प्रयुक्त होता है। संकुचित अर्थ में भाषा 'शब्द‌मयी' और व्यापक अर्थ में अभिव्यक्ति का माध्यम है। विभिन्न शिक्षा शास्त्रियों ने भाषा की निम्नलिखित परिभाषाएँ दी हैं, सुमिनानंदन पंत के अनुसार  "भाषा संसार का नाद‌मय चित्र है, ध्वनिमय स्वरूप है, यह विश्व की हृदयतंत्री की झंकार है, जिनके स्वर में अभिव्यक्ति पाती है।" सीताराम चतुर्वेदी के अनुसार - "भाषा के अर्भिभाव से संपूर्ण मानव संसार गूंगों की विराट बस्ती बनने से बच गया" रामचंद्र वर्मा के ...

समावेशी शिक्षा क्या है?

समावेशी शिक्षा  समावेशी शिक्षा क्या है ? समावेशी शिक्षा एक ऐसी शिक्षा प्रणाली है जिसमें सभी बच्चों समान शिक्षा का अवसर प्राप्त होता है, चाहे उनकी क्षमताएं, योग्यताएं या पृष्ठभूमि कुछ भी हो, जैसे - विकलांग, प्रतिभाशाली, गरीब, अमीर, पिछड़े और सामाजिक रूप से वंचित सभी बच्चे नियमित स्कूलों में साथ-साथ पढ़ते हैं। भारतीय संविधान अनुच्छेद 21(A) 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान करता है।  कुछ प्रमुख परिभाषाएँ इस प्रकार हैं: यूनेस्को के अनुसार : "समावेशी शिक्षा यह सुनिश्चित करती है कि सभी शिक्षार्थी, चाहे उनकी क्षमताएं, पृष्ठभूमि या परिस्थितियां कुछ भी हों, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकें और उनका समर्थन किया जा सके।"  विश्व बैंक के अनुसार : "समावेशी शिक्षा एक ऐसी शिक्षा प्रणाली है जो सभी शिक्षार्थियों की विविधता को स्वीकार करती है और उनका समर्थन करती है, और यह सुनिश्चित करती है कि सभी को अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने का अवसर मिले।"  राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : " समावेशी शिक्षा का अर्थ है सभी बच्चों को उनकी क्षमता, पृष...

उत्तराखंड करेंट अफेयर्स 2024

उत्तराखंड करेंट अफेयर्स 2024 देवभूमि उत्तराखंड द्वारा जून 2023 से जून 2024 तक के करेंट अफेयर्स तैयार किए गए हैं। जिसमें उत्तराखंड बजट 2024-25, उत्तराखंड आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24, उत्तराखंड की प्रमुख योजनाऐं, पुरस्कार, खेल आदि बहुविकल्पीय प्रश्नों के साथ व्याख्या के साथ तैयार किए गए हैं। जो उत्तराखंड के लोक सेवा आयोग और उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग द्वारा आयोजित सभी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। (1) जनवरी 2024 में उत्तराखंड में किसका नाम बदलकर सीतावनी कंजर्वेशन रिजर्व रखा गया है ? (a) गौरा देवी कंजर्वेशन रिजर्व  (b) पावलगढ़ संरक्षण आरक्षित  (c) नैनादेवी हिमालयी बर्ड कंजर्वेशन रिजर्व  (d) सोना वन्यजीव संरक्षण आरक्षित  व्याख्या :- अयोध्या मंदिर में राम लला की मूर्ति की प्रतिष्ठा से पहले पावलगढ़ कंजर्वेशन रिजर्व का नाम बदलकर सीतावनी कंजर्वेशन रिजर्व रखा गया । रिजर्व के अंदर माता सीता को समर्पित एक प्राचीन मंदिर तथा महर्षि वाल्मिकी आश्रम है, मान्यता है कि अयोध्या छोड़ने के बाद वह अपने बेटों लव और कुश के साथ यहीं रुकी थीं। पावलगढ़ कंज़र्वेशन रिज़र्व उत्तराखंड के नै...

कोठारी आयोग : शिक्षा का एक ऐतिहासिक दस्तावेज

कोठारी आयोग : शिक्षा का एक ऐतिहासिक दस्तावेज 1968 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) से पूर्व, भारत की शिक्षा व्यवस्था औपनिवेशिक प्रभावों और व्यापक असमानताओं से ग्रस्त थी। 1854 की "वुड्स शिक्षा प्रणाली" ने औपनिवेशिक शिक्षा का आधार तैयार किया, जिसमें अंग्रेजी भाषा, पश्चिमी ज्ञान और रटने पर अत्यधिक ज़ोर दिया गया। उच्च शिक्षा को प्राथमिकता दी गई, जबकि प्राथमिक शिक्षा उपेक्षित रही। शिक्षा का उद्देश्य भारतीयों को ब्रिटिश शासन में सहायक बनाना था। इस प्रणाली ने विभिन्न प्रकार के विद्यालयों (सरकारी, मिशनरी, निजी) में शिक्षा के स्तर और गुणवत्ता में भारी असमानताएं पैदा कीं। जाति, लिंग और सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव व्याप्त था। लड़कियों और महिलाओं के लिए शिक्षा तक पहुंच अत्यंत सीमित थी। उस समय पाठ्यक्रम में सैद्धांतिक ज्ञान और रटने पर ज़ोर दिया गया था, जबकि व्यावहारिक शिक्षा और कौशल विकास को नजरअंदाज किया गया था। शिक्षा का मूल्यांकन मुख्य रूप से परीक्षाओं पर आधारित था, जिसके कारण रटने और परीक्षा में सफल होने पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित किया गया।  स्वतंत्रता के पश्चात भारत में शि...

विश्व पर्यावरण दिवस 2024

विश्व पर्यावरण दिवस 2024 पर्यावरण की रक्षा हेतु दुनिया भर में जागरूकता और कार्रवाई को प्रोत्साहित करने के लिये प्रत्येक वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत  इस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 1972 में खराब पर्यावरणीय परिस्थितियों और उसके बढ़ते दुष्प्रभाव के बारे में जागरूक फैलाने के लिये की गई थी। जो मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन का पहला दिन था। वर्तमान में यह प्रदूषण की समस्या पर चर्चा करने के लिये एक वैश्विक मंच बन गया है तथा 100 से अधिक देशों में इसका आयोजन किया जाता है। इस साल विश्व पर्यावरण दिवस की थीम 'हमारी भूमि' नारे के तहत "भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखा लचीलापन" पर केंद्रित है। इसका वैश्विक मेज़बान सऊदी अरब है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में भारत ने 'बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन' (Beat Plastic Pollution) थीम के साथ विश्व पर्यावरण दिवस के अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम की मेज़बानी की थी। भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम :- भारत सरकार ने पर्यावरण के संरक्षण लिए 29 मई 1986 को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986...

उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोककथाएं (एक गंगोल सौ रंगोल)

उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोककथाएं  लोककथा : एक गंगोल सौ रंगोल  बहुत समय पहले की बात है। पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट क्षेत्र में हर महीने 'हाट' यानी 'बाजार' लगा करती थी। जिसमें लगभग सौ व्यापारियों की दुकान लगती थी। दूर-दूर से व्यापारी उस बाजार में व्यापार करने आते थे। तत्कालीन समय में व्यापार के लिए विनिमय प्रणाली और सिक्कों के माध्यम से व्यापार होता था। व्यापार में मुख्य रूप से सूती व ऊनी वस्त्र, सूखे मेवे, विभिन्न प्रकार के बर्तन चीनी, तेल, गुड़, तम्बाकू, साबुन, सौन्दर्य सामग्री, जूते व खालें आदि प्रमुख थे। गंगोलीहाट के लोग उन व्यापारियों को अपने खेतों में दुकान लगाने के लिए जगह देते थे। जिसके बदले किराया और उनकी सामग्री मुफ्त में लिया करते थे जो व्यापारियों के लिए घाटे का सौदा होता था। इससे नाखुश होकर व्यापारियों को एक तरकीब सूझी। और उन्होंने मिलकर यह फैसला किया कि वह अगली बार अपने व्यापार के लिए किसी दूसरे स्थान पर बाजार लगाएंगे।  यह बात एक गंगोल यानी कि गंगोलीहाट के व्यक्ति को मालूम पड़ गई और उसने एक योजना बनाई। वह उन व्यापारियों के पास गया और उनसे कहा - मेरे पास 4 नाल...

हिन्दी प्रश्नोत्तरी -03 (शब्दों का वर्गीकरण)

हिन्दी प्रश्नोत्तरी (भाग -03) शब्दों के वर्गीकरण से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्न  वर्तमान परिक्षा के पैटर्न को देखते हुए दिए गए लेख में शब्दों के वर्गीकरण (हिन्दी नोट्स भाग -03) से 40+ बहुविकल्पीय प्रश्नों को तैयार किया गया है। इस प्रश्नोत्तरी में तार्किक प्रश्न, सुमेलित, कथन-कारक वाले बहुविकल्पीय प्रश्नों को तैयार किया गया है। उम्मीद करते हैं इन प्रश्नों के हल करने से आपके हिन्दी में शब्दों के वर्गीकरण से सम्बंधित सभी प्रश्नों के उत्तर सही करने में मदद मिलेगी। हिन्दी प्रश्नोत्तरी (भाग-03) (1) शब्दों का वर्गीकरण कितने आधारों पर किया जा सकता है? (a) दो (b) तीन (c) चार (d) पाँच (2) उत्पत्ति / स्रोत / इतिहास के आधार पर कौन से शब्द नहीं आते हैं? (a) तत्सम शब्द (b) योगिक शब्द (c) देशज शब्द (d) विदेशी शब्द (3) निम्न कथनों पर विचार कीजिए  कथन 1: तद्भव शब्दों में अनुस्वार का प्रयोग होता है। कथन 2: तत्सम शब्दों में चंद्रबिंदु का प्रयोग होता है। उत्तर दीजिए  (a) केवल कथन 1 सही है (b) केवल कथन 2 सही है (c) दोनों कथन सही हैं (d) दोनों कथन गलत हैं (4) तद्भव शब्द "पाहन" का तत्सम रूप क्...