लोककथा : खरिया और भरिया नमस्कार दोस्तों आज हम थारू जनजाति कि संस्कृति के संरक्षण के लिए सदियों से प्रचलित लोककथाओं और लोकगीतों को शुरू करने जा रहे हैं। यूं तो थारू जनजाति के लोगों की अपनी कोई भाषा नहीं है। लेकिन सर्वाधिक प्रभाव ब्रजभाषा का देखने को मिलता है। किंतु समय परिर्वतन के साथ पहाड़ी, खड़ी बोली और हिन्दी का प्रभाव देखने को मिलता है। यदि हमारे द्वारा लिखी यह कहानी आपने कभी सुनी हो तो कमेंट अवश्य करें। खरिया और भरिया : लोककथा यह कहानी दो भाइयों की है - खरिया और भरिया। इस कहानी में खरिया बड़ा भाई और थोड़ा चालक था वहीं बढ़िया छोटा भाई और बहुत सीधा साधा था। यह कथा थारू समाज के उसे समय की है जब उनके पास धन के रूप में केवल खेती और मवेशी हुआ करते थे। एक गांव में दो भाई रहा करते थे। दोनों भाई बहुत मेहनती थे लेकिन अक्सर वे आपस के छोटे छोटे विवादों में फंस जाया करते थे। एक दिन अचानक पिता की मृत्यु जाती है। उनके पिता की मृत्यु के बाद, खरिया ने चालाकी से घर की संपत्तियों का बंटवारा कुछ इस तरह किया : कंबल का बंटवारा : खरिया ने कहा, "भाई, यह कंबल दिन में मेरा रहेगा और रात में तुम्...
भाषा विकास का सिद्धांत भाषा का अर्थ एवं परिभाषाएँ. भाषा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के 'भाष' धातु से हुयी है जिसका अर्थ है "व्यक्या वाचि" धातु के अर्थ की दृष्टि से यदि भाषा को परिभाषित किया जाय तो कहा जा सकता है- "विचारों, भावों तथा इच्छाओं को अभिव्यक्त करने की क्षमता रखने वाले वर्णात्मक प्रतीकों की समष्टि को भाषा कहते हैं" भाषा संचार का वह माध्यम है जिसके द्वारा व्यक्ति अपनी भावनाओं को किसी दूसरे व्यक्ति तक तथा दूसरे व्यक्ति की भावनाओं विचारों को समझ सके। भाषा सामान्यतः संकुचित तथा व्यापक दो अर्थों में प्रयुक्त होता है। संकुचित अर्थ में भाषा 'शब्दमयी' और व्यापक अर्थ में अभिव्यक्ति का माध्यम है। विभिन्न शिक्षा शास्त्रियों ने भाषा की निम्नलिखित परिभाषाएँ दी हैं, सुमिनानंदन पंत के अनुसार "भाषा संसार का नादमय चित्र है, ध्वनिमय स्वरूप है, यह विश्व की हृदयतंत्री की झंकार है, जिनके स्वर में अभिव्यक्ति पाती है।" सीताराम चतुर्वेदी के अनुसार - "भाषा के अर्भिभाव से संपूर्ण मानव संसार गूंगों की विराट बस्ती बनने से बच गया" रामचंद्र वर्मा के ...