सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

भारत के 15वें उपराष्ट्रपति C. P. (Chandrapuram Ponnusamy) Radhakrishnan

 भारत के 15वें उपराष्ट्रपति भारत के 15वें उपराष्ट्रपति C. P. (Chandrapuram Ponnusamy) Radhakrishnan बने हैं । राष्ट्रपति के बाद यह देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। निर्वाचन की जानकारी उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 का मतदान 9 सितम्बर, 2025 को हुआ।  चुनाव भारत के दोनों सदनों (लोकसभा + राज्यसभा) के सांसदों द्वारा गुप्त मताधिकार से हुआ। कुल निर्वाचक (electors) 781 थे, जिनमें से 767 ने मतदान किया। 15 मतपत्र अमान्य घोषित हुए।  परिणाम C. P. Radhakrishnan (NDA उम्मीदवार) ने 452 मत प्राप्त किये।  उनके मुकाबले B. Sudershan Reddy, जिन्हें विपक्ष (INDIA गठबंधन) ने समर्थन दिया था, ने 300 मत प्राप्त किये।  मतों का अंतर 152 रहा।  सी. पी. राधाकृष्णन — व्यक्तिगत एवं राजनीतिक पृष्ठभूमि जन्म : 20 अक्टूबर, 1957, तिरुप्पुर, तमिलनाडु। शिक्षा : उन्होंने BBA (बैचलर ऑफ बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन) की डिग्री प्राप्त की है। आरएसएस और जनसंघ से जुड़ाव: युवावस्था से ही RSS/भाजपा के संगठनों से सक्रियता रही है।  पहले के पद : महाराष्ट्र राज्यपाल (Governor of Maharashtra) झारखंड राज्यपाल का...

August current affairs 2021 in hindi (week -2)

August current 2021 affairs in hindi

8th - 15th August (week - 2)

देवभूमिउत्तराखंड के द्वारा सप्ताह के most important Top 10 weekly current affair हिंदी में तैयार किए जाते हैं। जिनकी 2021 में होने वाली आगामी परीक्षाओं ukpcs, uppcs , uksssc , upsssc , ssc chsl, CGL में शत-प्रतिशत आने की संभावना होती है। यहां से आप जनवरी 2021 से जुलाई तक के प्रत्येक सप्ताह के करंट अफेयर पढ़ सकते हैं। आज की प्रश्नोत्तरी में 8th - 15th August के करंट अफेयर हैं। जिनका विस्तृत वर्णन भी किया गया है।

(1) भिंडावास वन्यजीव अभ्यारण किस राज्य में स्थित है ?

(a) गुजरात

(b) मध्य प्रदेश

(c) हरियाणा

(d) उत्तर प्रदेश

व्याख्या : भिंडावास वन्य जीव अभ्यारण हरियाणा के झज्जर जिले में स्थित है। हाल ही में 4 भारतीय स्थलों को रामसर कन्वेंशन तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्व के आद्रभूमि क्षेत्र के रूप में मान्यता दी गई। भारत में कुल रामसर की संख्या 46 हो गयी है। जिसमें 2 हरियाणा और 2 गुजरात के स्थल हैं। पहली बार हरियाणा प्रदेश के आद्रभूमि क्षेत्रों को रामसर स्थलों में शामिल किया गया है। भिंडावास के अतिरिक्त हरियाणा का सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान और गुजरात के थोल और वाधवाना को रामसर स्थलों में शामिल किया गया है।

Answer - (c)

(2) निम्नलिखित में से किस आईआईटी संस्थान ने उत्तराखंड के लिए भूकंप पूर्व चेतावनी मोबाइल ऐप "EEW" लॉन्च किया है ?

(a) आईआईटी दिल्ली

(b) आईआईटी मद्रास

(c) आईआईटी खड़गपुर

(d) आईआईटी रुड़की

व्याख्या : उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा 'उत्तराखंड भूकंप अलर्ट' एप को आईआईटी रुड़की ने विकसित किया है जिसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। कहा जा रहा है कि यह दुनिया का एकमात्र ऐसा एप है जो भूकंप के दौरान दुर्भाग्यवश फंस गए लोगों का स्थान रिकॉर्ड करता है और आपदा सहायता बल को इसकी सूचना भी देता है ।' उत्तराखंड भूकंप अलर्ट' एप लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है ।

Answer - (d)

(3) प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत की गई थी -

(a) 1 मई 2016

(b) 1 अप्रैल 2016

(c) 1 मई 2017

(d) 1 अप्रैल 2017

व्याख्या : प्रधानमंत्री उज्जवल योजना (PMUY) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से शुरू किया गया था। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा शुरू की गई इस योजना का मुख्य उद्देश्य 2019 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवारों को खाना पकाने के ईंधन के रूप में एलपीजी जैसी कुकिंग फ्यूल उपलब्ध कराना था। हाल ही में प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 11अगस्त 2021को उज्जवल 2.0 को उत्तर प्रदेश में महोबा से शुरू किया गया है।

Answer - (a)

(4) निम्नलिखित में से कौन सा कार्य स्वयं सहायता समूह का नहीं है ?

(a) गरीबों और हाशिए के लोगों की कार्यात्मक क्षमता का निर्माण करना

(b) सामूहिक नेतृत्व के माध्यम से संघर्षों का समाधान

(c) कोलैटरल (collateral) मुक्त ऋण प्रदान करना

(d) रोजगार प्रदान करना

व्याख्या :- स्वयं सहायता समूह ऐसे लोगों का अनौपचारिक संघ है जो अपने जीवन में सुधार के तरीके खोजने के लिए एक साथ काम करना चाहते हैं। ये समूह रोजगार और आय सर्जन की गतिविधियों के क्षेत्र में गरीबों और हाशिए के लोगों की कार्यात्मक क्षमता का निर्माण करते हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर नारी शक्ति से संवाद कार्यक्रम के माध्यम से महिला स्वयं सहायता समूह के सदस्यों से बात की। 

Answer - (d)

(5) हाल ही में उत्तर भारत के पहले आर्किड संरक्षण केंद्र का उद्घाटन उत्तराखंड के किस जनपद में किया जाएगा है ?

(a) उत्तरकाशी

(b) चमोली

(c) देहरादून

(d) नैनीताल

व्याख्या :- 30 जुलाई 2021 को उत्तराखंड के पहले आर्किड संरक्षण केंद्र का उद्घाटन चमोली जिले में किया गया है। आर्किड के अंतर्गत विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं जिसमें से ज्यादातर प्रजातियां औषधिया गुणों से युक्त और परिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण होती हैं। आर्किड केंद्र बनाने का मुख्य उद्देश्य आर्किड प्रजातियां का संरक्षण करना, पर्यटन को बढ़ावा देना, और स्थानीय लोगों के लिए आजीविका के अवसर प्रदान करना है । उत्तराखंड के चमोली जनपद के आर्किड क्षेत्र में  लगभग 70 प्रजातियां पाई गई हैं।

Answer - (b)

(6) निम्न में से हाल ही में सेटेलाइट फोन का उपयोग करने वाला पहला राष्ट्रीय उद्यान बन गया है ?

(a) रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान

(b) काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान

(c) जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान

(d) कान्टा टाइगर रिजर्व

व्याख्या : असम के चीफ सेक्रेटरी जिस्नु बरूआ ने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को 10 सैटेलाइट फोन प्रदान किए ताकि कम्युनिकेशन की समस्या को कम किया जा सके । यह भारत का पहला राष्ट्रीय पार्क होगा जहां सेटेलाइट फोन का प्रयोग किया जाएगा। इनको बनाने की कुल लागत ₹14 लाख है इसका  संचालन बीएसएनएल द्वारा किया जाएगा ।

Answer -(b)

(7) श्री नितिन गडकरी ने हाल ही में किस राज्य में 1000 करोड रुपए की सड़क और राजमार्ग परियोजनाओं की घोषणा की है ?

(a) केरल

(b) गुजरात

(c) महाराष्ट्र

(d) उत्तराखंड

व्याख्या : हाल ही में केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की सिफारिश पर मसूरी से टिहरी झील तक दो लेन वाली सड़क के लिए 1000 करोड़ रुपए देने की घोषणा की है। इसके अतिरिक्त केंद्रीय सड़कों के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 300 करोड़ अतिरिक्त धनराशि भी दी जाएगी। 

Answer - (d)

(8) हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने महिला सशक्तिकरण और बाल विकास  विभाग का ब्रांड एंबेसडर किसे बनाया है ?

(a) वंदना कटारिया

(b) राधा रतूड़ी

(c) उर्वशी रौतेला

(d) प्रीति पंत

व्याख्या : टोक्यो ओलंपिक 2020 के हॉकी के एक ही मैच में तीन गोल करके इतिहास रचने वाली हरिद्वार जिले की वंदना कटारिया को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने राज्य के महिला सशक्तिकरण और बाल विकास विभाग का ब्रांड एंबेसडर बनाया है।

Answer - (a)

(9) टोक्यो ओलंपिक पदक तालिका में भारत का कौन सा स्थान रहा ?

(a) 46वां

(b) 47वां

(c) 48वां

(d) 49वां

व्याख्या : टोक्यो ओलंपिक 2020 ( 32 वां ) का समापन 8 अगस्त 2021 को हो गया। इसकी शुरुआत 23 जुलाई 2021 को हुई थी। इस ओलंपिक में भारत अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के 7 पदकों के साथ 48वें पायदान पर रहा। जबकि अमेरिका 113 पदकों के साथ प्रथम , चीन 88 पदकों के साथ दूसरे , और जापान 58 पदकों के साथ तीसरे पायदान पर रहा। बता दें कि विश्व के पहले ओलंपिक का आयोजन एचेंस (यूनान) में 1896 में किया गया था।‌ अब तक सिर्फ तीन बार 1916, 1940 और 1944 में इन खेलों का आयोजन नहीं हो पाया। भारत में सन् 1900 से अब तक केवल 35 पदक जीते हैं। अगला ओलंपिक 2024 में फ्रांस की राजधानी पेरिस में आयोजित किया जाएगा।

Answer - (c)

(10) निम्नलिखित सुरंगों को उनके राज्यों के साथ सम्मिलित करें -

(i) कुथिरन सुरंग‌।                            (A) हिमाचल

(ii) बनिहाल-काजीगुंड सड़क सुरंग। (B) केरल

(iii) अटल सुरंग।                            (C) लद्दाख

(iv) जोजिला सुरंग।                       (D) जम्मू और कश्मीर

(a) (i) B, (ii) D, (iii) A, (iv) C

(b) (i) A, (ii) B, (iii) C, (iv) D

(c) (i) B, (ii) D, (iii) C, (iv) A

(d) (i) A,  (ii) C, (iii) B, (iv) D

व्याख्या : जोजिला सुरंग = इस सुरंग का निर्माण लद्दाख में 2020 से शुरू किया गया है। यह 14.15 किलोमीटर लंबी सुरंग NH-1 पर श्रीनगर घाटी और लेह के बीच सभी मौसमों में आवागमन को सुलभ कराएगी। इस परियोजना को 6 सालों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

अटल सुरंग = हिमाचल प्रदेश में स्थित अटल सुरंग का उद्घाटन अक्टूबर 2020 में किया गया था। इस सुरंग को पूरा करने में 10 वर्ष लगे । 9.02 किलोमीटर अटल सुरंग की शुरुआत 2010 में की गई थी। इस सड़क सुरंग का निर्माण सीमा सड़क संगठन द्वारा किया गया है । यह मनाली को लाहौल स्पीति घाटी से जोड़ती है।

बनिहाल-काजीगुंड सड़क सुरंग‌ = इस सुरंग का निर्माण जम्मू और कश्मीर के बनिहाल दर्रे पर किया जा रहा है। यह भारत की सबसे लंबी जवाहर सुरंग का स्थान लेगी । जवाहर सुरंग हिमस्खलन की चपेट में आ जाने से क्षतिग्रस्त हो गई थी।

कुथिरन सुरंग = यह केरल प्रदेश की पहली सड़क सुरंग है जो केरल के त्रिशूर जिले के कुथिरन में स्थित है। यह 1.6 किलोमीटर लंबी है जो पीची-बजहानी वन्य जीव अभ्यारण से होकर निकलती है।

Answer -(a)



Source : the Hindu, bbc news, Dainik Jagran

Related posts :-




टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

उत्तराखंड में भूमि बंदोबस्त का इतिहास

  भूमि बंदोबस्त व्यवस्था         उत्तराखंड का इतिहास भूमि बंदोबस्त आवश्यकता क्यों ? जब देश में उद्योगों का विकास नहीं हुआ था तो समस्त अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर थी। उस समय राजा को सर्वाधिक कर की प्राप्ति कृषि से होती थी। अतः भू राजस्व आय प्राप्त करने के लिए भूमि बंदोबस्त व्यवस्था लागू की जाती थी । दरअसल जब भी कोई राजवंश का अंत होता है तब एक नया राजवंश नयी बंदोबस्ती लाता है।  हालांकि ब्रिटिश शासन से पहले सभी शासकों ने मनुस्मृति में उल्लेखित भूमि बंदोबस्त व्यवस्था का प्रयोग किया था । ब्रिटिश काल के प्रारंभिक समय में पहला भूमि बंदोबस्त 1815 में लाया गया। तब से लेकर अब तक कुल 12 भूमि बंदोबस्त उत्तराखंड में हो चुके हैं। हालांकि गोरखाओ द्वारा सन 1812 में भी भूमि बंदोबस्त का कार्य किया गया था। लेकिन गोरखाओं द्वारा लागू बन्दोबस्त को अंग्रेजों ने स्वीकार नहीं किया। ब्रिटिश काल में भूमि को कुमाऊं में थात कहा जाता था। और कृषक को थातवान कहा जाता था। जहां पूरे भारत में स्थायी बंदोबस्त, रैयतवाड़ी बंदोबस्त और महालवाड़ी बंदोबस्त व्यवस्था लागू थी। वही ब्रिटिश अधिकारियों ...

ब्रिटिश कुमाऊं कमिश्नर : उत्तराखंड

ब्रिटिश कुमाऊं कमिश्नर उत्तराखंड 1815 में गोरखों को पराजित करने के पश्चात उत्तराखंड में ईस्ट इंडिया कंपनी के माध्यम से ब्रिटिश शासन प्रारंभ हुआ। उत्तराखंड में अंग्रेजों की विजय के बाद कुमाऊं पर ब्रिटिश सरकार का शासन स्थापित हो गया और गढ़वाल मंडल को दो भागों में विभाजित किया गया। ब्रिटिश गढ़वाल और टिहरी गढ़वाल। अंग्रेजों ने अलकनंदा नदी का पश्चिमी भू-भाग पर परमार वंश के 55वें शासक सुदर्शन शाह को दे दिया। जहां सुदर्शन शाह ने टिहरी को नई राजधानी बनाकर टिहरी वंश की स्थापना की । वहीं दूसरी तरफ अलकनंदा नदी के पूर्वी भू-भाग पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया। जिसे अंग्रेजों ने ब्रिटिश गढ़वाल नाम दिया। उत्तराखंड में ब्रिटिश शासन - 1815 ब्रिटिश सरकार कुमाऊं के भू-राजनीतिक महत्व को देखते हुए 1815 में कुमाऊं पर गैर-विनियमित क्षेत्र के रूप में शासन स्थापित किया अर्थात इस क्षेत्र में बंगाल प्रेसिडेंसी के अधिनियम पूर्ण रुप से लागू नहीं किए गए। कुछ को आंशिक रूप से प्रभावी किया गया तथा लेकिन अधिकांश नियम स्थानीय अधिकारियों को अपनी सुविधानुसार प्रभावी करने की अनुमति दी गई। गैर-विनियमित प्रांतों के जिला प्रमु...

परमार वंश - उत्तराखंड का इतिहास (भाग -1)

उत्तराखंड का इतिहास History of Uttarakhand भाग -1 परमार वंश का इतिहास उत्तराखंड में सर्वाधिक विवादित और मतभेद पूर्ण रहा है। जो परमार वंश के इतिहास को कठिन बनाता है परंतु विभिन्न इतिहासकारों की पुस्तकों का गहन विश्लेषण करके तथा पुस्तक उत्तराखंड का राजनैतिक इतिहास (अजय रावत) को मुख्य आधार मानकर परमार वंश के संपूर्ण नोट्स प्रस्तुत लेख में तैयार किए गए हैं। उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में 688 ईसवी से 1947 ईसवी तक शासकों ने शासन किया है (बैकेट के अनुसार)।  गढ़वाल में परमार वंश का शासन सबसे अधिक रहा।   जिसमें लगभग 12 शासकों का अध्ययन विस्तारपूर्वक दो भागों में विभाजित करके करेंगे और अंत में लेख से संबंधित प्रश्नों का भी अध्ययन करेंगे। परमार वंश (गढ़वाल मंडल) (भाग -1) छठी सदी में हर्षवर्धन की मृत्यु के पश्चात संपूर्ण उत्तर भारत में भारी उथल-पुथल हुई । देश में कहीं भी कोई बड़ी महाशक्ति नहीं बची थी । जो सभी प्रांतों पर नियंत्रण स्थापित कर सके। बड़े-बड़े जनपदों के साथ छोटे-छोटे प्रांत भी स्वतंत्रता की घोषणा करने लगे। कन्नौज से सुदूर उत्तर में स्थित उत्तराखंड की पहाड़ियों में भी कुछ ऐसा ही...

कुणिंद वंश का इतिहास (1500 ईसा पूर्व - 300 ईसवी)

कुणिंद वंश का इतिहास   History of Kunid dynasty   (1500 ईसा पूर्व - 300 ईसवी)  उत्तराखंड का इतिहास उत्तराखंड मूलतः एक घने जंगल और ऊंची ऊंची चोटी वाले पहाड़ों का क्षेत्र था। इसका अधिकांश भाग बिहड़, विरान, जंगलों से भरा हुआ था। इसीलिए यहां किसी स्थाई राज्य के स्थापित होने की स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती है। थोड़े बहुत सिक्कों, अभिलेखों व साहित्यक स्रोत के आधार पर इसके प्राचीन इतिहास के सूत्रों को जोड़ा गया है । अर्थात कुणिंद वंश के इतिहास में क्रमबद्धता का अभाव है।               सूत्रों के मुताबिक कुणिंद राजवंश उत्तराखंड में शासन करने वाला प्रथम प्राचीन राजवंश है । जिसका प्रारंभिक समय ॠग्वैदिक काल से माना जाता है। रामायण के किस्किंधा कांड में कुणिंदों की जानकारी मिलती है और विष्णु पुराण में कुणिंद को कुणिंद पल्यकस्य कहा गया है। कुणिंद राजवंश के साक्ष्य के रूप में अभी तक 5 अभिलेख प्राप्त हुए हैं। जिसमें से एक मथुरा और 4 भरहूत से प्राप्त हुए हैं। वर्तमान समय में मथुरा उत्तर प्रदेश में स्थित है। जबकि भरहूत मध्यप्रदेश में है। कुणिंद वंश का ...

उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित प्रश्न (उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी -14)

उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी -14 उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियां वर्ष 1965 में केंद्र सरकार ने जनजातियों की पहचान के लिए लोकर समिति का गठन किया। लोकर समिति की सिफारिश पर 1967 में उत्तराखंड की 5 जनजातियों थारू, जौनसारी, भोटिया, बोक्सा, और राजी को एसटी (ST) का दर्जा मिला । राज्य की मात्र 2 जनजातियों को आदिम जनजाति का दर्जा प्राप्त है । सर्वप्रथम राज्य की राजी जनजाति को आदिम जनजाति का दर्जा मिला। बोक्सा जनजाति को 1981 में आदिम जनजाति का दर्जा प्राप्त हुआ था । राज्य में सर्वाधिक आबादी थारू जनजाति तथा सबसे कम आबादी राज्यों की रहती है। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की कुल एसटी आबादी 2,91,903 है। जुलाई 2001 से राज्य सेवाओं में अनुसूचित जन जातियों को 4% आरक्षण प्राप्त है। उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित प्रश्न विशेष सूचना :- लेख में दिए गए अधिकांश प्रश्न समूह-ग की पुरानी परीक्षाओं में पूछे गए हैं। और कुछ प्रश्न वर्तमान परीक्षाओं को देखते हुए उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित 25+ प्रश्न तैयार किए गए हैं। जो आगामी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। बता दें की उत्तराखंड के 40 प्रश्नों में से 2...

भारत की जनगणना 2011 से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न (भाग -01)

भारत की जनगणना 2011 मित्रों वर्तमान परीक्षाओं को पास करने के लिए रखने से बात नहीं बनेगी अब चाहे वह इतिहास भूगोल हो या हमारे भारत की जनगणना हो अगर हम रटते हैं तो बहुत सारे तथ्यों को रटना पड़ेगा जिनको याद रखना संभव नहीं है कोशिश कीजिए समझ लीजिए और एक दूसरे से रिलेट कीजिए। आज हम 2011 की जनगणना के सभी तथ्यों को समझाने की कोशिश करेंगे। यहां प्रत्येक बिन्दु का भौगोलिक कारण उल्लेख करना संभव नहीं है। इसलिए जब आप भारत की जनगणना के नोट्स तैयार करें तो भौगोलिक कारणों पर विचार अवश्य करें जैसे अगर किसी की जनसंख्या अधिक है तो क्यों है ?, अगर किसी की साक्षरता दर अधिक है तो क्यों है? अगर आप इस तरह करेंगे तो शत-प्रतिशत है कि आप लंबे समय तक इन चीजों को याद रख पाएंगे साथ ही उनसे संबंधित अन्य तथ्य को भी आपको याद रख सकेंगे ।  भारत की जनगणना (भाग -01) वर्ष 2011 में भारत की 15वीं जनगणना की गई थी। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत का कुल क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किलोमीटर था तथा भारत की कुल आबादी 121,08,54,922 (121 करोड़) थी। जिसमें पुरुषों की जनसंख्या 62.32 करोड़ एवं महिलाओं की 51.47 करोड़ थी। जनसंख्या की दृष...

पौरव वंश का इतिहास (उत्तराखंड का इतिहास)

 उत्तराखंड का इतिहास पौरव राजवंश अल्मोड़ा जनपद के तालेश्वर नामक (वर्तमान पिथौरागढ़) स्थान से तांबे एवं अष्टधातु के अभिलेख प्राप्त हुए हैं। जिसमें यह उल्लेख मिलता है कि छठी शताब्दी में ब्रह्मपुर में पौरवों का शासन था। इस वंश के प्रमुख शासकों में विष्णुवर्मन प्रथम, वृषवर्मन, अग्निवर्मन, धुतिवर्मन तथा विष्णुवर्मन द्वितीय का नाम आता है। इसके अतिरिक्त मार्कंडेय पुराण में भी पौरवों का उल्लेख मिलता है। तालेश्वर ताम्रपत्रों में कत्यूरियों की राजधानी कार्तिकेयपुर का उल्लेख एक ग्राम के रूप में हुआ है। पौरव वंश की पृष्ठभूमि  उम्मीद है आपने उत्तराखंड के इतिहास की अध्ययन सीरीज में कुणिंद वंश का इतिहास विस्तार पूर्वक पढ़ लिया होगा। जैसा कि आप जानते हैं कि उत्तराखंड में शासन करने वाली पहली राजनीतिक शक्ति कुणिंद थी जिसका सबसे शक्तिशाली शासक  अमोघभूति था। अमोघभूति की मृत्यु के पश्चात कुणिंद शासकों का विघटन प्रारंभ हो गया। जहां एक तरफ कुणिंद शासकों का साम्राज्य सिकुड़ता जा रहा था। वहीं दूसरी तरफ बाहरी शक्तियों का आक्रमण बढ़ता जा रहा था। उत्तरवर्ती कुणिंदो के समकालीन कुणिंदों के आधे भाग पर ...