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Uksssc Mock Test - 132

Uksssc Mock Test -132 देवभूमि उत्तराखंड द्वारा आगामी परीक्षाओं हेतु फ्री टेस्ट सीरीज उपलब्ध हैं। पीडीएफ फाइल में प्राप्त करने के लिए संपर्क करें। और टेलीग्राम चैनल से अवश्य जुड़े। Join telegram channel - click here उत्तराखंड समूह ग मॉडल पेपर  (1) सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए और सूचियां के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।              सूची-I.                  सूची-II  A. पूर्वी कुमाऊनी वर्ग          1. फल्दाकोटी B. पश्चिमी कुमाऊनी वर्ग       2. असकोटी  C. दक्षिणी कुमाऊनी वर्ग       3. जोहार D. उत्तरी कुमाऊनी वर्ग.        4.  रचभैसी कूट :        A.   B.  C.   D  (a)  1.    2.  3.   4 (b)  2.    1.  4.   3 (c)  3.    1.   2.  4 (d) 4.    2.   3.   1 (2) बांग्ला भाषा उत्तराखंड के किस भाग में बोली जाती है (a) दक्षिणी गढ़वाल (b) कुमाऊं (c) दक्षिणी कुमाऊं (d) इनमें से कोई नहीं (3) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 1. हिंदी में उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण है 2. हिंदी में लेखन के आधार पर 46 वर्ण है उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/ कौन से सही है? (a) केवल 1 (b) केवल 2  (c) 1 और 2 द

मुगल काल : बाबर का इतिहास

 मध्यकालीन इतिहास

मुगल वंश का संस्थापक - बाबर का इतिहास 

मुगल वंश का संस्थापक बाबर को माना जाता है। बाबर को इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खां, पंजाब का सूबेदार दौलत खां और राणा सांगा ने दिल्ली पर आक्रमण करने के लिए आमंत्रित किया था, बाबर का पूरा नाम जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर था, बाबर एक तुर्की मुसलमान था। बाबर का जन्म 14 फरवरी 1483 ईसवी ट्रांस आशियाना के फरगना  में हुआ था। बाबर के पिता का नाम उमर शेख मिर्जा व माता का नाम कुतुबलुग निगर खानम  था। बाबर अपने पिता की मृत्यु के पश्चात मात्र 11 वर्ष की आयु में 1494 ईसवी में फरगना की गद्दी पर बैठा। सन 1501 में बाबर और शैबानी खाॅ के बीच समरकंद के लिए युद्ध हुआ। शैबानी खाॅ ने बाबर को समरकंद (मध्य एशिया) से खदेड़ दिया ।  उज्बेकों , उस्मानी सफवीं  की आपसी लड़ाई से डरकर बाबर अपने एक दूर के चाचा के पास अफगानिस्तान में आया। 1504 में बाबर ने काबुल पर अधिकार कर लिया। बाबर ने भारत पर 5 बार आक्रमण किया। बाबर ने भारत के विरुद्ध प्रथम आक्रमण 1519 में बाजौर के युसूफजई के खिलाफ किया। इसी युद्ध के दौरान उसने भिरा के किले को  जीत लिया। इस युद्ध में पहली बार तोपखाने का प्रयोग किया गया ।  सन 1526 में पानीपत का प्रथम युद्ध बाबर और इब्राहिम लोदी के मध्य युद्ध हुआ । इसके साथ ही बाबर ने मुगल साम्राज्य की नींव रखी ।  बाबर के दो प्रसिद्ध  निशानेबाज तोपची उस्ताद अली और मुस्तफा थे । दोनों ने युद्ध को जितने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । 

बाबर के जीत कारण निम्नलिखित कारण थे ।     

1. सैन्य कुशलता।         
                                       
2. तोपखाने का प्रयोग। 

3. युद्ध शिक्षा में निपुण ।
उज्बेकों से - तेलुगु में युद्ध प्रणाली सीखी।
ईरानियों से - बंदूकों का प्रयोग सीखा
तुर्कों से -। घुड़सवारी सीखी
मंगोल-अफगानों से - युद्ध की व्यूह  रचना  सीखी।

             बाबर ने निम्न दो उपाधियां धारण की कलंदर और गाजी। यह एक कुशल और बुद्धिमान शासक था। जिसका उल्लेख बाबरनामा में किया गया है।  बाबरनामा की रचना स्वयं बाबर ने तुर्की भाषा में की थी जबकि इसका फारसी अनुवाद अब्दुर्र रहीम खानखाना ने किया था। बाबरनामा में विजयनगर और मेवाड़ राज्य का उल्लेख मिलता है । 1504 में काबुल में विजय होने के उपरांत बाबर ने "पादशाह" की उपाधि धारण की। जबकि इसके पहले बाबर के पूर्वजों द्वारा मिर्ज़ा की उपाधि धारण की जाती थी। वहीं पानीपत के युद्ध में विजयी होने के बाद "बादशाह" की उपाधि धारण की। 26 दिसंबर 1530 को बाबर की मृत्यु आगरा में हो गई। बाबर को पहले आगरा में दफनाया गया । बाद में उसके पुत्र हुमायूं के आदेश अनुसार काबुल में दफनाया गया। 

बाबर द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध 

पानीपत का प्रथम युद्ध -1526

पानीपत का प्रथम युद्ध बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच 21अप्रैल 1526 में लड़ा गया। सर्वप्रथम बाबर ने 12000 लोगों की सेना के साथ सिंधु नदी पार पानीपत के मैदान में लोदी की सेना का सामना किया। बाबर ने इस युद्ध में कुशल नेतृत्व और *तुगलुमा व उस्मानी युद्ध पद्धति का प्रयोग कर युद्ध जीत लियायुद्ध जीतने के बाद बाबर ने सरदारों को उचित पुरस्कार दिए वह प्रत्येक का मूल निवासी को एक एक चांदी का सिक्का प्रदान किए।

*तुगलुमा युद्ध पद्धति - इस पद्धति का संबंध सेना को व्यवस्थित रूप से तैयार करना था। इसमें पूरी सेना को छोटी-छोटी टुकड़ियों में बाएं , दाएं और मध्य में विभाजित करके दुश्मनों को चारों तरफ से घेरकर हराया जाता था।

*उस्मानी पद्धति - इस पद्धति का संबंध तोपो को सजाने से था। अर्थात दो दो गाड़ियों के बीच छाती की ऊंचाई पर तोपे रखने की जगह बनाई जाती थी।

नोट :- पानीपत के युद्ध में बाबर का साथ देने का वादा महाराणा  सांगा ने किया था किंतु युद्ध में सहायता नहीं की। इसलिए बाबर का अगला अभियान राणा सांगा के विरुद्ध था ।

 खानवा का युद्ध - 1527

खानवा का युद्ध 17 मार्च 1527 बाबर और राणा सांगा के बीच लड़ा गया । इसमें बाबर ने जिहाद की घोषणा की । 

चंदेरी का युद्ध - 1528

चंदेरी का युद्ध - 19 जनवरी 1528 बाबर और मेदनी राय के बीच हुआ ।

घाघरा का युद्ध - 1529 

 घाघरा का युद्ध - 1529 को बाबर और अफगानो के बीच लड़ा गया। 

बाबर ने मुगई यान पद शैली का विकास किया बाबर के जीवन से धैर्य और संकल्प से सफलता की शिक्षा मिलती है । बाल्य व्यवस्था में ही पिता का साया छिन जाने के बावजूद बाबर ने मुगल वंश की नींव डाली । बाबर ने अपने पुत्र हुमायूं को सलाह दी कि संसार उसका है जो परिश्रम करता है तुम किसी भी विपत्ति से मुकाबला करने से मत चूकना परिश्रम हीनता और राम बादशाह के लिए हराम है । अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद का निर्माण बाबर के सेनानायक मीर वाकिर ने कराया।

Source : NCERT books

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