ब्रजभाषा का इतिहास
गद्य पद
पद्य के बारे में
प्रस्तुत सभी पंक्तियां मेरे द्वारा स्वयं लिखी गई है । जैसा कि आप सभी को पता है । मेरी जितनी रचनाएं होती हैं उन्हें प्रेरणा , उत्साह और जानकारी छुपी होती है । जिसके द्वारा आप को प्रेरणा भी मिलती है, उत्साह भी मिलता है ,और थोड़ी सी जानकारी भी मिलती है । जैसा कि ऊपर वर्णित कविता के सभी पद ब्रज भाषा में लिखे गए हैं। ब्रजभाषा उस समय में गद्य और पद्य की मुख्य भाषा थी । जिसका समय तेरहवीं सदी से 18 वीं सदी तक बताया जाता है। मध्यकालीन युग की सबसे विख्यात भाषा ब्रजभाषा ही थी जो कृष्ण भक्ति से उत्पन्न हुई थी। सबसे प्रमुख बात यह थी कि थारू बोली भी ब्रजभाषा का ही अंश है । आज भी होली के गीत में ब्रजभाषा की ध्वनि सुनाई देती है ।
ब्रजभाषा का परिचय
ब्रजभाषा एक धार्मिक भाषा है । जिसकी उत्पत्ति भक्ति से हुई है। भक्ति काल के दौरान किस्म के सभी भक्तों पदों की रचना करते थे । अपने श्रम में गाया जाता था । जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के उधम सिंह नगर और हरिद्वार में आज भी प्रयोग की जाती है । हालांकि समय के साथ ब्रजभाषा का स्थान हिंदी ने ले लिया है। और यह समय धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है , जिससे अब ब्रजभाषा के चुनिंदा शब्द सुनने को ही मिलेंगे। ब्रजभाषा का प्रारंभ काव्य रचना से हुआ। जिसका श्रेय कृष्ण के भक्तों को जाता है । जिसमें प्रमुख है- सूरदास, रहीम रसखान और बिहारी इत्यादि । आज भी थारू जनजाति के लोग होली में ब्रज भाषा में रचित गीतों का प्रयोग करते हैं । ढोलक मंजिरों के साथ गाते हैं। यह तो सभी जानते हैं कि होली के गीत ब्रज भाषा में है । लेकिन यह लोग बहुत कम जानते हैं कि थारू बोली ब्रजभाषा का ही प्रतिरूप है।
संस्कृत का विकास क्रम -
संस्कृत - पाली - प्राकृत - अपभ्रंश /अबहट्
हिन्दी का विकास क्रम -
ब्रजभाषा - अवधी - खड़ी बोली - हिन्दी
ब्रजभाषा का इतिहास
दरअसल हिंदी भाषा जो हम वर्तमान समय में बोलते हैं। उसने बहुत लंबा सफर तय किया है । सबसे पहले बोली जाती थी। उसके बाद गौतम बुध का समय आया । उन्होंने अपने सारे उपदेश पाली में दिए । ऐसे ही सिलसिला बढ़ता रहा और सम्राट अशोक ने गौतम बुद्ध के उपदेशों का प्रचार करने के लिए प्राकृत भाषा का उपयोग किया। 13वीं सदी से , 5वीं सदी तक चला। और अपभ्रंंश अपहट दौर आया । 13वीं से हिंदी भाषा की नींव पड़ी । जिसमें हिंदी को तीन काल खंडों में बांटा ।
( 1) प्राचीन हिंदी (1100 ई. -1400 ई.)
(2) मध्यकालीन हिंदी (1400-1850ई. )
(3) आधुनिक हिंदी (1850 - अब तक)
हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया। जिनका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 343 से 351 तक किया गया है। वर्तमान में संविधान की अनुसूची में 22 भाषाएं शामिल है हिंदी को 5 वर्गों में बांटा गया है तथा उनकी कुछ भाषाएं हैं इसमें ब्रजभाषा को पश्चिमी हिंदी में शामिल किया गया है।-:
(1) राजस्थानी हिंदी -: मारवाड़ी, जयपुरिया, दुढांढी, मेवाती और मालवी
(2) पश्चिमी हिंदी :- कौरवी या खड़ी बोली, (हरियाणा) , बांगरू या हरियाणवी प्रदेश, ब्रजभाषा ,बुंदेली और कन्नौजी
(3) पूर्वी हिंदी -: अवधी , बघेली, छत्तीसगढ़ी
(4) बिहारी -: भोजपुरी, मगही, मैथिली
(5) पहाड़ी -: कुमाऊनी और गढ़वाली
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Source : hindi lucent, Wikipedia
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