कालू मेहरा : जीवन परिचय प्रस्तावना कुमाऊं की ऊँची-नीची पहाड़ियों और कोहरे से लिपटी घाटियों में, जहाँ हवा में पाइन की सुगंध घुली रहती है, एक ऐसा योद्धा जन्मा जिसने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला दी। कालू सिंह महरा, जिन्हें उत्तराखंड का प्रथम स्वतंत्रता सेनानी कहा जाता है, न केवल एक क्रांतिकारी थे, बल्कि एक प्रेरणा के स्रोत थे—जो साधारण किसानों को असाधारण वीरों में बदल देते थे। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि साहस की कोई सीमा नहीं होती; यह तो बस एक चिंगारी है, जो पूरे जंगल को भस्म कर सकती है। आइए, इस वीर की यात्रा को जीवंत करें, जहाँ हर कदम प्रेरणा का संदेश देता है। प्रारंभिक जीवन: एक कुशाग्र बुद्धि का उदय कालू सिंह मेहरा (picture credit by Google) सन् 1831 में, चम्पावत जिले के लोहाघाट के निकट थुआमहरा (विसुड) के एक साधारण गाँव में, ठाकुर रतिभान सिंह महरा के घर कालू सिंह महरा का जन्म हुआ। बचपन से ही कालू की बुद्धि इतनी तेज थी मानो हिमालय की चोटियों पर चमकती बर्फ की चादर—स्पष्ट और अटल। गृहस्थी के कार्यों में उनकी दक्षता गाँव वालों की जुबान पर चढ़ गई; वे न केवल खेतों में फसलें उग...
हर्षिल का इतिहास उत्तरकाशी हिमाच्छादित पर्वत, निर्झर झरने दूर तक फैले देवदार उत्तराखंड की भूमि में नजर आता हर्षिल का किरदार चिनार के घने जंगल , जोर-जोर से बहती, भागीरथी की अविरल धारा सांप-सी बलखाती टेढ़ी-मेढ़ी राहें, नैनों से बातें करती, हर्षिल की हवाऐं By - देवभूमिउत्तराखंड.com नमस्कार मित्रों इन्हीं पंक्तियों के साथ आज हम देवभूमि उत्तराखंड में हर्षिल के बारे में चर्चा करेंगे । मित्रों आप सभी देवभूमि उत्तराखंड के प्राकृतिक सौंदर्य से भलीभांति परिचित हैं। उन्हीं में से एक पर्यटक स्थल है हर्षिल। हर्षिल शहर की सुंदरता के बारे में जितना कहा जाए कम है। क्योंकि हर्षिल सुंदर बगानों, राहों और प्राकृतिक दृश्यों का वह स्थल है जिसकी तुलना यूरोप में स्थित स्विजरलैंड से की जाती है। इसलिए हर्षिल को "उत्तराखंड का स्विजरलैंड" कहा जाता है । (* हर्षिल को भारत का "मिनी स्विट्जरलैंड लैंड" व "उत्तराखंड का स्विट्जरलैंड" कहा जाता है। और चोपता को "उत्तराखंड का मिनी ...