वनबसा : शारदा नदी के तट पर बसा एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नगर उत्तराखंड के चम्पावत जिले में वनबसा, एक ऐसा कस्बा है जो भारत-नेपाल सीमा पर बसा है और अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत व प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। टनकपुर से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह ग्राम पंचायत, जनपद की सबसे बड़ी पंचायतों में से एक है, जहाँ लगभग 10,000+ लोग निवास करते हैं। यहाँ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अन्य समुदायों का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण देखने को मिलता है, जो इस क्षेत्र को एक जीवंत सामाजिक ताने-बाने से जोड़ता है। प्रकृति और इतिहास का संगम शारदा नदी के तट पर बसा वनबसा, मैदानी और पर्वतीय संस्कृतियों का एक अनूठा मेल है। यह स्थान सदियों से पर्वतीय लोगों का प्रिय ठिकाना रहा है। पुराने समय में, जब लोग माल भावर की यात्रा करते थे, वनबसा उनका प्रमुख विश्राम स्थल था। सर्दियों में पहाड़ी लोग यहाँ अपनी गाय-भैंस चराने आते और दिनभर धूप में समय बिताकर लौट जाते। घने जंगलों के बीच बसे होने के कारण, संभवतः इस क्षेत्र का नाम "वनबसा" पड़ा। यहाँ की मूल निवासी थारू और बोक्सा जनजातियाँ इस क्ष...
उत्तराखंड गौरव सम्मान 2024 राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर देहरादून में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पांच विभूतियों को उत्तराखंड गौरव सम्मान से सम्मानित किया। साथ ही 14 पुलिसकर्मियों को पुलिस पदक, राष्ट्रपति पुलिस पदक और जीवन रक्षक पदक से सम्मानित किया गया। अनिल चौहान (पौड़ी गढ़वाल) प्रीतम भरतवाण (टिहरी गढ़वाल) हेमंत पांडेय (पिथौरागढ़) मंगला देवी (पौड़ी गढ़वाल) महेश कुड़ियाल (टिहरी गढ़वाल) अनिल चौहान  पौड़ी जिले के गयाणा गांव निवासी अनिल चौहान देश के दूसरे सीडीएस हैं। वे परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अत्ति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, सेना मेडल से सम्मानित हो चुके हैं। उन्होंने 30 सितंबर 2022 को सीडीएस (चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ) का पदभार संभाला। बीते दो वर्ष में उन्होंने तीनों सेनाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाने में विशेष योगदान दिया। प्रीतम भरतवाण (लोकगायक) टिहरी जिले के रायपुर ब्लॉक के सिला गांव निवासी लीक गायक प्रीतम भरतवाण का उत्तराखंड की लोककलाओं, गीतों और जागरों को प्रोत्साहित करने में विशेष योगदान है।...
