लोककथा : खरिया और भरिया नमस्कार दोस्तों आज हम थारू जनजाति कि संस्कृति के संरक्षण के लिए सदियों से प्रचलित लोककथाओं और लोकगीतों को शुरू करने जा रहे हैं। यूं तो थारू जनजाति के लोगों की अपनी कोई भाषा नहीं है। लेकिन सर्वाधिक प्रभाव ब्रजभाषा का देखने को मिलता है। किंतु समय परिर्वतन के साथ पहाड़ी, खड़ी बोली और हिन्दी का प्रभाव देखने को मिलता है। यदि हमारे द्वारा लिखी यह कहानी आपने कभी सुनी हो तो कमेंट अवश्य करें। खरिया और भरिया : लोककथा यह कहानी दो भाइयों की है - खरिया और भरिया। इस कहानी में खरिया बड़ा भाई और थोड़ा चालक था वहीं बढ़िया छोटा भाई और बहुत सीधा साधा था। यह कथा थारू समाज के उसे समय की है जब उनके पास धन के रूप में केवल खेती और मवेशी हुआ करते थे। एक गांव में दो भाई रहा करते थे। दोनों भाई बहुत मेहनती थे लेकिन अक्सर वे आपस के छोटे छोटे विवादों में फंस जाया करते थे। एक दिन अचानक पिता की मृत्यु जाती है। उनके पिता की मृत्यु के बाद, खरिया ने चालाकी से घर की संपत्तियों का बंटवारा कुछ इस तरह किया : कंबल का बंटवारा : खरिया ने कहा, "भाई, यह कंबल दिन में मेरा रहेगा और रात में तुम्...
उत्तराखंड गौरव सम्मान 2024 राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर देहरादून में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पांच विभूतियों को उत्तराखंड गौरव सम्मान से सम्मानित किया। साथ ही 14 पुलिसकर्मियों को पुलिस पदक, राष्ट्रपति पुलिस पदक और जीवन रक्षक पदक से सम्मानित किया गया। अनिल चौहान (पौड़ी गढ़वाल) प्रीतम भरतवाण (टिहरी गढ़वाल) हेमंत पांडेय (पिथौरागढ़) मंगला देवी (पौड़ी गढ़वाल) महेश कुड़ियाल (टिहरी गढ़वाल) अनिल चौहान पौड़ी जिले के गयाणा गांव निवासी अनिल चौहान देश के दूसरे सीडीएस हैं। वे परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अत्ति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, सेना मेडल से सम्मानित हो चुके हैं। उन्होंने 30 सितंबर 2022 को सीडीएस (चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ) का पदभार संभाला। बीते दो वर्ष में उन्होंने तीनों सेनाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत बनाने में विशेष योगदान दिया। प्रीतम भरतवाण (लोकगायक) टिहरी जिले के रायपुर ब्लॉक के सिला गांव निवासी लीक गायक प्रीतम भरतवाण का उत्तराखंड की लोककलाओं, गीतों और जागरों को प्रोत्साहित करने में विशेष योगदान है।...