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Uksssc Vdo/Vpdo Mock Test - 212

Uksssc Vdo/Vpdo Mock Test 2025  देवभूमि उत्तराखंड द्वारा आगामी परीक्षा उत्तराखंड पटवारी, ग्राम विकास अधिकारी, फोरेस्ट गार्ड और RO/ARO हेतु टेस्ट सीरीज प्रारंभ की गई है। सभी टेस्ट अनुभवी टीम द्वारा तैयार किए जा रहे हैं। टेस्ट सीरीज का लाभ उठाने के लिए संपर्क करें। 9568166280 Uksssc Mock Test - 212 (1) “अन्याला चोट कन्याला” इस लोकोक्ति का अर्थ क्या है ? (A) सर पर भारी चोट लगा (B) अंधे के हाथ  बटेर लगना (C) अंधे पर चोट लगा (D) आने से जाने तक (2) “बाप पेट चय्ल बाजार” कुमाऊनी पहेली का क्या अर्थ है – (A) कददू (B) सेब (C) जीभ (D) पिनालू (3) मकर संक्रांति को स्थानीय भाषा में क्या कहा जाता है (A) घुघुती त्यौहार (B) उत्तरायण (C) चुनिया (D) उपरोक्त सभी (4) उत्तराखंड में ग्रामीण आवासो के निकट की भूमि क्या कहलाती है (A) घरया  (B) बण्या (C) बिचौलि (D) जवाणा (5) निम्नलिखित स्वरों में कौन सा युग्म गलत है (A) मध्य स्वर  - अ (B) विवृत स्वर - आ (C) अर्धविवृत्त स्वर - ई (D) पश्च स्वर - ऊ (6) सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए और सूचियां के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए...

सुंदर लाल बहुगुणा प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार - 2025

करेंट अफेयर्स 2025

देवभूमि उत्तराखंड द्वारा लोक सेवा आयोग एवं उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के आगामी सभी परीक्षाओं हेतु पूर्व परीक्षा एवं लिखित परीक्षा को ध्यान में रखकर विस्तारित करंट अफेयर्स तैयार किया जा रहे हैं। जो मुख्य रूप से लिखित परीक्षा में सहायक होंगे साथ ही बहुविकल्पीय प्रश्नों के साथ लेख से संबंधित प्रश्न तैयार किए गए हैं। जो वर्तमान पैटर्न पर आधारित हैं।


उत्तराखंड करेंट अफेयर्स 2025

सुन्दर दर लाल बहुगुणा प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार 2025 

सुन्दर दर लाल बहुगुणा प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार 2025 की घोषणा विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून 2025) के अवसर पर की गई। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 5 जून 2025 को देहरादून में मुख्यमंत्री आवास, मुख्य सेवक सदन में आयोजित एक समारोह में विजेताओं को सम्मानित किया। इस दौरान पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को पुरस्कार प्रदान किए गए।
  • सरकारी श्रेणी में : नगर निगम रूद्रपुर को प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया ( उप नगर आयुक्त श्रीमती शिप्रा जोशी ने पुरस्कार ग्रहण किया) 
  • गैर-सरकारी श्रेणी में : “श्री विजय जड़धारी” और “श्री प्रताप सिंह पोखरियाल” को किया गया सम्मानित।
विजय जड़धारी : विजय जड़धारी एक प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जो उत्तराखंड में जैविक खेती और बीज संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बीज बचाओ आंदोलन की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य स्थानीय और पारंपरिक बीजों को संरक्षित करना और रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों को कम करना है। उनके प्रयासों ने जैव विविधता संरक्षण और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा दिया है।

प्रताप सिंह पोखरियाल : प्रताप सिंह पोखरियाल भी पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे रुद्रपुर नगर निगम से जुड़े हुए हैं और पर्यावरण जागरूकता, वृक्षारोपण, और स्थानीय स्तर पर पर्यावरणीय पहलों में योगदान के लिए जाने जाते हैं। उनके कार्यों ने स्थानीय समुदायों में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मदद की है।

सुंदर लाल बहुगुणा प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार के बारे में,

सुंदर लाल बहुगुणा प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार उत्तराखंड सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं को सम्मानित करने के लिए स्थापित एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है। 

यह पुरस्कार प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा के नाम पर शुरू किया गया है, जिन्होंने हिमालयी क्षेत्रों में वनों के संरक्षण और पर्यावरण जागरूकता के लिए ऐतिहासिक योगदान दिया। 
यह पुरस्कार पर्यावरण संरक्षण, प्रकृति संरक्षण, और सतत विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करने वालों को प्रोत्साहित करने का एक प्रयास है।

उद्देश्य :
  • यह पुरस्कार पर्यावरण संरक्षण, वन संरक्षण, जैव विविधता संरक्षण, और सतत विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले व्यक्तियों और संगठनों को मान्यता देता है।
  • इसका लक्ष्य सुंदरलाल बहुगुणा के पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना और समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाना है।
  • यह पुरस्कार प्रकृति और पर्यावरण के प्रति उत्तरदायित्व को बढ़ावा देता है, जो सुंदरलाल बहुगुणा का मूल मंत्र था: "पारिस्थितिकी ही स्थायी अर्थव्यवस्था है।"

प्रकृति और श्रेणियाँ: 

पुरस्कार व्यक्तिगत और संस्थागत दोनों श्रेणियों में प्रदान किया जाता है।
  • सरकारी श्रेणी: सरकारी कर्मचारियों, विभागों, या सरकारी पहलों को सम्मानित किया जाता है जो पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहे हैं।
  • गैर-सरकारी श्रेणी: गैर-सरकारी संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, और व्यक्तियों को उनके पर्यावरणीय प्रयासों के लिए सम्मानित किया जाता है। विशिष्ट क्षेत्रों में योगदान जैसे वृक्षारोपण, जल संरक्षण, मिट्टी संरक्षण, और जैव विविधता संरक्षण को प्राथमिकता दी जाती है।

सुंदरलाल बहुगुणा का योगदान:

  • सुंदरलाल बहुगुणा (9 जनवरी 1927 - 21 मई 2021) भारत के एक महान पर्यावरणविद् थे, जिन्होंने चिपको आंदोलन (1970 के दशक) के माध्यम से विश्व स्तर पर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
  • उनके नारे जैसे “क्या हैं जंगल के उपकार, मिट्टी, पानी और बयार” और “पारिस्थितिकी ही स्थायी अर्थव्यवस्था है” आज भी प्रासंगिक हैं।
  • उन्होंने टिहरी बांध के विरोध में भी आंदोलन किया और छोटी, टिकाऊ परियोजनाओं का समर्थन किया। 

लेख से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न 

(1) सुंदरलाल बहुगुणा प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार 2025 की घोषणा कब और कहाँ की गई थी?
A) 5 जून 2025, देहरादून
B) 5 जुलाई 2025, नैनीताल
C) 21 मई 2025, ऋषिकेश
D) 9 जनवरी 2025, गढ़वाल

(2) सुंदरलाल बहुगुणा प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार का उद्देश्य निम्नलिखित में से किसके दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है?
A) औद्योगिक विकास और शहरीकरण
B) तकनीकी नवाचार और आर्थिक विकास
C)  पारिस्थितिकी ही स्थायी अर्थव्यवस्था
D) पर्यटन और सांस्कृतिक संरक्षण

(3) निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सुंदरलाल बहुगुणा प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार 2025 के संदर्भ में सही है?
A) यह पुरस्कार केवल गैर-सरकारी संगठनों को दिया जाता है।
B) यह पुरस्कार सरकारी और गैर-सरकारी दोनों श्रेणियों में प्रदान किया जाता है।
C) यह पुरस्कार केवल व्यक्तियों को दिया जाता है, संस्थानों को नहीं।
D) यह पुरस्कार केवल वृक्षारोपण के क्षेत्र में योगदान के लिए दिया जाता है.

(4) सुंदरलाल बहुगुणा, जिनके नाम पर यह पुरस्कार स्थापित किया गया है, निम्नलिखित में से किस पर्यावरणीय आंदोलन के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं?
A) नर्मदा बचाओ आंदोलन
B) अप्पिको आंदोलन
C) साइलेंट वैली आंदोलन
D)  चिपको आंदोलन

(5) निम्नलिखित दो कथनों पर विचार करें:
कथन I: सुंदरलाल बहुगुणा प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार 2025 में गैर-सरकारी श्रेणी में विजय जड़धारी और प्रताप पोखरियाल को सम्मानित किया गया ।
कथन II: यह पुरस्कार केवल सरकारी संस्थानों को प्रदान किया जाता है और इसका उद्देश्य वृक्षारोपण और जल संरक्षण को प्रोत्साहित करना है।

निम्नलिखित में से कौन-सा विकल्प सही है?

A) केवल कथन I सही है।
B) केवल कथन II सही है।
C) कथन I और कथन II दोनों सही हैं।
D) कथन I और कथन II दोनों गलत हैं।

राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स 

विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day)

विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) प्रतिवर्ष 5 जून को विश्वभर में मनाया जाता है। यह दिन पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक वैश्विक मंच है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा आयोजित यह आयोजन पर्यावरणीय चुनौतियों जैसे प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता ह्रास, और मरुस्थलीकरण आदि पर ध्यान केंद्रित करता है। 

विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम

विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम "प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना" (BeatPlasticPollution) है। इस थीम का उद्देश्य प्लास्टिक प्रदूषण के गंभीर प्रभावों, विशेष रूप से माइक्रोप्लास्टिक्स के मिट्टी, पानी, भोजन, और जीवों पर पड़ने वाले प्रभावों पर ध्यान आकर्षित करना है। यह थीम व्यक्तियों, समुदायों, और सरकारों को प्लास्टिक के उपयोग को कम करने, पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने, और वैकल्पिक सामग्रियों को अपनाने के लिए प्रेरित करती है। 2025 में इस आयोजन की मेजबानी कोरिया गणराज्य करेगा, जो दूसरी बार इस वैश्विक कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है (पहली बार 1997 में)।

विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत 


विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत 1972 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्टॉकहोम सम्मेलन (United Nations Conference on the Human Environment) के दौरान की गई थी, जो 5 से 16 जून 1972 तक स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में आयोजित हुआ था। इस सम्मेलन में 119 देशों ने भाग लिया और पर्यावरण संरक्षण को वैश्विक स्तर पर प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया।

  • पहला विश्व पर्यावरण दिवस : 5 जून 1973 को पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया, जिसकी थीम थी "केवल एक पृथ्वी" (Only One Earth)।
  • औपचारिक शुरुआत: 1974 से यह दिवस नियमित रूप से हर साल 5 जून को मनाया जाने लगा।
  • मेजबान देश: 1987 से प्रत्येक वर्ष एक अलग देश इस आयोजन की मेजबानी करता है, जो थीम और एजेंडे को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत ने 2018 में "बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन" थीम के साथ इसकी मेजबानी की थी।
पिछले कुछ वर्षों की थीम्स :
  • 2023: "Solutions to Plastic Pollution" (BeatPlasticPollution)
  • 2024: "Land Restoration, Desertification, and Drought Resilience" (हमारी भूमि, हमारा भविष्य)
  • 2025: "Ending Plastic Pollution" (BeatPlasticPollution)

विश्व पर्यावरण दिवस का महत्व

विश्व पर्यावरण दिवस का महत्व पर्यावरण संरक्षण के प्रति वैश्विक जागरूकता और कार्रवाई को बढ़ावा देने में निहित है। यह दिन निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:

  • जागरूकता बढ़ाना : यह लोगों को पर्यावरणीय मुद्दों जैसे प्लास्टिक प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, समुद्री प्रदूषण, और जैव विविधता ह्रास के बारे में शिक्षित करता है।
  • सामूहिक कार्रवाई को प्रेरित करना: यह सरकारों, संगठनों, और व्यक्तियों को पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करता है, जैसे पेड़ लगाना, प्लास्टिक उपयोग कम करना, और सतत प्रथाओं को अपनाना।
  • स्वास्थ्य और पर्यावरण का संबंध: प्रदूषण के कारण सांस की बीमारियाँ जैसे अस्थमा बढ़ रही हैं। स्वच्छ पर्यावरण स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है।
  • वैश्विक सहभागिता: 143 से अधिक देश इस आयोजन में भाग लेते हैं, जिससे यह पर्यावरण संरक्षण के लिए एक वैश्विक मंच बन गया है।
  • सतत विकास को बढ़ावा: यह सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में योगदान देता है, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता, और स्वच्छ ऊर्जा से संबंधित लक्ष्यों को।

विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की विशेषताएँ

प्लास्टिक प्रदूषण पर ध्यान: 2025 की थीम प्लास्टिक प्रदूषण, विशेष रूप से माइक्रोप्लास्टिक्स के प्रभावों पर केंद्रित है, जो मिट्टी, पानी, और जीवों में प्रवेश कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, प्रतिवर्ष 400 मिलियन टन प्लास्टिक उत्पादन होता है, जिसमें से केवल 10% रिसाइकिल होता है, और 19-23 मिलियन टन प्लास्टिक जलाशयों, नदियों, और समुद्रों में पहुँच जाता है।
मेजबान देश: कोरिया गणराज्य इस वर्ष के वैश्विक आयोजन की मेजबानी करेगा, जो प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान के लिए नवीन तकनीकों और नीतियों को प्रदर्शित करेगा।
स्थानीय पहल: भारत में, उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश में 5 जून 2025 को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में "वन नेशन, वन मिशन एवं प्लास्टिक पॉल्यूशन" थीम पर कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसके साथ ही "एक पेड़ माँ के नाम" अभियान, वेटलैंड एटलस, और ईको पोर्टल का शुभारंभ होगा। 

योगदान

विश्व पर्यावरण दिवस 2025 में भाग लेने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
  • प्लास्टिक उपयोग कम करें: एकल-उपयोग प्लास्टिक (सिंगल-यूज प्लास्टिक) को कम करें और पुन: उपयोग योग्य सामग्रियों को अपनाएँ।
  • पेड़ लगाएँ: पेड़ लगाना पर्यावरण संरक्षण और ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद करता है, जैसा कि वैदिक ज्योतिष में भी उल्लेख किया गया है।
  • जागरूकता अभियान: स्थानीय स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करें, जैसे स्वच्छता अभियान या कार्यशालाएँ।
  • पुनर्चक्रण: प्लास्टिक और अन्य सामग्रियों के पुनर्चक्रण को बढ़ावा दें।
  • ऊर्जा संरक्षण: बिजली और पानी की बर्बादी को कम करें।

लेख से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न 

(1) विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम क्या है?
A) जलवायु परिवर्तन को रोकना
B) प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना
C) जैव विविधता संरक्षण
D) मरुस्थलीकरण और सूखा प्रतिरोध

(2) विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत कब और किस सम्मेलन के दौरान हुई थी?
A) 1972, स्टॉकहोम सम्मेलन
B) 1974, रियो सम्मेलन
C) 1987, क्योटो प्रोटोकॉल
D) 1997, पेरिस समझौता

(3) निम्नलिखित कथन पर विचार करें:
कथन: विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की मेजबानी कोरिया गणराज्य करेगा, जो पहली बार इस आयोजन की मेजबानी कर रहा है।
कथन के बारे में क्या सही है?
A) कथन सही है।
B) कथन गलत है, क्योंकि कोरिया गणराज्य ने 1997 में भी मेजबानी की थी।
C) कथन गलत है, क्योंकि मेजबान देश भारत है।
D) कथन गलत है, क्योंकि मेजबानी संयुक्त राष्ट्र द्वारा की जाती है।

(4) निम्नलिखित दो कथनों पर विचार करें:
कथन I: विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा किया जाता है।
कथन II: विश्व पर्यावरण दिवस 2025 में भारत में "एक पेड़ माँ के नाम" अभियान शुरू किया जाएगा।
निम्नलिखित में से कौन-सा विकल्प सही है?
A) केवल कथन I सही है।
B) केवल कथन II सही है।
C) कथन I और कथन II दोनों सही हैं।
D) कथन I और कथन II दोनों गलत हैं।

(5) निम्नलिखित में से कौन-सा कथन विश्व पर्यावरण दिवस 2025 के संदर्भ में सही नहीं है?
A) यह आयोजन 5 जून को मनाया जाता है।
B) 2025 की थीम प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने पर केंद्रित है।
C) विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत 1974 में हुई थी।
D) कोरिया गणराज्य 2025 में इसकी मेजबानी करेगा।

(6) पर्यावरण दिवस 2025 की थीम "प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना" का मुख्य उद्देश्य क्या है?
A) औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना
B) माइक्रोप्लास्टिक्स के प्रभावों पर ध्यान आकर्षित करना और पुनर्चक्रण को प्रोत्साहित करना
C) वन संरक्षण पर जोर देना
D) सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना

(7) विश्व पर्यावरण दिवस का पहला आयोजन कब और किस थीम के साथ हुआ था?
A) 1974, "प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना"
B) 1987, "सतत विकास"
C) 1972, "केवल एक पृथ्वी"
D) 1973, "केवल एक पृथ्वी"

(8) विश्व पर्यावरण दिवस के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) से सबसे अधिक संबंधित है?
A) औद्योगिक उत्पादन को बढ़ाना
B) जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता संरक्षण पर ध्यान देना
C) सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण
D) अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना

(9) निम्नलिखित कथन पर विचार करें:
कथन: विश्व पर्यावरण दिवस 2025 में भारत में भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में "वन नेशन, वन मिशन एवं प्लास्टिक पॉल्यूशन" थीम पर कार्यक्रम आयोजित होगा।
कथन के बारे में क्या सही है?
A) कथन सही है।
B) कथन गलत है, क्योंकि कार्यक्रम दिल्ली में आयोजित होगा।
C) कथन गलत है, क्योंकि थीम "जैव विविधता संरक्षण" है।
D) कथन गलत है, क्योंकि भारत 2025 में मेजबान देश नहीं है।

(10) निम्नलिखित में से कौन-सा विकल्प विश्व पर्यावरण दिवस के महत्व के संदर्भ में सही नहीं है?
A) यह पर्यावरणीय जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है।
B) यह सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने में योगदान देता है।
C) इसका मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना है।
D) यह सरकारों और व्यक्तियों को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करता है।

Answer - उत्तराखंड करेंट अफेयर्स (सुन्दर लाल बहुगुणा पुरस्कार 2025)
(1)A, (2)C, (3)B, (4)D, (5)A

राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स (विश्व पर्यावरण दिवस)
(1)B, (2)A, (3)B, (4)C, (5)C, (6)B, (7)D, (8)B, (9)A, (10)C

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उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी -14 उत्तराखंड की प्रमुख जनजातियां वर्ष 1965 में केंद्र सरकार ने जनजातियों की पहचान के लिए लोकर समिति का गठन किया। लोकर समिति की सिफारिश पर 1967 में उत्तराखंड की 5 जनजातियों थारू, जौनसारी, भोटिया, बोक्सा, और राजी को एसटी (ST) का दर्जा मिला । राज्य की मात्र 2 जनजातियों को आदिम जनजाति का दर्जा प्राप्त है । सर्वप्रथम राज्य की राजी जनजाति को आदिम जनजाति का दर्जा मिला। बोक्सा जनजाति को 1981 में आदिम जनजाति का दर्जा प्राप्त हुआ था । राज्य में सर्वाधिक आबादी थारू जनजाति तथा सबसे कम आबादी राज्यों की रहती है। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की कुल एसटी आबादी 2,91,903 है। जुलाई 2001 से राज्य सेवाओं में अनुसूचित जन जातियों को 4% आरक्षण प्राप्त है। उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित प्रश्न विशेष सूचना :- लेख में दिए गए अधिकांश प्रश्न समूह-ग की पुरानी परीक्षाओं में पूछे गए हैं। और कुछ प्रश्न वर्तमान परीक्षाओं को देखते हुए उत्तराखंड की जनजातियों से संबंधित 25+ प्रश्न तैयार किए गए हैं। जो आगामी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। बता दें की उत्तराखंड के 40 प्रश्नों में से 2...

भारत की जनगणना 2011 से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न (भाग -01)

भारत की जनगणना 2011 मित्रों वर्तमान परीक्षाओं को पास करने के लिए रखने से बात नहीं बनेगी अब चाहे वह इतिहास भूगोल हो या हमारे भारत की जनगणना हो अगर हम रटते हैं तो बहुत सारे तथ्यों को रटना पड़ेगा जिनको याद रखना संभव नहीं है कोशिश कीजिए समझ लीजिए और एक दूसरे से रिलेट कीजिए। आज हम 2011 की जनगणना के सभी तथ्यों को समझाने की कोशिश करेंगे। यहां प्रत्येक बिन्दु का भौगोलिक कारण उल्लेख करना संभव नहीं है। इसलिए जब आप भारत की जनगणना के नोट्स तैयार करें तो भौगोलिक कारणों पर विचार अवश्य करें जैसे अगर किसी की जनसंख्या अधिक है तो क्यों है ?, अगर किसी की साक्षरता दर अधिक है तो क्यों है? अगर आप इस तरह करेंगे तो शत-प्रतिशत है कि आप लंबे समय तक इन चीजों को याद रख पाएंगे साथ ही उनसे संबंधित अन्य तथ्य को भी आपको याद रख सकेंगे ।  भारत की जनगणना (भाग -01) वर्ष 2011 में भारत की 15वीं जनगणना की गई थी। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत का कुल क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किलोमीटर था तथा भारत की कुल आबादी 121,08,54,922 (121 करोड़) थी। जिसमें पुरुषों की जनसंख्या 62.32 करोड़ एवं महिलाओं की 51.47 करोड़ थी। जनसंख्या की दृष...

पौरव वंश का इतिहास (उत्तराखंड का इतिहास)

 उत्तराखंड का इतिहास पौरव राजवंश अल्मोड़ा जनपद के तालेश्वर नामक (वर्तमान पिथौरागढ़) स्थान से तांबे एवं अष्टधातु के अभिलेख प्राप्त हुए हैं। जिसमें यह उल्लेख मिलता है कि छठी शताब्दी में ब्रह्मपुर में पौरवों का शासन था। इस वंश के प्रमुख शासकों में विष्णुवर्मन प्रथम, वृषवर्मन, अग्निवर्मन, धुतिवर्मन तथा विष्णुवर्मन द्वितीय का नाम आता है। इसके अतिरिक्त मार्कंडेय पुराण में भी पौरवों का उल्लेख मिलता है। तालेश्वर ताम्रपत्रों में कत्यूरियों की राजधानी कार्तिकेयपुर का उल्लेख एक ग्राम के रूप में हुआ है। पौरव वंश की पृष्ठभूमि  उम्मीद है आपने उत्तराखंड के इतिहास की अध्ययन सीरीज में कुणिंद वंश का इतिहास विस्तार पूर्वक पढ़ लिया होगा। जैसा कि आप जानते हैं कि उत्तराखंड में शासन करने वाली पहली राजनीतिक शक्ति कुणिंद थी जिसका सबसे शक्तिशाली शासक  अमोघभूति था। अमोघभूति की मृत्यु के पश्चात कुणिंद शासकों का विघटन प्रारंभ हो गया। जहां एक तरफ कुणिंद शासकों का साम्राज्य सिकुड़ता जा रहा था। वहीं दूसरी तरफ बाहरी शक्तियों का आक्रमण बढ़ता जा रहा था। उत्तरवर्ती कुणिंदो के समकालीन कुणिंदों के आधे भाग पर ...