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उत्तराखंड का भू-कानून

उत्तराखंड का भू-कानून चर्चा में क्यों? हाल ही में प्रदेश में लगातार चल रही मांग के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एलान किया है कि उनकी सरकार वृहद भू-कानून लाने जा रही है। अगले साल बजट सत्र में कानून का प्रस्ताव लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि 250 वर्ग मीटर आवासीय और 12.50 एकड़ अन्य भूमि के नियम तोड़ने वालों की भूमि जांच के बाद सरकार में निहित की जाएगी। क्या है उत्तराखंड का वर्तमान भू-कानून ? वर्तमान में लागू भू-कानून के तहत एक व्यक्ति को 250 वर्गमीटर जमीन ही खरीद सकता है। लेकिन व्यक्ति के अपने नाम से 250 वर्गमीटर जमीन खरीदने के बाद पत्नी के नाम से भी जमीन खरीदी है तो ऐसे लोगों को मुश्किल आ सकती है। तय सीमा से ज्यादा खरीदी गई जमीन को सरकार में निहित करने की कार्रवाई करेगी। यह कानून केवल बाहरी राज्यों के लोगाें पर लागू है। उत्तराखंड के स्थायी निवासी कितनी भी जमीन खरीद सकते हैं। भू-कानून का इतिहास राज्य में बाहरी लोगों द्वारा भूमि खरीद सीमित करने के लिए वर्ष 2003 में तत्कालीन एनडी तिवारी सरकार ने उत्तर प्रदेश के कानून में संशोधन किया और राज्य का अपना भूमि कानून अस्तित्व में आया। इस संशोध

तीलू रौतेली पुरस्कार 2024

उत्तराखंड करेंट अफेयर्स 2024 

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तीलू रौतेली पुरस्कार 2024

हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियों के लिये 13 उत्कृष्ट महिलाओं को देहरादून में राज्य शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया। यह पुरस्कार महिलाओं को विभिन्न खेलों, कला, संस्कृति, साहित्य, पर्यावरण, साहस और समाजसेवा आदि के क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन एवं योगदान के लिए दिया जाता है। 

तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित महिलाऐ :-

  • खेलों में उत्कृष्ट योगदान के लिए - अल्मोड़ा की पैरा-तैराक और एथलीट प्रीति गोस्वामी, बागेश्वर की ताइक्वांडो खिलाड़ी नेहा देवली, हरिद्वार की पावरलिफ्टर संगीता राणा और उधम सिंह नगर की पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी मंदीप कौर तथा गढ़वाल मंडल में पौड़ी की एथलेटिक्स खिलाड़ी अंकिता ध्यानी को दिया गया। (बता दें कि अंकिता ध्यानी ने पेरिस ओलंपिक 2024 में 3000 मीटर की रेस में प्रतिभाग किया था।)
  • लोक गायन के लिये पद्मश्री से सम्मानित - माधुरी बर्थवाल (पौड़ी गढ़वाल)
  • हिंदी साहित्य को बढ़ावा देने के लिये - चंपावत की सोनिया आर्य (सोनम आर्या)
  • साहस एवं जीवन रक्षा के लिए (इन्होंने जून में जंगली जानवर के हमले से अपनी सास को बचाया था) - रुद्रप्रयाग की विनीता देवी (रुद्रप्रयाग)
  • हस्तशिल्प और हथकरघा को आगे बढ़ाने के लिये - नर्मदा रावत (चमोली)
  • समाजिक क्षेत्र में योगदान के लिए - शकुंतला दताल (पिथौरागढ़), रीना उनियाल (टिहरी गढ़वाल) और गीता गैरोला (उत्तरकाशी)
  • विज्ञान में योगदान के लिये - नैनीताल की सुधा पाल (नैनीताल)

राज्य शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार

यह पुरस्कार उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रतिवर्ष वीरबाला तीलू रौतेली के नाम पर विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाओं को दिया जाता है।

राज्य सरकार ने उत्तराखंड की वीरांगना तीलू रौतेली की जयंती पर वर्ष 2006 से महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाओं एवं किशोरियों के लिये तीलू रौतेली पुरस्कार की शुरुआत की थी। इसके तहत राज्य सरकार 51 हजार रुपए और प्रशस्ति-पत्र दिया जाता है।

तीलू रौतेली कौन थीं?

तीलू रौतेली का जन्म पौड़ी गढ़वाल के अन्तर्गत चौंदकोट पट्टी के गुराड़ तल्ला गांव में हुआ था। इनका का वास्तविक नाम तिलोत्तमा देवी था। तीलू रौतेली एक ऐसी वीरांगना है जो केवल 15 वर्ष की उम्र में रणभूमि में कूद पड़ी थी और सात साल तक जिसने अपने दुश्मन राजाओं को कड़ी चुनौती दी थी। 22 वर्ष की आयु में सात युद्ध लड़ने वाली तीलू रौतेली एक वीरांगना है।

तीलू रौतेली भारत की रानी लक्ष्‍मीबाई, चांद बीबी, झलकारी बाई, बेगम हजरत महल के समान ही देश विदेश में ख्‍याति प्राप्‍त हैं।

 

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