उत्तराखंड के लोकगीत और लोक नृत्य पहाड़ की अपनी ही बोली और संस्कृति है यहाँ के लोक गीतों का विस्तृत स्वरूप मुक्तको के रूप में मिलता है। विभिन्न अवसरों तथा विविध प्रसंगी में मुक्तकों का व्यवहार होता है, पहाड़ी समाज में अपनी विशिष्ट संस्कृति पौराणिक काल से रही है. न्यौली इसे न्यौली, न्यौल्या या वनगीत के नामों से पुकारा जाता है, न्यौली का अर्थ किसी नवीन स्त्री को नवीन रुप में सम्बोधन करना और स्वर बदल बदलकर प्रेम परक अनुभूतियों को व्यक्त करना है। न्यौली प्रेम परक संगीत प्रधान गीत है जिसमें दो-दो पंक्ति होती है। पहली पंक्ति प्रायः तुक मिलाने के लिए होती है। न्यौली में जीवन चिन्तन की प्रधानता का भाव होता है। ब्योली ब्योली रैना, मेरो मन बस्यो परदेश, कब आलो मेरो सैंया, मेरो मन लियो हदेश। (अर्थ: रात बीत रही है, मेरा मन परदेश में बसा है। कब आएगा मेरा प्रिय, जिसने मेरा मन ले लिया।) "सबै फूल फुली यौछ मैथा फुलौ ज्ञान, भैर जूँला भितर भूला माया भूलै जन, न्यौली मया भूलै जन", बैरा (नृत्य गीत) बैरा का शाब्दिक अर्थ संघर्ष है जो गीत युद्ध के रूप में गायकों के बीच होता है। अर्थात् यह कुमाऊं क्षे...
उत्तराखंड करेंट अफेयर्स 2024
देवभूमि उत्तराखंड द्वारा प्रत्येक माह के सभी महत्वपूर्ण करेंट अफेयर्स तैयार किए जाते हैं। सभी करेंट अफेयर्स पीडीएफ फाइल में प्राप्त करने के लिए 9568166280 पर संपर्क करें।
तीलू रौतेली पुरस्कार 2024
हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियों के लिये 13 उत्कृष्ट महिलाओं को देहरादून में राज्य शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया। यह पुरस्कार महिलाओं को विभिन्न खेलों, कला, संस्कृति, साहित्य, पर्यावरण, साहस और समाजसेवा आदि के क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन एवं योगदान के लिए दिया जाता है।
तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित महिलाऐ :-
- खेलों में उत्कृष्ट योगदान के लिए - अल्मोड़ा की पैरा-तैराक और एथलीट प्रीति गोस्वामी, बागेश्वर की ताइक्वांडो खिलाड़ी नेहा देवली, हरिद्वार की पावरलिफ्टर संगीता राणा और उधम सिंह नगर की पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी मंदीप कौर तथा गढ़वाल मंडल में पौड़ी की एथलेटिक्स खिलाड़ी अंकिता ध्यानी को दिया गया। (बता दें कि अंकिता ध्यानी ने पेरिस ओलंपिक 2024 में 3000 मीटर की रेस में प्रतिभाग किया था।)
- लोक गायन के लिये पद्मश्री से सम्मानित - माधुरी बर्थवाल (पौड़ी गढ़वाल)
- हिंदी साहित्य को बढ़ावा देने के लिये - चंपावत की सोनिया आर्य (सोनम आर्या)
- साहस एवं जीवन रक्षा के लिए (इन्होंने जून में जंगली जानवर के हमले से अपनी सास को बचाया था) - रुद्रप्रयाग की विनीता देवी (रुद्रप्रयाग)
- हस्तशिल्प और हथकरघा को आगे बढ़ाने के लिये - नर्मदा रावत (चमोली)
- समाजिक क्षेत्र में योगदान के लिए - शकुंतला दताल (पिथौरागढ़), रीना उनियाल (टिहरी गढ़वाल) और गीता गैरोला (उत्तरकाशी)
- विज्ञान में योगदान के लिये - नैनीताल की सुधा पाल (नैनीताल)
राज्य शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार
यह पुरस्कार उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रतिवर्ष वीरबाला तीलू रौतेली के नाम पर विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाओं को दिया जाता है।राज्य सरकार ने उत्तराखंड की वीरांगना तीलू रौतेली की जयंती पर वर्ष 2006 से महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाओं एवं किशोरियों के लिये तीलू रौतेली पुरस्कार की शुरुआत की थी। इसके तहत राज्य सरकार 51 हजार रुपए और प्रशस्ति-पत्र दिया जाता है।
तीलू रौतेली कौन थीं?
तीलू रौतेली का जन्म पौड़ी गढ़वाल के अन्तर्गत चौंदकोट पट्टी के गुराड़ तल्ला गांव में हुआ था। इनका का वास्तविक नाम तिलोत्तमा देवी था। तीलू रौतेली एक ऐसी वीरांगना है जो केवल 15 वर्ष की उम्र में रणभूमि में कूद पड़ी थी और सात साल तक जिसने अपने दुश्मन राजाओं को कड़ी चुनौती दी थी। 22 वर्ष की आयु में सात युद्ध लड़ने वाली तीलू रौतेली एक वीरांगना है।
तीलू रौतेली भारत की रानी लक्ष्मीबाई, चांद बीबी, झलकारी बाई, बेगम हजरत महल के समान ही देश विदेश में ख्याति प्राप्त हैं।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts.
Please let me now.