राजी जनजाति का संपूर्ण परिचय उत्तराखंड की जनजातियां (भाग - 5) राजी जनजाति उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और चंपावत जिलों में निवास करने वाली एक अत्यंत छोटी और लुप्तप्राय अनुसूचित जनजाति है। इसे "बनरौत" या "जंगल का राजा" के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि ये लोग मुख्यतः जंगलों में रहते हैं और प्रकृति के साथ गहरा जुड़ाव रखते हैं। राजी जनजाति की आबादी बहुत कम है, और यह विलुप्त होने के कगार पर है, जिसके कारण संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इसकी स्थिति पर चिंता जताई है। राजी जनजाति उत्तराखंड की सबसे प्राचीन और आदिम जनजातियों में से एक है। यह माना जाता है कि ये लोग प्राचीन काल से पिथौरागढ़ और चंपावत के जंगलों में निवास करते आए हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि राजी जनजाति का संबंध प्रोटो-ऑस्ट्रेलॉयड या ऑस्ट्रो-एशियाटिक समूहों से हो सकता है, जो प्राचीन भारत में बसे थे। उनकी बोली, जिसे "मुण्डा" कहा जाता है, में तिब्बती और संस्कृत शब्दों की अधिकता देखी जाती है, जो उनकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जड़ों को दर्शाती है। राजी जनजाति के लोग काष्ठ कला में निपुण होते हैं और उनके आवासों क...
उत्तराखंड करेंट अफेयर्स 2024
देवभूमि उत्तराखंड द्वारा प्रत्येक माह के सभी महत्वपूर्ण करेंट अफेयर्स तैयार किए जाते हैं। सभी करेंट अफेयर्स पीडीएफ फाइल में प्राप्त करने के लिए 9568166280 पर संपर्क करें।
तीलू रौतेली पुरस्कार 2024
हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियों के लिये 13 उत्कृष्ट महिलाओं को देहरादून में राज्य शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया। यह पुरस्कार महिलाओं को विभिन्न खेलों, कला, संस्कृति, साहित्य, पर्यावरण, साहस और समाजसेवा आदि के क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन एवं योगदान के लिए दिया जाता है।
तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित महिलाऐ :-
- खेलों में उत्कृष्ट योगदान के लिए - अल्मोड़ा की पैरा-तैराक और एथलीट प्रीति गोस्वामी, बागेश्वर की ताइक्वांडो खिलाड़ी नेहा देवली, हरिद्वार की पावरलिफ्टर संगीता राणा और उधम सिंह नगर की पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी मंदीप कौर तथा गढ़वाल मंडल में पौड़ी की एथलेटिक्स खिलाड़ी अंकिता ध्यानी को दिया गया। (बता दें कि अंकिता ध्यानी ने पेरिस ओलंपिक 2024 में 3000 मीटर की रेस में प्रतिभाग किया था।)
- लोक गायन के लिये पद्मश्री से सम्मानित - माधुरी बर्थवाल (पौड़ी गढ़वाल)
- हिंदी साहित्य को बढ़ावा देने के लिये - चंपावत की सोनिया आर्य (सोनम आर्या)
- साहस एवं जीवन रक्षा के लिए (इन्होंने जून में जंगली जानवर के हमले से अपनी सास को बचाया था) - रुद्रप्रयाग की विनीता देवी (रुद्रप्रयाग)
- हस्तशिल्प और हथकरघा को आगे बढ़ाने के लिये - नर्मदा रावत (चमोली)
- समाजिक क्षेत्र में योगदान के लिए - शकुंतला दताल (पिथौरागढ़), रीना उनियाल (टिहरी गढ़वाल) और गीता गैरोला (उत्तरकाशी)
- विज्ञान में योगदान के लिये - नैनीताल की सुधा पाल (नैनीताल)
राज्य शक्ति तीलू रौतेली पुरस्कार
यह पुरस्कार उत्तराखंड सरकार द्वारा प्रतिवर्ष वीरबाला तीलू रौतेली के नाम पर विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाओं को दिया जाता है।राज्य सरकार ने उत्तराखंड की वीरांगना तीलू रौतेली की जयंती पर वर्ष 2006 से महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाओं एवं किशोरियों के लिये तीलू रौतेली पुरस्कार की शुरुआत की थी। इसके तहत राज्य सरकार 51 हजार रुपए और प्रशस्ति-पत्र दिया जाता है।
तीलू रौतेली कौन थीं?
तीलू रौतेली का जन्म पौड़ी गढ़वाल के अन्तर्गत चौंदकोट पट्टी के गुराड़ तल्ला गांव में हुआ था। इनका का वास्तविक नाम तिलोत्तमा देवी था। तीलू रौतेली एक ऐसी वीरांगना है जो केवल 15 वर्ष की उम्र में रणभूमि में कूद पड़ी थी और सात साल तक जिसने अपने दुश्मन राजाओं को कड़ी चुनौती दी थी। 22 वर्ष की आयु में सात युद्ध लड़ने वाली तीलू रौतेली एक वीरांगना है।
तीलू रौतेली भारत की रानी लक्ष्मीबाई, चांद बीबी, झलकारी बाई, बेगम हजरत महल के समान ही देश विदेश में ख्याति प्राप्त हैं।

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts.
Please let me now.