लोककथा : खरिया और भरिया नमस्कार दोस्तों आज हम थारू जनजाति कि संस्कृति के संरक्षण के लिए सदियों से प्रचलित लोककथाओं और लोकगीतों को शुरू करने जा रहे हैं। यूं तो थारू जनजाति के लोगों की अपनी कोई भाषा नहीं है। लेकिन सर्वाधिक प्रभाव ब्रजभाषा का देखने को मिलता है। किंतु समय परिर्वतन के साथ पहाड़ी, खड़ी बोली और हिन्दी का प्रभाव देखने को मिलता है। यदि हमारे द्वारा लिखी यह कहानी आपने कभी सुनी हो तो कमेंट अवश्य करें। खरिया और भरिया : लोककथा यह कहानी दो भाइयों की है - खरिया और भरिया। इस कहानी में खरिया बड़ा भाई और थोड़ा चालक था वहीं बढ़िया छोटा भाई और बहुत सीधा साधा था। यह कथा थारू समाज के उसे समय की है जब उनके पास धन के रूप में केवल खेती और मवेशी हुआ करते थे। एक गांव में दो भाई रहा करते थे। दोनों भाई बहुत मेहनती थे लेकिन अक्सर वे आपस के छोटे छोटे विवादों में फंस जाया करते थे। एक दिन अचानक पिता की मृत्यु जाती है। उनके पिता की मृत्यु के बाद, खरिया ने चालाकी से घर की संपत्तियों का बंटवारा कुछ इस तरह किया : कंबल का बंटवारा : खरिया ने कहा, "भाई, यह कंबल दिन में मेरा रहेगा और रात में तुम्...
Uttarakhand Current Affairs 2025 उत्तराखंड करेंट अफेयर्स जनवरी 2025 से जून 2025 तक प्रश्न 1 : राष्ट्रीय शिक्षा रत्न पुरस्कार 2025 किस संगठन द्वारा आयोजित किया गया? A) उत्तराखंड शिक्षा विभाग B) पृथ्वी अभुदय एजुकेटर एसोसिएशन इंडिया (PAEI) C) एमटी यूनिवर्सिटी D) संस्कृत अकादमी व्याख्या: यह पुरस्कार देशभर में शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार, रचनात्मकता, संस्कृति और भाषा के संरक्षण में उत्कृष्ट योगदान देने वाले शिक्षकों को दिया गया। यह सम्मान समारोह पृथ्वी अभुदय एजुकेटर एसोसिएशन इंडिया (PAEI) द्वारा एमटी यूनिवर्सिटी, मोहाली, पंजाब में आयोजित किया गया। उत्तराखंड के नौ शिक्षकों को सम्मानित किया गया, जिसमें पौड़ी गढ़वाल की तीन शिक्षिकाएं शामिल हैं: रश्मि उनियाल (सहायक अध्यापक विज्ञान, कोटद्वार), कविता असवाल (सहायक अध्यापक अंग्रेजी, दुगड्डा) सरिका कैस्टवाल (प्रवक्ता, रसायन विज्ञान, रिकनी खाल)। इन्हें शैक्षिक नवाचार, विद्यार्थियों में वैज्ञानिक व रचनात्मक दृष्टिकोण के विकास, विद्यालय के भौतिक व बौद्धिक स्तर को ऊँचाई तक पहुँचाने, और स्थानीय संस्कृति, भाषा व परंपराओं के संरक्षण हेतु ...