उत्तराखंड में घटित आपदाएं
आपदा किसे कहते हैं?
"ऐसी घटना जिसमें सामाजिक पर्यावरण का ह्रास हो, और लोगों की प्रतिरोध करने की क्षमता से अधिक हो तथा बाहरी सहायता की मांग करती हो, वह आपदा कहलाती है।
उत्तराखंड आपदा मंत्रालय का गठन - 2006
उत्तराखंड राज्य अपनी भौगोलिक व पारिस्थितिकीय संरचनाओं के कारण प्राकृतिक व मानवीय परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील है अतः कोई ऐसी प्रतिक्रिया जो यहां की दशाओं के प्रतिकूल होती है आपदाओं को जन्म देती है, यह आपदाएं प्राय एक दूसरे से संबद्ध होती है। उत्तराखंड में 1867 ईस्वी में आपदा प्रबंधन के लिए हल सेफ्टी कमेटी बनी थी। उत्तराखंड आपदा मंत्रालय गठन करने वाला देश का पहला राज्य है। जिसने राज्य ने आपदा प्रबंधन का मॉडल ऑस्ट्रेलिया से ग्रहण किया है । 2006 में स्थापित नेशनल डिजास्टर रिलीफ फोर्स (NDRF) की तर्ज पर 2006 में ही उत्तराखंड में भी राज्य डिजास्टर रिलीफ फोर्स (SDRF) का गठन किया गया। जबकि राज्य में आपदा एक्ट वर्ष 2005 में जारी किया गया।
उत्तराखंड में घटित प्राकृतिक आपदाएं
उत्तराखंड राज्य में एक तरफ भूस्खलन, बादल का फटना (अतिवृष्टि), त्वरित बाढ़, हिमस्खलन, वनाग्नि ऐसी मौसमी आपदाएं हैं जो वर्ष के एक विशेष समय में अत्यधिक आवृत्ति के साथ प्रभावकारी हो जाती हैं।
भूस्खलन क्या है ?
पृथ्वी के ढलान के नीचे की और व्यापक रूप से मिट्टी, चट्टान और मलबे का खिसकाव का होता है उसे भूस्खलन कहते हैं। भूस्खलन ग्राहक चरण का एक प्रकार है जो गुरुत्वाकर्षण के प्रत्यक्ष प्रभाव के तहत मृदा और चट्टान की नीति की ओर गति को दर्शाता है। और यदि मृदा के स्थान पर बर्फ खिसकाव होता है उसे हिमस्खलन कहा जाता है।
त्वरित बाढ (फ्लैश फ्लड) क्या है?
त्वरित बाढ से आशय है कि बारिश के दौरान या उसके बाद जल स्तर में अचानक हुई वृद्धि। आमतौर पर वर्षा और त्वरित बाढ के बीच 6 घंटे से कम का अंतर होता है। त्वरित बाढ की घटना मुख्यतः भारी बारिश की वजह से तेज आंधी, तूफान, उष्णकटिबंधीय तूफान, बर्फ का पिघलना आदि प्राकृतिक कारण से होती है। तथा कभी-कभी मानव जनित कारण जल निकासी लाइनें या पानी के प्राकृतिक प्रभाव को बाधित करने वाले अतिक्रमण जैसे बांध टूटना आदि कारण भी होती है।
बादल फटना क्या होता है?
जब बादल एक ही स्थान पर एक सीमित दायरे में अचानक से तेज बारिश होती है। तब उसे बादल फटना कहा जाता है। दरअसल बादल फटने की घटना तब घटित होती है जब भारी मात्रा में नमी वाले बादल एक जगह एकत्र हो जाते हैं। जिससे पानी की बूंदे आपस में मिल जाती हैं और बूंद का भार बढ़ने से बादल का घनत्व बढ़ जाता है। बहुत भारी वर्षा की सभी घटनाएं बादल फटना नहीं होती क्योंकि बादल फटने की एक बहुत ही विशिष्ट परिभाषा होती है यह एक छोटे से क्षेत्र में अल्पकालिक और तीव्र वर्षा की घटना है।
मुख्य बिंदु
- 1 घंटे में 100 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में 10 सेंटीमीटर या उससे अधिक वर्षा को बादल फटने की घटना के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इसके अलावा किसी क्षेत्र में आधे घंटे की अवधि में 5 सेंटीमीटर वर्षा को भी बादल फटे की श्रेणी में रखा जाएगा।
- बादल फटने की अधिकांश घटनाएं हिमालयी (पहाड़ी) राज्यों में होती हैं।
- भारत मौसम विज्ञान विभाग वर्ष की घटनाओं के साथ उसकी मात्रा की भविष्यवाणी करता है ।
भूकंप किसे कहते हैं?
उत्तराखंड में भूकंप सर्वाधिक विनाशकारी आपदा है तथा इसका पूर्व अनुमान यहां नहीं लगाया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने भारत को पांच भूकंपीय जोन में बांटा है जिसमें से 2 जोन उत्तराखंड में आते हैं। संवेदनशील क्षेत्रों को जोन-4 में चिन्हित किया गया है और अति संवेदनशील क्षेत्रों को जोन -5 में चिन्हित किया गया है
पांच भूकंपीय जोन
- जोन 01- न्यूनतम प्रभाव क्षेत्र - 5 से कम तीव्रता
- जोन 02- न्यून प्रभाव क्षेत्र - 5.01 से 6 तीव्रता
- जोन 03- मध्यम प्रभाव क्षेत्र - 6.01 से 7 तीव्रता
- जोन 04- अधिक प्रभाव क्षेत्र - 7.01 से 9 तीव्रता
- जोन 05- अधिकतम प्रभाव क्षेत्र - 9 से अधिक तीव्रता (अतिसंवेदनशील क्षेत्र)
जोन - IV के अंतर्गत जनपद (संवेदनशील )
देहरादून, ऊधम सिंह नगर, नैनीताल, उत्तरकाशी और टिहरी
जोन - V के अन्तर्गत जनपद (अति संवेदनशील)
चमोली, अल्मोड़ा, रूद्रप्रयाग, बागेश्वर, पिथौरागढ़ व चंपावत
भूकंप मापी यंत्र - सीस्मोग्राफ
भूकंप की तीव्रता मापने हेतु राज्य में तीन भूकंप मापी स्टेशन क्रमशः देहरादून, टिहरी व गरुड़ गंगा (चमोली) में स्थापित किए गए हैं। भूकंप की तीव्रता और अवधि का पता लगाने के लिए सीस्मोग्राफ का इस्तेमाल किया जाता है इस यंत्र के जरिए धरती में होने वाली हलचल का ग्राफ बनाया जाता है जिसे सिस्मोग्राफ कहते हैं इसके आधार पर गणितीय पैमाना अर्थात् रिक्टर पैमाने के जरिए भूकंप की तरंगों की तीव्रता भूकंप का केंद्र और इससे निकलने वाली ऊर्जा का पता लगाया जाता है।
उत्तराखंड में आपदा के मूल कारण
- बढ़ता शहरीकरण
- वनों का ह्रास
- जलीय तंत्र में परिवर्तन
- बांध और बिजली संयंत्रों का निर्माण
- अवैध खनन
- तीर्थाटन और पर्यटन
उत्तराखंड में घटित सर्वाधिक विनाशकारी आपदाएं :-
उत्तराखंड में भूस्खलन का प्रथम बार 1866 में रिकॉर्ड हुआ। नैनीताल में 18 सितंबर 1880 में शेर का डांडा से तबाही हुई थी। जिस कारण नैना देवी मंदिर नष्ट हो गया था। और बाद में मोतीराम शाह ने पुनः मंदिर की स्थापना की।
अल्मोड़ा में 4 जून 1945 को 6.5 रिएक्टर का भूकंप आया था भूकंप की दृष्टि से अल्मोड़ा को संवेदनशील जॉन 5 के अंतर्गत रखा गया है।
20 जुलाई 1970 को ऊपरी अलकनंदा घाटी में तबाही हुई इसके बाद ही चमोली जनपद का मुख्यालय चमोली से गोपेश्वर स्थानांतरित किया गया। साथ ही पातालगंगा व गरुड़ गंगा में झील वनी व रिसाब हुआ।
5. उत्तरकाशी में भूकंप - 20 अक्टूबर 1991 ई.
उत्तरकाशी जनपद में 20 अक्टूबर 1991 ई. 6.6 रिक्टर स्केल का विनाशकारी भूकंप आया। जिसका प्रभाव जनपद टिहरी, चमोली और रुद्रप्रयाग में पड़ा जिसके कारण लगभग 800 व्यक्तियों की मृत्यु हुई। घायल व्यक्ति लगभग 5,000 आंकी गई । इससे 2,000 गांव प्रभावित हुए और कुल हानि 370 करोड़ से अधिक रही।
6. मालपा भूस्खलन (पिथौरागढ़) - 18 अगस्त, 1998 ई.
पिथौरागढ़ जिले के मालपा में बादल फटने की घटना 17-18 अगस्त, 1998 ई. घटित हुई । इस भूस्खलन के कारण जनपद में 219 से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु हो गई । इस भूस्खलन में मरने वालों में अधिकतर कैलाश मानसरोवर दल के सदस्य तथा आई.टी.बी.पी. के कुछ जवान मारे गए। मालपा भूस्खलन के बचाव के लिए ऑपरेशन ब्लू एंजल चलाया गया था।
7. चमोली भूकंप - 28-29 मार्च, 1999 ई.
28 मार्च को चमोली में 6.4 रिक्टर पैमाने का भूकंप आया। इस भूकंप में 100 लोगों की मृत्यु हुई । घायल व्यक्तियों की संख्या 74 से अधिक दर्ज की गई। जबकि पूर्णरूप से ध्वस्त मकान 437 से अधिक थे।
8. बुढ़ाकेदार (टिहरी गढ़वाल) त्वरित बाढ़ - 10-11 अगस्त 2002 ई. बुढ़ाकेदार (टिहरी गढ़वाल) त्वरित बाढ़ की घटना से 28 व्यक्तियों की मृत्यु हुई ।
9. केदारनाथ आपदा - 16-17 जून 2013
जून 2013 जनपद चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, पिथौरागढ़ में 16 से 19 जून को निरन्तर भारी वर्षा के कारण त्वरित बाढ़ व भूस्खलन की अनेकों घटनाएं घटित हुई। 1 हजार से अधिक मार्ग क्षतिग्रस्त हो गए। 250 से अधिक गांव नष्ट हो गये, हजारों लोग की मृत्यु, लाखों लोग प्रभावित। इसी दौरान केदारनाथ में सबसे बड़ी आपदा 16-17 जून 2013 में घटित हुई। चोराबाड़ी ग्लेशियर का कुछ हिस्सा टूटकर गांधी सरोवर में गिरा जिसके कारण गांधी सरोवर का एक कोना टूट गया और मंदाकिनी नदी में बाढ़ आ गई। केदारनाथ में आपदा राहत के लिए सी ने ऑपरेशन सूर्यहोप चलाया।
10. तपोवन-रैणी (चमोली) त्वरित बाढ़ - 7 फरवरी 2021
नंदा देवी ग्लेशियर के एक हिस्से के टूटने से 7 फरवरी 2021 को ऋषि गंगा की सहायक रौठीं गाड़ से त्वरित बाढ (फ्लैश फ्लड) की घटना घटित हुई । रैणी गांव के पास ही ऋषि गंगा पर बनी 13 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना को ध्वस्त कर दिया। साथ ही तपोवन में धौली गंगा पर NTPC की निर्माणधीन 520 मेगावाट की तपोवन-विष्णुगाढ़ जल विद्युत परियोजना को मलबे से पाट दिया। इसमें 206 लोग लापता हो गए थे।
11. जोशीमठ भूस्खलन - जनवरी 2023
जनवरी 2023 में उत्तराखंड के चमोली जिले जोशीमठ में भूस्खलन की घटना घटित हुई जिसमें लगभग 66 परिवारों में शहर छोड़ दिया जबकि 561 घरों में दरारें आने की सूचना मिली। इस घटना से 3000 से अधिक लोग प्रभावित हुए। बता दें कि दीवारों और इमारत में दरार पड़ने की घटना पहली बार वर्ष 2021 में दर्ज की गई थी। बता दे कि उत्तराखंड के चमोली जिले में भूस्खलन एवं बाढ़ की घटनाएं निरंतर रूप से देखी जा रही है।
उत्तराखंड में घटित आपदाओं से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न
(a) सिक्किम
(b) उत्तराखंड
(c) हिमाचल प्रदेश
(d) केरल
(2) राज्य ने आपदा प्रबंधन का मॉडल किस देश से ग्रहण किया?
(a) कनाडा
(b) जापान
(c) आस्ट्रेलिया
(d) इजरायल
(3) उत्तराखंड में SDRF (राज्य डिजास्टर रिलीफ फोर्स) का गठन किस वर्ष किया गया ?
(a) 2005
(b) 2006
(c) 2007
(d) 2008
(5) निम्न में से कौन सा जनपद जोन-5 (अति संवेदनशील) क्षेत्र के अंतर्गत नहीं आता है ?
(a) चमोली
(b) पिथौरागढ़
(c) उत्तरकाशी
(d) अल्मोड़ा
(6) 1 सितंबर 1803 को किस राजा के शासनकाल में गढ़वाल क्षेत्र में भयंकर भूकंप आया था ?
(a) सुदर्शन शाह
(b) ललित शाह
(c) प्रदुम्न शाह
(d) भवानी शाह
(7) निम्नलिखित में सही सुमेलित नहीं है,
(a) मालपा भूस्खलन - अगस्त 1998
(b) केदारनाथ आपदा - जून 2013
(c) तपोवन (चमोली) त्वरित बाढ़ - फरवरी 2022
(d) जोशीमठ भूस्खलन - जनवरी 2023
(8) निम्नलिखित कौन-सा आपदा का मूल कारण नहीं है ?
(a) अवैध खनन
(b) वनों का ह्रास
(c) पहाड़ों से पलायन
(d) बांध और बिजली संयंत्रों का निर्माण
(10) पिथौरागढ़ जिले के मालपा में बादल फटने की घटना कब घटित हुई ?
(a) 17 से 18 अगस्त 2002
(b) 17 से 18 अगस्त 1996
(c) 17 से 18 अगस्त 1998
(d) 17 से 18 अगस्त 1999
(11) बादल फटने के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए ?
1. किसी क्षेत्र में एक घंटे में 100 सेंटीमीटर या उससे अधिक वर्षा को बादल फटने की घटना के रूप में वर्गीकृत किया जाता है
2. भारत मौसम विज्ञान विभाग वर्ष की घटनाओं के साथ उसकी मात्रा की भविष्यवाणी करता है ?
3. बादल फटने की अधिकांश घटनाएं मैदानी राज्यों में होती हैं
उपर्युक्त में से कौन-सा/कौन-से कथन सही है ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) उपर्युक्त सभी
(d) कोई भी नहीं
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