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Uttarakhand Current Affairs 2025

उत्तराखंड करेंट अफेयर्स 2025 नवंबर 2025 से अप्रैल 2025 तक जैसा कि आप सभी जानते हैं देवभूमि उत्तराखंड प्रत्येक मा उत्तराखंड के विशेष करंट अफेयर्स उपलब्ध कराता है। किंतु पिछले 6 माह में व्यक्तिगत कारणों के कारण करेंट अफेयर्स उपलब्ध कराने में असमर्थ रहा। अतः उत्तराखंड की सभी आगामी परीक्षाओं को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि नवंबर 2024 से अप्रैल 2025 तक के सभी करेंट अफेयर्स चार भागों में विभाजित करके अप्रैल के अन्त तक उपलब्ध कराए जाएंगे। जिसमें उत्तराखंड बजट 2025-26 और भारत का बजट 2025-26 शामिल होगा। अतः सभी करेंट अफेयर्स प्राप्त करने के लिए टेलीग्राम चैनल से अवश्य जुड़े। 956816280 पर संपर्क करें। उत्तराखंड करेंट अफेयर्स (भाग - 01) (1) 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन कहां किया गया ? (a) उत्तर प्रदेश  (b) हरियाणा (c) झारखंड  (d) उत्तराखंड व्याख्या :- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 जनवरी 2025 को राजीव गाँधी अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम रायपुर देहरादून, उत्तराखंड में 38वें ग्रीष्मकालीन राष्ट्रीय खेलों का उद्घाटन किया। उत्तराखंड पहली बार ग्रीष्मकालीन राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी की और य...

उत्तराखंड में घटित प्राकृतिक आपदाएं

उत्तराखंड में घटित आपदाएं 

एक राज्य के रूप में उत्तराखंड की अत्यंत समृद्ध प्राकृतिक संसाधन प्राप्त हैं। उत्तराखंड की सामान्य स्थलाकृति के कारण यहां भौतिक विशेषताएं तथा सक्रिय प्राकृतिक संसाधन प्राप्त है। यद्यपि सामान्य स्थालाकृति ने क्षेत्र को प्राकृतिक आपदाओं के लिए संवेदनशील बना दिया है। ऐसी परिस्थितियों में जीवन-यापन तथा विकास के लिए आपदा नियंत्रण तंत्र, योजनाओं व क्षमताओं का विकास अति आवश्यक है। 


आपदा किसे कहते हैं?

 "ऐसी घटना जिसमें सामाजिक पर्यावरण का ह्रास हो, और लोगों की प्रतिरोध करने की क्षमता से अधिक हो तथा बाहरी सहायता की मांग करती हो, वह आपदा कहलाती है।

उत्तराखंड आपदा मंत्रालय का गठन - 2006

            उत्तराखंड राज्य अपनी भौगोलिक व पारिस्थितिकीय संरचनाओं के कारण प्राकृतिक व मानवीय परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील है अतः कोई ऐसी प्रतिक्रिया जो यहां की दशाओं के प्रतिकूल होती है आपदाओं को जन्म देती है, यह आपदाएं प्राय एक दूसरे से संबद्ध होती है। उत्तराखंड में 1867 ईस्वी में आपदा प्रबंधन के लिए हल सेफ्टी कमेटी बनी थी। उत्तराखंड आपदा मंत्रालय गठन करने वाला देश का पहला राज्य है। जिसने राज्य ने आपदा प्रबंधन का मॉडल ऑस्ट्रेलिया से ग्रहण किया है । 2006 में स्थापित नेशनल डिजास्टर रिलीफ फोर्स (NDRF) की तर्ज पर 2006 में ही उत्तराखंड में भी राज्य डिजास्टर रिलीफ फोर्स (SDRF) का गठन किया गया। जबकि राज्य में आपदा एक्ट वर्ष 2005 में जारी किया गया।

उत्तराखंड में घटित प्राकृतिक आपदाएं

उत्तराखंड राज्य में एक तरफ भूस्खलन, बादल का फटना (अतिवृष्टि), त्वरित बाढ़, हिमस्खलन, वनाग्नि ऐसी मौसमी आपदाएं हैं जो वर्ष के एक विशेष समय में अत्यधिक आवृत्ति के साथ प्रभावकारी हो जाती हैं। 

भूस्खलन क्या है ?

पृथ्वी के ढलान के नीचे की और व्यापक रूप से मिट्टी, चट्टान और मलबे का खिसकाव का होता है उसे भूस्खलन कहते हैं। भूस्खलन ग्राहक चरण का एक प्रकार है जो गुरुत्वाकर्षण के प्रत्यक्ष प्रभाव के तहत मृदा और चट्टान की नीति की ओर गति को दर्शाता है। और यदि मृदा के स्थान पर बर्फ खिसकाव होता है उसे हिमस्खलन कहा जाता है।

त्वरित बाढ (फ्लैश फ्लड) क्या है?

त्वरित बाढ से आशय है कि बारिश के दौरान या उसके बाद जल स्तर में अचानक हुई वृद्धि। आमतौर पर वर्षा और त्वरित बाढ के बीच 6 घंटे से कम का अंतर होता है। त्वरित बाढ की घटना मुख्यतः भारी बारिश की वजह से तेज आंधी, तूफान, उष्णकटिबंधीय तूफान, बर्फ का पिघलना आदि प्राकृतिक कारण से होती है। तथा कभी-कभी मानव जनित कारण जल निकासी लाइनें या पानी के प्राकृतिक प्रभाव को बाधित करने वाले अतिक्रमण जैसे बांध टूटना आदि कारण भी होती है। 

बादल फटना क्या होता है?

जब बादल एक ही स्थान पर एक सीमित दायरे में अचानक से तेज बारिश होती है। तब उसे बादल फटना कहा जाता है। दरअसल बादल फटने की घटना तब घटित होती है जब भारी मात्रा में नमी वाले बादल एक जगह एकत्र हो जाते हैं। जिससे पानी की बूंदे आपस में मिल जाती हैं और बूंद का भार बढ़ने से बादल का घनत्व बढ़ जाता है। बहुत भारी वर्षा की सभी घटनाएं बादल फटना नहीं होती क्योंकि बादल फटने की एक बहुत ही विशिष्ट परिभाषा होती है यह एक छोटे से क्षेत्र में अल्पकालिक और तीव्र वर्षा की घटना है। 

मुख्य बिंदु 

  • 1 घंटे में 100 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में 10 सेंटीमीटर या उससे अधिक वर्षा को बादल फटने की घटना के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इसके अलावा किसी क्षेत्र में आधे घंटे की अवधि में 5 सेंटीमीटर वर्षा को भी बादल फटे की श्रेणी में रखा जाएगा।
  • बादल फटने की अधिकांश घटनाएं हिमालयी (पहाड़ी) राज्यों में होती हैं। 
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग वर्ष की घटनाओं के साथ उसकी मात्रा की भविष्यवाणी करता है ।

भूकंप किसे कहते हैं?

वैज्ञानिकों के अनुसार हिमालय क्षेत्र में भूकंप प्राय: प्लेटों की गतिशीलता और भ्रंशों की उपस्थिति के कारण आते हैं। इंडियन प्लेट प्रतिवर्ष उत्तर उत्तर पूरब की दिशा में 1 सेमी लगभग खिसक रही है। किंतु उत्तर में स्थित स्थिर यूरेशियन प्लेट इसके लिए अवरोध पैदा करती है। 

उत्तराखंड में भूकंप सर्वाधिक विनाशकारी आपदा है तथा इसका पूर्व अनुमान यहां नहीं लगाया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने भारत को पांच भूकंपीय जोन में बांटा है जिसमें से 2 जोन उत्तराखंड में आते हैं। संवेदनशील क्षेत्रों को जोन-4 में चिन्हित किया गया है और अति संवेदनशील क्षेत्रों को जोन -5 में चिन्हित किया गया है 

पांच भूकंपीय जोन

  • जोन 01- न्यूनतम प्रभाव क्षेत्र - 5 से कम तीव्रता 
  • जोन 02- न्यून प्रभाव क्षेत्र - 5.01 से 6 तीव्रता 
  • जोन 03- मध्यम प्रभाव क्षेत्र - 6.01 से 7 तीव्रता 
  • जोन 04- अधिक प्रभाव क्षेत्र - 7.01 से 9 तीव्रता 
  • जोन 05- अधिकतम प्रभाव क्षेत्र - 9 से अधिक तीव्रता (अतिसंवेदनशील क्षेत्र)

जोन - IV के अंतर्गत जनपद (संवेदनशील )

देहरादून, ऊधम सिंह नगर, नैनीताल, उत्तरकाशी और टिहरी

जोन - V के अन्तर्गत जनपद (अति संवेदनशील)

चमोली, अल्मोड़ा, रूद्रप्रयाग, बागेश्वर, पिथौरागढ़ व चंपावत 

भूकंप मापी यंत्र - सीस्मोग्राफ

भूकंप की तीव्रता मापने हेतु राज्य में तीन भूकंप मापी स्टेशन क्रमशः देहरादून, टिहरी व गरुड़ गंगा (चमोली) में स्थापित किए गए हैं। भूकंप की तीव्रता और अवधि का पता लगाने के लिए सीस्मोग्राफ का इस्तेमाल किया जाता है इस यंत्र के जरिए धरती में होने वाली हलचल का ग्राफ बनाया जाता है जिसे सिस्मोग्राफ कहते हैं इसके आधार पर गणितीय पैमाना अर्थात् रिक्टर पैमाने के जरिए भूकंप की तरंगों की तीव्रता भूकंप का केंद्र और इससे निकलने वाली ऊर्जा का पता लगाया जाता है।

उत्तराखंड में आपदा के मूल कारण

  • बढ़ता शहरीकरण
  • वनों का ह्रास
  • जलीय तंत्र में परिवर्तन
  • बांध और बिजली संयंत्रों का निर्माण
  • अवैध खनन
  • तीर्थाटन और पर्यटन

उत्तराखंड में घटित सर्वाधिक विनाशकारी आपदाएं :-

1. गढ़वाल भूकंप - 1 सितंबर 1803
प्रधुम्न शाह के शासनकाल में 1 सितंबर 1803 को गढ़वाल क्षेत्र में 7.5 रिक्टर पैमाने की गति से भयंकर भूकंप आया। जिसमें राज्य की आर्थिक स्थिति को कमजोर कर दिया। जिस कारण गोरखों ने गढ़वाल जीतने में सफलता हासिल की।

2. नैनीताल भूस्खलन - 1880
उत्तराखंड में भूस्खलन का प्रथम बार 1866 में रिकॉर्ड हुआ। नैनीताल में 18 सितंबर 1880 में  शेर का डांडा से तबाही हुई थी। जिस कारण नैना देवी मंदिर नष्ट हो गया था। और बाद में मोतीराम शाह ने पुनः मंदिर की स्थापना की।

3. अल्मोड़ा भूकंप - 4 जून 1945
अल्मोड़ा में 4 जून 1945 को 6.5 रिएक्टर का भूकंप आया था भूकंप की दृष्टि से अल्मोड़ा को संवेदनशील जॉन 5 के अंतर्गत रखा गया है।

4. चमोली में बाढ़ - 20 जुलाई 1970
20 जुलाई 1970 को ऊपरी अलकनंदा घाटी में तबाही हुई इसके बाद ही चमोली जनपद का मुख्यालय चमोली से गोपेश्वर स्थानांतरित किया गया। साथ ही पातालगंगा व गरुड़ गंगा में झील वनी व रिसाब हुआ।

5. उत्तरकाशी में भूकंप - 20 अक्टूबर 1991 ई. 
उत्तरकाशी जनपद में 20 अक्टूबर 1991 ई. 6.6 रिक्टर स्केल का विनाशकारी भूकंप आया। जिसका प्रभाव जनपद टिहरी, चमोली और रुद्रप्रयाग में पड़ा जिसके कारण लगभग 800 व्यक्तियों की मृत्यु हुई। घायल व्यक्ति लगभग 5,000 आंकी गई । इससे 2,000 गांव प्रभावित हुए और कुल हानि 370 करोड़ से अधिक रही।

6. मालपा भूस्खलन (पिथौरागढ़) - 18 अगस्त, 1998 ई
पिथौरागढ़ जिले के मालपा में बादल फटने की घटना 17-18 अगस्त, 1998 ई. घटित हुई । इस भूस्खलन के कारण जनपद में 219 से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु हो गई । इस भूस्खलन में मरने वालों में अधिकतर कैलाश मानसरोवर दल के सदस्य तथा आई.टी.बी.पी. के कुछ जवान मारे गए। मालपा भूस्खलन के बचाव के लिए ऑपरेशन ब्लू एंजल चलाया गया था।

7. चमोली भूकंप - 28-29 मार्च, 1999 ई. 
28 मार्च को चमोली में 6.4 रिक्टर पैमाने का भूकंप आया। इस भूकंप में 100 लोगों की मृत्यु हुई । घायल व्यक्तियों की संख्या 74 से अधिक दर्ज की गई। जबकि पूर्णरूप से ध्वस्त मकान 437 से अधिक थे। 

8. बुढ़ाकेदार (टिहरी गढ़वाल) त्वरित बाढ़ - 10-11 अगस्त 2002 ई. बुढ़ाकेदार (टिहरी गढ़वाल) त्वरित बाढ़ की घटना से 28 व्यक्तियों की मृत्यु हुई ।

9. केदारनाथ आपदा - 16-17 जून 2013
 जून 2013 जनपद चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, पिथौरागढ़ में 16 से 19 जून को निरन्तर भारी वर्षा के कारण त्वरित बाढ़ व भूस्खलन की अनेकों घटनाएं घटित हुई। 1 हजार से अधिक मार्ग क्षतिग्रस्त हो गए। 250 से अधिक गांव नष्ट हो गये, हजारों लोग की मृत्यु, लाखों लोग प्रभावित। इसी दौरान केदारनाथ में सबसे बड़ी आपदा 16-17 जून 2013 में घटित हुई। चोराबाड़ी ग्लेशियर का कुछ हिस्सा टूटकर गांधी सरोवर में गिरा जिसके कारण गांधी सरोवर का एक कोना टूट गया और मंदाकिनी नदी में बाढ़ आ गई। केदारनाथ में आपदा राहत के लिए सी ने ऑपरेशन सूर्यहोप चलाया।

10. तपोवन-रैणी (चमोली) त्वरित बाढ़ - 7 फरवरी 2021

नंदा देवी ग्लेशियर के एक हिस्से के टूटने से 7 फरवरी 2021 को ऋषि गंगा की सहायक रौठीं गाड़ से त्वरित बाढ (फ्लैश फ्लड) की घटना घटित हुई । रैणी गांव के पास ही ऋषि गंगा पर बनी 13 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना को ध्वस्त कर दिया। साथ ही तपोवन में धौली गंगा पर NTPC की निर्माणधीन 520 मेगावाट की तपोवन-विष्णुगाढ़ जल विद्युत परियोजना को मलबे से पाट दिया। इसमें 206 लोग लापता हो गए थे।

11. जोशीमठ भूस्खलन - जनवरी 2023
जनवरी 2023 में उत्तराखंड के चमोली जिले जोशीमठ में भूस्खलन की घटना घटित हुई जिसमें लगभग 66 परिवारों में शहर छोड़ दिया जबकि 561 घरों में दरारें आने की सूचना मिली। इस घटना से 3000 से अधिक लोग प्रभावित हुए। बता दें कि दीवारों और इमारत में दरार पड़ने की घटना पहली बार वर्ष 2021 में दर्ज की गई थी। बता दे कि उत्तराखंड के चमोली जिले में भूस्खलन एवं बाढ़ की घटनाएं निरंतर रूप से देखी जा रही है।

उत्तराखंड में घटित आपदाओं से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न 

(1) आपदा मंत्रालय गठन करने वाला देश का पहला राज्य कौन-सा हैं ?
(a) सिक्किम
(b) उत्तराखंड
(c) हिमाचल प्रदेश
(d) केरल

(2) राज्य ने आपदा प्रबंधन का मॉडल किस देश से ग्रहण किया?
(a) कनाडा
(b) जापान
(c) आस्ट्रेलिया
(d) इजरायल

(3) उत्तराखंड में SDRF (राज्य डिजास्टर रिलीफ फोर्स) का गठन किस वर्ष किया गया ?
(a) 2005
(b) 2006
(c) 2007
(d) 2008

(4) नीचे दो वक्तव्य दिए गए हैं। एक को कथन (A) तथा दूसरे को कारण (R) कहा गया है।
कूट की सहायता से उत्तर दीजिए।
कथन (A) : वैज्ञानिकों ने भारत को पांच भूकंपीय जोन से बांटा है।
कथन (R) : उत्तराखंड के संवेदनशील क्षेत्रों को जोन-3 और जोन-4 में चिन्हित किया गया है।

कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, परन्तु (R) गलत है
(d) (A) गलत है, परन्तु (R) सही है 

(5) निम्न में से कौन सा जनपद जोन-5 (अति संवेदनशील) क्षेत्र के अंतर्गत नहीं आता है ?
(a) चमोली
(b) पिथौरागढ़
(c) उत्तरकाशी
(d) अल्मोड़ा

(6) 1 सितंबर 1803 को किस राजा के शासनकाल में गढ़वाल क्षेत्र में भयंकर भूकंप आया था ?
(a) सुदर्शन शाह
(b) ललित शाह
(c) प्रदुम्न शाह
(d) भवानी शाह

(7) निम्नलिखित में सही सुमेलित नहीं है,
(a) मालपा भूस्खलन   -  अगस्त 1998
(b) केदारनाथ आपदा  -  जून 2013
(c) तपोवन (चमोली) त्वरित बाढ़ - फरवरी 2022
(d) जोशीमठ भूस्खलन  - जनवरी 2023

(8) निम्नलिखित कौन-सा आपदा का मूल कारण नहीं है ?
(a) अवैध खनन
(b) वनों का ह्रास 
(c) पहाड़ों से पलायन
(d) बांध और बिजली संयंत्रों का निर्माण

उत्तर दें

(a) (i), (ii) और (iii)    
(b) (i) (ii) और (iv)
(c) (i) (iii) और (iv)
(d) (ii) (iii) और (iv)

(9) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. उत्तराखंड आपदा प्रबंधन मंत्रालय गठन करने वाला पहला राज्य है।
2. राज्य में आपदा प्रबंधन जापान मॉडल पर आधारित है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/ कौन से सही है?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) दोनों कथन सही नहीं हैं ।

(10) पिथौरागढ़ जिले के मालपा में बादल फटने की घटना कब घटित हुई ?
(a) 17 से 18 अगस्त 2002
(b) 17 से 18 अगस्त 1996
(c) 17 से 18 अगस्त 1998
(d) 17 से 18 अगस्त 1999

(11) बादल फटने के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए ?
1. किसी क्षेत्र में एक घंटे में 100 सेंटीमीटर या उससे अधिक वर्षा को बादल फटने की घटना के रूप में वर्गीकृत किया जाता है
2. भारत मौसम विज्ञान विभाग वर्ष की घटनाओं के साथ उसकी मात्रा की भविष्यवाणी करता है ?
3. बादल फटने की अधिकांश घटनाएं मैदानी राज्यों में होती हैं
उपर्युक्त में से कौन-सा/कौन-से कथन सही है ?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) उपर्युक्त सभी 
(d) कोई भी नहीं 

(12) नीचे दो वक्तव्य दिए गए हैं। एक को कथन (A) तथा दूसरे को कारण (R) कहा गया है।
कूट की सहायता से उत्तर दीजिए।
कथन (A) : भूकंप की तीव्रता और अवधि का पता लगाने के लिए सीस्मोग्राफ का प्रयोग किया जाता है।
कथन (R) : राज्य में तीन भूकंप मापी स्टेशन क्रमशः देहरादून, नैनीताल व अल्मोड़ा स्थापित किए गए हैं।

कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, परन्तु (R) गलत है
(d) (A) गलत है, परन्तु (R) सही है ।

(01)b   (02)c    (03)b    (04)c     (05)c    (06)c  (07)c    (08)b   (09)a    (10)c     (11)b    (12)c

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चंद राजवंश का इतिहास पृष्ठभूमि उत्तराखंड में कुणिंद और परमार वंश के बाद सबसे लंबे समय तक शासन करने वाला राजवंश है।  चंद वंश की स्थापना सोमचंद ने 1025 ईसवी के आसपास की थी। वैसे तो तिथियां अभी तक विवादित हैं। लेकिन कत्यूरी वंश के समय आदि गुरु शंकराचार्य  का उत्तराखंड में आगमन हुआ और उसके बाद कन्नौज में महमूद गजनवी के आक्रमण से ज्ञात होता है कि तो लगभग 1025 ईसवी में सोमचंद ने चंपावत में चंद वंश की स्थापना की है। विभिन्न इतिहासकारों ने विभिन्न मत दिए हैं। सवाल यह है कि किसे सच माना जाए ? उत्तराखंड के इतिहास में अजय रावत जी के द्वारा उत्तराखंड की सभी पुस्तकों का विश्लेषण किया गया है। उनके द्वारा दिए गए निष्कर्ष के आधार पर यह कहा जा सकता है । उपयुक्त दिए गए सभी नोट्स प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से सर्वोत्तम उचित है। चंद राजवंश का इतिहास चंद्रवंशी सोमचंद ने उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में लगभग 900 वर्षों तक शासन किया है । जिसमें 60 से अधिक राजाओं का वर्णन है । अब यदि आप सभी राजाओं का अध्ययन करते हैं तो मुमकिन नहीं है कि सभी को याद कर सकें । और अधिकांश राजा ऐसे हैं । जिनका केवल नाम पता...

भारत की जनगणना 2011 से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न (भाग -01)

भारत की जनगणना 2011 मित्रों वर्तमान परीक्षाओं को पास करने के लिए रखने से बात नहीं बनेगी अब चाहे वह इतिहास भूगोल हो या हमारे भारत की जनगणना हो अगर हम रटते हैं तो बहुत सारे तथ्यों को रटना पड़ेगा जिनको याद रखना संभव नहीं है कोशिश कीजिए समझ लीजिए और एक दूसरे से रिलेट कीजिए। आज हम 2011 की जनगणना के सभी तथ्यों को समझाने की कोशिश करेंगे। यहां प्रत्येक बिन्दु का भौगोलिक कारण उल्लेख करना संभव नहीं है। इसलिए जब आप भारत की जनगणना के नोट्स तैयार करें तो भौगोलिक कारणों पर विचार अवश्य करें जैसे अगर किसी की जनसंख्या अधिक है तो क्यों है ?, अगर किसी की साक्षरता दर अधिक है तो क्यों है? अगर आप इस तरह करेंगे तो शत-प्रतिशत है कि आप लंबे समय तक इन चीजों को याद रख पाएंगे साथ ही उनसे संबंधित अन्य तथ्य को भी आपको याद रख सकेंगे ।  भारत की जनगणना (भाग -01) वर्ष 2011 में भारत की 15वीं जनगणना की गई थी। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत का कुल क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किलोमीटर था तथा भारत की कुल आबादी 121,08,54,922 (121 करोड़) थी। जिसमें पुरुषों की जनसंख्या 62.32 करोड़ एवं महिलाओं की 51.47 करोड़ थी। जनसंख्या की दृष...