वित्तीय बाजार क्या है?
What is financial Market?
वैसे तो यह सब सामान्य बातें हैं । जिनका दैनिक जीवन में प्रयोग होता है । प्रत्येक माह आप एक या दो बार बैंक तो जरूर जाते हैं लेकिन क्या आपने सोचा है? बैंक कैसे काम करते हैं? और बैंक को कौन संचालित करता है? जब अर्थशास्त्र के अंदर यह सब पढ़ते हैं। तो परीक्षार्थी परेशान हो जाते हैं, इसलिए आसान शब्दों में बात करें। तो जहां पैसों की खरीद-बिक्री होती है। वह वित्तीय बाजार कहलाता है । पैसों की खरीद बिक्री ऑनलाइन भी हो सकती है, ऑफलाइन भी हो सकती है और कॉल पर भी हो सकती है । लेकिन पैसा कुछ ही देशों में ही मान्य है । जहां डॉलर अधिकांश देशों में प्रचलित है इसलिए वित्तीय बाजार में पैसों के स्थान पर मुद्रा का प्रयोग करते हैं। जैसे-जैसे समय बीता पैसों की खरीद-बिक्री का कार्य चलने लगा । तो एक नई समस्या उत्पन्न हुई- समय की। कोई व्यक्ति तुरंत पैसा दे देता थाा। तो कोई उधार चुकाने में लंबा समय लगा देता था । पैसे तो आप भी उधार देते होंगे लेकिन जब बहुत बड़ी रकम देने की बात आती है। तब सोच समझकर पैसे दिए जाते हैं। वर्तमान समय में पैसों के स्थान पर सुरक्षा के लिए कोई पत्र या कोई वस्तु देनी पड़ती है। और मुद्रा उधार मिल जाता है । इसलिए पैसों की देखरेख के लिए वित्तीय बाजार की आवश्यकता होती है। वित्तीय बाजार क्या है ? आप जान चुके हैं । जहां पैसों की खरीद-बिक्री होती है। वह वित्तीय बाजार कहलाता है । और इस तरह वित्तीय बाजार को मुद्रा बाजार और पूंजी बाजार मेें विभाजित करकेे अध्ययन करते हैं।
वित्तीय बाजार को समय के आधार पर दो भागों में बांटा गया।
(१) मुद्रा बाजार
(२) पूंजी बाजार
[1] मुद्रा बाजार (Money Market)
एक ऐसा बाजार है जिसमें अल्पकालीन समय के लिए लेनदेन होता है । अल्पकालीन का आशय जिसके लेन देन में एक वर्ष से कम समय लगता है। जैसे - संस्थागत (संगठित) ऋण जो बैंक व अन्य सरकारी स्रोतों से प्राप्त होते हैं , इसके अतिरिक्त गैर संस्थागत ऋण अर्थात असंगठित क्षेत्र जैसे - महाजन व्यापारी और सगे संबंधियों से मजदूर और किसान ऋण प्राप्त करते हैं। इसका संचालन बैंकों को सौंपा गया है । और बैंकों का बैंक आरबीआई (RBI) को इसके लिए नियम और अधिनियम बनाने का दायित्व दिया गया है।
संगठित बैंकिंग सेक्टर के औजार
- कॉल मनी बाजार
- बिल बाजार (a) वाणिज्यक बिल (b) खजाना बिल
- जमा प्रमाण पत्र
- वाणिज्यिक पत्र
(1) कॉल मनी बाजार (call money market)
यह एक ऐसी मुद्रा का बाजार होता है, जिसमें केवल 1 दिन के लिए मुद्रा उधार दी जाती है उसे कॉल मनी कहते हैं।
(2) बिल बाजार
बिल बाजार को पर्याय दो खंडों में विभाजित किया जाता है। (a) वाणिज्यक बिल (b) खजाना बिल
(a) वाणिज्यक बिल ( Commercial Bill )
वाणिज्यिक बिल एक प्रकार का व्यवसायिक बिल है। जिसमें एक क्रेता और विक्रेता के बीच परस्पर संबंध होता है जिसके कारण वह कच्चे माल की आपूर्ति विक्रेता से ऋण में प्राप्त कर सकता है जिसको चुकाने के लिए 90 दिन का समय होता है।
(b) खजाना बिल ( Treasury Bill )
ट्रेजरी बिल एक सुरक्षित बिल है जो केंद्रीय सरकार द्वारा जारी किया जाता है। RBI इसमें जनता और बैंकों को डिस्काउंट पर ऋण जारी करती है। जिसकी न्यूनतम राशि ₹25000 है और यह बिल 91, 182 या 364 दिन के लिए जारी होता है ।
(3) CDs - जमा प्रमाण पत्र
यह एक प्रकार का बचत पत्र होता है जो व्यवसायिक बैंकों द्वारा जारी किया जाता है। यह पत्र कंपनी, ट्रस्ट, व्यक्ति एवं NRI को भी जारी किया जा सकता है। इसकी न्यूनतम राशि ₹100000 होती हैयह वेबसाइट बैंकों के लिए 7 दिन से 1 साल की अवधि के लिए जारी किया जाता है जबकि वित्तीय संस्थानों के लिए 1 साल से 3 साल तक के लिए जारी किया जाता है। जमा प्रमाण पत्र के आधार पर लोन नहीं दिया जा सकता है अथवा इसकी पुणे खरीद भी नहीं की जा सकती है।
(4) CPs - वाणिज्यिक पत्र
एक प्रकार का असुरक्षित पत्र है जो अल्पकाल के लिए जारी किया जाता है। इस की न्यूनतम राशि 4 करोड़ से अधिक होती है । यह किसी व्यक्ति, बैंकिंग, कंपनी , वित्तीय संस्थान आदि को जारी किया जाता है।
[2] पूंजी बाजार (Capital Market )
एक ऐसा बाजार है जिसमें दीघ्रकालीन समय के लिए लेनदेन होता है। दीघ्रकालीन का आशय लेन-देन के लंबी अवधि से है। जैसे - शेयर खरीदना या प्रतिभूति खरीदना। इनमें लाभ एक विशेष समय के बाद मिलता है। इसका संचालन शेयर बाजार को दिया गया है। जिसमें नियम और अधिनियम बनाने का दायित्व सेवी (SEBI) को दिया गया।
वित्तीय बाजार के कार्य
- तरलता प्रदान करना -: वित्तीय बाजार जरूरतमंदों को जल्द से जल्द पैसा उपलब्ध कराता है। यहां तरलता का अर्थ- नकदी से हैं । अर्थात हम बैंकों में जमा राशि को शीघ्र निकाल सकते हैं और उसका उपयोग बाजार में अपनी आवश्यक वस्तुओं व संसाधनों को खरीदने में कर सकते हैं।
- बचत को सही जगह निवेश करना :- अधिकांश लोग बचत को बढ़ावा देते हैं । और बैंक को पोस्ट ऑफिस व बीमा आदि में जमा करते हैं । फिर वहां से बड़ी बड़ी संस्था में निवेश करते हैं। और बड़ी संस्थाएं निवेशकर्ताओं को पूंजी उपलब्ध कराती है। जो वित्तीय बाजार में ही संभव है।
- लागत को कम करना -: एक निश्चित स्थान पर पैसे मिल जाने के कारण परिवहन लागत में कमी आती है। वित्तीय बाजार अर्थव्यवस्था की विकास के लिए अत्यधिक लाभदायक वित्तीय बाजार लागत और समय दोनों की बचत करता है।
आरबीआई (RBI) और सेबी (SEBI) की तरह ही बीमा कंपनियों को नियंत्रण करने के लिए आईआरडीए ( IRDA ) तथा पेंशन के लिए पीएफआरडीए (PFRDA) इसके अलावा जींस बाजार के लिए भी एफएमएमसी( FMC) नियम और अधिनियम बनाती है। और इन सब को नियंत्रण करने के लिए FSDC की स्थापना की गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक - RBI
- गठन. : 1 अप्रैल 1935
- मुख्यालय - मुंबई
- 1949 में राष्ट्रीयकरण
- वर्तमान 25th गवर्नर - शक्तिकांत दास
भारतीय रिजर्व बैंक के प्रमुख कार्य
- मुद्रा जारी करना -: आरबीआई भारत सरकार का बैंक है। जिसका मुख्य कार्य पैसों को छापना है। पैसों की छपाई का अधिकार केवल दो संस्था के पास है। (१) आरबीआई और (२) वित्त मंत्रालय ने। वित्त मंत्रालय एक रुपए के सिक्के जारी करता है तथा आरबीआई शेष सभी प्रकार की मुद्रा को चाहती है जिसमें निम्न स्थान पर छपाई करता है।
- सरकार के बैंकर के रूप में कार्य -: आरबीआई सरकार के बैंकर के रूप में कार्य करती है जिसका मुख्य कार्य है आरबीआई और सरकार द्वारा छपे नोटों को जगह-जगह पहुंचाना तथा जरूरत के समय सरकार के ऋण का प्रबंधन करना जैसे- ट्रेजरी बिल, कॉल मनी आदि के रूप में।
- बैंकों का बैंक :- RBI साधारण बैंक नहीं है। यह बैंकों का बैंक है। देश में मौजूद सभी बैंक आरबीआई के पास सुरक्षा की दृष्टि से नकद आरक्षित अनुपात रखते हैं। और संकट के समय आरबीआई से मदद ले सकते हैं।
- उधार के अंतिम स्रोत के रूप में :- जब देश में मौजूद बैंक में अचानक से पैसों की कमी या किसी कारण बस जनता का विश्वास उठ जाता है । और सभी बैंकों मे एक साथ पैसे निकालने आते हैं तो आरबीआई बाड़ी के बैंकों को ऋण प्रदान करती है । और ऋण देने का केवल अंतिम स्रोत आरबीआई ही है।
- विदेशी मुद्रा भंडार का संरक्षक :- आरबीआई विदेशी मुद्रा भंडार को संरक्षित करता है यह भारत की विदेशी विनिमय भंडार का अंतिम संग्रह करता है तथा इसका प्रबंधन भी करता है। यदि भारत को किसी अन्य देश से कोई भी वस्तु आयात करनी होती है तो आरबीआई में मौजूद विदेशी मुद्रा भंडार का प्रयोग करता है।
- विदेशी विनिमय दर में स्थिरता :- आरबीआई विदेशी विनिमय दर को नियंत्रण करता है । विदेशी विनिमय दर स्थिर रहे इसके लिए विशेष अधिकार दिए गए हैं ।जिसके आधार पर देश के आर्थिक विकास को संभव बनाता है।
- साख नियंत्रण :- वैसे तो साख नियंत्रण एक व्यापक टॉपिक है लेकिन इतना समझ लीजिए जो पैसा बाजार आ रहा है या जा रहा है पैसा RBI के नियम के अनुसार किया नियंत्रण जा रहा है जो मौद्रिक एवं साख नीति के आधार पर नियंत्रण किया जाता है।
- सरकार की मौद्रिक नीति बनाना एवं क्रियान्वित करना :- आरबीआई समय-समय पर सरकार के कार्यों की मौद्रिक समीक्षा करती है। और 3 महीने में आंकड़े प्रस्तुत करती है मौद्रिक नीतियां बनाकर क्रियान्वित करती है।
सेबी - SEBI (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया )
सेबी के प्रमुख कार्य
- सेबी निवेशकों के हितों के संरक्षण प्रदान करती है।
- यह प्रतिभूति बाजार के विकास एवं विनियमन संगठन निर्धारित करती है
- स्टॉक एक्सचेंज तथा अन्य मध्यस्थों की जांच करना
- निवेशक शिक्षा का प्रोत्साहन करना।
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