कृषि विकास मॉडल
मैं अक्सर सफर के दौरान रास्ते के किनारे बड़े-बड़े प्लॉट खाली देखता हूं। वहीं जब किसी सरकारी विभाग में दस्तक देता हूं तो एक बड़ा भूखंड खाली दिखाई देता है। और हैरानी तब होती है जब रेलवे विभाग के पास अधिकांश क्षेत्र सदियों-सदियों तक खाली पड़े हैं यह सुनने में आता है। जाहिर है जब मैं इतना सोचता हूं तो आप भी बहुत सारे लोग कुछ ऐसा सोचते होंगें। काश! यह खाली प्लाट मुझे मिल जाए ।
हालांकि सरकार ने किसान के विकास के लिए अनेक कदम उठाए हैं। लेकिन जमीनी स्तर तक उतना लाभ नहीं मिला है ।और सबसे ज्यादा दुख की बात यह है कि छोटे और सीमांत किसान सबसे ज्यादा परेशान है। सरकार की रणनीति तो है 2022 तक सभी किसानों की आय दुगनी करना । वर्तमान सरकार ने सारे प्रयास कर लिए हैं । 2020 आ चुका है शेष दो ही बरस रहे गए हैं। और किसानों की आर्थिक स्थिति वहीं की वहीं है। आर्थिक स्थिति खराब होने के वैसे तो अनेक कारण है। लेकिन जो सबसे प्रमुख कारण नजर आता है वह नियमित आय प्राप्ति में कमी । सभी प्रकार के कार्य में नियमित आय प्राप्त होती है। एक कृषि ही ऐसा है जिसमें 4 से 6 महीने तक का इंतजार करना पड़ता है। और फिर जिस कारण एक किसान कर्ज के दलदल में फंस जाता है । और इस तरह किसानों को जीवन से कोई आस नजर नहीं आती। जिस कारण किसान कृषि को केवल जीने के लिए करता है । ना तो कोई सुधार करता है और ना ही कोई उत्साह से खेती करता है। जिससे कृषि विकास संभव हो।
ऐसे में देश की सरकार का कर्तव्य बनता है कि खैरात में पैसे बांटने के स्थान पर कुछ ऐसा करें । जो सर्वगुण संपन्न खेती के लिए प्रेरित हो । बिना मेहनत के पैसा बांटने से अच्छा है अर्थात प्रधानमंत्री निधि योजना के बदले नियमित सैलरी की व्यवस्था करें । जो किसान पूर्ण क्षमता से कार्य करते हैं उन्हें सम्मानित करें। या फिर मेरा एक सुझाव है यदि मेरा सुझाव आप सभी को अच्छा लगे तो ध्यानपूर्वक पढ़ें। और आप लर्न करें कि कितना सही है कितना गलत। यदि सही है तो कोशिश करें। कि यह सरकार तक पहुंच जाए।
कृषक विभाग : कृषि विकास मॉडल
यदि सरकार किसानों की भर्ती शुरू करनी शुरू कर दें। अर्थात एक नए विभाग का निर्माण करके उसमें कुछ ऑफिसर और मेहनती किसानों की भर्ती करें। तो इस नियमित सैलरी की व्यवस्था हो सकती है । सवाल उठता है सरकारी जमीन कहां पर है? और सरकारी कृषक किस जमीन पर खेती करेंगे ? तो जानकारी के लिए बता दूं कि केवल सरकारी विभाग के पास एक लाख हेक्टेयर से भी अधिक भूमि उपलब्ध है यदि देश में समस्त खाली भूखंडों का आकलन किया जाए । तो 2 लाख हेक्टेयर भूमि से भी अधिक खाली भूमि उपलब्ध है । बहुत सारे ऐसे भी भूखंड हैं । जिनके केस 20 सालों से अधिक लंबित हैं। कोर्ट के अनुसार जब तक केस का प्रमाण नहीं आ जाता है, तब तक उस पर कोई खेती नहीं करेगा। इस तरह भारत मैं हजारों केस लंबित है और हजारों हेक्टेयर भूमि बंजर है।
लोक लेखा समिति रिपोर्ट के अनुसार
मल्लिकार्जुन खड़ेगे के नेतृत्व वाली लोक लेखा समिति की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रेल के पास 4,58,558 हेक्टेयर भूमि है । इसमें से 45,339 हेक्टेयर भूमि बिल्कुल खाली पड़ी है इसके अलावा 930.75 हेक्टेयर भूमि पर अवैध कब्जा है ।अर्थात कुल भूमि के 10% खाली रहता है इस तरह जी एल आई एस पोर्टल (GISL) के अनुसार प्रत्येक विभाग के पास भी 10% खाली जमीन पड़ी रहती है । यदि आपने सरकारी विभागों के चक्कर लगाए होंगे। तो खाली जमीन देखी होंगी। और यह भी मुमकिन है कि खाली जमीन पर खेती करने का विचार भी आया होगा। ऐसे ही सरकार के पास लगभग 1 लाख हेक्टेयर जमीन से अधिक खाली जमीन पड़ी है । जिस प्रकार रेलवे विभाग के पास कुल जमीन का 10% खाली है। ठीक उसी प्रकार प्रत्येक विभाग जैसे - विद्युत मंत्रालय, कोयला विभाग, वस्त्र उद्योग और कृषि विभाग आदि । सभी विभागों की बात करें तो लगभग 1,28,539 हेक्टेयर भूमि खाली है जिसका विवरण इस प्रकार है।
सरकारी विभाग खाली जमीन
(कुल का 10 %)
रेलवे विभाग . 45339 हेक्टे. (लोक लेखा रिपोर्ट) 930.75 हेक्टेयर रेलवे विभाग का कब्जाकोयला विभाग 25800 हेक्टे. (जीएलआईए पोर्टल रिपोर्ट)
विद्युत मंत्रालय 18060 हेक्टेयर
कपड़ा मंत्रालय 12090 हेक्टेयर
चीटिंग विभाग. 6080 हेक्टेयर
कृषि विभाग. 5890 हेक्टेयर
गृह विभाग 4430 हेक्टेयर
मानव संसाधन विभाग 4090 हेक्टेयर
रक्षा मंत्रालय 3830 हेक्टेयर
कुल खाली भूमि 128539 हेक्टेयर
अब जरा सोचिए किसानों की भी एक नियमित सैलरी आए। किसानों को भी पेंशन और सरकारी अस्पतालों की भांति सुविधाएं मिलें । तो कैसा हो ? विकास की एक कदम की ओर सरकार चाहे तो सरकार के पास उपलब्ध भूमि कृषि व्यवस्था द्वारा किसानों की भर्ती कर सकती है। आपको नहीं लगता जिस प्रकार भारतीय सेना में देश की शान है वही किसान भी तो देश की जान है जैसे एक सैनिक देश की रक्षा करता है उसी प्रकार किसान भी देश की रक्षा करता है। यदि भारतीय सैनिक के बराबर दर्जन नहीं दे सकते तो कम से कम उनकी 50% सुविधाएं तो प्रदान कर ही सकते हैं।
जब एक जवान भारतीय सेना में भर्ती होता है तो उसे सभी भौतिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं । यहां तक कि कैंटीन से छूट पर वस्तुएं उपलब्ध कराई जाती हैं । अस्पताल से मुक्त सुविधाएं और पढ़ने के लिए विशेष आर्मी स्कूल बनाए जाते हैं। और बहुत सारी भर्तियों में उनके बच्चों को विशेष छूट मिलती है जबकि जबकी रक्षा तो दोनों ही करते हैं।
जैसा कि ऊपर वर्णित खाली भूमि का आकलन लगभग 2 लाख हैक्टेयर में किया गया है। और आपको मालूम होगा कि सीमांत किसान क्या होते हैं? नहीं पता है तो बता दू। जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि होती है। वह सीमांत किसान कहलाते हैं। जो कि भारत के कुल किसानों का 65% है अब सरकार अपने कुल भूमि के आधे भाग में सरकारी किसानों की भर्ती करके उत्पादन करा सकती है। जिनमें भूमिहीन किसान और सीमांत किसानों को शामिल किया जा सकता है । तो प्रारंभिक प्रयोग के तौर पर 200 ऑफिसरो के साथ है। 10 हजार किसानों को भर्ती कर सकती है । और यकीन मानिए प्रारंभिक कुछ बरसों के बाद वह 10,000 किसान लाभ पहुंचाएंगे। और देश के सकल उत्पादन में वृद्धि करेंगे। अन्य सभी बातें सामान रहने पर 1 वर्ष में एक हेक्टेयर भूमि से 120 कुंटल गेहूं जाया जा सकता है । यदि 10, हजार किसानों से 20,000 हेक्टेयर पर खेती कराई जाए तो 432 करोड़ प्रतिवर्ष राष्ट्रीय आय में वृद्धि संभव है। यदि प्रति हेक्टेयर में प्रतिवर्ष 100 कुंटल फसल का उत्पादन होता है, जहां न्यूनतम समर्थन मूल्य 1800 रुपए माना है।
कुल उत्पादन की गणना
माना एक छमाही में कुल उत्पादन 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
तो 1 वर्ष में कुल उत्पादन 120 कुंतल प्रति हेक्टेयर।
यदि न्यूनतम समर्थन मूल्य 1800 रुपए मान लेते हैं
तो 20,000 हेक्टेयर में कुल उत्पादन
= 20,000 * 120 प्रति हेक्टेयर
=24,00,000 कुंटल
उत्पादन से प्राप्त कुल आय,
= 24,00,000 *1800 प्रति कुंटल
कुल प्राप्त आए = 432 करोड़
प्रति किसान की मासिक वेतन = 16666.66 रुपए
प्रतिवर्ष = ₹2,00,000
तो 10,000 किसानों की कुल आय = 200 करोड़ रुपए
प्रति ऑफिसर मासिक वेतन = 25000 रुपए
200 ऑफिसर की कुल आय = 6 करोड़
सरकार द्वारा कर्मचारियों को देय राशि सिर्फ 206 करोड रुपए होगी। यदि इसमें कृषि की कुल लागत 126 करोड़ मान ले। तो भी सरकार के खाते में 100 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष पहुंच जाएंगे। वह भी केवल 20 हजार हेक्टेयर भूमि का प्रयोग करने से। यदि पूरे 1 लाख हेक्टेयर भूमि का प्रयोग किया जाए। तो प्रतिवर्ष राष्ट्रीय आय में 500 करोड़ की वृद्धि संभव है।
भर्ती की प्रक्रिया
- केवल सीमांत किसान और भूमिहीन किसानों के लिए अवसर प्रदान करें।
- कृषि विषय से सफल विद्यार्थियों को ही ऑफिसर पद पर रखें।
- किसानों के लिए एक उम्र और भर्ती का पैमाना निश्चित करें । किसानों की 2 स्तरों पर भर्ती करें 18 से 30 और 30 से 40 ।
- साधारण किसानों के लिए शिक्षा का पैमाना 0 सुनिश्चित करें।
कृषि विकास मॉडल से लाभ
- खेती में बड़े स्तर पर प्रयोग संभव हो सकेंगे तथा नई तकनीकी की व्यवस्था आसानी से अपनाई जा सकेगी
- किसानों को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिल सकेगा
- किसानों के बेटे बेटियों के लिए कृषि विद्यालय बनाकर खेती में विकास सहायक सिद्ध होगा
- उचित कृषि व्यवस्था का मार्गदर्शन संभव होगा। साथ ही साथ अन्य विद्यार्थी कृति के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाएंगे।
- होरिजेंटल कृषि व्यवस्था व अन्य तकनीकों में विकास होगा ।
- सरकारी कृषक पूरे भारत में होंगे अतः मुमकिन है जिस का उत्पादन कम होने की संभावना होगी उसकी पूर्ति संभव है और महंगाई पर लगाम लगेगी।
- अदालत में लंबित भूमि विवाद केसों की भूमि पर भी सरकारी कृषकों द्वारा उत्पादन संभव हो सकेगा।
Bahut Khoob
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