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Uksssc Mock Test - 132

Uksssc Mock Test -132 देवभूमि उत्तराखंड द्वारा आगामी परीक्षाओं हेतु फ्री टेस्ट सीरीज उपलब्ध हैं। पीडीएफ फाइल में प्राप्त करने के लिए संपर्क करें। और टेलीग्राम चैनल से अवश्य जुड़े। Join telegram channel - click here उत्तराखंड समूह ग मॉडल पेपर  (1) सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए और सूचियां के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।              सूची-I.                  सूची-II  A. पूर्वी कुमाऊनी वर्ग          1. फल्दाकोटी B. पश्चिमी कुमाऊनी वर्ग       2. असकोटी  C. दक्षिणी कुमाऊनी वर्ग       3. जोहार D. उत्तरी कुमाऊनी वर्ग.        4.  रचभैसी कूट :        A.   B.  C.   D  (a)  1.    2.  3.   4 (b)  2.    1.  4.   3 (c)  3.    1.   2.  4 (d) 4.    2.   3.   1 (2) बांग्ला भाषा उत्तराखंड के किस भाग में बोली जाती है (a) दक्षिणी गढ़वाल (b) कुमाऊं (c) दक्षिणी कुमाऊं (d) इनमें से कोई नहीं (3) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 1. हिंदी में उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण है 2. हिंदी में लेखन के आधार पर 46 वर्ण है उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/ कौन से सही है? (a) केवल 1 (b) केवल 2  (c) 1 और 2 द

निजीकरण का महत्व

  निजीकरण  का महत्व

वर्तमान सरकार द्वारा सरकारी कंपनियों को बेचने का अर्थात निजी करण का क्या उद्देश्य है? 


वर्तमान में सर्वाधिक चर्चित मुद्दा है । "निजीकरण" बहुत सारे युवा काफी परेशान है। सरकार के इस फैसले की वजह से लंबे समय से बनाई अच्छी छवि धूमिल की होती नजर आ रही है ।भारतीय युवाओं द्वारा जगह-जगह विरोध किया जा रहा है। धरना-प्रदर्शन, हड़ताल और आंदोलन होने की भी संभावना हो सकती है । सोशल मीडिया पर भी यूजर्स कड़ी आलोचना कर रहे हैं तो वहीं बहुत सारे सपोर्ट भी कर रहे है।

निजीकरण क्या है? 

 वैसे तो निजीकरण के बारे में सभी लोग जानते हैं। लेकिन साधारण शब्दों में इतना समझ लीजिए। आजादी के समय में बहुत सारी कंपनी सरकार के हाथों में थी । अर्थात सरकार का स्वामित्व था। सरकार की कंपनी होने से सरकारी कर्मचारियों की भर्ती समय-समय पर की जाती थी ।  लाखों युवा इन कंपनियों में भर्ती होकर रोजगार पाते थे । 1991 में प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव  और वित्त मंत्री मनमोहन सिंह के द्वारा LPG (उदारीकरण,  निजीकरण और वैश्वीकरण) की नीति लाई गई ।जिसमें बहुत सारी कंपनियों का निजीकरण प्रारंभ हुआ। उसके बाद निजीकरण छोटे स्तर पर होता रहा। लेकिन वर्तमान सरकार ने 2020 में बड़े स्तर पर निजीकरण की घोषणा की है जिससे भारतीय युवा घबरा गए हैं। सभी का  एक ही प्रश्न है आखिर सरकार चाहती क्या है? 

निजीकरण क्यों?  व उसके उद्देश्य।

वास्तव में सरकार ने 2025 तक 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है जो वर्तमान में 3 ट्रिलियन पर बनी हुई है । जैसा कि आपको पता है- भारत की फ्रांस और जापान के साथ प्रतियोगिता चल रही है। यदि भारत 5 बिलियन का लक्ष्य प्राप्त कर लेता है तो देश की प्रतिष्ठा बढ़ेगी। और दबदबा भी बढ़ेगा । हो सकता है आईएमएफ में भारत का योगदान भी बड़े और अधिक वोट मिलने से अमेरिका चीन जो अपनी  मनमानी करते हैं उस पर नियंत्रण हो सकेगा। दूसरी तरफ आप सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारियों की वर्तमान स्थिति जान ही सकते हैं कि वह कितना काम करते हैं ? सब जानते हैं कि अधिकांश सरकारी कर्मचारी 2 घंटे का काम करके 8 घंटे की सैलरी प्राप्त करते हैं । अब चाहे वह क्षेत्र  शिक्षा,   चिकित्सा,  खेल या फिर सरकारी कंपनी का हो । सभी जगह सरकारी नौकरी का मजा लूट रहे हैं । उन्हें कोई मतलब नहीं है कि देश की अर्थव्यवस्था ऊपर जाएं या नीचे। और सबसे ज्यादा बुरा हाल तो शिक्षा विभाग में ही सरकारी शिक्षकों का है। 40,000 की सैलरी लेने वाला प्राथमिक विद्यालय का एक शिक्षक से 40 बच्चे नहीं पढ़ाए जा रहे हैं। बहुत ही कम  शिक्षक है जो इमानदारी से पढ़ाई करा रहे हैं । वही डॉक्टर और नर्सों की बात करें तो मरीज डॉक्टर के पास बैठे हैं । और डॉक्टर फोन में खैर खबर ले रहे हैं। कुछ सरकारी डॉक्टर तो प्राइवेट मेडिकल स्टोर से कमीशन लेकर उनके स्टोर मे दवाई लेने का सुझाव भेज देते हैं । यही स्थिति है देश में सरकारी नौकरी करने वालों की जिससे अर्थव्यवस्था को नुकसान ही हो रहा है । दूसरा कारण यह है कि सभी युवाओं को लगता है कि हम अच्छा काम करेंगे । लेकिन सिस्टम के आगे बेबस हो जाते हैं । और बहुत सारे तो सरकारी जॉब करना भी इसलिए चाहते हैं क्योंकि आराम मिल सके। कोई ज्यादा काम ना करना पड़े और पैसे अधिक मिले । एक प्रोफेसर को देख लीजिए । यदि आप जॉब करना चाहते हैं । तो किसी में भी कर सकते । मतलब काम करना चाहते हैं ना कि आराम, काम तो सरकारी मैं भी कर सकते हैं । और निजीकरण  में भी । तीसरा कारण यह है कि सरकारी नौकरी और आराम  की आशा लेकर देश के युवा खुद के व्यवसाय के बारे में विचार ही नहीं करते हैं। क्यों ?  क्योंकि सरकारी नौकरी ने जीवन भर सुरक्षा लेने का ठेका जो ले रखा है। चाहे काम करो या ना करो। तो सभी युवा सरकारी नौकरी ही करते हैं। वास्तव में कर्मचारियों की लापरवाही के कारण एयर इंडिया और बीएसएनल जैसी सरकारी कंपनियां लगातार घाटे में जा रही हैं असल में जब यह पता चल जाता है कि हम सुरक्षित हैं तब नवनिर्माण और नवप्रवर्तन करने की भावना खत्म हो जाती है । जिससे कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में अगर देश में गैर जरूरी कंपनियों का निजीकरण हो भी जाता है तो क्या बुराई है।

निजीकरण के लाभ

  • देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी । भारतीय युवा सरकारी नौकरी की ओर कम आकर्षित होंगे और खुद का व्यवसाय खोलेंगे और इससे बेरोजगारी में भी कमी आएगी।
  •  आय में समानता भी हो सकती है कि यदि सरकार निजीकरण के कर्मचारियों के लिए वेतन और सुविधा संबंधी नियम बनाएं । सामान्यता सोच सकते हैं कि यदि सरकार इतना बड़ा कदम उठा रही है तो कानून अवश्य बनाएगी।
  •  निर्धनता में कमी आएगी। प्रति व्यक्ति आय के साथ राष्ट्रीय आय में भी वृद्धि होगी । कर्मचारियों को काम करने का पैसा मिलेगा ना कि समय व्यतीत करने का।
  •  5 ट्रिलियन बनने का सपना जल्द ही पूरा होगा । जिससे आय बढ़ेगी और देश का संगठनात्मक एवं सामाजिक रूप से विकास होगा ।
  • विदेशी व्यापार संबंधों में सुधार होगा क्योंकि सभी जानते हैं । लोग मतलबी है। दुनिया भी मतलबी है। अर्थात जिन देशों का भारत से फायदा होगा । सहयोग करेंगे। मित्र  अधिकतर उसी के ज्यादा होते हैं जिसके पास पैसा है ।
  • अगस्त 2000 में  हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड कंपनी 250 करोड़ रुपए के घाटे में चल रही थी । जब उसके 45% हिस्सा बेचा गया तो 769 करोड़ में बिका । निजीकरण से वर्तमान में कंपनी इतनी कमाई कर रहे हैं,  कि वह डिविडेंड,  टैक्स और सदस्यों की रॉयल्टी मिलाकर सरकार को सालाना करीब 10000 करोड रुपए देती है जिसमें 30% हिस्सेदारी सरकार की है।

निजीकरण की कमियां

  • निजीकरण की वजह से युवाओं की आजीविका खतरे में आ जाएगी । क्योंकि सरकार कितनी भी कोशिश कर ले निजीकरण से कर्मचारियों पर अत्याचार कम नहीं किया जा सकता। 
  • सरकारी व निजीकरण के कार्यों व वेतन में जमीन आसमान का फर्क है । ज्यादा से ज्यादा सरकार 25% तक ही न्यूनतम वेतन का कर सकती है । अर्थात अगर किसी सरकारी कर्मचारी की एक लाख सैलरी होगी। तो निजीकरण वाले की 25000 ही होगी।
  •  भारत में तो अधिकांश युवा गरीब हैं और जो गरीब  है उन्हीं को सरकारी जॉब की आवश्यकता है। जो अमीर है वे तो ऑफिसर या अकाउंटेंट ही बनते हैं  ।  तो होगा यह जितने भी राजनेता के बेटा-बेटी है। उऩ्ही को ही लाभ मिलेगा । क्योंकि सभी निजीकरण और ठेकेदार किस तरह शोषण करते हैं। सभी को मालूम है । अर्थात अमीर और अमीर होता जाएगा । गरीब-गरीब होता जाएगा ।
  • निजीकरण से भले अर्थव्यवस्था को गति मिल जाए ।लेकिन ऐसा भी किया विकास जो गरीबों के शोषण पर टीका हो। 
  • निजीकरण का भारी विरोध होगा जिससे कुछ सालों के लिए जहां से प्रगति करने की वजह नीचे भी गिर सकती है।

निष्कर्ष

वर्तमान सरकार के द्वारा निजीकरण सही साबित हो सकता है। यदि सरकार भारतीय युवा का ध्यान रखें। जहां शिक्षा इतनी महंगी है वहां यह कैसे मुमकिन हो कि बिना ज्ञान के व्यवसायी  बन जाए । पहले तो लाखों की फीस लेने वाले MBA (आई आई एम ) की फीस माफ कर देनी चाहिए . । अर्थात निशुल्क शिक्षा का प्रावधान हो  । यदि कॉलेज कम है तो कॉलेजों का संघ अधिक संख्या में निर्माण हो।  और ऊंचे स्तरों के प्रशिक्षकों के द्वारा शिक्षण प्रदान करें। साथ ही साथ लोन की उचित व्यवस्था बनाए । बैंकों के कर्मचारियों को उचित व्यवहार करना सिखाए या उपभोक्ता के भांति अधिकार प्रदान करें । क्योंकि सरकार द्वारा योजना लागू तो होती है लेकिन वह बैंक तक आकर समाप्त हो जाती है । और प्रक्रिया भी कठिन है इसके अलावा सरकार को एक कार्य अवश्य करना चाहिए व सरकारी कर्मचारी जिनको वेतन आवश्यकता से अधिक दिया जा रहा है। या तो उनकी सैलरी कम कर दें या फिर जो भी निजी क्षेत्रों में कार्यरत है उनकी सैलरी बढ़ा दें । अर्थात दोनों क्षेत्रों को सैलरी में समानता प्रदान करें।


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