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Uksssc Mock Test - 132

Uksssc Mock Test -132 देवभूमि उत्तराखंड द्वारा आगामी परीक्षाओं हेतु फ्री टेस्ट सीरीज उपलब्ध हैं। पीडीएफ फाइल में प्राप्त करने के लिए संपर्क करें। और टेलीग्राम चैनल से अवश्य जुड़े। Join telegram channel - click here उत्तराखंड समूह ग मॉडल पेपर  (1) सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए और सूचियां के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।              सूची-I.                  सूची-II  A. पूर्वी कुमाऊनी वर्ग          1. फल्दाकोटी B. पश्चिमी कुमाऊनी वर्ग       2. असकोटी  C. दक्षिणी कुमाऊनी वर्ग       3. जोहार D. उत्तरी कुमाऊनी वर्ग.        4.  रचभैसी कूट :        A.   B.  C.   D  (a)  1.    2.  3.   4 (b)  2.    1.  4.   3 (c)  3.    1.   2.  4 (d) 4.    2.   3.   1 (2) बांग्ला भाषा उत्तराखंड के किस भाग में बोली जाती है (a) दक्षिणी गढ़वाल (b) कुमाऊं (c) दक्षिणी कुमाऊं (d) इनमें से कोई नहीं (3) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 1. हिंदी में उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण है 2. हिंदी में लेखन के आधार पर 46 वर्ण है उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/ कौन से सही है? (a) केवल 1 (b) केवल 2  (c) 1 और 2 द

कविता लेखन

सोच का दायरा

कविता लेखन

यदि आप अकेला रहना पसंद करते हैं,  तो कविता लिखें,,, । यदि आप प्रेम में है,  तो कविता लिखें। और यदि डिप्रेशन या दुख में है,  तो कभी कविता लिखें है। जैसा भी मन में उत्पन्न हो,  उसे लिख दें। क्योंकि कविताएं सच्ची दोस्त हैं हर उस इंसान की जो दुखी है या कोई तनाव से पीड़ित है। कविता एक तरह से सहारा होती है उन दुखी पलों का जो कष्टदायक हैं। जिनको याद करने से हमारा मन विचलित होता है । बहुत सारे लोगों को शिकायत होती है । "मैं दुख में हूं या मैं तनाव में हूं" तो कोई  कहता है की मुझे कोई याद नहीं करता । खास तौर पर घरवालों और प्रिय दोस्तों से यह शिकायतें आम है । वर्तमान समय में मनुष्य स्वार्थी हो गया है यहां तक कि हर जीवित प्राणी स्वार्थी है। इसलिए खुद का मनोरंजन करना हो या खुशियां बांटनी हो ।तो भी कविता लिखें और किसी वजह से परेशान हो तो उस परेशानी की वजह ढूंढें और सारी वजहें एक पन्ने में ऐसे लिखे। जैसे कोई बात कहना चाहते हो। यकीन मानो आपका अकेलापन दूर हो जाएगा । एक अजीब सा सुकून मिलेगा। और सब अच्छा लगेगा । यह बिल्कुल मत सोचो कि मैं खराब लिखूंगा या लिखूंगी । बस जो मन में है वह लिख दो। दूसरों के लिए नहीं अपने लिए लिखो । इसी तरह मैंने आपके समक्ष कविता लेखन अपने शब्दों में कुछ इस तरह पिरोया है। जिससे आप भी प्रेरणा ले सकते हैं

               तुम सोच का दायरा बढ़ाना


तुम सोच का दायरा बढ़ाना।
 |              उठे मन में विचार तो ।
छोटे-छोटे नोट्स बनाना।
                जुगलबंदी कुछ ऐसी करना।
 सबके मन की  तृप्ति करना।

 तुम सोच का दायरा बढ़ाना ।
                ख्यालों  में किताबों में, 
प्यारा-सा एक घर बनाना ।
              अंधेरे से उजाले तक जाए।
 ऐसी कोई राह दिखाना।

 तुम सोच का दायरा बढ़ाना।
              जो रूठ गए हैं जिंदगी से 
 उनके मन में ख्वाब सजाना, 
              कोई चल रहा है अग्निपथ पर ।
उन वीरों का उत्साह बढ़ाना।
               तुम सोच का दायरा बढ़ाना।।

प्रस्तुत कविता मेरे द्वारा ही लिखी गई है । और यह रचना का मुख्य कारण है कि बहुत सारे लोगों ने मेरी कविताएं पढी,  और एक ही प्रश्न आया?  यह सब कैसे कर लेते हो?  कैसे लिख लेते हो ?  तो मैंने उन लोगों  के प्रति जवाब ढूंढते हुए,  मुझे यह मिला और शब्दों को कुछ ऐसे लिख दिया। अब जवाब कहो या फिर कविता। लेकिन अर्थ यही है।  जो भी है आप भी कविता लिखने का प्रयास करें ।  बस सोचें,  दो पंक्ति भी याद आए। तो नोट्स बना लें । और उसी टॉपिक पर फिर से सोचें। याद आएगा बहुत कुछ मिलता -जुलता । फिर अपने आप कविता बनने लगेगी । बस आप सोच का दायरा बढ़ाना। शुरुआत करनी हो तो जरूरी नहीं अत्यधिक कठिन शब्दों को चुने,  आसान शब्दों में कुछ ऐसे लिखो कि कोई भी पड़े तो संतुष्ट हो जाए । यूं तो मैंने हमेशा आसान जिंदगी ही चुनी है , कविता चाहे जितनी भी सरल भाषा में हो ।  याद रखना कोई तो भाव स्पष्ट हो । ताकि पढ़ने वाला महसूस कर सके। आजकल प्रतियोगी  परीक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थी कविताएं पढ़ने में अधिक रुचि लेते हैं और उन्हें जरूरत भी है  क्योंकि वह एक ऐसे अग्निपथ पर चल रहे हैं जिस पर कोई जोर नहैं।है, और खुद भी कोशिश करते हैं और लिखने की आप भी ऐसा सोचते हैं तो दी गई कविता को पढ़कर प्रयास कर सकते हैं।

                          पार्ट 2


इसी तरह एक समय 2014 में हॉस्टल (जवाहर नवोदय विद्यालय)  से निकलने के बाद एक शहर के कॉलेज में गया। जहां रहन-सहन और बाहरी दुनिया का पता नहीं था । जब स्कूल में थे,  तब केवल यादों में  कॉलेज की तस्वीर बनाई थी। पहला वर्ष कष्टों से गुजरा जिसको मैंने कुछ इस तरह व्यक्त किया अपने शब्दों में  -


 मैं मुसाफिर अनजान नगर से, 
 याद शहर में आ गया।
 अस्तित्व का पता ना था?  
आसमां सा ख्वाब लेकर।
 राह  को में ढूंढता ।

कभी मंजिल की आस में, 
 कभी ममता की तलाश में, 
 कदमों के निशां को ढूंढता।
 चार कदम और चला, 

 एक उमंग और लिए, 
 मोहब्बत  के झांसे आ गया ।
मैं मुसाफिर अनजान नगर से! 
याद शहर आ गया।।

भावार्थ - अक्सर एक विद्यार्थी स्कूल की पढ़ाई  खत्म करके एक कॉलेज के ख्वाब देखता है। और एक अनजान शहर पहुंच जाता है । उस समय उसके मन में बहुत सारे ख्वाब होते हैं साथ ही साथ प्यार की भी तलाश जारी रहती है। और होता यह है कि वह इन सब चक्रों में अपना लक्ष्य भी भूूूल जाता है । 



ऐसी ही अन्य कविताएं पढ़ने के लिए मेरे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।


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