भारत रत्न : गोविंद बल्लभ पंत कल्पना कीजिए, 1887 की एक ठंडी सुबह। अल्मोड़ा के खूंट गांव में, जहां हिमालय की चोटियां बादलों से गपशप कर रही हैं, एक बच्चे का जन्म होता है—जिसके कंधों पर न सिर्फ उत्तराखंड का, बल्कि पूरे भारत का भविष्य चढ़ा होगा। कुछ लोग कहते हैं, जन्म तो पौड़ी में हुआ था, लेकिन सच्चाई जो भी हो, यह बच्चा गोविंद बल्लभ पंत था—एक ऐसा नाम, जो बाद में स्वतंत्रता की लपटों को हवा देगा। उनके पिता मनोरथ पंत, साधारण सिपाही थे, लेकिन किस्मत ने उनके बेटे को असाधारण बनाया। क्या आप जानते हैं, यह वही पंत जी थे, जिन्होंने गांधी जी को भी हैरान कर दिया था? चलिए, उनकी जिंदगी की इस यात्रा पर चलें—एक ऐसी कहानी जो आपको अंत तक बांधे रखेगी। गोविंद बल्लभ पंत : जीवन परिचय गोविंद बल्लभ पंत - यह नाम सुनते ही मन में स्वतंत्रता की लपटें, सामाजिक न्याय की जंग और लोकतंत्र की मजबूत नींव की याद आती है। वे न केवल उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री थे, बल्कि भारत के चौथे गृह मंत्री के रूप में देश की आंतरिक सुरक्षा और एकता को नई दिशा देने वाले दूरदर्शी नेता थे। 10 सितंबर 1887 को जन्मे पंत जी का जीवन एक ऐसी गाथा ...
क्षैतिज आरक्षण विधेयक 2022 उत्तराखंड की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था पर बना एक्ट इस विधेयक को विधानसभा में पारित करने के बाद इसे राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए भेजा गया है। राज्यपाल का इसमें हस्ताक्षर हो ही जाएगा और यह कानून का रूप धारण कर लेगा। यदि हम बात करें कि इस विधेयक में किसके बारे में चर्चा की गई है तो इसमें राज्य सरकार की सेवाओं में स्थानीय महिलाओं को 30% आरक्षण देने की बात कही गई है। आइए जानते हैं बिल इस बिल की खासियत क्या है? इस बिल में किन किन बातों पर चर्चा की गई है। इस बिल को लाने का उद्देश्य क्या है? ये बिल लाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि उत्तराखंड की भौगोलिक संरचना ऐसी है जहाँ पर दूर-दराज के बसे गांव में रहने वाली महिलाओं का जीवन स्तर काफी कठिन हो गया है क्योंकि वहाँ पर सुविधाओं की पहुँच नहीं हो पाती। बहुत सारी ऐसी सुविधाएं हैं जो दूर दराज वाले इलाकों में पहुंच ही नहीं पाती तो ऐसे में महिलाओं का जीवन स्तर अन्य राज्यों की महिलाओं के जीवन स्तर की तुलना में काफी नीचे आ गया है। सरकारी पदों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगातार कम देखा ज...