वनबसा : शारदा नदी के तट पर बसा एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नगर उत्तराखंड के चम्पावत जिले में वनबसा, एक ऐसा कस्बा है जो भारत-नेपाल सीमा पर बसा है और अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत व प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। टनकपुर से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह ग्राम पंचायत, जनपद की सबसे बड़ी पंचायतों में से एक है, जहाँ लगभग 10,000+ लोग निवास करते हैं। यहाँ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अन्य समुदायों का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण देखने को मिलता है, जो इस क्षेत्र को एक जीवंत सामाजिक ताने-बाने से जोड़ता है। प्रकृति और इतिहास का संगम शारदा नदी के तट पर बसा वनबसा, मैदानी और पर्वतीय संस्कृतियों का एक अनूठा मेल है। यह स्थान सदियों से पर्वतीय लोगों का प्रिय ठिकाना रहा है। पुराने समय में, जब लोग माल भावर की यात्रा करते थे, वनबसा उनका प्रमुख विश्राम स्थल था। सर्दियों में पहाड़ी लोग यहाँ अपनी गाय-भैंस चराने आते और दिनभर धूप में समय बिताकर लौट जाते। घने जंगलों के बीच बसे होने के कारण, संभवतः इस क्षेत्र का नाम "वनबसा" पड़ा। यहाँ की मूल निवासी थारू और बोक्सा जनजातियाँ इस क्ष...
क्षैतिज आरक्षण विधेयक 2022 उत्तराखंड की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था पर बना एक्ट इस विधेयक को विधानसभा में पारित करने के बाद इसे राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए भेजा गया है। राज्यपाल का इसमें हस्ताक्षर हो ही जाएगा और यह कानून का रूप धारण कर लेगा। यदि हम बात करें कि इस विधेयक में किसके बारे में चर्चा की गई है तो इसमें राज्य सरकार की सेवाओं में स्थानीय महिलाओं को 30% आरक्षण देने की बात कही गई है। आइए जानते हैं बिल इस बिल की खासियत क्या है? इस बिल में किन किन बातों पर चर्चा की गई है। इस बिल को लाने का उद्देश्य क्या है? ये बिल लाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि उत्तराखंड की भौगोलिक संरचना ऐसी है जहाँ पर दूर-दराज के बसे गांव में रहने वाली महिलाओं का जीवन स्तर काफी कठिन हो गया है क्योंकि वहाँ पर सुविधाओं की पहुँच नहीं हो पाती। बहुत सारी ऐसी सुविधाएं हैं जो दूर दराज वाले इलाकों में पहुंच ही नहीं पाती तो ऐसे में महिलाओं का जीवन स्तर अन्य राज्यों की महिलाओं के जीवन स्तर की तुलना में काफी नीचे आ गया है। सरकारी पदों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगातार कम देखा ज...