Uksssc Mock Test -214 Uksssc Vdo/Vpdo Mock Test -214 1) स्थानीय भाषा में अदरक को क्या कहा जाता है (A) आद् (B) अदरक (C) अदरख (D) सभी (2) 'बाँधो न नाव इस ठाँव' के लेखक हैं- (a) मुक्तिबोध (b) जयशंकर प्रसाद (c) निराला (d) महादेवी वर्मा (3) सरसों मुस्काई खेतों में, आमों ने पहने बौर।’ इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार है? a) रूपक b) उपमा c) मानवीकरण d) अनुप्रास (4) सही पर्यायवाची शब्द युग्म चुनिए: a) पुस्तक – पुस्तकालय b) बालक – बालिका c) वन – जंगल d) सर्दी – गर्म (5) “लंबा आदमी' वाक्य में 'लंबा' कौन-सा पद है? a) क्रिया b) विशेषण c) संज्ञा d) सर्वनाम (6) सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए और सूचियां के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए। सूची-I। सूची-II अलंकार। उदाहरण a. उपमा 1. वह फूल-सी कोमल है। b. रूपक 2. वह तो शेर है। c. अनुप्रास 3. चंचल चपल चारु चितवन चुराए मन d. यमक 4. राम...
Happy New Year 2023
देवभूमि उत्तराखंड की तरफ से सभी देशवासियों को वर्ष 2023 की हार्दिक शुभकामनाएं। बीता वर्ष बीते साल आपके जैसे भी गए वो तो गए। अच्छे गए बुरे गए फर्क नहीं पड़ता। फर्क पड़ता है आने वाला साल कैसा हो ? तो आशा करते हैं आपका आने वाला साल सभी वर्षों से बेहतर हो । आने वाले नये साल में बूढ़ों को बच्चों से की गयी उम्मीद से ज्यादा सुख मिले। देवभूमि उत्तराखंड के चारों धामों की यात्रा करने का सौभाग्य मिले। और युवाओं ने अभी तक जितनी भी मेहनत की है उसका फल मिले। साथ ही अविवाहितों को मनपसंद का वर मिले। नव वर्ष के उपलक्ष में देवभूमि उत्तराखंड आप सभी के सामने एक कविता प्रस्तुत करता है जिसका शीर्षक है - "अब के बरस"
अल्फ़ाज़ अनकहे : शब्दालय
शीर्षक : अब के बरस
इश्क मुकम्मल हो गर,
हमको भी पता दीजिए,
वो सोए हैं अरसों से,
जरा उनको भी जगा दीजिए।
नया साल आया है,
जरा उनको भी आगाह कीजिए।
बैचैनी से भरा है आलम,
शरमो हया के परदे गिरा दीजिए,
रूत-ए-इश्क का
आईना उनको भी दिखा दीजिए।
गुज़ारिश है खुदा से
अब के बरस हमको भी मिला दीजिए।
पहाड़ी बन्दे : देवभूमि उत्तराखंड
देवभूमि उत्तराखंड के हमारे स्थायी भाइयों के लिए समर्पित मेरी कविता - पहाड़ी बंदे। जो अभी भी पहाड़ों को देश की शान बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। जो पलायन करने के स्थान पर पहाड़ में ही रोजगार की नई जगह बना रहे हैं।
हम आजाद परिंदे ठहरे
पहाड़ों में हमारा बसेरा है,
झरने, नदियां हमारे खेल खिलौने
सफेद चादर, मखमली घास पर
हमारा बिछौना है ।
भूस्खलन देखा, भूकंप देखा
तनिक मन न भयभीत होता,
हम पहाड़ के बंदे ठहरे,
बादलों में हमारा बसेरा है ।
ऊंचे पर्वत, गहरे दर्रे
हिमनदों से होकर राह बनायी है।
फूलों की घाटी से लेकर,
चार धाम की यात्रा करवायी है ।
शब्दालय : काव्य संग्रह
और कुछ शब्द उन मित्रों, रिश्तेदारों, परिवार वालों, गांवों वालों, शहर वालों के लिए जो हमारे शब्दों को समझ न सके।
काश ! तुम समझ पाते,
मेरे शब्दालय के शब्दों को,
सब समझ गए,
एक तुम न समझे,
मेरे हृदय में बसे प्रेम की,
अविरल धारा को,
हमारी कविताओं को पढ़ने के लिए धन्यवाद यदि आपको हमारी कविताएं पसंद आती है तो अपनी राय व्यक्त कीजिए। और अधिक से अधिक शेयर कीजिए। अंत में एक बार मैं फिर से आप सभी को नववर्ष की हार्दिक बधाईयां। आपका जीवन मंगलमय हो।
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