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Uksssc Mock Test - 132

Uksssc Mock Test -132 देवभूमि उत्तराखंड द्वारा आगामी परीक्षाओं हेतु फ्री टेस्ट सीरीज उपलब्ध हैं। पीडीएफ फाइल में प्राप्त करने के लिए संपर्क करें। और टेलीग्राम चैनल से अवश्य जुड़े। Join telegram channel - click here उत्तराखंड समूह ग मॉडल पेपर  (1) सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए और सूचियां के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।              सूची-I.                  सूची-II  A. पूर्वी कुमाऊनी वर्ग          1. फल्दाकोटी B. पश्चिमी कुमाऊनी वर्ग       2. असकोटी  C. दक्षिणी कुमाऊनी वर्ग       3. जोहार D. उत्तरी कुमाऊनी वर्ग.        4.  रचभैसी कूट :        A.   B.  C.   D  (a)  1.    2.  3.   4 (b)  2.    1.  4.   3 (c)  3.    1.   2.  4 (d) 4.    2.   3.   1 (2) बांग्ला भाषा उत्तराखंड के किस भाग में बोली जाती है (a) दक्षिणी गढ़वाल (b) कुमाऊं (c) दक्षिणी कुमाऊं (d) इनमें से कोई नहीं (3) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 1. हिंदी में उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण है 2. हिंदी में लेखन के आधार पर 46 वर्ण है उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/ कौन से सही है? (a) केवल 1 (b) केवल 2  (c) 1 और 2 द

क्षैतिज आरक्षण विधेयक 2022

क्षैतिज आरक्षण विधेयक 2022 



उत्तराखंड की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था पर बना एक्ट 

इस विधेयक को विधानसभा में पारित करने के बाद इसे राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए भेजा गया है। राज्यपाल का इसमें हस्ताक्षर हो ही जाएगा और यह कानून का रूप धारण कर लेगा। यदि हम बात करें कि इस विधेयक में किसके बारे में चर्चा की गई है तो इसमें राज्य सरकार की सेवाओं में स्थानीय महिलाओं को 30% आरक्षण देने की बात कही गई है। आइए जानते हैं बिल इस बिल की खासियत क्या है? इस बिल में किन किन बातों पर चर्चा की गई है। इस बिल को लाने का उद्देश्य क्या है?

ये बिल लाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि उत्तराखंड की भौगोलिक संरचना ऐसी है जहाँ पर दूर-दराज के बसे गांव में रहने वाली महिलाओं का जीवन स्तर काफी कठिन हो गया है क्योंकि वहाँ पर सुविधाओं की पहुँच नहीं हो पाती। बहुत सारी ऐसी सुविधाएं हैं जो दूर दराज वाले इलाकों में पहुंच ही नहीं पाती तो ऐसे में महिलाओं का जीवन स्तर अन्य राज्यों की महिलाओं के जीवन स्तर की तुलना में काफी नीचे आ गया है। सरकारी पदों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगातार कम देखा जा रहा है। राज्य में सरकारी सेवाओं या उन सेवाओं से संबंधित जो भी उत्तराखंड में सुविधाएँ हैं उनका कोई लाभ नहीं ले पाती। तो ऐसे में उन महिलाओं की जीवन स्तर में सुधार करने के लिए व सरकारी नौकरियों में अवसरों की समान सुलभता दिलाने के लिए उत्तराखंड राज्य सरकार ने 30% अतिरिक्त आरक्षण की बात कही है। अर्थात उत्तराखंड में महिलाओं के लिए पहले ही आरक्षण है अब इस विधेयक के माध्यम से उन्हें सरकारी नौकरियों में अतिरिक्त 30% आरक्षण का प्रावधान किया गया है। ताकि सार्वजनिक सेवाओं और पदों पर महिलाओं की संख्या में वृद्धि हो । और उन्हें देश की मुख्यधारा में शामिल किया जा सके। इस बिल के प्रावधानों का लाभ लेने के लिए महिला के पास उत्तराखंड का स्थायी निवास प्रमाण पत्र होना जरूरी है ।

यदि बात करे की यह विधेयक किन संस्थाओं में महिलाओं के लिए विभिन्न पदों पर 30% क्षैतिज आरक्षण की प्रावधान करता है-

  • स्थानीय स्तर पर जो भी प्राधिकारियों वाले पद होंगे, उन पदों पर 30% आरक्षण मिलेगा। 
  • उत्तराखंड सहकारी समितियों वाले पद होंगे, जिनमें राज्य सरकार की जो शेयर पूंजी है। ( 51% से कम नहीं होनी चाहिए।) 
  • इसके साथ ही वोट या निगम या किसी केंद्रीय उत्तराखण्ड राज्य अधिनियम द्वारा स्थापित विधि निकाय में कोई भी पद होगा।
  • इसके साथ ही कोई भी शैक्षणिक संस्थान या राज्य सरकार के स्वामित्व नियंत्रण में यदि कोई ऐसा वहाँ पर संस्थान है जो राज्य सरकार द्वारा अनुदान प्राप्त कर रहा है। 

क्षैतिज आरक्षण क्या है?

विधेयक में क्षैतिज आरक्षण की बात कही गई है तो आइए जानते हैं? क्षैतिज आरक्षण क्या है? किंतु क्षैतिज आरक्षण को समझने से पूर्व हमें पता होना चाहिए कि आधार आरक्षण (horizontal Reservation) क्या है? इसलिए सबसे पहले देखेंगे हम आधार आरक्षण के बारे में। 

आधार आरक्षण (Vertical Reservation)  - सामान्यतः जब किसी विशेष समूह, विशेष वर्ग या कोई जाति को आरक्षण दिया जाता है तो उसे आधार आरक्षण कहते हैं जैसे - देश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्गों, महिलाओं, बुजुर्गों, ट्रांसजेंडर समुदाय, विकलांग व्यक्तियों को आधार आरक्षण में शामिल किया जाता है। देश में प्रत्येक समूह के लिए अलग से आरक्षण की व्यवस्था की गई है क्योंकि आप जानते हैं कि अनुसूचित जाति के लिए अलग से आरक्षण का प्रावधान है। अनुसूचित जनजाति के लिए अलग व अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए अलग आरक्षण प्रावधान है। उदाहरण के तौर पर अनुच्छेद 16 (ब) आरक्षण पिछड़े वर्ग की परिकल्पना करता है।

अनुच्छेद 16 (ब) क्या है ? 

संविधान में उल्लेख किया गया है कि अनुच्छेद 16 (ब) राज्य नियुक्तियों के आरक्षण की व्यवस्था कर सकता है या किसी पद को पिछड़े वर्ग के पक्ष में बना सकता है जिनका राज्य में समान प्रतिनिधित्व नहीं है। अर्थात राज्य सरकार किसी भी विशेष वर्ग के लिए किसी भी सरकारी नौकरी में अलग से आरक्षण का प्रावधान कर सकती है। जब राज्य सरकार विचार करे कि उस विशेष वर्ग का सरकारी नौकरियों या सरकारी संस्थाओं में प्रतिनिधित्व समान नहीं है। उन्हें पर्याप्त वहाँ पर उपलब्धियाँ हासिल नहीं हुई है।

क्षैतिज आरक्षण क्या है?

जब आधार आरक्षण में से sc/st समुदाय, एक विशेष श्रेणियों के एक विशेष वर्ग जैसे महिलाओं, बुजुर्गों, ट्रांसजेंडर समुदाय, विकलांग व्यक्तियों को आरक्षण मिलने के बाद भी सरकारी पदों पर समानता ना आए। तब सरकार समानता स्थापित करने के लिए उस विशेष वर्ग के उत्थान के लिए आरक्षण लागू करती है। तो ऐसे आरक्षण को क्षैतिज आरक्षण कहते हैं। जैसे उत्तराखंड के सरकारी पदों पर महिलाओं और पुरुषों में समानता नहीं है। जहां स्कूल और संस्थाओं में 10 पुरुष कार्यरत हैं तो वहीं मात्र दो महिलाएं कार्यरत हैं।  इसलिए महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए क्षैतिज आरक्षण दे रही है,

संविधान के अनुच्छेद 15(3) में क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था की गई है । बता दें कि अनुच्छेद 15 राज्य के किसी नागरिक प्रति केवल धर्म मूल वंश जाति लिंग या जन्म स्थान को लेकर भेदभाव नहीं कर सकता है। लेकिन अनुच्छेद 15(3)में राज्य को यह अधिकार दिया गया है कि वह सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगों, अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों के उत्थान के लिए शैक्षिक संस्थानों के प्रवेश के लिए छूट संबंधी कोई नियम बना सकता है या शैक्षणिक संस्थान राज्य से अनुदान प्राप्त निजी अल्पसंख्यक किसी भी प्रकार के हो सकते हैं।  

ये तो हमने देखा कि भारत में कौन से प्रावधान है ? आरक्षण से संबंधित अब यदि हम बात करें। साथ ही आरक्षण इन दोनों के बारे में स्पष्ट रूप से कब बात सामने आई तो वर्ष 2020 में सुप्रीम कोर्ट में क्षैतिज और आधार आरक्षण पर कानून के स्थिति को स्पष्ट किया था, जिसमें सौरभ यादव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के एक मामले में यहाँ पर दो जजों की खंडपीठ बैठी थी। उसने फैसला सुनाया था कि यह क्षैतिज आरक्षण और आधार आरक्षण ये दोनों अलग है यहाँ पर लागू करने की प्रवृत्ति भी अलग होगी क्योंकि उसमें क्या कहा गया था जहाँ आधार आरक्षण कानून के तहत निर्दिष्ट प्रत्येक समूह के लिए यहाँ पर दिया जाता है और अलग से लागू होता है वहीं क्षैतिज आरक्षण  यहाँ हमेशा विशेष श्रेणी के लिए अलग से लागू होगा ना कि इस पूरे बोर्ड पर।

जुलाई 2016 में उत्तराखंड की सरकार ने राज्य की महिलाओं के लिए सरकारी नौकरियों में 30 फ़ीसदी आरक्षण देने का सरकार के आदेश पर रोक लगा दिया इस फैसले को नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती मिलने से पहले आरक्षण राज्य में लागू था।


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