Uksssc Vdo/Vpdo Mock Test 2025 देवभूमि उत्तराखंड द्वारा आगामी परीक्षा उत्तराखंड पटवारी, ग्राम विकास अधिकारी, फोरेस्ट गार्ड और RO/ARO हेतु टेस्ट सीरीज प्रारंभ की गई है। सभी टेस्ट अनुभवी टीम द्वारा तैयार किए जा रहे हैं। टेस्ट सीरीज का लाभ उठाने के लिए संपर्क करें। 9568166280 Uksssc Mock Test - 212 (1) “अन्याला चोट कन्याला” इस लोकोक्ति का अर्थ क्या है ? (A) सर पर भारी चोट लगा (B) अंधे के हाथ बटेर लगना (C) अंधे पर चोट लगा (D) आने से जाने तक (2) “बाप पेट चय्ल बाजार” कुमाऊनी पहेली का क्या अर्थ है – (A) कददू (B) सेब (C) जीभ (D) पिनालू (3) मकर संक्रांति को स्थानीय भाषा में क्या कहा जाता है (A) घुघुती त्यौहार (B) उत्तरायण (C) चुनिया (D) उपरोक्त सभी (4) उत्तराखंड में ग्रामीण आवासो के निकट की भूमि क्या कहलाती है (A) घरया (B) बण्या (C) बिचौलि (D) जवाणा (5) निम्नलिखित स्वरों में कौन सा युग्म गलत है (A) मध्य स्वर - अ (B) विवृत स्वर - आ (C) अर्धविवृत्त स्वर - ई (D) पश्च स्वर - ऊ (6) सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए और सूचियां के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए...
उत्तराखंड की प्रशासनिक व्यवस्था
उत्तराखंड की प्रशासनिक व्यवस्था को भारत के संवैधानिक ढांचे के तहत संचालित किया जाता है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन स्पष्ट रूप से परिभाषित है, उत्तराखंड जो 9 नवंबर 2000 को भारत का 27वां राज्य बना एक संसदीय लोकतंत्र के रूप में कार्य करता है । इसकी प्रशासनिक व्यवस्था को निम्नलिखित स्तरों पर समझा जा सकता है।
प्रशासनिक ढांचा
- विभागीय संरचना : उत्तराखंड सरकार विभिन्न विभागों के माध्यम से प्रशासन संचालित करती है जैसे - गृह, शिक्षा, स्वास्थ्य, वन, पर्यटन, लोक निर्माण और कृषि । प्रत्येक विभाग का एक नेतृत्व एक मंत्री करता है जबकि प्रशासनिक कार्यों का प्रबंध भारतीय प्रशासनिक सेवा और राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी करते हैं।
- सचिवालय : देहरादून में स्थित सचिवालय राज्य सरकार का प्रशासनिक केंद्र है जहां सभी प्रमुख नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं।
- मुख्य सचिव : यह राज्य राज्य का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी होता है जो सभी विभागों के बीच समन्वय स्थापित करता है और सरकार को नीतिगत सलाह देता है।
उत्तराखंड राज्य प्रशासन के तीन प्रमुख अंग हैं।
- कार्यपालिका
- विधायिका
- न्यायपालिका
राज्य का विधानसभा मंडल
संविधान के अनुच्छेद 168 में विधानमंडल का प्रावधान किया गया है। उत्तराखंड राज्य विधान मंडल के दो अंग हैं
- राज्यपाल
- राज्य विधानसभा
राज्यपाल
उत्तराखंड के राज्यपाल राज्य के संवैधानिक प्रमुख होते हैं । वे भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं और विधानमंडल के कार्यों की देखरेख करते हैं।
संवैधानिक आधार
- अनुच्छेद 153 : प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा
- अनुच्छेद 154 : राज्य की कार्यकारी शक्ति राज्यपाल में निहित होगी, जो भी स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से प्रयोग करेंगे।
- अनुच्छेद 155 : राज्यपाल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- अनुच्छेद 156 : राज्यपाल का कार्यकाल सामान्यतः 5 वर्ष का होता है लेकिन राष्ट्रपति की इच्छा पर निर्भर करता है।
- अनुच्छेद 163 : राज्यपाल को अपने कार्यों में सहायता और सलाह देने के लिए मंत्री परिषद होगा जिसका प्रमुख मुख्यमंत्री होगा।
राज्यपाल के कार्य
राज्यपाल का कार्य कार्यपालिका, विधायिका और कुछ हद तक न्यायपालिका से संबंधित होता है। राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति 5 वर्ष के लिए और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश समक्ष शपथ लेता है। राज्यपाल की न्यूनतम आयु 35 वर्ष होती है।
कार्यकारी भूमिका :
- वे मंत्री परिषद की सलाह पर कार्य करते हैं शिवाय उन मामलों के जहां संविधान उन्हें विवेकाधीन शक्तियां प्रदान करता है।
- मंत्रियों की नियुक्ति करना विशेष रूप से मुख्यमंत्री की नियुक्ति (अनुच्छेद 164)
- प्रशासनिक आदेशों और नियमों को मंजूरी देना ।
विधायी भूमिका :
- विधानसभा को बुलाना स्थगित करना या भंग करना (अनुच्छेद 174)
- विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को स्वीकृति देना आशीर्वाद करना या राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित करना (अनुच्छेद 200)
- अध्यादेश जारी करना जब विधानसभा सत्र में ना हो अनुच्छेद 213
विवेकाधीन शक्तियां :
- मुख्यमंत्री की नियुक्ति में जब कोई स्पष्ट बहुमत न हो तो राज्यपाल राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकता है।
- कुछ मामलों में मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना निर्णय ले सकता है जैसे कि राज्य में संवैधानिक संकट की स्थिति होती है।
न्यायिक भूमिका :
- राज्यपाल को उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति में परामर्श की भूमिका होती है (अनुच्छेद 217) ।
- समाधान सजा में कमी या निलंबन की शक्ति (अनुच्छेद 161)
वित्तीय भूमिका
- राज्य का बजट विधानसभा में प्रस्तुत करने की अनुमति देना (अनुच्छेद 202)
- आकस्मिक निधि से व्यय की स्वीकृति देना (अनुच्छेद 267)
अन्य भूमिकाएं
- राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति। (अनुच्छेद 316)
- विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में कार्य करना।
राज्य विधानसभा
उत्तराखंड में एक सदनीय विधानमंडल होने के कारण इसे विधानसभा कहा जाता है। संविधान के अनुच्छेद 170 के तहत विधानसभा गठन का प्रावधान है। किसी राज्य की विधानसभा में अधिकतम सदस्य 500 व न्यूनतम सदस्य 60 हो सकते हैं।
विधानसभा के कार्य
- राज्य के लिए कानून बनाना
- बजट पारित करना
- सरकार की नीतियों की समीक्षा करती है।
वर्तमान समय में राज्य विधानसभा में 70 निर्वाचित सदस्य हैं। 70 सीटों में कुल 15 सीटें आरक्षित है। जिसमें 13 सीट अनुसूचित जाति (SC) और 2 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।
नोट्स -
- राज्य गठन से पूर्व राज्य में 22 विधानसभा एवं 9 विधान परिषद की सीटें थीं। वर्तमान समय में उत्तराखंड राज्य में विधान परिषद सदन नहीं है।
- उत्तराखंड में लोकसभा की 5 सीट व राज्य सभा की 3 सीट हैं। (अल्मोड़ा लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति (S.C.) के लिए आरक्षित हैं ।
- प्रत्येक लोकसभा सीट में 14-14 विधानसभा क्षेत्र हैं।
मंत्रिपरिषद
मंत्रिपरिषद जिसमें विभिन्न विभागों के मंत्री शामिल होते हैं मुख्यमंत्री के नेतृत्व में कार्य करती है यह नीतियां बनती है और प्रशासनिक निर्णय लेती है। मंत्री परिषद की संख्या कुल सदस्यों का 15% या 12 हो सकती है।
मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री राज्य सरकार का प्रमुख होता है जो विधानसभा में बहुमत प्राप्त दल या गठबंधन का नेता होता है
संवैधानिक आधार
- अनुच्छेद 163 : मंत्री परिषद का गठन जिसमें मुख्यमंत्री प्रमुख होता है।
- अनुच्छेद 164 : मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है। मुख्यमंत्री का कार्यकाल विधानसभा के विश्वास पर निर्भर करता है।
मुख्यमंत्री के कार्य
मंत्री परिषद का नेतृत्व :
- मुख्यमंत्री मंत्री परिषद का प्रमुख होता है और मंत्रियों के बीच विभागों का वितरण करता है।
- मंत्री परिषद की बैठकों की अध्यक्षता करना और नीतियों का समन्वय करना।
राज्यपाल का मुख्य सलाहकार
- राज्यपाल को नीतिगत और प्रशासनिक मामलों में सलाह देना।
- नीतियों और विकास योजनाओं का निर्माण और कार्यान्वयन।
विधायी भूमिका :
- विधानसभा में सरकार का नेतृत्व करना और विधायकों को प्रस्तुत करना विधानसभा में बहुमत बनाए रखना।
सार्वजनिक नेतृत्व :
- जनता के साथ संवाद और सरकार की नीतियों को प्रचारित करना
- आपदा प्रबंधन और संकट काल में नेतृत्व प्रदान करना
केंद्र राज्य संबंध :
- केंद्र सरकार के साथ समन्वय विशेष रूप से योजनाओं और वित्तीय सहायता के लिए।
महाधिवक्ता
अनुच्छेद 165 के तहत प्रत्येक राज्य में एक महाधिवक्ता होगा जिसे राज्यपाल नियुक्त करता है महाधिवक्ता को उच्च न्यायालय में वकालत करने का अधिकार होता है।
महाधिवक्ता के कार्य
- राज्य सरकार को कानूनी मामलों में सलाह देना।
- संवैधानिक और कानूनी मुद्दों पर सरकार का मार्गदर्शन करना।
- उच्च न्यायालय और अन्य न्यायालयों में राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करना।
- सरकार के खिलाफ या सरकार द्वारा दायर मुकदमों में पक्ष रखना।
- सरकारी नीतियों और विधेयकों की कानूनी की वैधता की जांच करना।
- इसके अलावा विधानसभा में कानूनी मुद्दों पर चर्चा में भाग लेना हालांकि मतदान का अधिकार नहीं होता है तथा संवैधानिक संकटों में सरकार को कानूनी राय देना
उत्तराखंड के प्रथम महाधिवक्ता ललिता प्रसाद नैथानी थे।
वर्तमान महाधिवक्ता - रितु बाहरी
उच्च न्यायालय
उत्तराखंड के बाद 9 नवंबर 2000 को देश का 20 व उच्च न्यायालय का गठन नैनीताल में हुआ। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के सृजन के समय न्यायाधीशों की संख्या 7 थीं। 2003 को न्यायाधीश की संख्या बढ़ाकर 9 कर दी गई। वर्तमान समय में राज्य उच्च न्यायालय में 9 स्थाई न्यायाधीश तथा 2 अतिरिक्त न्यायाधीश का प्रावधान किया गया है।
संविधान के अनुच्छेद 214 के तहत प्रत्येक राज्य में एक उच्च न्यायालय होगा।
- अनुच्छेद 217 के तहत उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति राज्य के राज्यपाल व सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श पर करेगा।
- अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यालय रिट जारी कर सकता है।
न्यायधीश बनने की आवश्यक शर्तें
- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने के लिए कम से कम 10 वर्षों तक न्यायिक क्षेत्र से जुड़ा होना चाहिए।
- अधिकतम आयु 62 वर्ष तक पद धारण कर सकता है
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का वेतन राज्य के संचित निधि पर आधारित होते हैं। जबकि पेंशन भारत की संचित निधि पर आधारित होते हैं।
- उत्तराखंड के प्रथम मुख्य न्यायाधीश अशोक अभ्यंकर देसाई थे
- वर्तमान न्यायाधीश - गुहनाथन नरेन्द्र
- राज्य उच्च न्यायालय के प्रथम रजिस्टर - G.M. रावत
- वर्तमान रजिस्टर - योगेश कुमार गुप्ता (जून 2025 में नियुक्त)
राज्य लोकसेवा आयोग
अनुच्छेद 315-323 : राज्य लोक सेवा आयोग की स्थापना और कार्य
राज्य निर्वाचन आयोग
अनुच्छेद 243K और 243ZA : पंचायत और नगर पालिका का चुनाव
यदि आपको हमारे द्वारा तैयार किए नोट्स पसंद आते हैं तो इन्हें अधिक से अधिक लोगों तक शेयर करें। और उत्तराखंड की आगामी सभी परीक्षाओं की तैयारी हेतु संपर्क करें।
Join Uksssc Vdo/Vpdo Mock Test Series (Just ₹49)
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें।-9568166280
इन्हें भी पढ़ें।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts.
Please let me now.