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उत्तराखंड की प्रमुख नियुक्तियां 2025

उत्तराखंड करेंट अफेयर्स 2025 उत्तराखंड की प्रमुख नियुक्तियां  उत्तराखंड के नव नियुक्त मुख्य सचिव - आनंदवर्धन सिंह  आनंद बर्द्धन (Anand Bardhan), उत्तराखंड के नव नियुक्त मुख्य सचिव, 1992 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने 1 अप्रैल 2025 को उत्तराखंड के 19वें मुख्य सचिव के रूप में कार्यभार संभाला। इससे पहले वह अपर मुख्य सचिव (ACS) के पद पर कार्यरत थे और उत्तराखंड कैडर के सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं। इनसे पूर्व राधा रतूड़ी इस पद पर कार्यरत थीं। आनंदवर्धन सिंह  जन्म : 12 जून 1967, कटोरिया, बांका (बिहार)। शिक्षा : दिल्ली विश्वविद्यालय से फिजिक्स में बीएससी ऑनर्स (विश्वविद्यालय में दूसरा स्थान) और मास्टर इन कंप्यूटर एप्लीकेशन (MCA)। उत्तराखंड के प्रथम मुख्य सचिव - अजय विक्रम सिंह थे। 18वीं राज्य मुख्य सचिव - राधा रतूड़ी  17वें राज्य मुख्य सचिव - एस.एस. संधु  राज्य सूचना आयोग  उत्तराखंड राज्य सूचना आयोग के वर्तमान अध्यक्ष राधा रतूड़ी हैं राधा रतूड़ी उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सूचना आयुक्त हैं। इन्हें 5 अप्रैल 2025 में इस पद पर नियुक्त किया गया साथ ही श्री कुश...

उत्तराखंड की प्रमुख नियुक्तियां 2025

उत्तराखंड करेंट अफेयर्स 2025

उत्तराखंड की प्रमुख नियुक्तियां 

उत्तराखंड के नव नियुक्त मुख्य सचिव - आनंदवर्धन सिंह 

आनंद बर्द्धन (Anand Bardhan), उत्तराखंड के नव नियुक्त मुख्य सचिव, 1992 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने 1 अप्रैल 2025 को उत्तराखंड के 19वें मुख्य सचिव के रूप में कार्यभार संभाला। इससे पहले वह अपर मुख्य सचिव (ACS) के पद पर कार्यरत थे और उत्तराखंड कैडर के सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं। इनसे पूर्व राधा रतूड़ी इस पद पर कार्यरत थीं।

आनंदवर्धन सिंह 
  • जन्म : 12 जून 1967, कटोरिया, बांका (बिहार)।
  • शिक्षा : दिल्ली विश्वविद्यालय से फिजिक्स में बीएससी ऑनर्स (विश्वविद्यालय में दूसरा स्थान) और मास्टर इन कंप्यूटर एप्लीकेशन (MCA)।
उत्तराखंड के प्रथम मुख्य सचिव - अजय विक्रम सिंह थे।
  1. 18वीं राज्य मुख्य सचिव - राधा रतूड़ी 
  2. 17वें राज्य मुख्य सचिव - एस.एस. संधु 

राज्य सूचना आयोग 

उत्तराखंड राज्य सूचना आयोग के वर्तमान अध्यक्ष राधा रतूड़ी हैं

राधा रतूड़ी उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सूचना आयुक्त हैं। इन्हें 5 अप्रैल 2025 में इस पद पर नियुक्त किया गया साथ ही श्री कुशला नंद और श्री देवेन्द्र कुमार आर्य को सूचना आयुक्त सदस्य के रूप नियुक्त किए गए। जबकि इनसे पूर्व मार्च माह के अन्तिम सप्ताह में दलीप सिंह कुंवर  सूचना आयुक्त सदस्य नियुक्त किया गया था।

राधा रतूड़ी एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी रही हैं, जिन्होंने उत्तराखंड में विभिन्न महत्वपूर्ण प्रशासनिक भूमिकाएँ निभाई हैं। वह उत्तराखंड की पहली महिला मुख्य सचिव भी रह चुकी हैं। राधा रतूड़ी का जन्म मध्य प्रदेश में हुआ था। इनका विवाह आईएएस अधिकारी अनिल रतूड़ी से हुआ है।

उत्तराखंड सूचना आयोग के बारे में,
  • उत्तराखंड सूचना आयोग सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत स्थापित एक स्वायत्त और वैधानिक निकाय है। 
  • उत्तराखंड राज्य सूचना आयोग की का गठन 3 अक्टूबर 2005 में देहरादून में किया गया।
  • यह आयोग सरकारी संस्थानों द्वारा साझा की गई जानकारी से संबंधित अपीलों और शिकायतों की जांच करता है।
  • मुख्य सूचना आयुक्त और अन्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है, जो मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति (जिसमें विपक्ष के नेता और एक राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य शामिल होते हैं) की सिफारिश पर आधारित होती है। 
  • आयुक्तों का कार्यकाल 3 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है, जो भी पहले हो।

उत्तराखंड के वर्तमान पुलिस महानिदेशक (Director General of Police - DGP) दीपम सेठ 

25 नवंबर 2024 को, दीपम सेठ को उत्तराखंड का 13वां पुलिस महानिदेशक (DGP) नियुक्त किया गया, जब वे सशस्त्र सीमा बल (SSB) में ADG के पद पर थे।

उत्तराखंड पुलिस संरचना 
उत्तराखंड पुलिस का नेतृत्व पुलिस महानिदेशक (DGP) करते हैं, जिनके अधीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADG), पुलिस महानिरीक्षक (IG), पुलिस उपमहानिरीक्षक (DIG), वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP), और अन्य अधिकारी कार्य करते हैं।
  • उत्तराखंड के 12वें पुलिस महानिदेशक अभिनभ कुमार थे। 
  • उत्तराखंड के पहले पुलिस महानिदेशक अशोक कांतशरण ( 2000-2002) थे।
  • उत्तराखंड की पहली महिला पुलिस महानिदेशक कंचन चौधरी भट्टाचार्य (2004-2007) थी।

उत्तराखंड के वर्तमान महाधिवक्ता - सूर्य नारायण बावुलकर

सूर्य नारायण बाबुलकर उत्तराखंड के वर्तमान महाधिवक्ता (Advocate General) हैं। उनकी नियुक्ति 31 मार्च 2017 को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा की गई थी। बाबुलकर उत्तराखंड उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और इससे पहले 2010 में रमेश पोखरियाल निशंक की सरकार के दौरान भी महाधिवक्ता रह चुके हैं।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 165 के अनुसार, महाधिवक्ता राज्य का सर्वोच्च विधि अधिकारी होता है, जिसकी नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।
  • उत्तराखंड के पहले अधिवक्ता ललिता प्रसाद नैथानी थे।

उत्तराखंड का छठवां राज्य वित्त आयोग का गठन 

अध्यक्ष - एन. रविशंकर 

एन. रविशंकर, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव को 2025 में छठवें राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। आयोग के गठन की अधिसूचना वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन द्वारा जारी की गई थी।

छठवां राज्य वित्त आयोग
  • छठवां राज्य वित्त आयोग त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं (जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत, और ग्राम पंचायत) और शहरी स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति का आकलन करता है। 
  • यह आयोग केंद्र और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय संसाधनों के आवंटन, करों के बंटवारे, और स्थानीय निकायों के लिए संसाधन जुटाने के उपायों पर सिफारिशें देता है। 
  • आयोग को 31 मार्च 2025 तक पंचायतों और शहरी निकायों के ऋण की स्थिति का आकलन करने और अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपने का अधिकार है।
आयोग में पूर्व आईएएस अधिकारी पी.एस. जंगपांगी और डॉ. एम.सी. जोशी सदस्य हैं, जबकि अपर सचिव वित्त डॉ. अहमद इकबाल को सचिव नियुक्त किया गया है।

उत्तराखंड राज्य वित्त आयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 243(I) के तहत गठित किया जाता है। यह प्रत्येक पांच वर्ष में या आवश्यकतानुसार गठित होता है।

उत्तराखंड के महालेखाकार - मो. परवेज आलम

मोहम्मद परवेज आलम ने 07 अप्रैल 2025 को देहरादून में उत्तराखंड के महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। वे भारतीय लेखापरीक्षा एवं लेखा सेवा (IA&AS) के 2008 बैच के अधिकारी हैं। उन्हें अगले आदेश तक महालेखाकार (लेखापरीक्षा), उत्तराखंड का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया है।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय

वर्तमान मुख्य न्यायाधीश
  • न्यायमूर्ति : जी. नरेंद्र (गुहानाथन नरेन्द्र)
  • कार्यभार ग्रहण : 26 दिसंबर 2024
नैनीताल में स्थित, यह उत्तराखंड का सर्वोच्च न्यायिक निकाय है। प्रथम मुख्य न्यायाधीश अशोक अभेंद्र देसाई थे।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय, नैनीताल के वर्तमान न्यायाधीशों की सूची निम्नलिखित है। यह जानकारी उपलब्ध वेब स्रोतों और हाल के अपडेट्स के आधार पर दी गई है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय में वर्तमान में कुल 11 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या है, जिसमें 9 स्थायी और 2 अतिरिक्त न्यायाधीश शामिल हैं।

इनसे पूर्व रितु बाहरी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थी जो उत्तराखंड उच्च न्यायालय की प्रथम महिला थी।

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (Uttarakhand Public Service Commission - UKPSC)

गठन : 14 मार्च 2001
मुख्यालय : हरिद्वार 
  • उत्तराखंड लोकसेवा आयोग का गठन 14 मार्च 20001 में हुआ। लेकिन आयोग 15 मई 2001 से अस्तित्व में आया।
  • उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (UKPSC) के वर्तमान अध्यक्ष डॉ. रवि दत्त गोदियाल हैं।
  • डॉ. रवि दत्त गोदियाल को 28 अक्टूबर 2023 को उत्तराखंड लोक सेवा आयोग का कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, 
  • उत्तराखंड लोक सेवा आयोग का गठन भारत के संविधान के अनुच्छेद 315 के प्रावधानों के तहत किया गया है, यह एक संवैधानिक निकाय है। 
  • आयोग के अध्यक्ष का कार्यकाल सामान्यतः 6 वर्ष या 62 वर्ष की आयु तक होता है, जो भी पहले हो।
  • लोक सेवा आयोग के प्रथम अध्यक्ष एनपी नवानी थे।

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (Uttarakhand Subordinate Service Selection Commission - UKSSSC)

स्थापना : 17 सितंबर 2014
मुख्यालय : देहरादून 
वर्तमान अध्यक्ष - जी. एस. मार्तोलिया (गणेश सिंह मार्तोलिया) - नियुक्ति - अक्टूबर 2022
वर्तमान सचिव - श्री शिवकुमार बरनवाल (नियुक्ति - जून 2025)

राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission, Uttarakhand)

स्थापना : 30 जुलाई 2001
मुख्यालय : देहरादून 

उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग के वर्तमान अध्यक्ष सुशील कुमार हैं। इन्हें उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने 2 सितंबर 2024 को इस पद पर नियुक्त किया।
  • सुशील कुमार, एक सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी, वर्तमान में उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग के अध्यक्ष (राज्य निर्वाचन आयुक्त) के रूप में कार्यरत हैं। 
  • सुशील कुमार एक अनुभवी प्रशासक हैं, जिन्होंने उत्तराखंड और अन्य क्षेत्रों में विभिन्न प्रशासनिक भूमिकाओं में कार्य किया है।
उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग के बारे में, 

यह एक स्वायत्त स्वतंत्र और संवैधानिक और वैधानिक प्राधिकरण है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 243K के तहत स्थापित, पंचायती राज संस्थाओं (13 जिला पंचायतें, 95 ब्लॉक, 7,997 ग्राम पंचायतें) और शहरी स्थानीय निकायों (11 नगर निगम, 45 नगर पालिका परिषद, 50 नगर पंचायतें) के स्वतंत्र, निष्पक्ष, और शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करता है। आयोग मतदाता सूची तैयार करने और इन निकायों के चुनावों के संचालन का अधीक्षण, निर्देशन, और नियंत्रण करता है।

उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग (Uttarakhand Human Rights Commission)

स्थापना : 13 मई 2013 (प्रथम अध्यक्ष: विजेंद्र जैन)
मुख्यालय : देहरादून 

उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग के वर्तमान अध्यक्ष विजय कुमार बिष्ट हैं।

उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग की पूर्ण रूप से 13 मई 2013 में अस्तित्व में आया। यह आयोग मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच करता है, विशेष रूप से लोक सेवकों द्वारा किए गए उल्लंघनों की। यह स्व-प्रेरणा, शिकायतों, या न्यायालय के आदेश पर जांच करता है, मानवाधिकारों की रक्षा करता है, और जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्य करता है।

मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2019 के अनुसार, आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष या 70 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) होता है।

उत्तराखंड महिला आयोग (Uttarakhand Women Commission)

वर्तमान अध्यक्ष : कुसुम कंडवाल 
उपाध्यक्ष : सायरा बानो 

यह आयोग महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और उनके कल्याण के लिए कार्य करता है। यह लैंगिक समानता और महिलाओं के खिलाफ हिंसा की रोकथाम पर ध्यान देता है।
मुख्य कार्य: महिला सशक्तिकरण, शिकायत निवारण, और नीतिगत सुझाव।

राज्य अल्पसंख्यक आयोग (Uttarakhand Minorities Commission)

स्थापना : 27 मई 2003
मुख्यालय : देहरादून 

उत्तराखंड विधि आयोग (Uttarakhand Law Commission)
  • उत्तराखंड राज्य विधि आयोग के वर्तमान अध्यक्ष न्यायमूर्ति राजेश टंडन हैं।
  • न्यायमूर्ति राजेश टंडन उत्तराखंड उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश रह चुके हैं और उनके पास कानूनी क्षेत्र में व्यापक अनुभव है।
  • उत्तराखंड राज्य विधि आयोग का मुख्य उद्देश्य राज्य के कानूनों की समीक्षा करना, उनमें सुधार के लिए सुझाव देना, और कानूनों को आधुनिक बनाने के लिए नीतिगत सिफारिशें प्रस्तुत करना है। 

उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष : डॉ. गीता खन्ना 

  • डॉ. गीता खन्ना को 8 जनवरी 2022 को उत्तराखंड सरकार द्वारा उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग (SCPCR) की अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
  • उनका पहला कार्यकाल 6 जनवरी 2025 को समाप्त हुआ, जिसके बाद सरकार ने नए अध्यक्ष की नियुक्ति तक उन्हें दोबारा कार्यभार संभालने का आदेश दिया। उन्होंने 25 फरवरी 2025 को देहरादून के नंद की चौकी स्थित आयोग कार्यालय में दोबारा चार्ज संभाला।
  • डॉ. गीता खन्ना देहरादून निवासी एक चिकित्सक हैं।
आयोग का गठन : उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की स्थापना 2011 में हुई थी, जिसका उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की रक्षा, सुरक्षा, प्रोत्साहन और विकास सुनिश्चित करना है।

अन्य महत्वपूर्ण आयोग 

  • अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष : मुकेश कुमार 
  • अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष : लीलावती राणा (कार्यवाहक अध्यक्ष)
  • अन्य पिछला वर्ग आयोग के अध्यक्ष : संजय नेगी 

उत्तराखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन अध्यक्ष : जोत सिंह गुसोला

जोत सिंह गुनसोला को 14 सितंबर 2019 को क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (CAU) का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया था। यह चुनाव राजपुर रोड, देहरादून में एक होटल में आयोजित बैठक में संपन्न हुआ, जिसमें सेवानिवृत्त IAS अधिकारी एस.पी. सुबर्धन और अजीत सिंह ने चुनाव प्रक्रिया की देखरेख की।

उनकी नियुक्ति उस समय हुई जब उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) से 13 अगस्त 2019 को पूर्ण मान्यता प्राप्त हुई थी। यह मान्यता लोढ़ा समिति की सिफारिशों के अनुरूप BCCI के संविधान को अपनाने के बाद मिली।

उत्तराखंड पलायन आयोग,

  • स्थापना : अगस्त 2017
  • मुख्यालय : पौड़ी गढ़वाल 
उत्तराखंड पलायन आयोग, जिसे वर्तमान में उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन निवारण आयोग के नाम से जाना जाता है, के अध्यक्ष मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हैं।

उत्तराखंड पलायन आयोग की स्थापना अगस्त 2017 को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा की गई थी, और इसकी संरचना के अनुसार, आयोग का अध्यक्ष राज्य का मुख्यमंत्री होता है। वर्तमान में, पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हैं (23 मार्च 2022 से कार्यरत), और इस तरह वह आयोग के अध्यक्ष भी हैं।

आयोग का कार्य : 
  • आयोग का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड, विशेष रूप से पहाड़ी और ग्रामीण क्षेत्रों, से हो रहे पलायन के कारणों का अध्ययन करना और इसे रोकने के लिए प्रभावी समाधान प्रस्तुत करना है। 
  • यह शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, और बुनियादी सुविधाओं की कमी जैसे कारणों पर ध्यान देता है। 
  • आयोग ने कई सर्वेक्षण किए हैं, जिनमें 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 1,726 गांव आंशिक या पूरी तरह से खाली हो चुके हैं, और 307,310 लोग राज्य से पलायन कर चुके हैं।
नाम परिवर्तन : 2022 में, आयोग का नाम "उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग" से बदलकर "पलायन निवारण आयोग" किया गया, ताकि इसके कार्यक्षेत्र को और अधिक केंद्रित और प्रभावी बनाया जा सके।

आयोग में एक उपाध्यक्ष और अन्य सदस्य भी हैं। वर्तमान में उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस. नेगी हैं, जो पलायन रोकथाम के लिए नीतिगत सुझाव देने में सक्रिय हैं। 

उत्तराखंड के कमिश्नर 

  • कुमाऊं कमिश्नर : दीपक रावत
  • गढ़वाल कमिश्नर : विनय शंकर

उत्तराखंड के वर्तमान राज्य सभा सदस्य 

  • नरेश बंसल (नियुक्ति - 26 नवंबर 2020)
  • कल्पना सैनी (नियुक्ति - 5 जुलाई 2022)
  • महेन्द्र भट्ट  (नियुक्ति - 3 अप्रैल 2024)

उत्तराखंड के वर्तमान लोक सभा सदस्य (18वीं लोकसभा)

  • अजय भट्ट (निर्वाचन क्षेत्र - नैनीताल ऊधम सिंह नगर)
  • अजय टम्टा (निर्वाचन क्षेत्र - अल्मोड़ा)
  • माला राज्य लक्ष्मी शाह (निर्वाचन क्षेत्र - टिहरी गढ़वाल)
  • अनिल बलूनी (निर्वाचन क्षेत्र - गढ़वाल)
  • त्रिवेंद्र सिंह रावत (निर्वाचन क्षेत्र - हरिद्वार)
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भारत की जनगणना 2011 मित्रों वर्तमान परीक्षाओं को पास करने के लिए रखने से बात नहीं बनेगी अब चाहे वह इतिहास भूगोल हो या हमारे भारत की जनगणना हो अगर हम रटते हैं तो बहुत सारे तथ्यों को रटना पड़ेगा जिनको याद रखना संभव नहीं है कोशिश कीजिए समझ लीजिए और एक दूसरे से रिलेट कीजिए। आज हम 2011 की जनगणना के सभी तथ्यों को समझाने की कोशिश करेंगे। यहां प्रत्येक बिन्दु का भौगोलिक कारण उल्लेख करना संभव नहीं है। इसलिए जब आप भारत की जनगणना के नोट्स तैयार करें तो भौगोलिक कारणों पर विचार अवश्य करें जैसे अगर किसी की जनसंख्या अधिक है तो क्यों है ?, अगर किसी की साक्षरता दर अधिक है तो क्यों है? अगर आप इस तरह करेंगे तो शत-प्रतिशत है कि आप लंबे समय तक इन चीजों को याद रख पाएंगे साथ ही उनसे संबंधित अन्य तथ्य को भी आपको याद रख सकेंगे ।  भारत की जनगणना (भाग -01) वर्ष 2011 में भारत की 15वीं जनगणना की गई थी। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत का कुल क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किलोमीटर था तथा भारत की कुल आबादी 121,08,54,922 (121 करोड़) थी। जिसमें पुरुषों की जनसंख्या 62.32 करोड़ एवं महिलाओं की 51.47 करोड़ थी। जनसंख्या की दृष...

चंद राजवंश : उत्तराखंड का इतिहास

चंद राजवंश का इतिहास पृष्ठभूमि उत्तराखंड में कुणिंद और परमार वंश के बाद सबसे लंबे समय तक शासन करने वाला राजवंश है।  चंद वंश की स्थापना सोमचंद ने 1025 ईसवी के आसपास की थी। वैसे तो तिथियां अभी तक विवादित हैं। लेकिन कत्यूरी वंश के समय आदि गुरु शंकराचार्य  का उत्तराखंड में आगमन हुआ और उसके बाद कन्नौज में महमूद गजनवी के आक्रमण से ज्ञात होता है कि तो लगभग 1025 ईसवी में सोमचंद ने चंपावत में चंद वंश की स्थापना की है। विभिन्न इतिहासकारों ने विभिन्न मत दिए हैं। सवाल यह है कि किसे सच माना जाए ? उत्तराखंड के इतिहास में अजय रावत जी के द्वारा उत्तराखंड की सभी पुस्तकों का विश्लेषण किया गया है। उनके द्वारा दिए गए निष्कर्ष के आधार पर यह कहा जा सकता है । उपयुक्त दिए गए सभी नोट्स प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से सर्वोत्तम उचित है। चंद राजवंश का इतिहास चंद्रवंशी सोमचंद ने उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में लगभग 900 वर्षों तक शासन किया है । जिसमें 60 से अधिक राजाओं का वर्णन है । अब यदि आप सभी राजाओं का अध्ययन करते हैं तो मुमकिन नहीं है कि सभी को याद कर सकें । और अधिकांश राजा ऐसे हैं । जिनका केवल नाम पता...