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राज्यपाल और राज्य की कार्यपालिका
आज के लेख में हम जानेंगे की राज्य सरकार कैसे काम करती है। राज्यपाल का उल्लेख संविधान में कहां किया गया है और इसकी नियुक्ति कैसे होती है ? विधानसभा और विधान परिषद का गठन कैसे होता है? राज्य क्या है? भारतीय संविधान के अनुच्छेद 152 में राज्य की परिभाषा दी गई है जिसमें कहा गया है कि राज्य के पास क्षेत्रफल, जनसंख्या और शासन यह तीनों चीज तो होंगी किंतु संप्रभुता नहीं होगी जिस कारण इसे राज्य कहा जाएगा। जिसमें राज्यपाल कार्यपालिका का प्रधान होगा किंतु केवल औपचारिक प्रधान रहेगा वास्तविक प्रधान मुख्यमंत्री को माना जाएगा।
राज्यपाल (अनुच्छेद 153)
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 153 में कहा गया है कि "एक राज्य का एक राज्यपाल होगा"। राज्यपाल की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति अनुच्छेद 156 के तहत करता है। एक ही व्यक्ति को एक से अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है। और राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी। राज्यपाल का पद कनाडा से लिया गया है।
राज्यपाल बनने के लिए योग्यता
- भारत का नागरिक हो।
- 35 वर्ष की आयु हो।
- लाभ के पद पर ना हो।
राज्यपाल का कार्यकाल
- राष्ट्रपति के प्रसाद प्रर्यंत
- सामान्यत: 5 वर्ष
- इससे पहले राष्ट्रपति को त्यागपत्र दे सकता है।
राज्यपाल की कार्य शक्तियां
- विधायी कार्य
- प्रशासनिक कार्य
- न्यायिक कार्य
विधायी कार्य
राज्यपाल विधानमंडल का अंग होता है और राज्यपाल के हस्ताक्षर के बिना राज्य में कोई विधेयक कानून नहीं बन सकता है। राज्य विधानमंडल से पारित किसी विधेयक को राज्यपाल राष्ट्रपति की सहमति के लिए आरक्षित कर सकता है।
अनुच्छेद 200 के अंतर्गत उच्च न्यायालय की शक्तियों में कमियां वृद्धि करने वाले किसी विषय को वह अनिवार्य रूप से आरक्षित करेगा।
नोट* - राज्य विधानमंडल द्वारा पुनर्विचार कर भेजे गए किसी विधेयक पर हस्ताक्षर करने के लिए राष्ट्रपति कभी भी बाध्य नहीं होगा। किन्तु राज्यपाल हो सकता है।
राज्यपाल विधानमंडल के प्रत्येक सदन को आहूत व सत्रावसान करता है। यदि विधानमंडल सत्र में ना हो, अनुच्छेद 213 के अंतर्गत राज्यपाल अध्यादेश जारी कर सकता है
प्रशासनिक कार्य
- राज्यपाल का मुख्य सलाहकार मुख्यमंत्री होता है। संविधान के अनुच्छेद 163 के अनुसार राज्यपाल की सहायता एवं सलाह के लिए एक मंत्री परिषद गठित किया जाता है जिसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री होते हैं।
- राज्य की समस्त कार्यपालिका कार्यवाही राज्यपाल के नाम से की जाती है। संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार राज्यपाल करता है।
- राज्य स्तर की महत्वपूर्ण पद महाधिवक्ता जिला, न्यायाधीश राज्य लोक सेवा आयोग, राज्य वित्त आयोग, राज्य निर्वाचन आयोग, राज्य स्तरीय अन्य आयोगों के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय के कुलपतियों, मुख्यमंत्री और मंत्री परिषद के सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा की जाती है।
- इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 356 के अंतर्गत राज्यपाल राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर सकता है।
न्यायिक शक्तियां
अनुच्छेद 161 तहत राज्यपाल मृत्यु को छोड़कर अन्य किसी भी दण्ड को क्षमा, परिहार, लघुकरण, निलंबन कर सकता है। राष्ट्रपति के अलावा राज्यपाल की भी क्षमादान शक्तियों का न्यायिक पुनरावलोकन हो सकता है। राज्यपाल की सिफारिश पर प्रधानमंत्री द्वारा। राज्य सरकार को बर्खास्त किया जा सकता है ।
राज्यपाल द्वारा जारी किया गया अध्यादेश 6 माह बाद समाप्त हो जाता है। राज्य विधानसभा में एक आंग्ल भारतीय की नियुक्ति राज्यपाल करता है। और विधान परिषदों में कुल सदस्यों के 1/6 भाग मनोनीत करता है।
राज्य मंत्री परिषद (अनुच्छेद 163)
राज्यपाल को सहायता एवं मदद् देने का कार्य मंत्रीपरिषद करता है। संविधान के अनुच्छेद 163 में उल्लेख किया गया है कि राज्य मंत्रिपरिषद की सलाह पर या स्वयं से वह कार्य करेगा ।
मंत्री परिषद का गठन (अनुच्छेद 164)
संविधान के अनुसार मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है। तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल मुख्यमंत्री के सलाह पर करता है। और कैबिनेट मंत्री (मुख्यमंत्री सहित) मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल करेगा।
मंत्री परिषद क्या है?
राज्य में मंत्रिमंडल, राज्यमंत्री, उपमंत्री एवं राज्यमंत्री के समस्त पदों का सम्मिलित रूप ही मंत्रिपरिषद कहलाता है। वर्ष 2003 में 91 संविधान संशोधन हुआ जिसमें यह प्रावधान किया गया कि राज्य मंत्री परिषद में मंत्रियों की अधिकतम संख्या उस राज्य की विधानसभा की कुल सदस्य सभा के 15% से अधिक नहीं होगी और किसी भी दशा में 12 से कम भी नहीं होगी।
विधानमंडल (अनुच्छेद 168)
प्रत्येक राज्य का एक विधानमंडल होगा, जो विधानसभा और राज्यपाल से मिलकर बनेगा।
विधानमंडल
विधानमंडल = विधानसभा + राज्यपाल से मिलकर बनता है।
परंतु जिन राज्यों में विधान परिषदों का गठन किया गया है। वहां विधान सभा, विधान परिषद और राज्यपाल से मिलकर बनेगा।
विधान परिषद का गठन एवं समाप्ति
किसी राज्य की विधानसभा विधान परिषद का गठन के लिए विशेष बहुमत से विधेयक पारित करे तथा संसद साधारण बहुमत से सहमति प्रदान करें। तो राष्ट्रपति के हस्ताक्षर एवं राज्य के राज्यपाल की सहमति से उस राज्य में विधान परिषद का गठन समझा जाएगा। किसी राज्य में विधान परिषद की समाप्ति के लिए भी यही प्रक्रिया अपनायी जाती है।
राज्य का निम्न सदन विधानसभा होती है जिसका उल्लेख संविधान में अनुच्छेद 170 में किया गया है। जबकि विधान परिषद के निर्माण की चर्चा अनुच्छेद 169 में की गई है। विधानसभा में अधिकतम सदस्यों की संख्या 500 तथा न्यूनतम सदस्यों की संख्या 60 हो सकती है किन्तु न्यूनतम 60 सदस्यों में अपवाद हैं क्योंकि मिजोरम (40), गोवा (40) सिक्किम (32) पांडिचेरी (30),
संविधान के अनुच्छेद 178 के तहत विधानसभा में एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चयन किया जाता है। इन्हें विधानसभा के सदस्य चुनते हैं और विधानसभा के सदस्य ही प्रस्ताव पारित करके हटा सकते हैं।
विधानसभा सदस्यों की योग्यता
अनुच्छेद 173 में विधान मंडल के सदस्यों की योग्यता का वर्णन है। जिसमें उल्लेख किया गया है कि -
- वह भारत का नागरिक को
- 25 वर्ष की आयु हो
- पागल व दिवालिया न हो।
- लाभ के पद पर ना हो
निर्वाचन
- प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा।
- एक आंग्ल भारतीय का मनोनयन राज्यपाल द्वारा।
कार्यकाल
- सामान्यतः 5 वर्ष।
- इससे पहले मंत्रिपरिषद की सलाह पर राजपाल भंग कर सकता है।
विधानसभा का कार्य
विधेयकों को पारित कराना (सभी विधेयको पर एकाधिकार)।
मंत्री परिषद को उत्तरदायी बनाना।
गणपूर्ति/कोरम क्या है?
कुल सदस्य संख्या का कम से कम 1/10
सत्र
- बजट सत्र
- मानसून सत्र
- शीतकालीन सत्र
द्वितीय सदन या उच्च सदन (अनुच्छेद 171)
विधान परिषद का गठन अनुच्छेद 169 में और संरचना अनुच्छेद 171 में की गयी है। विधान परिषद में अधिकतम सदस्यों की संख्या विधानसभा का 1/3 व न्यूनतम सदस्यों की संख्या 40 हो सकती है। विधान परिषद में एक सभापति उपसभापति का चयन सदस्यों में से सदस्यों द्वारा।
योग्यता
- भारत का नागरिक हो
- 30 वर्ष की आयु हो
- लाभ के पद पर ना हो
कार्यकाल
स्थाई सदस्य कभी विघटित नहीं होता।
सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष तक होता है (प्रत्येक 2 वर्ष में 1/3 सेवानिवृत्त)
निर्वाचन
- विधान परिषद के कुल सदस्यों में से 1/3 सदन से स्थानीय निकायों जैसे नगर पालिका, जिला, बोर्ड, आदि के द्वारा चुने जाते हैं।
- 1/3 सदस्यों का चुनाव विधानसभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
- विधान परिषद के कुल सदस्यों में से 5/6 सदस्यों को अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव होता है।
- 1/6 सदस्यों का राज्यपाल द्वारा मनोनयन विज्ञान, कला, समाजसेवा और सहकारिता के क्षेत्रों से नामित करता है।
- 1/12 सदस्यों में से राज्य में रह रहे 3 वर्ष से स्नातक निर्वाचन करते हैं।
- 1/12 सदस्यों का निर्वाचन 3 वर्ष से अधिक अनुभव वाले माध्यमिक स्तर या इसके ऊपर के शिक्षकों द्वारा किया जाता है ।
कार्य
- विधेयकों को पारित करना।
- धन विधेयकों को अधिकतम 14 दिन तथा अन्य विधेयकों को प्रथम बार भेजे जाने पर 3 माह
- दोबारा भेजे जाने पर एक माह कुल 4 माह तक रोक सकती है। जिन्हें साधारण विधेयक कहते हैं।
गणपूर्ति / कोरम
1/10 कुल सदस्य संख्या
सत्र
- बजट सत्र
- मानसून सत्र
- शीतकालीन सत्र
विधान परिषद
- बिहार 75
- महाराष्ट्र 78
- उत्तर प्रदेश 100
- कर्नाटक 75
- आंध्रप्रदेश 60
- तेलंगाना 40
विधान परिषद को समाप्त करने वाला आखिरी राज्य तमिलनाडु है।
त्यागपत्र — सभापति — उपसभापति
किसी राज्य में विधान परिषद की संरचना अथवा विघटन संसद द्वारा राज्यपाल की अनुशंसा पर किया जा सकता है ।
राज्य का महाधिवक्ता (अनुच्छेद 165)
संविधान के अनुसार राज्य सरकार का विधिक मामलों में सलाह व सहायता देने के लिए एक महाधिवक्ता होगा।
महाधिवक्ता राज्य सरकार का 'प्रथम विधि अधिकारी' होता है।
नियुक्ति
राजपाल द्वारा (सरकार की सलाह पर)।
योग्यता
- उच्च न्यायालय में न्यायाधीश बनने की योग्यता
- भारत का नागरिक हो।
- लगातार 10 वर्षों से न्यायिक कार्य में लगा हो।
- 10 वर्षों तक अधिवक्ता अनुभव हो।
कार्यकाल
- राज्यपाल के प्रसाद पर्यंत
- राज्यपाल को त्यागपत्र देकर
कार्य शक्तियां (अनुच्छेद 194)
- राज्य में वह मुख्य कानून अधिकारी होता है।
- राज्य विधान मंडल की कार्यवाही में भाग नहीं सकता है। किंतु मतदान नहीं कर सकता है (अनुच्छेद 197)।
- राज्य के भीतर उसे किसी भी न्यायालय में सुनवाई का अधिकार होगा।
महत्वपूर्ण तथ्य
- अनुच्छेद 202 के तहत राज्य का वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) प्रस्तुत किया जाता है।
- अनुच्छेद 327 के अधीन संसद और राज्य विधान मंडलों के निर्वाचन से संबंधित समस्त प्रावधानों को अधिनियमित करने की शक्ति संसद को प्रदान की गई है।
- अनुच्छेद 328 के तहत राज्य विधानमंडल को भी इस निर्वाचन के बारे में विधि बनाने की शक्ति प्राप्त है।
- राज्य विधानमंडल अपने किसी सदस्य सदनों के निर्वाचन से संबंधित ऐसी विषय पर विधि बना सकती है जिस पर संसद उपलब्ध नहीं करती है
प्रश्न 01 - भारत की निर्वाचन पद्धति किस देश की निर्वाचन पद्धति के अनुरूप है?
उत्तर - ब्रिटेन।
प्रश्न 02- परिसीमन आयोग का अध्यक्ष होता है?
उत्तर - मुख्य चुनाव आयुक्त।
प्रश्न 03 - भारत में सार्वजनिक मताधिकार के आधार पर प्रथम चुनाव?
उत्तर - 1952
प्रश्न 04 - चुनाव के समय किसी चुनाव क्षेत्र प्रचार प्रसार कब बंद करना होता है?
उत्तर - 48 घंटे
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